Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 11:46 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मेरा कॉंट्रोल ख़त्म हो रहा था...तो मैने ज़िया का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया...

मैं- आहह..तडपा मत ...जल्दी से चूस इसे...

ज़िया- ह्म...

और फिर ज़िया ने आधे लंड को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया....

मैं- आअहह...ज़ोर से ...ज़ोर से....आअहह..

ज़िया- सस्ररुउप्प्प...सस्स्ररुउउप्प...उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..उउंम.

मैं ज़िया के सिर को सहलाते हुए अपना लंड चुस्वाए जा रहा था और ज़िया भी पूरी मस्ती मे लंड चूस रही थी....पर कोई था जो हमारी मस्ती देख कर गरम भी हो रहा था और शॉक्ड भी था...

मैं- हाँ...बस...हो ही गया...तेजज...एस...एस्स..येस्स...यहह...आअहह...हमम्म..
मैं ज़िया के मुँह मे झड गया और उनका सिर लंड पर दवाए रखा...ताकि वो लंड बाहर ना निकाल दे...

फिर ज़िया को मजबूरी मे पूरा लंड रस पीना पड़ा...और जब मैं झड चुका तो ज़िया खाँसती हुई उठ गई....

मैं- आअहह...मज़ा आ गया...

ज़िया- खो-खो...तुमने तो...खो...जान ले ली...

मैं- अभी कहाँ...जान तो तब जायगी जब ये गान्ड मेरे लंड का स्वाद चखेगी....

ज़िया कुछ बोल पाती उसके पहले ही बस की ब्रेक लगी...और हमने जल्दी से अपने आप को ठीक किया...

तभी मुझे लगा कि कोई ह्यूम देख कर निकल गया....पर बोला कुछ नही........

कौन हो सकता है ये....??????

ब्रेक लगते ही वसीम ने सबको आवाज़ दी...

वसीम- चलो सब...थोड़ा चाइ-नाश्ता कर लेते है...बैठे हुए बोर हो गये होगे....

वसीम की आवाज़ आते ही मैं जाने को खड़ा हुआ तो ज़िया ने अपनी पैंटी का पूछा...

मैने ज़िया को बिना पैंटी के रहने का बोला...और चलने को कहा...

ज़िया ने भी ज़्यादा नही सोचा...और मेरे साथ निकल आई...

हम ने और सब को भी उठाया और सब बाहर आ गये...

बाहर आ कर मैं सबको देख कर अब्ज़र्व करने लगा....कि शायद किसी का फेस देख कर ये पता चल जाए कि वो हमे देख रहा था....

पर इसका कोई फ़ायदा नही हुआ...सब अपने आप मे मस्त थे...

हम सब एक ढाबे पर रुके थे....पहले हम सब फ्रेश हुए और फिर टेबल पर बैठ गये...

मेरे साथ टेबल पर ज़िया, गुल, अकरम और मोहिनी बैठी थी...

ज़िया मेरे सामने ही बैठी थी...और वो भी बिना पैंटी पहने हुए....

चाइ पीते हुए मैं अकरम से बाते कर रहा था कि तभी एक पैर मेरे पैर पर दस्तक देने लगा....

मैं समझ गया कि ये ज़िया ही होगी...उसकी चूत मे कुछ ज़्यादा ही खुजली है....

मैं आराम से चाइ पिता रहा और वो पैर अपना काम करता रहा....

अब मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी तो मैने भी अपने पैर को ले जाकर रिया की जाघो के बीच डाल दिया...

मैने पैर थोड़ा सा आगे बढ़ाया और मेरा अंगूठा ज़िया की चूत मे टच हो गया...

मेरी हरक़त से ज़िया का मुँह खुल गया...पर उसने अपने आपको संभाला और खुद आगे सरक आई...जिससे मेरा अगुठा आराम से उसकी चूत पर घूमने लगा...

मैं जिया के साथ मस्ती करते हुए अकरम से बात कर रहा था...और वो पैर अभी भी मेरे एक पैर को रगड़े जा रहा था.....

तभी मुझे ऐसा लगा कि शादिया बार-2 मुझे घूर रही है...इससे मुझे लगने लगा कि यही तो नही थी..जिसका अहसास मुझे बस मे हुआ था...

पर मे बेफ़िक्र था...अगर शादिया ने मुझे और ज़िया को देखा भी होगा तो मेरा घंटा नही उखाड़ सकती...

थोड़ी देर बाद हम फिर से बस मे आ गये और सफ़र शुरू हो गया...

अब वसीम ने अकरम और संजू को ड्राइवर के साथ बैठा दिया और खुद अपनी बीवियो के साथ कॅबिन मे चले गये...

शादिया ने ज़िया और गुल को अपने साथ बैठा लिया....जूही ने पूनम, और मोहनी को अपने साथ बुला लिया...

और मैं भी अकेला एक कॅबिन मे आ गया...और शीट्स को फोल्ड करके बेड बनाया और लेटने की सोचने लगा...

लेकिन तभी रूही भी पीछे से आ गई...

रूही , अकरम की गर्लफ्रेंड थी ..इसलिए मैने उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान नही दिया था...

पर इस तरह अकेले मे साथ होने से मैं शॉक्ड हो गया...

रूही- क्या मैं...यहाँ...

मैं- हाँ..क्यो नही...आओ ना...

रूही- थॅंक्स...

और रूही मेरे सामने बैठ गई...

हम दोनो पैरो को सामने पसार कर टिके हुए बैठे थे...

रूही ने एक टाइट कॅप्री और स्लीबलेशस टॉप पहना हुआ था...उसका गला भी थोड़ा बड़ा था..जिससे उसके बूब्स के थोड़े दर्शन हो रहे थे....

रूही को देख कर मेरे फ़ीमाग़ मे उसके लिए भूख जागने लगी थी...पर उसे पटाना इतना ईज़ी भी नही था...आख़िर दोस्त की गर्लफ्रेंड थी...

रूही- वैसे आप कहाँ रहते है...

मैं- सबसे पहले तो मुझे आप मत बोलो...और हाँ मेरा घर ****** मे है...

रूही- ओके...तुम..ह्म..तो तुम अकरम को कब्से जानते हो...

मैं- बचपन से...हम साथ मे पढ़े है 1स्ट क्लास से...

रूही- ह्म..तो उसकी फॅमिली से भी अच्छे से जान-पहचान होगी...

मैं- ह्म..आक्च्युयली उसकी फॅमिली से कुछ दिन पहले ही मिला...पहले सिर्फ़ जानता था...पर हम बाहर ही मिलते थे तो...

रूही(बीच मे)- तब तो बहुत फास्ट हो...

मैं(चौंक कर)- एक्सक्यूस मी...क्या मतलब...??

रूही- मतलब...मतलब ये कि बहुत जल्दी ...बहुत आगे पहुच गये....

मैं- सॉरी...मैं अभी भी नही समझ...ज़रा खुल के बताओगी...

रूही- ह्म..लगता है सब खोल कर ही बताना होगा...

और रूही ने अपनी टांगे खोल दी...और एक पैर को उठाकर मेरे पैर पर चढ़ा दिया..

मैं- ये..ये..क्या...इसका क्या मतलब..हटो..
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-07-2017, 11:46 AM

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