Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित के घर........



मैं पूरे गुस्से मे कार ले कर उस हॉस्पिटल की तरफ जा रहा था जो फ़ोन करने वाले ने बताया था...

ड्राइव करते हुए मैं बस यही सोच रहा था कि जिसने भी मेरे साथ ये घटिया मज़ाक किया है..मैं उसके हाथ-पैर तोड़ दूँगा ...

पर तभी...हॉस्पिटल के थोड़ी दूर पहले ही मुझे ट्रॅफिक जाम मिल गया...

मैने देखा कि लोग कार से निकल कर एक तरफ जा रहे है. .

मैं(गुस्से मे)- अब क्या हुआ...ये ट्रॅफिक भी साला अभी लगना था...

मैं गुस्से मे कार से निकला और उस तरफ जाने लगा जहा सब लोग जा रहे थे...

आयेज जाकर मैने देखा कि सब लोग एक जगह को घेर कर खड़े हुए है...

पूछने पर पता चला कि कोई आक्सिडेंट हुआ है..काफ़ी भयानक....

मैं- यहाँ भी आक्सिडेंट...ये आज जा दिन ही आक्सिडेंट ने खराब कर दिया..हह....

मैं गुर्राते हुए भीड़ को छोड़ कर आगे बढ़ता गया...मुझे भी आक्सिडेंट देखने की इक्षा जाग गई थी...

मैं सबको हटते हुए आयेज आया तो देखा की सामने एक कार उल्टी पड़ी हुई है...कार की हालत बहुत खराब थी और उसकी खिड़की से देखने पर पता चला कि कार मे बैठे इंसान का खून भी बह गया...

ये नज़ारा देखते ही मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ा...

""ज्ज्ज्जुउुऊहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईई""
डॅड की कार का हाल देख कर ही मेरे हलक से एक जोरदार चीख निकल गई ...वो चीख जूही के नाम की थी....

मेरी चीख सुन कर मेरे आस-पास खड़े लोग चौंक गये और बाकी के सारे लोग मुझे घूर्ने लगे ....

मैने चीखते ही अपने पैरों को कार की तरफ तेज़ी से बढ़ाया पर 2 पोलीस वालो ने मुझे रोक लिया...उन्होने मुझे आगे नही जाने दिया...बोले कि इन्वेस्टिगेशन जारी है...

मैने कुछ हाथ-पैर मारे कि मैं आगे जा सकूँ पर पोलीस वालों ने मुझे पीछे धकेल दिया....और मेरा दर्द गुस्सा बन कर भड़क उठा....

मैं(गुस्से से)- तुम्हारी ये हिम्मत...सालो मैं तुम्हे छोड़ूँगा नही ...दोनो की वॉट लगा दूँगा....

पोलीस- क्या ...साले...बहुत बड़ी तोप बनता है...अभी दिखाता हूँ....

मेरी बात सुनकर एक पोलीस वाला गुस्से से अपना डंडा घुमाता हुआ आगे बढ़ा......

पर इससे पहले कि वो अपना डंडा मुझ पर उठाता....उस भीड़ से निकल कर एक आदमी आगे आ गया और पोलीस वाले से मिन्नते करने लगा...

आदमी- सर..सिर..प्ल्ज़...इन्हे कुछ मत कीजिए...ये...ये बहुत दुखी है..तो ग़लती हो गई...प्ल्ज़ सर...

पोलीस- क्या...तू है कौन...और ये लड़का इतना क्यो उड़ रहा है...हाँ...

आदमी- सर..ये अंकित मलजोत्रा है...मेरे बॉस के बेटे...और ये सामने पड़ी कार इनके डॅड यानी मेरे बॉस आकाश की है...इसलिए ये गुस्से मे आ गये...प्ल्ज़ समझिए ना...प्ल्ज़ सर...

पोलीस वाले को उसकी बात समझ आ गई और वो नॉर्मल हो कर बोला कि इसे दूर रखो और हॉस्पिटल ले जाओ...ओके..

आदमी पोलीस वाले को समझा कर मेरे पास आया और बोला...

आदमी- सर...आप ठीक है ना...थॅंक गॉड आप आ गये...मैं आप का ही वेट कर रहा था....

मैं- क्या...तुम हो कौन...और मेरा वेट...किसलिए...

आदमी- सर...मैं आपके ऑफीस मे काम करता हूँ..मैने ही आपको आकाश सर के आक्सिडेंट की न्यूज़ दी थी...

इतना सुन कर ही मैने गुस्से से उस आदमी की कॉलर पकड़ ली ...

मैं- तो तू है साला...कमीने...तूने झूट क्यो बोला...मेरे डॅड के बारे मे...हाअ...

आदमी(डरते हुए)- ज्ज...झूट...नही सर..मैने तो सच कहा था...सर का आक्सिडेंट हो गया...

मैं(गुस्से मे)- चुप साले.. मेरे डॅड घर पर है..बिल्कुल ठीक...और तू...साले झूट क्यो बोला...हाँ.

आदमी- नही सर...मेरी बात तो सुनिए...ये देखिए...ये कार...आकाश सर की ही है...

मैं- जानता हूँ...तो क्या...हाँ...

आदमी- सर..जब मैं ऑफीस से निकला तो यहाँ इस कार को देखा...मैने सोचा कि आकाश सर की कार है तो शायद उनका ही आक्सिडेंट हो गया है..बस मैने आपको कॉल कर दिया..बस सर..

मैं(चिल्ला कर)- साले...उसमे डॅड नही थे...मेरी जूही थी....जूही...

आदमी- ज्ज्ज...जूही...कौन जूही...

मैं- कोई नही...ये बता कि आक्सिडेंट के बाद क्या हुआ....कार मे बैठे लोगो का क्या हुआ ...जल्दी बोल....

आदमी- म्म..मैने बताया तो था...आप **** हॉस्पिटल पहुँच जाइए......वही ले गये है....

इतना सुनते ही मैने उसे झटके से छोड़ा और तेज़ी से हॉस्पिटल की तरफ भागने लगा...


मेरी कार ट्रॅफिक मे फसि थी...इसलिए मैं दौड़ कर हॉस्पिटल निकल गया....हिस्पिटल ज़्यादा दूर नही था...मैं 10-15 मिनट दौड़ कर ही हॉस्पिटल पहुँच गया और पूछते हुए एमर्जेन्सी वॉर्ड मे आ गया...

यहाँ फिर से पोलीस ने मुझे गेट पर रोक लिया...बोले कि अंदर इनस्पेक्टर ब्यान ले रहा है...

मैने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और परेशानी मे गेट के बाहर ही घूमते हुए इनस्पेक्टर के निकलने का वेट करने लगा....

थोड़ी देर बाद गेट खुला और गेट खुलते ही सामने खड़े इनस्पेक्टर को देख कर मेरा गुस्सा फिर से बढ़ गया....सामने रफ़्तार सिंग था.....

रफ़्तार- ओह...तो तू यहाँ भी मिल गया...हाँ...अजीब बात है....जहाँ कही कुछ झमेला होता है वहाँ तू ज़रूर आ जाता है...

मैं(घूरते हुए)- सही कहा...मैं भी यही सोच रहा हूँ...कि जहाँ तू होता है..वही मेरे अपनो के साथ झमेला क्यो होता है....

रफ़्तार(गुस्से से)- क्या...क्या बका तूने...तेरे अपने....ह्म्म...तो ये चिकनी तेरी है क्या...

मैने रफ़्तार की बात सुनते ही उसका गला पकड़ लिया और खीच कर उसे दूसरी तताफ की दीवाल से चिपका दिया.....

मेरी पकड़ इतनी मजबूत थी कि रफ़्तार अपने दोनो हाथो से भी मेरे हाथ से अपनी गर्दन नही छुड़ा पाया....

रफ़्तार की हालत देख कर उसके थुल्लो ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और रफ़्तार को छुड़ाने लगे...पर वो भी कामयाब नही हो पाए....

रफ़्तार- उउउहह..क्क्क...सस्साल्लू....म्मार ना...आअहह..

रफ़्तार की बात सुनते ही एक थुल्ले ने मेरी पीठ पर घूसा मारा पर मैं मजबूती से रफ़्तार की गर्दन पकड़े रहा....फिर दूसरे थुल्ले ने अपना डंडा उठाया और घुमाया ही था कि डंडा पीछे से किसी ने पकड़ लिया और एक जोरदार आवाज़ गूँजी....ये आलोक की आवाज़ थी....

आलोक- अंकित...लीव हिम...पोलीस के उपेर हाथ मत डालो...लीव हिम नॉववव....

आलोक की आवाज़ सुन कर मुझे होश आया कि मैं एक पोलीस वाले का गला दबा रहा हूँ...मैने तुरंड रफ़्तार को झटक दिया...

मेरे छोड़ते ही रफ़्तार ज़ोर से साँसे लेने लगा और नॉर्मल होते ही मुझ पर झपटा....

रफ़्तार- हराम्खोर...मैं तेरी...

आलोक(बीच मे)- रफ़्तार...रुक जाओ...

रफ़्तार(गुस्से से दाँत पीस कर)- सर...इसने मुझ पर...

आलोक(बीच मे)- जानता हूँ..पर ये बताओ कि इसने ऐसा किया क्यो....तुमने ऐसा क्या किया था...या कुछ बोला था..हाँ....??

रफ़्तार के मूह ने एक शब्द ना निकला ...बस चुप चाप मुझे घूरता रहा...

आलोक- अंकित..तुम बोलो ..क्या हुआ था...

मैं(रफ़्तार को घूरते हुए)- इसने मेरी जूही की इन्सल्ट की सर...इसलिए मैने....आप ना आते तो इसकी बोलती बंद कर देता...

आलोक- अंकित...माइंड युवर लॅंग्वेज...ये मत भूलो कि तुम एक पोलीस वाले के लिए कुछ बोल रहे हो...ह्म्म..

मैं- जी सर...अगर ये याद नही होता तो अब तक तो...सॉरी सर...

आलोक- इट्स ओके...और रफ़्तार...तुम जा सकते हो...मैं तुमसे बाद मे बात करूगा...गो...

रफ़्तार अपने थुल्लो को साथ ले कर चला गया...और जाते हुए एक बार फिर से मुझे घूर गया...

मैं- सर...मैं जूही से मिल लूँ...

आलोक- ह्म...मिल लो...फिर स्टेशन आ जाना...वहाँ आक्सिडेंट की डीटेल मे बात करेंगे....
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