Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रिचा.......
रिचा भी अपनी फॅमिली के साथ आज़ाद के गाओं मे रहती थी...
रिचा के पिता टीचर थे...और माँ आज़ाद की फॅक्टरी मे अक्कौंटेंट....
आज़ाद ने अपनी अयाशी के लिए रिचा की माँ को फसा लिया...और रोज उसके मज़े लेने लगा....
एक दिन रिचा ने ये सब देख लिया....और आज़ाद ने रिचा का मुँह बंद करने के लिए उसे अपनी बहू बनाने का वादा कर दिया...रिचा की माँ ने भी उसे रो-रो कर चुप रहने पर मजबूर कर लिया...
रिचा भी अपनी माँ की बदनामी के डर से चुप हो गई और आकाश से शादी के सपने देखने लगी...
फिर एक दिन आज़ाद की गंदी नज़र रिचा पर पड़ गई...और आज़ाद ने रिचा के साथ भी सेक्स कर लिया...
रिचा..बेचारी मजबूरी मे चुप रही...और हादसा समझ के भूलने की कोसिस करने लगी..
पर आज़ाद को रिचा का जिस्म भा गया...और उसने रिचा को बातों मे फसा कर उसे भोगना शुरू कर दिया...
रिचा को बस एक उम्मीद थी कि एक दिन वो आकाश की पत्नी बन जाएगी...फिर सब ठीक होगा...
पर वक़्त आने पर आकाश ने अलका से शादी कर ली..और आज़ाद ने रिचा को रंडी कह कर धूतकार दिया...
रिचा का सब कुछ लूट गया...पर वो कुछ नही कर सकी...
रिचा ने सब कुछ अपने पिता को बता दिया...पर जब रिचा के पिता आज़ाद से बात करने गये तो आज़ाद ने उसे धमका कर भगा दिया...
कोई भी उस गाओं मे आज़ाद के खिलाफ नही जा सकता था...तो रिचा के पिता ने सहर मे रिपोर्ट करने की सोची...
फिर रिचा के माँ-बाप सहर जाने निकले तो रास्ते मे ही उनका आक्सिडेंट करवा दिया गया...वो दोनो ख़त्म हो गये....
माँ-बाप की मौत के बाद रिचा ने गाओं वालो को सच बताया...पर आज़ाद के कहने पर सबने रिचा को रंडी करार दे कर गाओं से निकाल दिया...
पर रिचा की किस्मत उसे इसी सहर मे ले आई...और आकाश को देख कर उसने बदला लेने का मन बना लिया...वो आज़ाद की नस्ल मिटाने के लिए जी रही है बस...
उसे ये बात तो बाद मे पता चली कि अंकित, आकाश का ही बेटा है...अगर उसे पहले पता होता तो शायद दामिनी के घर शादी मे ही अंकित का कुछ बुरा कर देती....
अब वो इंतज़ार कर रही है कि आकाश की प्रॉपर्टी कामिनी को मिले और वो आकाश के परिवार को मिटा दे....
दीपा....
दीपा की कोई पर्सनल दुश्मनी नही थी...वो तो बस पैसो के लालच मे हम सब के साथ हो ली...
बेचारी...बिना किसी मक़सद के हमारे साथ थी...और उसे सज़ा भी मिल गई...जान चली गई बेचारी की....
विनोद........
विनोद की दुश्मनी सिर्फ़ तुम्हारे डॅड से है...बहुत पहले की बात है....
एक ज़मीन के टुकड़े की खातिर दोनो भीड़ गये थे....
उस ज़मीन पर तुम्हारे डॅड एक ऑफीस बनाना चाहते थे...जो बाद मे बनाया भी...
और विनोद को वो ज़मीन एक न्यू शॉप बनाने को चाहिए थी...
आक्च्युयली ज़मीन के मालिक से विनोद ने पहले बात कर रखी थी...पर तुम्हारे डॅड ने उसकी ज़्यादा कीमत दी तो ज़मीन के मालिक ने वो आकाश को दे दी...
बस..फिर विनोद तुम्हारे डॅड से उलझ गया...तुम्हारे डॅड ने उसे 1 रात के लिए हवालात मे पहुचा दिया था...
वो तो और भी सज़ा दिलवाते बुत संजू के पापा ने तुम्हारे दाद से बात कर के मामला शांत कर लिया...
तभी से विनोद तुम्हारे दाद से नफ़रत करता था...और इस का फयडा किसी और ने उठा लिया...जिसे हम सब बॉस बुलाते है...उसी ने विनोद को काम पर लगाया...इससे विनोद को पैसे भी मिलेगे और अपने बदले की आग को भी बुझा लेगा....
ये सब सुनने के बाद मेरा दिल बस ये जानना चाहता था की आख़िर बॉस है कौन...???
मैं- आंटी...ये बॉस...
आंटी(बीच मे )- वही बता रही हो...और एक साथी और है...उसके बारे मे शायद तुम्हे अंदाज़ा भी नही होगा....
मैं- ह्म्म..
फिर आंटी ने आगे बोलना चालू रखा....
बॉस......
इस शक्स के बारे मे कोई नही जानता....ना मैं और ना कोई और...
हम सब इससे फ़ोन के ज़रिए बात करते है...और वो भी हर बार नये नंबर से...
इसको किसी ने नही देखा...सिर्फ़ आवाज़ सुनी....
पर कमाल की बात ये है कि इसे हम सबकी हिस्टरी मालूम है...
ये अच्छी तरह से जानता है कि हम सब आज़ाद की फॅमिली से किस वजह से नफ़रत करते है और क्या चाहते है...
इसने हमे एक-एक कर के एक साथ कर लिया...और अब हमसे अपने हिसाब से काम निकालता है...
इसी के कहने से हम मे से कुछ अभी तक तुम्हारे डॅड को नुकसान नही पहुचा पाए...और ना ही तुम्हे...
इसका असली मक़सद क्या है और इसकी क्या दुश्मनी है...ये हम मे से कोई नही जानता...
इसने बोला है कि आकाश की फॅमिली ख़त्म करने के वक़्त ही ये हमारे सामने आएगा....तब तक नही...
एक बात और..इस बंदे के पास पैसा बहुत है...ये पैसा पानी की तरह बहा कर किसी को भी खरीद लेता है...
आंटी- अब सिर्फ़ एक साथी और रह गया है...लेकिन इसके बारे मे बताने के पहले मैं चाहती हूँ कि तुम अपना दिल मकबूत कर लो...शायद तुम्हे सुनकर धक्का लगे....
मैं- क्या....ऐसा क्यो बोल रही है आंटी....
आंटी- बात ही कुछ ऐसी है बेटा...जब कोई अपना हमारा दुश्मन निकले तो धक्का तो लगता ही है ना....
मैं- ह्म्म..पर ये झटका तो मैं आपके रूप मे खा चुका हूँ...मैं तैयार हू...आप बताइए...कौन है वो...
आंटी- वो और कोई नही ...बल्कि तुम्हारी बुआ की बेटी रेणु है....
रेणु.....
रेणु को जब पता चला कि सुभास की हत्या आकाश ने की है...तभी से उसे आकाश से नफ़रत हो गई...
उसका बस चलता तो वो अभी तक आकाश को मार चुकी होती..बस बॉस के कहने पर रुकी हुई है...
और बेटा...रेणु के अंदर ज़हर भरने वाली तुम्हारी बड़ी बुआ ही है...वो भी आकाश को अपने पति का कातिल मानती है..
पर दुनिया को दिखाने के लिए उन्होने आकाश को माफ़ कर दिया था...फिर रेणु के ज़रिए अपना बदला लेना चाहती है...
रेणु का एक और मक़सद है...वो है तुम्हारी प्रॉपर्टी...जो तुम्हारे नाम है...इसी वजह से उसने तुम्हे अपने जाल मे फसाने का सोचा था....
बस...ये सब ही है...और कोई नही...अगर हो भी तो मेरी जानकारी मे नही...
आंटी चुप हो गई और सिर झुका कर साँसे लेने लगी...
मैं(मन मे)- अब आपको कैसे बताऊ आंटी..की रेणु दीदी तो मेरी तरफ है...फिर भी आपने जो भी बताया उस पर भरोशा है...क्योकि रेणु दी के बारे मे आपने सच बोला..जो मैं जानता था...इसका मतलब आपने सबके मामले मे सच ही बोला होगा...
आंटी- क्या हुआ बेटा...दुख हुआ...
मैं(सिर हिला कर)- बिल्कुल नही आंटी...इनफॅक्ट मैं खुश हूँ..अब मुझे पता है कि मेरे पीछे कौन-कौन है...और मैं उनसे कैसे निपटू...ये अच्छे से सोच सकता हूँ...
आंटी- बेटा...ये बात किसी को..
मैं(बीच मे)- नही आंटी...ट्रस्ट मी...ये बात हमारे बीच रहेगी...प्रोमिस...
और हाँ...आपके भाई की मौत का सच आपके सामने ज़रूर लाउन्गा...और भरोशा रखिए...गुनहगार को सज़ा ज़रूर मिलेगी...
आंटी- मुझे तुझ पर पूरा भरोशा है...बस अपना ख्याल रखना बेटा...
मैं - बिल्कुल आंटी...वैसे एक सवाल है...पुछु ...??
आंटी- हाँ बेटा...पूछ ना..
मैं- आप धर्मेश की बेहन है...मेरी माँ की फ्रेंड भी...और आपकी शादी भी इसी सहर मे हुई ...तो भी डॅड ने मुझे आपके पास आने को कभी मना नही किया...जबकि आप तो डॅड से नफ़रत...
आंटी(बीच मे)- आकाश को अभी भी नही पता कि मैं धर्मेश की बेहन हूँ...वो मुझे अलका की सहेली के रूप मे जानता है बस...
मैं- ओह्ह..अच्छा आंटी...अब कुछ और भी है क्या..जो आप मुझे बताना चाहे...
आंटी- नही बेटा...और कुछ नही...सब बता दिया...जो भी मुझे पता था...
मैं- ओके...तो अब क्या आप मेरी माँ के बारे मे कुछ बताएँगी मुझे...वो बातें जो मुझे पता ही नही...
आंटी- हाँ...पर आज नही...पहले तुझे कुछ दिखाना है...वो देख लेना तब बताउन्गी...
मैं- तो दिखाइए ना...
आंटी- आज नही बेटा...थोड़ा इंतज़ार कर...1-2 दिन बस...
मैं- ओके...तो क्या अब मैं अपनी माँ की गोद मे सो सकता हूँ....लॉरी सुनते हुए...मैं माँ के प्यार को फील करना चाहता हूँ....
आंटी ने अपनी बाहे फैलाई और मुझे गले लगा लिया...और फिर मुझे अपनी गोद मे लिटा कर लॉरी सुनाने लगी....
आज आंटी की गोद मे मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था...
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-08-2017, 10:53 AM

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