बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:05 AM,
#16
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
राजीव ने शिवा को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। शिवा मुस्कुरा कर दुकान चला गया और रानी राजीव की खिंचाई करने लगी, सरला को लेकर। राजीव ने उस दिन रानी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको सरला का सोचकर। 
अगले दिन शिवा के जाने के बाद श्याम और सरला आए। राजीव ने सरला को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। श्याम भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राजीव की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ सरला उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी। 
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राजीव के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी। 
राजीव: आप लोग कैसे आए?
श्याम: बस से आए। अब सब बैठ गए। 
राजीव ने रानी को आवाज़ दी और वह पानी लाई। 
राजीव ने देखा कि श्याम रानी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया। 
सरला: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या? 
राजीव: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे। 
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
श्याम: बस से आए। अब सब बैठ गए। 
राजीव ने रानी को आवाज़ दी और वह पानी लाई। 
राजीव ने देखा कि श्याम रानी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया। 
सरला: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या? 
राजीव: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे। 
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी। 

पंडित को राजीव ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है सरला को। 
कार पंडित के घर के पास रुकी और सरला अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राजीव को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राजीव ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब श्याम और राजीव एक दूसरे को बधाई देने लगे। सरला ने भी बधाई दी।
अब राजीव सरला को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं। 
सरला बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई। 
पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए। 
राजीव और श्याम बाहर आ गए।
पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ। 
सरला: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?
पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए। 
सरला ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं। 
पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा। 
सरला चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता। 
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।
सरला: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को। 
सरला ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राजीव का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है। 
सरला बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है। 
श्याम: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?
राजीव ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ मालिनी और शिवा के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब । 
राजीव ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है। 
राजीव : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं। 
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।
कॉफ़ी हाउस में श्याम और राजीव सरला के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था । 
राजीव: भाभी जी क्या लेंगीं? 
सरला: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए। 
राजीव: अच्छा सरला क्या लोगी कॉफ़ी के साथ? 
सरला: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है। 
तभी श्याम का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया। 
राजीव : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
सरला: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं? 
राजीव: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे सरला। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन। 
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा। 
सरला की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है। 
सरला: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए। 
राजीव ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: सरला सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी। 
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
सरला भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया। 
राजीव: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता। 
सरला: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?
राजीव : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने शिवा और मालिनी की शादी होगी? क्या कहती हो? 
उसने सरला का हाथ सहलाते हुए कहा। 
सरला हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है? 
राजीव: सरला, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो। 
सरला: छी ये क्या बोल रहे हैं। राजीव ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
सरला सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राजीव के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।
तभी श्याम अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। सरला ने अपना हाथ राजीव के हाथ से छुड़ा लिया था। श्याम के बैठने के बाद राजीव ने सरला का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। सरला ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राजीव की नज़र श्याम के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। श्याम ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था। 
बेचारी सरला दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और सरला ने बेज़ारगी से राजीव को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया। 
राजीव ने देखा की श्याम अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।
राजीव ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। सरला चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली। 
फिर जब श्याम का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह श्याम से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। श्याम समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली। 
राजीव ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , सरला ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब सरला के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। सरला की बुर में हलचल होने लगी। 
श्याम तो उसको चोदते ही रहता था पर राजीव का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राजीव ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने सरला की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको। 
सरला भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राजीव के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राजीव की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। सरला की आह निकल गयी। श्याम ने पूछा क्या हुआ?
सरला: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी । 
तभी राजीव का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। सरला उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।
राजीव बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और शिवा से भी मिल लेना। 
सरला: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राजीव ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राजीव धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी। 
सरला: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।
श्याम आगे चल रहा था अब राजीव ने उसके चूतरपर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा। 
राजीव: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े। 
दुकान में शिवा ने उनका स्वागत किया और उसने श्याम और सरला के पैर छुए। सरला ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ शिवा की ठुड्डी को छू गयीं और राजीव को शिवा से जलन होने लगी। 
शिवा उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राजीव की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर श्याम शिवा के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राजीव सरला को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो। 
सरला उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे मालिनी के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।
राजीव: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना। 
सरला: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं। 
राजीव: अगर मालिनी के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो। 
सरला हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला? 
राजीव: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते? 
सरला उठकर जाने लगी तब राजीव बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
सरला फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली? 
राजीव ने जेब से ५०००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है। 
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक मालिनी के लिए। 
अपनी साड़ी उसने राजीव की पसंद की ही ली थी। राजीव ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे। 
काउंटर पर पैसे देने के समय राजीव बोला: क्यों शिवा अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा 
शिवा ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके सरला को दे दीं। 
सरला धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या? 
राजीव: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे। 
सरला मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है। 
राजीव अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह सरला को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
श्याम बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो। 
राजीव : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
सरला: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तय्यारी भी तो करनी है।
राजीव उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब श्याम टिकट लेने गया तब राजीव ने सरला का हाथ पकड़ लिया और बोला: सरला मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तय्यार हूँ। 
सरला: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है। 
राजीव: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए। 
सरला: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है। 
राजीव: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
सरला: फ़ोन नहीं SMS करिएगा। 
फिर श्याम को आते देख राजीव ने सरला के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया। 
अब श्याम बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण सरला को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राजीव ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी। 
राजीव सरला के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर रानी खाना लगा रही थी। 
वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राजीव उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। रानी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राजीव खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था । वह वापस सोफ़े पर बैठा और रानी को ज़मीन में बिठाया और वह उसकी जाँघों के बीच आके उसका मोटा लौड़ा चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वह रानी को सोफ़े पर उलटा लिटाया और उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ ऊपर चढ़ाया और उसके नंगे चूतरों को दबाकर उसको सोफ़े के किनारे पर लाया और उसकी कमर को पकड़कर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा पेल दिया। वो अब उसे चौपाया बनाकर बुरी तरह से चोदने लगा। उसने आँखें बन्द की और सरला के चेहरे को याद किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा। 
रानी की चीख़ें निकलने लगी और वह आऽऽऽऽहहह मरीइइइइइइओइ उइइइइइइइ कहकर मज़े से चुदवाने लगी। जल्दी ही रानी झड़ने लगी। अब उसने रस से सना अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसने उसपर थूक लगाया और ऊँगली में ढेर सारा थूक लेकर उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। रानी चीख़ी :आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जलन हो रही है।
पर आज तो राजीव कुछ भी सुनने को जैसे तय्यार नहीं था । वह सामने पड़ी क्रीम की शीशी से क्रीम निकाला और रानी की गाँड़ में लगाया और अपने लौड़े पर भी मला और फिर उसकी गाँड़ में अपने लौड़े का सुपाड़ा अंदर करने लगा। 
रानी चिल्लाई: आऽऽऽऽंह दर्द हो रहा है।
पर राजीव आज कुछ अलग ही मूड में था। उसने आधा लौड़ा एक धक्के में ही अंदर कर दिया। और अगले धक्के में पूरा लौड़ा आँड तक पेल दिया। 
अब वह रानी की गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। कमरा ठप ठप की आवाज़ों से और रानी की हाय्य्यय उइइओओइओओ मरीइइइइइइइ गूँजने लगा। 
जल्दी ही रानी भी मज़े में आ गयी और अपने चूतरों को पीछे दबाके पूरा मज़ा लेने लगी। अब राजीव ने अपनी चुदाई की गति बढ़ाई और वह आऽऽहहहह ह्म्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा। उसने नीचे हाथ बढ़ाकर रानी की बुर में भी तीन ऊँगली डाली और उसकी clit को भी रगड़ा। रानी भी उइइइइइइइओ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर झड़ गयी। अब राजीव उसके अंदर से अपना लौड़ा निकाला और बाथरूम में जाकर सफ़ाई करके बाहर आकर नंगा ही सोफ़े पर बैठा। रानी भी बाथरूम से आयी और उसंके पास बैठ गयी। 
रानी: आज आपको क्या हो गया था? इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे? 
राजीव: बस ऐसे ही , सुबह से सरला ने बहुत गरम कर दिया था। वैसे तुम्हारी गाँड़ बहुत मस्त है। दुःख रही होगी ना?
रानी: नहीं दुखेगी? पूरी फाड़ दी है आपने। ख़ून भी आ गया है। 
राजीव: क्या करूँ? इतनी सुंदर दिख रही थी कि रहा नहीं गया और पेल दिया। पर बहुत मज़ा आया । और हाँ मज़ा तो तुमको भी आया क्योंकि चूतर दबाकर पूरा लौड़ा निगल रही थी तुम भी। 
रानी: जी मज़ा तो आया पर अब दुःख रही है। 
राजीव उठा और एक मलहम लेकर आया और बोला: चलो साड़ी उठाओ मैं ये मलहम लग देता हूँ। जब मैं सविता याने अपनी बीवी की गाँड़ मारता था तब भी ये क्रीम लगा देता था। 
रानी उठी और अपनी साड़ी उठायी और अपने चूतरों को उसके सामने करके आगे को झुकी और अपने चूतरों को फैला दी। उसकी बुरी तरह से लाल गाँड़ का छेद उसके सामने था । उसने छेद को फैलाकर उसकी गाँड़ में उँगली से क्रीम डाली और बाद में उसके छेद के ऊपर भी क्रीम लगा दिया। 
रानी: आह अब आराम मिल रहा है। ये कहकर उसने अपनी साड़ी नीचे गिरा दी। 
अब वह बाथरूम जाकर हाथ धोया और फिर जाकर लेट गया और सरला के बदन की ख़ुशबू को याद करते हुए सो गया।
शाम को उसने सरला को sms किया: हाई , क्या हो रहा है?
सरला का जवाब थोड़ी देर से आया: बस सगाई की प्लानिंग।
राजीव: हम्म और मुझे मिस कर रही हो?
सरला: आप मिस कर रहे हैं क्या?
राजीव: बहुत ज़्यादा मिस कर रहा हूँ। 
सरला: मैं भी मिस कर रही हूँ। 
राजीव: अच्छा मैं तुमको कैसा लगता हूँ?
सरला: अच्छे लगते हैं। 
राजीव: मेरा क्या अच्छा लगता है?
सरला: आपकी बातें और आपका अपनापन दिखाना। 
राजीव: बस और कुछ नहीं?
सरला: और अभी देखा ही क्या है अभी तक?
राजीव: तुम मौक़ा तो दो, और सब भी दिखा देंगे। 
सरला: छी , कैसी बातें कर रहे हैं? कुछ तो उम्र का लिहाज़ कीजिए। 
राजीव: उम्र का क्या हुआ? ना मैं अभी बूढ़ा हुआ हूँ और तुम तो अभी बिलकुल जवान ही धरी हो। 
सरला: मेरी बेटी जवान हो गयी है और आपका बेटा भी जवान हो गया है और आप मुझे जवान कह रहे हैं? 
राजीव: ज़रा शीशे में देखो क्या मस्त जवान हो तुम। तुम्हारे सामने तो आज की जवान लड़कियाँ भी पानी भरेंगी। 
सरला: आप भी मुझे शर्मिंदा करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते। 
राजीव: मैं सही कह रहा हूँ। तुम्हारे सामने तो अब क्या बोलूँ? तुम बुरा मान जाओगी। 
सरला: नहीं मानूँगी, बोलिए क्या बोलना है?
राजीव: तुम मालिनी से भी ज़्यादा हसीन हो जानेमन। 
सरला इस सम्बोधन से चौंकी और लिखी: अच्छा अब रखती हूँ। 
राजीव: नाराज़ हो गयी क्या?
सरला: अब आप माँ बेटी में तुलना कर रहे हो, तो क्या कहूँ?
राजीव: अच्छा चलो जाने दो, ये बताओ अब कब मिलना होगा?
सरला: अभी तो कुछ पक्का नहीं है। देखिए कब भाग्य मिलाता है हमें। 
राजीव: ठीक है , इंतज़ार रहेगा। बाई ।
सरला: बाई।
राजीव ने सोचा कि गाड़ी सही लाइन पर है।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:05 AM

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