RE: Indian Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल (माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना)
माँ की बिना बालो वाली गुलाबी योनि अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
फिर मैं ने अपनी जीभ को माँ की योनि मे डाल कर माँ को भी आनंद देने लगा. माँ भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास बुज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से माँ की योनि के होंठ खोल दिए.
फिर मैं आराम से अपनी जीभ माँ की योनि मे डाल कर चाटने लगा
खेलने लगा .
माँ की योनि मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से माँ की योनि जीभ को बाहर फेक देती .
जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा पेनिस चाहिए.
देना है तो पेनिस दो जीभ से मेरा क्या होगा.
जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी.
पर मैं भी कहा हार मानने वाला था ,मैं ने भी उसकी योनि मे जीभ डालना जारी रखा.
उसकी टाइट योनि मेरी जीभ को बाहर धकेल देती
इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल रहा था. साथ मे माँ को भी.
माँ तो अपनी सिसकिया अपनी भूक पर कंट्रोल रखे हुए थी.
माँ की योनि के साथ अपनी जीभ से खेलने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया .मैं ने वो सारा अमृत पी लिया. और जीभ से योनि को साफ कर दिया.
माँ इतनी गरम हो चुकी थी की उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था .और वो अपना पानी छोड़ देती
उसकी अमृत को पीने के बाद मैं ने उसकी योनि को एक बार चाट कर साफ किया.
मैं ने टाइम देखा ,एक घंटे से मैं माँ के साथ सिर्फ़ उपर उपर से प्यार कर रहा था.
मतलब मुझे माँ के साथ प्यार करते हुए समय का भी ध्यान नही रहा.
फिर ज़्यादा देर करना ठीक नही होता.
मैं ने अपने कपड़े निकाल दिए.और माँ को आँखो खोलने के लिए कहा .
उसने आँखो खोल दी.मैं ने पेनिस को माँ के हाथो मे दिया.
माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर पेनिस की तरफ .
फिर पेनिस पे एक किस कर के पेनिस को छोड़ दिया और ना मे गर्दन हिला दी.
मतलब वो पेनिस को मुँह मे लेना नही चाहती थी.
मैंने भी उसे ज़्यादा फोर्स नही किया.
उसने पेनिस नही चूसा मतलब अब बस एक काम बाकी था.
वो था ...
फिर मैं ने माँ के नितम्बो के नीचे पिल्लो रख दिया.
फिर मैं माँ के टाँगो के बीच मे आ गया.
मैं ने पेनिस पे थूक लगा दी.
और पेनिस को योनि पर रख दिया.
मेरा पेनिस माँ की योनि को प्यार करना चाहता था.
उसको फील करना चाहता था.
मैं ने पेनिस वैसे ही रहने दिया .
पेनिस और योनि का मिलन होने वाला था.
उस मिलन मे दर्द होने वाला था पर मेरा पेनिस योनि को दर्द देने से पहले उसको प्यार कर रहा था.
दर्द से पहले प्यार...
मुझे कुछ ना करते हुए देख कर माँ ने आँखें खोल कर मुझे आगे बढ़ने को कहा.
मैं ने फिर से पेनिस पर थूक लगाया और पेनिस को योनि पर रखा .
और माँ के उपर आ गया.
मैं ने पहले माँ के होंठो पर एक किस किया और फिर मैं ने एक झटका मारा पर कुछ नही हुआ, मेरा पेनिस फिसल गया.
मैं ने फिर से पेनिस को योनि पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा कि पेनिस का टोपा माँ की योनि मे चला गया .
माँ के मुँह से चीख निकल गयी .
माँ की दर्द भरी चीख सुनकर मुझे ऐसा लग रहा था कि दर्द माँ को नही बल्कि मुझे हो रहा हो.
दर्द माँ को हो रहा था और मेरी आँखो मे पानी आ रहा था.
माँ ने जब मेरी आँखो मे पानी देखा तो उन्होने चीखना बंद किया. और दर्द को बर्दास्त करना शुरू किया.
माँ अपने होंठो को दबा कर अपनी चीख को रोकने लगी.
पर माँ को दर्द हो रहा था.
माँ का दर्द कम करने के लिए मैं अपने होंठ माँ के होंठो पर रख कर चूसने लगा.
जिस से माँ दर्द को भूल कर किस पर फोकस कर सके ताकि दर्द कम होज़ाये.
अभी तो सिर्फ़ टोपा अंदर गया था.
मेरा टोपा बहुत बड़ा था किसी जंगली आलू की तरह और इतने सालों से माँ ने सेक्स नही किया था शायद कभी उंगली भी न कि हो
इसलिए उनकी योनि किसी कुँवारी लड़की की तरह हो गई थी अभी तो सिर्फ टोपा अंदर गया था पूरा पेनिस अभी अंदर जाना बाकी था.
पर मुझे क्या हुआ था कि मैं माँ को दर्द होता हुआ देख नही पा रहा था.
पर माँ को प्यार भी करना था.
उपर से मेरा पेनिस माँ की योनि मे जाने के लिए बेताब हो रहा था.
थोड़ी देर मे माँ शांत हो गयी फिर भी मैं हाथो से स्तन को दबाने लगा. थोड़ी देर मे माँ को पूरी तरह से अच्छा लगने लगा .
मैं ने माँ को इशारे मे पूछा कि अंदर डालु उसने हाँ मे गर्दन हिला दी.
फिर मैं ने एक जोरदार झटका मारा,वो झटका जिसे कोई पत्नी अपनी ज़िंदगी भर भूल नही सकती झटका मार कर पेनिस माँ की योनि में अपना रास्ता बनाता हुआ पांच इंच तक अंदर चला गया.
माँ ने बहुत कोशिस की चीख ना निकले पर ये ऐसा झटका था जिस के मारते ही हर औरत की चीख निकल जाती है.
माँ की भी चीख निकल गयी.पर मेरे किस करने से उसकी दबी हुई चीख मेरे मुँह मे दब गयी.
माँ और मेरे भी आँखो से पानी निकलने लगा क्यों कि मैं अपने माँ को कोई भी तकलीफ होते हुए नही देख सकता
उसको सासे लेने की ज़्यादा ज़रूरत थी जिस से मैं ने उनके होंठो को अपने होंठो से आज़ाद किया. पर मैं स्तन को दबाता रहा.
माँ के मुँह से दर्द भरे शब्द निकले.
पर माँ ने कंट्रोल करते हुए उन शब्दो को बीच मे रोख दिया.
मुझे पता था कि माँ को दर्द हो रहा है.
फिर भी माँ ने मुझे पेनिस बाहर निकालने को नही कहा और अंदर डालने को भी नही कहा.
वो बस मेरे नीचे लेटी हुई अपने दर्द को मुझ पर जाहिर नही होने देना चाहती थी.
माँ मुझसे इतना प्यार करती थी कि उसने आँखो को खोल कर मुझे आँखो से इशारा करके थोड़ी देर रुकने को कहा.
उसे लगा कि अगर मैं भी उस से प्यार करता हू तो मैं उनका इशारा समझ जाउन्गा .
और हुआ भी ऐसा ही मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है.
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