Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
तुम्हारे डॅड मेरे भाई के सबसे ख़ास दोस्त थे...और मेरी भाभी , तुम्हारे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी...तुम्हारी छोटी बुआ....
आंटी की ये बात सुनकर तो मैं अवाक रह गया....मुझे समझ आ गया कि आंटी धर्मेश की बात कर रही है....
पर आंटी और धर्मेश की बेहन...इसका तो डाइयरी मे कोई ज़िक्र ही नही था...
मेरा दिल तो कर रहा था कि आंटी से सब सॉफ बात कर लूँ...पर मैं ये देखना चाहता था कि उस रात के बारे मे आंटी क्या बोलती है, जिस रात मेरी छोटी बुआ और धर्मेश की मौत हुई थी....
आंटी- चौंक मत बेटा...मैं सच बोल रही हूँ...मेरे भाई ने आकाश की बेहन से लव मेरिज की थी...जो आकाश को मंजूर नही थी...इसलिए गुस्से मे आकर आकाश ने मेरे भाई धर्मेश को मार डाला...
और फिर तेरी बुआ यानी मेरी भाभी ने अपने आप को ख़त्म कर लिया....
मेरे पापा धर्मेश भाई की मौत के बाद टूट गये और अटॅक आने से मर गये...इसी गम मे मेरी माँ भी ज़्यादा दिन तक जी नही पाई....
आंटी अपनी बात कहते -कहते रोने लगी...और वजह मैं समझ सकता था....
आंटी(आसू पॉच कर)- बेटा, तुझे पता है...तेरे डॅड और मेरे धर्मेश भाई बहुत ख़ास दोस्त थे...
दोनो हमेशा साथ रहते थे...उन दोनो ने कई अच्छे और बुरे काम साथ-साथ ही किए...
यहाँ तक कि सेक्स के मामले भी दोनो साथ मे होते थे...दोनो ने कई लड़कियो और औरतों को साथ मे चोदा था...
यही एक वजह थी कि तुम्हारे डॅड को धर्मेश का रिश्ता अपनी बेहन के साथ पसंद नही था...
अगर वो गाओं मे होता तो शायद ये शादी कभी नही हो पाती...पर वो उस टाइम गाओं मे नही था...
मैं- क्यो...कहाँ गये थे...
आंटी- असल मे तुम्हारी बड़ी बुआ की शादी के टाइम कुछ प्राब्लम हो गई थी...
वहाँ तुम्हारे दादाजी के दोस्त की बीवी ने इल्ज़ाम लगाया था कि आकाश ने उसका रेप किया..और उसके पास रेप की एक रेकॉर्डिंग भी थी....सही या ग़लत...पता नही....
तो गाओं वालो मे तुम्हारे दादाजी के नाम की वजह से आकाश को पोलीस मे नही दिया...बस गाओं से निकाल दिया था...
इसी सदमे मे तुम्हारी दादी भी गुजर गई थी....
और बेटा...जब आकाश को पता चला कि उसकी बेहन की शादी धर्मेश से हुई तो वो आग-बाबूला हो गया ...
और धर्मेश के साथ-साथ, सरिता और सुभास को भी मार डाला...सुभास और कोई नही..बल्कि तुम्हारे बड़े फूफा जी थे...
बस तभी से मैं नफ़रत करती हूँ तेरे डॅड से...और उनकी जान लेना चाहती थी....
मैं- तो आपने अब तक इंतज़ार क्यो किया ..आप पहले ही मार देती ...
आंटी- बेटा...मैं बस तुझे देख कर ही अपने बदले के बारे मे भूल जाती थी...और भूल भी गई थी...पर..
मैं- पर क्या आंटी..??
आंटी- पर ये कि जबसे कामिनी लोगो के टच मे आई तो बदले की आग फिर से भड़क उठी...
मैं- ह्म्म...पर आंटी...मैं तो बाद मे आया था...तो आपने डॅड को क्यो नही मार डाला...
आंटी- वो इसलिए की तेरे डॅड की जान और मेरी जान एक ही थी...
मैं- क्या मतलब...??
आंटी- अलका...तेरी माँ...वो तेरे डॅड की जान थी...और वो मेरी भी जान थी...मेरी सबसे ख़ास सहेली...हमारा रिश्ता बहनो से बढ़कर था बेटा...तो तू ही बता कि मैं उसके पति को कैसे कुछ कर पाती...
मैं- आंटी..मैं कुछ समझा नही...अगर मेरी माँ आपकी ख़ास सहेली थी...तो आपको कैसे पता नही चला कि वो आपके भाई के दोस्त के साथ...
आंटी(बीच मे)- मैं नही जानती थी कि आकाश कौन है...मैने भाई के दोस्त को सालो से नही देखा था और ना ही उसने मुझे...और फिर हमारी अलका के साथ ऐसी कोई बात भी नही हुई कि हम जान पाते की हम एक ही गाओं के है...
मैं- ह्म्म्मा...ये बात है...अच्छा आंटी..एक बात बताइए...क्या किसी ने देखा था कि मेरे डॅड ने आपके भाई को मारा...
आंटी(सोचते हुए)- नही..पर..
मैं(बीच मे)- क्या कोई वहाँ मौजूद था..जो बता सके कि सच क्या है..कोई भी..
आंटी- नही बेटा...पर गाओं वालो ने...
मैं(बीच मे)- तो इसका मतलब...ये सिर्फ़ सुनी सुनाई बाते है..कोई सबूत नही..कोई गवाह नही...
आंटी(मुझे आँख फेड देखते हुए)- हाँ...पर तू कहना क्या चाहता है...
मैं- आंटी...जो आपने सुना वो सही हो ये मुमकिन है...पर ग़लत भी हो सकता है ना...शायद असलियत कुछ और ही हो...शायद ...
आंटी- हो सकता है...पर तुम्हारी बुआ ने खुद सबके सामने बोला था कि आकाश ने धर्मेश को मार डाला...वहाँ सब लोग थे ...कुछ गाओं के और तुम्हारे परिवार वाले भी...
मैं- हूँ...बट ये झूठ भी हो सकता है ना...
आंटी- अच्छा...बेटा तुम ये इसलिए बोल रहे हो क्योकि वो तुम्हारे डॅड है...है ना...
मैं- नही आंटी...मैं बस सब कुछ सुनने के बाद इस नतीजे पर पहुचा हूँ...हो सकता है कि मैं ग़लत निकलु...पर ये भी हो सकता है की मैं सही निकलु...
आंटी- मैं..मैं कुछ समझी नही...
मैं- समझाता हूँ आंटी...देखो..आपने ही बोला कि मेरे डॅड आपके भाई के बहुत ख़ास दोस्त थे...और मेरी बुआ मेरे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी..है ना....
आंटी- हाँ...ये दोनो आकाश के लिए बहुत ख़ास थे...और प्यारे भी..
मैं- फिर भी आपको लगता है कि मेरे डॅड ने अपने खास दोस्त को जान से मार दिया...हाँ...क्या इतनी कमजोर दोस्ती थी...और फिर धर्मेश उनकी लाडली बहेन के पति भी तो थे...क्या मेरे डॅड इतने बुरे थे जो गुस्से मे ये भी भूल गये कि धर्मेश ना सिर्फ़ उनका दोस्त है बल्कि उनकी प्यारी बेहन का सुहाग भी है...बोलो आंटी...
आंटी मेरी बात सुन कर सन्न रह गई...उनके पास कोई जवाब नही था...
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