Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:11 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- सलमा...ये..ये फोटो किसकी है...

सलमा- ये...यही तो है मेरे सोहर...जो मुझे याद ही नही करते...हुह..

सलमा की बात सुनकर तो मेरा सिर पूरा चकरा गया...

मैं- ये कैसे हो सकता है...

सलमा- क्या कैसे...

मैं- क्क़..कुछ नही...ये तुम्हारे सोहर ही है ना...

सलमा- हाँ...पर तुम ऐसे क्यो पूछ रहे हो....

मैं- कुछ नही...वैसे इनका नाम क्या है....

सलमा- सरफ़राज़ ख़ान.......

सरफ़राज़ ख़ान , सलमा का पति....?????????????????
सलमा की बात सुनकर तो मेरे माइंड मे एक धमाका सा हो गया था....और ये बात मेरी आँखो से सॉफ पता चल रहा था...जो सलमा ने भी नोटीस कर लिया....

सलमा- क्या हुआ....तुम इन्हे जानते हो क्या...

मैं- नही...बस ऐसा लगा कि कही देखा है पहले....इसलिए...

सलमा- ओह्ह...

तभी गेट खोल कर रक्षा और रूबी भी आ गई...

रक्षा- तो आंटी...कैसा रहा...

सलमा फिर से शर्मा गई और नीचे देखने लगी...

रक्षा- ओये होये...देख तो रूबी...तेरी अम्मी को...ऐसे शर्मा रही है जैसे आज ही सुहागरात हुई है...हहहे ....

रूबी- हहहे .....अम्मी....मज़ा आया ना ....

रक्षा- वो तो आया ही होगा....भैया करते ही ऐसे है...है ना आंटी...

सलमा ने एक नज़र रक्षा को देखा और फिर शर्म से लाल हो गई...

रक्षा- ओह्ह्ह...काश हम साथ मे होते...तो आंटी को अपनी आँखो से देख पाते...

रूबी- ह्म्म...मैं तो अम्मी को सवारी करते देखना चाहती थी...पर...

मैं(बीच मे)-अब बस भी करो....और रक्षा तुम्हे घर चलना है..तो छोड़ दूं...

रक्षा- नही भैया...आप जाओ...आज मैं यही रुक रही हूँ...नई नवेली दुल्हन के साथ...

और फिर से रूबी और रक्षा हँसने लगी...

थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से निकल आया...पर मेरा माइंड उसी फोटो पर लगा हुआ था....मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि अब क्या करूँ...

सबसे पहले तो मुझे ये बात हजम ही नही हो रही थी कि सरफ़राज़ ही रूबी का बाप है....

और दूसरी बात ये कि अब मैं अकरम से क्या बात करूँ...क्योकि मैने तो सोचा था कि अकरम से वसीम के बारे मे बात करू...शायद कुछ और पता चले....पर अब मैं कन्फ्यूज़ था...

वसीम ख़ान ही सरफ़राज़ है और सरफ़राज़ ही सलमा का पति भी है...मतलब सरफ़राज़ की दो बीवियाँ है...और दोनो के बच्चे भी...पर क्यो...और कैसे....???

एक ही सहर मे साला दो बीवियाँ पाल रहा है और ये बात किसी को पता नही...कैसे....???

यही सवाल मुझे सबसे ज़्यादा परेशान कर रहा था...और ये भी की ये बात अपने खास दोस्त को बताऊ या नही कि उसका बाप उसे धोखा दे रहा है.....

अपने दिमाग़ मे यही सब सवाल लिए मैं घर पहुँच गया....

रात सुरू हो चुकी थी...पर सबसे ज़्यादा अंधकार मेरे माइंड मे छाया हुआ था....

अब तक मेरी सोच यही थी कि अकरम से बात कर के कोई डिसिशन लूँगा...पर अब मुझे प्लान चेंज करना पड़ेगा...या कुछ और सोचना पड़ेगा....

सुजाता- अरे अंकित....जवाब भी नही दिया...कहाँ खोया है....

सुजाता की आवाज़ सुन कर मैं जैसे नीद से जगा...और मैने देखा की मैं सीडीयों पर खड़ा हूँ और सुजाता नीचे खड़े मुझे आवाज़ दे रही है ...

मैं- हुहन...हाँ आंटी...कुछ कहा क्या....

सुजाता- कहाँ खोया है...

मैं- कही नही..बोलो...

सुजाता- तुम पहले फ्रेश हो जाओ...मैं रूम मे आ कर बात कर लुगी...ओके..

मैं- जी...

फिर मैं रूम मे गया और फ्रेश हो कर सुजाता का वेट करने लगा...

तभी मुझे शीला का कॉल आ गया..पर मैने बहाना कर के उसे कल मिलने का बोल दिया.....

थोड़ी देर बाद सुजाता मेरे कमरे मे आई....और आते ही उसने गेट लॉक कर दिया....

गेट की आवाज़ सुन कर मैने उसे देखा तो मैं देखता रह गया....

आज तो साली ने कपड़े सिर्फ़ नाम के लिए पहने हुए थे....उसने एक पतली सी नाइटी पहनी हुई थी...जो उसकी आधी जाघे दिखा रही थी....साथ मे वो नाइटी सिर्फ़ दो डोरियों के सहारे उसके कंधो से टॅंगी हुई थी...उसका गला भी इतना खुला था कि उसके दोनो बड़े बूब्स मुझे आँख मार रहे थे...कुल मिला कर साली लंड खड़ा करने ही आई थी...


सुजाता- अब मूड ठीक है ...??

मैं(मन मे)- हाँ साली...तूने ही फ्रेश कर दिया....

सुजाता- क्या हुआ...अभी भी सोच मे डूबा हुआ है...

मैं- नही...अब ठीक है...और आपके आने से तो और भी ज़्यादा ठीक हो गया....

सुजाता ने देखा कि मैं उसे देख कर मुस्कुरा रहा हूँ तो वो भी मुस्कुरा दी और आ कर मेरे बाजू मे सट कर बैठ गई....

सुजाता(टाँग को दूसरी टाँग पर चढ़ा कर)- मैं इसलिए ही तो आई हूँ कि तुम्हारा मूड ठीक कर दूं...

सुजाता ने अपनी बॉडी हिला कर मेरी बॉडी से रगड़ दी...उपेर से टाँग पर टाँग चढ़ाने से उसकी नाइटी और उपर हो गई और उसकी जाघ और ज़्यादा चमक उठी...

मैं(जाघ देखते हुए)- ह्म्म...सही किया आपने..मुझे मूड फ्रेश करने के लिए इसी की ज़रूरत थी....

सुजाता- ह्म्म..अच्छा बताओ...क्या प्राब्लम है...शायद मैं कोई मदद कर सकूँ...

मैं- ह्म्म...असल मे मेरा बदन दुख रहा है....पता नही क्यो...पर एक अजीब सी थकान लग रही है...

सुजाता(मेरे गले मे हाथ डाल कर)- ओह्ह..तो बताओ..मैं मालिश कर दूं...

मैं- नही आंटी...मालिश की ज़रूरत नही होगी..बस थोड़ी देर मे ठीक हो जायगा...

सुजाता- ओके ...चलो मैं सिर सहला देती हूँ...

और सुजाता मेरे सिर पर हाथ फिराने लगी...इस समय मुझे उसकी बॉडी से आ रही खुसबु मदहोश कर रही थी...लगता है देव लगा कर आई थी...साथ मे उसके बूब्स का हिस्सा मेरे कंधे पर रगड़ कर मेरी भावनाओ को हवा दे रही थी....

अब तक मैं समझ चुका था कि सुजाता को मेरे साथ खुलने मे कोई प्राब्लम नही...इसलिए मैने भी आगे बढ़ने का फ़ैसला कर लिया...

मैने अपना हाथ सुजाता की नंगी जाघ पर रखा और बिना किसी रियेक्शन के बोला...

मैं- अच्छा आंटी...आज आप क्या कह रही थी..वो प्रॉपर्टी पेपर्स के बारे मे...

सुजाता ने मेरा हाथ अपनी जाँघ पर देखा ...और फिर मुझे देखा...और मुस्कुरा कर बोली...

सुजाता- वो...वो मैं ये कह रही थी कि तुम्हे अभी इस लोड की क्या ज़रूरत...अभी सब अपने डॅड को संभालने दो...

मैं(हाथ को थोड़ा घुमाते हुए)- सही कहा आंटी...मैं भी यही सोचता हूँ..अभी तो मेरे ऐश करने के दिन है...है ना...

और इसी के साथ मैने अपना हाथ थोड़ा सा निघट्य के अंदर डाल दिया...जिससे सुजाता की आँखे बड़ी हो गई...पर वो नॉर्मल हो कर मुस्कुराइ और बोली...

सुजाता- ह्म्म...यही तो...तुम्हारी उमर ही ऐश करने की है...

मैं(हाथ को घुमाते हुए)- पर ऐश कैसे करू आंटी....कोई मिलता ही नही...मतलब...आप समझ रही है ना...

सुजाता(मन मे)- कितना बढ़ा कमीना है...इतनो को चोद चुका है और बन रहा है बिल्कुल सरीफ़....

मैं- क्या हुआ आंटी...मैने कुछ ग़लत बोला क्या...

सुजाता- हुह..नही...तुमने सही कहा....पर बेटा...ढूँढने से सब मिल जाता है...तुम ट्राइ करो..सब मिल जायगा....

मैं(हाथ को थोड़ा और आगे ले जा कर)- पर यही तो प्राब्लम है....मैं डाइरेक्ट कैसे कहूँ...सामने वाले को समझना चाहिए ना....

सुजाता अब हाथ के स्पर्श से गरमाने लगी थी...पर उसने मुझे रोका नही...

सुजाता- बेटा...ट्राइ करो...सफलता मिल ही जाएगी...

मैं- क्या आप मेरी प्राब्लम सॉल्व नही कर सकती आंटी...

मैने अपना मुँह सुजाता के मुँह के थोड़ा पास कर लिया और उसकी आँखो मे देखने लगा....


सुजाता- मैं...मैं कैसे...

तभी मैने अपना हाथ थोड़ा और आगे बढ़ा दिया और मेरा हाथ सुजाता की जाघो के बीच पहुँच गया...जिससे सुजाता की आँखे और खुल गई...

मैं(हाथ को दबाते हुए)- बोलो ना आंटी...क्या आप मेरी मदद करेगी...ह्म..

सुजाता- मैं..वो...अंकित...मैं तो..
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-08-2017, 11:11 AM

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