Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
एक दिन आज़ाद का दोस्त अली अपने बेटे के साथ आज़ाद के घर आया...

बातों ही बातों मे आज़ाद ने अली को आरती के बारे मे बताया कि क्यो वो स्कूल नही जाती...

अली- यार इसी लिए तो मैं आया हूँ...

आज़ाद- मतलब...तुझे कैसे पता..??

अली- यार तू भूल गया...मेरा छोटा बेटा भी तेरी बेटी की क्लास मे पढ़ता है...उसी ने बताया..

आज़ाद- ह्म्म..तो अब बता.. उसे कैसे समझाऊ...

अली- यार जो काम हम बड़े नही कर सकते वो बच्चे कर लेते है...

आज़ाद- मतलब...??

अली- मतलब ये कि मेरा बेटा उसे स्कूल जाने को मना लेगा...

आज़ाद- वो कैसे..??

अली- तू खुद देख लेना..

फिर अली अपने बेटे को आरती के पास उसे मनाने भेज देता है...

(अली ख़ान का लड़का भी आरती के साथ पढ़ता था..उसका नाम था आमिर...)

अली के कहने पर आमिर , आरती के रूम मे चला जाता है...वाहा आरती अपने बेड पर आकाश की फोटो लिए आसू बहा रही थी...

आमिर(तालियाँ बजा कर)- वाह..क्या बात है...रोती रहो...और ज़ोर से रो ना..

आमिर की आवाज़ सुनते ही आरती सकपका गई और जल्दी से फोटो साइड मे की और आसू पोन्छ कर गुस्से से बोली..

आरती- बदतमीज़...किसी लड़की के रूम मे ऐसे आते है...

आमिर- अच्छा..मैं बदतमीज़...वैसे मेडम...मैं किसी लड़की के रूम मे नही...अपनी फ्रेंड के रूम मे आया हूँ...

आरती- जो भी हो..है तो लड़की का रूम ना...

आमिर- अच्छा बाबा..सॉरी...ये ले कान पकड़ता हूँ...

आरती(इतराती हुई)- ह्म्म..ठीक है -ठीक है...माफ़ किया..

आमिर- सुक्रिया मेडम...

आरती- ह्म्म..अब जल्दी काम बोलो...यहा क्यो आए..हमारे पास टाइम नही...

आमिर- टाइम की बच्ची...अभी बताता हूँ..

आमिर फिर आरती को पकड़ने उसके बेड पर गया और आरती दूसरी साइड से उतर कर भागने को रेडी हो गई...

थोड़ी देर दोनो ही रूम मे यहाँ वहाँ भागते रहे और अंत मे थक कर रुक गये...

आरती- बस कर यार..अब रुक जा..

आमिर- थक गई बस...अब बैठ और मेरी बात सुन...

( आपको ये बता दूं कि आरती और आमिर बहुत अच्छे फ्रेंड है और उनके बीच हसी-मज़ाक चलता रहता है...)

दोनो बेड पर बैठ गये और नॉर्मल हो कर बाते शुरू की...

आमिर- अब बता...ये आँसू क्यो बहा रही थी...

आरती- (चुप रही)

आमिर- बोल ना...

आरती- कुछ नही..तू सुना...कैसे आया...

आमिर- देख..मेरी बात मत ताल..मैं जानता हूँ तू आकाश भैया को याद करके रो रही थी...है ना...

आरती-(चुप रही पर आकाश का नाम सुनते ही उसकी आँख से आँसू छलक आए..)

आमिर- ह्म्म..मैने सही कहा ना...

आरती(रोते हुए)- जब पता है तो क्यो पूछ रहा है...

आमिर- तू रो मत प्ल्ज़...(और आमिर ने आरती के आसू पोंछ दिए)

आरती- तो क्या करूँ...मुझे भैया की याद आती है...

आमिर- तो तू क्या समझती है...तेरे भैया को तेरी याद नही आती या फिर तेरे घर मे किसी को उनकी याद नही आती...

आरती- क्यो नही आती...आती है..

आमिर- तो क्या सब रोते रहते है...अपना काम छोड़ दिया सबने...तेरी तरह...

आरती- (चुप रही)

आमिर- तू क्या समझती है कि तेरे स्कूल ना जाने की बात सुनकर तेरे भैया खुश होंगे...उन्हे अच्छा लगेगा..

आरती(सिर हिला कर ना बोला)

आमिर- तो फिर..क्यो ऐसा काम कर रही है कि तेरे भैया को बुरा लगे...

आरती- तो क्या करूँ यार...भैया के बिना..किसी काम को करने का मन नही होता...

आमिर- माना...पर ऐसे बैठे रहने से क्या होगा...क्या तेरे भैया लौट आएगे ....

आरती- नही..पर....



आमिर- बस..अगर तुम अपने भैया को ज़रा सा भी प्यार करती हो तो कल स्कूल मे मिलोगि...अब मैं चला...

आरती- पर तू मेरी बात तो सुन..

आमिर गेट तक आ गया और बोला...

आमिर- अब मुझे ना कुछ सुनना है और ना कुछ कहना है...मुझे जो कहना था कह दिया...अब सब तेरी मर्ज़ी...

और आमिर बाहर निकल गया और आरती चुप-चाप उसकी बात सुनकर सोच मे पड़ गई....

आमिर ने नीचे आकर सबको बोल दिया कि आरती मान गई है....

आमिर को भरोशा था कि आरती कल स्कूल आयगी ....

उसके बाद कुछ देर बातें होती रही और अली अपने बेटे के साथ घर निकल गया...

आज़ाद भी अब खुश हो गया कि आरती मान गई और उसने रुक्मणी और बाकी सब को भी ये बता दिया...

आज़ाद का पूरा परिवार खुश था पर उनसे दूर कोई उनकी खुशियो को नज़र लगाने की तैयारी कर रहा था......

------------------*************-------------------

वहाँ सरिता ने आकाश से बदला लेने के लिए काफ़ी सोच- समझ कर एक कॉल किया...

सरिता- हेलो..

सामने- हाँ जी कौन..

सरिता- वो बाद मैं...पहले काम की बात करे..

सामने- काम की बात...किस काम की बात कर रही है...

सरिता- मैं उस औरत को तुम्हारी बाहों मे पहुचा सकती हूँ..जिस पर तुम्हारी नज़र बहुत दिनो से है....

सामने- किस की बात कर रही हो..

सरिता- ये अड्रेस नोट करो....अड्रेस है...*************....कल यहाँ आ जाना...सब पता चल जाएगा...

सामने- ऐसे कैसे...पहले ये तो बताओ कि किस औरत की बात कर रही हो....

सरिता- सब बाते वहाँ आने के बाद...आमने-सामने...

सामने- पर मुझे नाम तो बता दो उस औरत का...पता तो चले कि तुम सही हो या ग़लत....बस फिर मैं मिलने भी आ जाउन्गा...

सरिता- तुम आओगे...मैं जानती हूँ...क्योकि उस औरत का नाम है सरिता...

इससे पहले की कुछ और बात हो पाती...सरिता ने कॉल कट कर दी और उस इंसान से मिलने का वेट करने लगी....

सरिता(अपने आप से)- अब आएगा मज़ा...हाहाहा......

दूसरे दिन सुबह.....

स्कूल के टाइम पर आरती अपनी यूनिफॉर्म पहन कर नाश्ता करने आई...उसे देखते ही रुक्मणी और आज़ाद खुश हो गये...

आज़ाद- साबाश मेरी बच्ची...मुझे खुशी हुई कि तूने स्कूल जाना शुरू कर दिया...

रुक्मणी - हाँ बेटा...आजा..जल्दी से नाश्ता कर ले..और अपने छोटे भाई के साथ स्कूल जा..

अरविंद- नही पापा...मैं मेरे फ्रेंड्स के साथ जाउन्गा...

आरती- हाँ पापा..मैं भी मेरी सहेली के साथ जा रही हूँ.....

रुक्मणी- ठीक है...तुम अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ जाना...पहले नाश्ता तो कर लो...

फिर आरती भी नाश्ता करने बैठ गई और सब नाश्ता करने लगे....

आज़ाद- वैसे आरती बेटा...ये तुम्हारी सहेली कौन है...

आरती- पापा ..वो रिचा...जिसके पापा मास्टर है...वो...

आज़ाद- क्या..??..वो चंद्रभान की बेटी..रिचा...

आरती- हाँ पापा ..आप जानते हो क्या रिचा को..??

आज़ाद- न..नही तो...उसके माँ-बाप को जानता हूँ...

आरती- वो आ रही है...तब मिल लेना..

आज़ाद- ह्म्म...

नाश्ता करने के बाद अरविंद अपने फ्रेंड के साथ निकल गया और थोड़ी देर मे ही रिचा भी आ गई...

रिचा की आगे तो आकाश के बराबर थी पर उसने पढ़ाई देर से शुरू की थी..जिस वजह से वो आरती की क्लास मे थी....

रिचा की बॉडी पूरी भरी हुई थी...भरे हुए बूब्स...कसी हुई गान्ड..और खूबसूरत चेहरा भी....

उसे देख कर तो कई घायल थे..पर रिचा अपनी जवानी के मज़े सिर्फ़ एक को देती थी...

रिचा- नमस्ते अंकल..नमस्ते आंटी...

रुक्मणी- नमस्ते बेटा...आओ-आओ..बैठो...

रिचा- नही आंटी...अभी देर हो रही है...फिर कभी...

रुक्मणी- ओके बेटा...तो अभी तुम लोग स्कूल जाओ...

रिचा और आरती स्कूल जाने लगी...तभी रिचा रुकी और आज़ाद से बोली...

रिचा- वैसे अंकल...अगर आपको टाइम हो तो थोड़ा घर हो आयगे....माँ ने बोला था उन्हे कुछ काम है आपसे...

आज़ाज़(खाँसते हुए)-हू...हू..क्यो नही...मिल आउगा...

और रिचा मुस्कुराते हुए आरती के साथ स्कूल निकल गई...

(यहाँ मैं आपको बता दूं...कि रिचा की मां... आश्रम चलाती है...जहाँ ग़रीबों के और अनाथ बच्चो को रहने-खाने का इंतज़ाम है......

ये आश्रम आज़ाद ने खोला था और फिर रिचा की माँ को उसे संभालने को रख दिया था...रिचा के पापा मास्टर है और आज़ाद को बहुत मानते है...इसी लिए आज़ाद ने रिचा की माँ को ये आश्रम चलाने को दे रखा था...)

रिचा और आरती के स्कूल जाने के बाद आज़ाद ने तय किया कि वो दोपहर को रिचा की माँ से मिलेगा...और फिर वो अपनी फॅक्टरी की तरफ निकल गया.......


स्कूल मे आरती को देख कर आमिर की खुशी का ठिकाना नही रहा...पर अभी वो क्लास मे थी इसलिए चुप रहा....आरती ने आमिर को देखा और स्माइल करके अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठ गई ...

लंच टाइम मे आमिर , आरती के पास आ गया.. 

आमिर- हँ..हूँ...कोई बड़ा खुश दिख रहा है....

आरती- अच्छा जी...और कोई तो और भी ज़्यादा खुश दिख रहा है...

फिर दोनो ने एक- दूसरे की आँखो मे देखा और साथ मे हँसने लगे....

आमिर- सच मे...तुम्हे वापिस ऐसे देख कर ख़ुसी हुई...

आरती- ह्म्म..थॅंक यू

आमिर- थॅंक्स ..किस लिए...

आरती- तुम जानते हो...आज मैं यहाँ हूँ तो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से....

आमिर- थॅंक्स मत बोलो यार...मुझे तो कभी मत बोलना...

आरती- अच्छा .. वो क्यो...??

आमिर- वो...वो ..इसलिए कि तू मेरी फ्रेंड है और तेरी खुशी ही मेरे लिए सबकुछ है ..

आरती(आमिर के गाल खीच कर)- ओह हो..मेरा प्यारा दोस्त..चल अब क्लास मे आ जा..

आरती चली गई और आमिर अपने गाल को प्यार से सहलाने लगा....और थोड़ी देर बाद क्लास मे आ गया.....

------------------------------------------------------------------------

वहाँ दूसरी तरफ गाओं के आउटर मे एक फार्महाउस पर सरिता किसी का वेट कर रही थी....

काफ़ी देर बाद वहाँ एक बाइक रुकी और एक लड़का फार्म हाउस के अंदर आ गया...

अंदर आते ही वो सरिता को सामने देख कर चौंक गया...

सरिता- चौंको मत...अंदर आओ धर्मेश....

धर्मेश- आप...आपने मुझे कॉल किया था...??

सरिता- हाँ...मैने ही बुलाया है तुम्हे...

धर्मेश- पर क्यो...??

सरिता- क्यो...ये तुम नही जानते क्या...भूल गये मैने क्या कहा था फ़ोन पर...

धर्मेश- हाँ..पर...क्यो..??

सरिता- क्योकि मैं जानती हूँ कि तुम बहुत टाइम से मुझे चाहते हो...

धर्मेश- वो..ऐसा...कुछ नही है...

सरिता- अब ड्रामा बंद करो...मैं सब जानती हूँ...तुम्हारे मन की बात..

धर्मेश- मेरे मन की बात..क्या..??

सरिता(धर्मेश के पास जाकर)- यही कि तुम मुझे चोदने की इक्षा रखते हो...

धर्मेश- ये आप क्या कह रही है...ये मैने कब कहा...

सरिता- ह्म्म..तुमने कहा तो नही..पर तुम्हारी आँखे बहुत कुछ कहती है....

सरिता, धर्मेश की आँखो मे देख रही थी...धर्मेश तो सरिता को कब्से चोदना चाहता था...पर सरिता के मुँह से सुनकर डर गया था...

धर्मेश- मैं..मैं चलता हूँ...

धर्मेश जाने के लिए मुड़ा कि सरिता ने फिर से कहा...

सरिता- सोच लो...ऐसा मौका फिर नही मिलेगा...

धर्मेश कुछ देर खड़ा हुआ सोचता रहा और फिर पलट कर बोला....

धर्मेश- क्या चाहती हो आप...

सरिता- अपने आपको तुम्हारे हवाले करना...चाहे तो मुझे अपनी रखेल बना लो...

धर्मेश- ह्म्म..पर क्यो...क्या वजह है...जो इतनी मेहरवाँ हो मुझ पर...???

सरिता- वजह ये है कि मुझे तुम्हारी ज़रूरत है...

धर्मेश- वो मैं समझ गया...पर किस लिए ज़रूरत है...

सरिता- बताती हूँ...पर याद रखना..कि एक बार मुझे हाँ कहा तो पीछे नही हट पाओगे...वरना..

धर्मेश(बीच मे)- पहले काम बताओ..फिर मैं बोलुगा..

सरिता- काम तो होता रहेगा...पहले आग तो बुझा ले...

और सरिता ने अपना पल्लू गिरा दिया...सरिता के स्लीबलेस ब्लाउस मे कसे बूब्स धर्मेश के सामने आ गये और धर्मेश का लंड फड़कने लगा....

सरिता जानती थी कि धर्मेश को मनाने के लिए पहले उसे अपना बनाना होगा..इसलिए वो पहले चुदाई करवा कर धर्मेश को अपना बनाना चाहती थी...ताकि आगे का काम करवाने मे आसानी हो...

सरिता के बूब्स को देख कर धर्मेश उसके पास आया और उसके बूब्स को मसल दिया...

धर्मेश- सही कहा...पहले आग तो भुझा ही ले..

सरिता- ह्म्म..आओ अंदर चलके एक-दूसरे को ठंडा करते है...

फिर सरिता, धर्मेश के साथ अंदर के रूम मे चली गई....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-06-2017, 11:23 AM

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