Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 10:35 AM,
RE: चूतो का समुंदर
पता नही क्यो पारूल को खुश देख कर मेरा मन खुश हो जाता था...और उसे उदास देख कर मैं उदास हो जाता..

कभी- कभी लगता है कि कुछ तो है हमारे बीच ...पर पता नही क्या...

पारूल सब बताते- बताते मेरे गले लग गई और सुबकने लगी...

मैं- अरे...क्या हुआ...??

पारूल- थॅंक यू भैया...ये जो सब आपने मेरे लिए किया...कोई नही कर सकता था...

मैं- अरे पगली...भैया भी बोलती है और थॅंक यू भी...मैं बात नही करूगा ...

पारूल- सॉरी-सॉरी...अब नही बोलूँगी..

फिर पारूल ने अलग हो कर आसू पोछ लिए...

पारूल- ऑर भैया...मैने इंग्लीश बोलनी सीख ली...कुछ- कुछ...जैसे सॉरी, थॅंक यू, और वेलकम ...और...

मैं- बस- बस..मेरी गुड़िया....तू तो बहुत होसियार है...बस तू स्कूल जाने लगेगी तो सब सीख जायगी...और भी ज़्यादा...

पारूल- पर कब जाउन्गी...???

मैं- ह्म्म..बस 3 दिन मे...खुश...??

पारूल- बहुत खुश..

तभी सविता कॉफी ले आई और सोनू भी पाब भाजी ले कर आ गया....

हम ने बैठ कर खाया-पिया और मैं 2 दिन बाद आने का बोल कर संजू के घर निकल आया......

संजू के घर आते हुए मुझे सुषमा का बेटा सोनू दिखाई दिया...वो अपनी कार साइड मे पार्क किए हुए खड़ा था...

सोनू को देख कर हमें अपनी पुरानी बातें याद आ गई...जो उसकी मोम को चोदने के बारे मे हुई थी...

पर जब से हम कामिनी के घर की शादी से वाइस आए थे...तबसे सिर्फ़ एक बार ही हमारी बात हुई थी...

और तब सोनू ने कहा था कि उसकी मोम की दिलवाने के लिए मैं उसकी हेल्प करने उसके घर आउ...


मैने कार साइड की और सोनू के पास गया...

मैं- हाई सोनू...

सोनू(सकपका गया)- त्त..तुम...ह्ही..

मैं- अबे कोई भूत देख लिया क्या...??..ऐसे क्यो बोल रहा है...??

सोनू- नही..कुछ नही...कैसे हो...

मैं- मस्त...तू बता ..कहाँ गायब था...??

सोनू- कहीं नही...क्यो..??

मैं- क्यो मतलब क्या...भूल गया तू अपनी माँ के साथ...ह्म्म

सोनू- हाँ भाई...वो तो अभी भी चाहता हूँ...बस कुछ काम से अपने गाओं गया था....कल ही वापिस आया..

मैं- तो फिर क्या सोचा...मोम का...

सोनू- मैं तुम्हे कॉल करके बुलाउन्गा तो आ जाना...तभी बात करेंगे मोम के बारे मे...

मैं- ओके पर ये बता कि आज तो तुम्हारी माँ कामिनी जी के घर पर थी...वहाँ तुम दोनो भाई-बेहन नही दिखे...

सोनू-अरे हाँ..वो हम घर पर थे...कल मिल आए थे कामिनी आंटी से..

मुझे पता नही क्यो...ऐसा लग रहा था कि सोनू बहुत घबराया हुआ है...शायद वो किसी बात से डरा हुआ था...पर मैं उससे डाइरेक्ट पुच्छू तो कैसे...

मैं- क्या हुआ सोनू...तू ठीक तो है ना..??

सोनू- हाँ...हाँ ठीक हूँ...मुझे क्या हुआ...

मैं- तू जबसे यहाँ-वहाँ देख रहा है...किसी का वेट कर रहा था क्या...??

सोनू- हाँ..वो सोनम सामने शॉप पर गई है...उसी का...

मैं- क्या..सोनम...

सोनम का नाम आते ही मेरे दिल मे दबे ज़ज्बात बाहर आने लगे...

मैं सोचने लगा उस दिन के बारे मे...जब मैने सोनम को प्रपोज किया था...

इस समय मुझे सोनम अपने सामने खड़ी हुई दिखाई दे रही थी...मैं बस यही सोच रहा था कि सोनम एक बार मुझे आन्सर दे दे...

मैं भी सोनू के साथ सोनम का वेट करने लगा...

काफ़ी देर तक हम बाते करते रहे पर सोनम नही आई...

लेकिन मेरे फ़ोन मे अनु का मेसेज आ गया..."भैया जल्दी घर आओ...अर्जेंट है"

अनु का मेसेज आते ही मैं सोचने लगा कि अब क्या करूँ...फिर सोचा कि अनु के पास जाता हूँ...वो तो मेरी हो चुकी...सोनम से बाद मे निपट लुगा...

मैने सोनू को कॉल करने का बोला और निकल आया...मुझे ऐसा लगा जैसे सोनू मेरे जाने की बात सुनकर खुश हो गया और चैने की साँस ले ली....

यहाँ मैं कार से संजू के घर निकला और वहाँ सोनू के सामने एक लेडी आ गई...

सोनू- तुम..तुमसे कहा था कि मुझे मत फासाओ इस सब मे...आज अगर वो तुम्हे देख लेता तो क्या सोचता मेरे बारे मे...

लेडी- हे..बस..टेन्षन मत ले...तुझे कुछ नही होगा...और मुँह खोला तो तेरी...

सोनू- नही-नही..मैं चुप रहुगा...कुछ मत करना...

लेडी- ह्म्म..वैसे मैने उसे देख लिया था...इसलिए छिप गई थी...

सोनू- ह्म्म..पर तुम मुझे कब छोड़ोगी...मुझे इस सब से बाहर रखो...

लेडी- कुछ महीने और...पर टेन्षन मत ले..बॉस ने चुप रहने का बोला है...तेरा काम सिर्फ़ इतना है कि मुँह बंद रखो...

सोनू- तो अब कहाँ चलना है...

लेडी- मुझे मेरे घर छोड़ दे और तू अपने घर निकल जाना ..और हाँ...अपनी माँ को चोदने अंकित को जल्दी बुलाना..हहहे...

सोनू- अभी जल्दी चलो...मुझे घर जाना है...

फिर वो लेडी के साथ सोनू निकल गया.....



यहाँ मैं कार मे था....तभी मुझे कुछ याद आते ही एक झटका सा लगा ...

मौने कार साइड मे रोक दी और कुछ याद करने लगा.....

मैं बहादुर की बातों के बारे मे सोच रहा था ...

बहादुर ने कहा था कि वो मेरे परिवार मे नौकर था...

मेरे डॅड के साथ गाओं से बाहर आ गया था...

डॅड ने उसको अपने से दूर भेज दिया...


बहादुर किसी नये गाओं मे बस गया ...

अचानक मेरे दादाजी का संदेश बहादुर को मिला....

संदेश भेजने वाला आक्सिडेंट मे मारा गया...

बहादुर का मेरे डॅड से मिलने यहाँ आना...

मुझे सारी बाते ठीक से हजम नही हो रही थी....फिर मुझे विनोद अंकल की बात याद आई कि अभी 5-6 महीने तक मेरे दुश्मन चुप रहेगे...

मैं सोचने लगा कि बहादुर का आना और मेरे दुश्मनो का चुप हो जाना....क्या ये दोनो बाते आपस मे लिंक है...

क्या बहादुर ग़लत इरादे से आया है...??

ऐसा तो नही की दुश्मन बहादुर के ज़रिए मेरे डॅड को....नही-नही...

मैं ऐसा नही होने दे सकता...बहादुर मेरे क़ब्ज़े मे है...और जब भी डॅड आयगे तो मैं उसे डॅड से अपनी निगरानी मे मिलवाउन्गा...

तब पता चल जाएगा कि बहादुर सच्चा है या झूठा.....

और मैं सब प्लान कर के संजू के घर निकल गया....
संजू के घर आते ही मैं सीधा उपर अनु के रूम मे निकल गया...

वैसे भी नीचे हॉल मे इस वक़्त कोई नही था...

अनु के रूम मे जाते ही...

मैं- अनु...क्या हुआ...अर्जेंट मे क्यो बुलाया.....??

रक्षा- रिलॅक्स भैया...साँस तो ले लो...

रक्षा की आवाज़ सुनकर मैने गौर किया कि अनु के साथ रक्षा और रूबी भी रूम मे है और मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी....

मैं- अब तुम लोगो को क्या हुआ...??

रक्षा- कुछ नही...हम तो बस इसलिए हँस रही है कि आपको अनु की कितनी फ़िक्र है...काश हमारी भी ऐसी फ़िक्र करते...

मैं- चुप रहो...मैं तुम्हारी फ़िक्र भी करता हूँ और तुम ये जानती हो....

मेरी बात सुनकर रक्षा चुप हो गई और शरमा गई...पर अनु मुझे घूरे जा रही थी...

मुझे लगा कि कही रक्षा और रूबी ने हमारी चुदाई के बारे मे तो नही बता दिया....

मैं- बोलो अनु...ऐसे घूर क्या रही हो...क्यो बुलाया..??

अनु- वो..मैने कुछ नही किया...ये सब रक्षा ने किया...मेरे फ़ोन से मेसेज कर दिया और मुझे बाद मे बताया...

मैं- ह्म्म(मन मे- चलो इन दोनो ने अनु से चुदाई के बारे मे कुछ नही कहा...)

रक्षा- अरे भैया..अनु की कोई ग़लती नही ...असल मे हमें आपसे काम था...

मैं- ह्म्म..काम...ओके..तो मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ...जो भी काम है वो बाद मे बताना...ओके

रक्षा(आँखो से इशारा किया की बाहर मिलो)- जी भैया...

मैं संजू के रूम मे आया..फ्रेश हो कर चेंज किया और बेड पर लेट गया...

संजू- भाई...आज कुछ होगा कि नही..???

मैं- क्या..किस बारे मे बोल रहा है...

संजू- मोम...

मैं - ओह हाँ...मैं बात करता हूँ...फिर बताउन्गा...

संजू- भाई जल्दी कर...आज और कल रात ही है..कैसे भी करवा ही दे..

मैं- हाँ यार...अभी बात करता हूँ ओके...

संजू वापिस से पढ़ने लगा और थोड़ी देर मे ही रक्षा रूम के गेट पर आ कर खड़ी हो गई...

रक्षा ने इशारे से मुझे उपेर छत पर आने को कहा और निकल गई....

मैं भी जल्दी से उपेर आ गया...और मेरे आते ही रक्षा ने मुझे कस के गले लगा लिया और किस्सस की बौछार कर दी...
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-06-2017, 10:35 AM

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