बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:08 AM,
#31
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव का लौड़ा खड़ा होने लगा। वह बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, बोलो क्या हाल है? आज स्कूल नहीं गयी?

रीमा: जी अंकल आज स्कूल की छुट्टी हो गयी है , हमारे प्रिन्सिपल की माता जी का निधन हो गया है। 

राजीव: बेटी इस समय तुम कहाँ हो?

रीमा: जी स्कूल से बाहर आ रही हूँ। 

राजीव: तो यहाँ आ जाओ हमारे घर , तुम्हें रानी बढ़िया पकोड़े खिलाएगी। 

रीमा: जी मैं तो स्कूल बस से आती हूँ, मैं आपके घर कैसे आऊँगी? 

राजीव: अरे बेटी ऑटो कर लो और हमारे घर तक आ जाओ। नीचे रानी खड़ी रहेगी वो पैसे दे देगी। ठीक है ना? उसने अपना लौड़ा मसलते हुए कहा। 

रीमा: जी अंकल मैं आती हूँ, पर आप रानी दीदी को तो बाहर भेज दीजिएगा। 

राजीव: हाँ हाँ तुम बिलकुल फ़िकर ना करो वह घर के सामने खड़ी मिलेगी पैसों के साथ। फिर उसने फ़ोन काट दिया।

रानी उसकी बात सुन रही थी , वो बोली: ये क्यों आ रही है यहाँ? पकोड़े खाने, या कुछ और खाने? 

राजीव कुटिल हँसी हंस कर बोला: साली पकोड़े नहीं मेरा लौड़ा खाने आ रही है। और तुम मेरी मदद करोगी उसकी बुर फाड़ने में, समझी? 

रानी: वह थोड़ी छोटी नहीं है आपके इस मोटे हथियार के लिए? उसको अपनी उम्र के लौंडों से चुदवाना चाहिए जिनके छोटे और पतले हथियार होते हैं। पता नहीं वो आपका कैसे लेगी? 

राजीव: अरे बहुत प्यार से मस्त गीला करके क्रीम लगाकर लेंगे उसकी। आह देखो मेरा लौड़ा कैसे अकड़ गया है? मैंने तो उसे फ़ोन किया नहीं वो ख़ुद ही चुदवाने आ रही है तो क्या मैं उसे छोड़ दूँ?

रानी ने प्यार से उसके लौड़े को लोअर के ऊपर से सहलाया और बोली: आप ऐसा करो लूँगी पहन लो और चड्डी भी खोल दो ताकि उसको आपके लौड़े का अहसास हो जाए। वो मस्त गरम हो जाएगी।

राजीव: वाह क्या सुझाव दिया है, बल्कि अब तो मैं लूँगी में हीं रहना शुरू कर देता हूँ। चड्डी भी नहीं पहनूँगा । शाबाश क्या मस्त सेक्सी लड़की हो तुम। सोचकर ही मज़ा आ गया, जाओ लूँगी लाओ। 

रानी जब लूँगी लायी तो वह नीचे से पूरा नंगा था और उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। रानी आकर झुकी और उसके लौड़े के टोप को चूम ली। फिर वह लूँगी डाला और उसका खूँटा लूँगी से अलग से दिख रहा था। रानी इस सेक्सी दृश्य को देखकर मुस्कुराई। तभी रीमा की मिस्ड कोल आयी। उसने जल्दी से रानी को पैसे देकर बाहर रीमा को लाने भेजा। 

जब रीमा रानी के साथ अंदर आयी, तो वो सोफ़े पर अपनी गोद में एक किताब रख कर बैठा था। रीमा आकर उसे नमस्ते की और सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। वह स्कर्ट और टॉप की स्कूल यूनीफ़ॉर्म में थी। उसकी गदराइ जाँघें साफ़ दिखाई पड़ रही थीं। टॉप उसकी चूचियो पर कसा हुआ था। क्या ग़ज़ब कि लौड़ियाँ थी, राजीव के लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया। 

राजीव: बेटी, बताओ क्या खाओगी? रानी बहुत अच्छे पकोड़े बनाती है। 

रीमा: जी अंकल खा लूँगी। 

राजीव ने रानी को पकोड़े बनाने को बोला। फिर वह उससे स्कूल की और उसकी सहेलियों की बातें करने लगा। जब उसकी बातों से वो सहज हो गयी तब वह उससे शिवा की शादी की बातें करने लगा। उसने देखा कि अब वो पूरी तरह से सहज हो चुकी थी। 

तभी रानी पकोड़े की प्लेट लायी और राजीव रीमा को बोला: आओ बेटी मेरे पास बैठ जाओ, यहाँ से पकोड़े उठाने में मुश्किल नहीं होगी। 

अब वह उठकर उसके पास आकर बैठ गयी। राजीव ने पकोड़े उठाए और उसे दिया। वह उसकी प्लेट से लेकर खाने लगी। तभी रानी चटनी भी लायी और राजीव एक पकोड़े में चटनी लगाकर अपने हाथ से उसके मुँह में डालने लगा। वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं कोई बच्ची थोड़ी हूँ, जो आप मुझे ऐसे खिला रहे हैं!

राजीव हँसते हुए बोला: ये तो सच है कि तुम अब बच्ची नहीं रही पूरी जवान हो गयी हो। उस दिन होटेल में मैंने ख़ुद सब कुछ जाँच करके देख लिया था। ठीक है ना?

रीमा: अंकल उस दिन पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि कुछ नशा सा हो गया था। मुझे कुछ ठीक से याद नहीं है।

राजीव: होटेल का याद नहीं है पर कार का याद है क्या? 

रीमा अबके शर्मा कर: हाँ वो थोड़ा थोड़ा याद है। 

अब राजीव ने एक हाथ उसकी नंगी जाँघ पर रखा और उसे सहलाते हुए बोला: सच में बेटी तुम मस्त जवान हो गयी हो और अब तुमको जवानी के मज़े लूटने चाहिए। 

तभी रानी चाय लायी। राजीव: रानी, बोलो तो हमारी रीमा जवान हो गयी है कि नहीं?

रानी हँसकर: हाँ जी पूरी जवान हो गयी है यह तो। 

राजीव: देखो इसकी टॉप के ऊपर से इसके दूध कितने बड़े दिख रहे हैं। यह कहते हुए उसने उसकी छातियों को सहला दिया। रीमा का बदन सिहर उठा। अब वह झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा सा उठाकर उसकी जाँघ सहलाने लगा। वह फिर से सिहर उठी। 

रीमा: आप ये कौन सी किताब पढ़ रहे हैं अंकल जी? वह उसकी गोद में रखी किताब को देखकर बोली जो राजीव ने अपने लौड़े का कड़ापन छिपाने के लिए रखी हुआ था। 

राजीव: बस बेटी ऐसी ही एक कहानी की किताब है। उसे छोड़ो , लो तुम पकोड़े खाओ। यह कहकर उसके मुँह में चटनी लगा के एक और पकोडा डाला । उसका दूसरा हाथ अब उसकी पैंटी के आसपास आ चुका था। आऽह क्या चिकनी जाँघ है, सोचकर उसके लौड़े ने फिर से एक झटका मारा और किताब भी हिल गयी। अब रानी ने ही उसकी एक चूचि दबाई और बोली: आह सच में ये जवान हो गयी है, तुम यहाँ अंकल से मज़ा लेने आयी जो ना रीमा?

रीमा शर्माकर: मैं तो बस ऐसे ही मिलने आयी हूँ।

रानी: रीमा अगर तुमको मज़ा चाहिए तो अंकल की गोद में बैठ जाओ। 

राजीव: हाँ बेटी आओ मेरी गोद में बैठकर पकोड़े खाओ। 

रीमा शर्माकर उसकी गोद में बैठी और फिर उछल गयी और बोली: बाप रे ये क्या चुभा? 

राजीव हँसते हुए: अरे बेटी कुछ नहीं, ये तो मेरा डंडा है जो सब आदमियों के पास होता है। यह कह कर उसने अपने लौंडे को लूँगी के ऊपर से दबाकर उसे उसका अहसास कराया। वह उसे फिर से अपनी गोद में खिंचा और इस बार उसको अपने लौड़े को ऐसे दबाकर रखा ताकि वह उसकी गाँड़ में ना चुभे। बल्कि वह उसकी बुर को लम्बाई में छू जाए। 

रीमा अब गरम होने लगी क्योंकि उसकी पैंटी पर उसका लौड़ा लम्बाई में पूरी तरह से रगड़ रहा था और वह अब गीली होने लगी थी। तभी राजीव ने उसकी दोनों छातियाँ अपने हाथों में ले लिया और उनको दबाकर उसे और मस्ती से भरने लगा। अब रीमा की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और पैंटी के ऊपर से वह अपनी बुर उसके लौड़े पर रगड़ने लगी। राजीव उसके गालों को चूमते हुए,उसके होंठ भी चूमने लगा। 

अब रानी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: चलिए ना इसे बिस्तर पर ले चलिए और इसकी जवानी की प्यास बुझा दीजिए। इसीलिए तो यह यहाँ आयी है। 

राजीव ने उसको बच्चे की तरह गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह बोला: बेटी, तुम्हारा कोई बोय फ़्रेंड है क्या? 

रीमा: जी अंकल है। 

राजीव: उसने तुम्हें चोदा है क्या, बेटी?

रीमा शर्माकर: जी हाँ कई बार। 

राजीव: ये बढ़िया है कि तुम कुँवारी नहीं हो? अच्छा जब वह तुमको चोदता है तो मेरे पास क्यों आइ हो चुदवाने?

रीमा: जी उसके साथ मज़ा नहीं आता, और उस दिन आप जो मेरी नीचे वाली चूसे थे और सहलाए थे , मुझे उसमें बहुत मज़ा आया था। 

अब राजीव ने अपने कपड़े उतारे और उसका लौड़ा देखकर उसकी आँखें फैल गयी। वो बोली: बाप रे इतना बड़ा? रितेश का बहुत छोटा और पतला है। 

रानी: अरे ये मर्द का लौड़ा है कोई बच्चे की नूनी थोड़े है। वह उसको सहलाकर बोली। 

राजीव अब झुक कर उसकी टॉप को निकाला और उसकी स्कर्ट भी उतार दिया। वाह क्या माल लग रही थी वह ब्रा और पैंटी में। वह पागल सा होकर उसके पेट को चूमने लगा फिर ऊपर जाकर उसकी ब्रा पर से चूचियाँ दबाके उसके होंठ और गाल चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और रीमा उसे चूसने लगी। अब वो उसकी ब्रा भी निकाला और उसके मस्त संतरों को देखकर वह मज़े से चूसने लगा। अभी अधबने निपल्ज़ को चूसते हुए वह रीमा की बुर को गीला कर दिया। फिर नीचे आकर उसकी जाँघों को चूमा और चाटा। अब रीमा भी मज़े में आकर हाय्य कर उठी। अब वो उसकी पैंटी नीचे किया और उसकी हल्के काले बालों वाली बुर देखा और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। उसकी जीभ उसकी बुर के अंदर जाकर उसे पागल कर रही थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कर उठी। 

अब रीमा बुरी तरह गीली हो चुकी थी और अपनी कमर उछालकर अपनी वासना का प्रदर्शन कर रही थी। 

रानी: लीजिए क्रीम लगा लीजिए , बहुत टाइट है , ऐसे नहीं घुसेगा। रानी उसके लौड़े पर क्रीम लगायी और फिर उसने रीमा की बुर में भी दो ऊँगली डालकर क्रीम चुपड़ा। फिर बोली: बहुत टाइट है , आराम से करिएगा। 

अब राजीव ने उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखा और फिर उसकी टाँगे घुटनो से मोड़कर उनको फैलाके ऊपर कर दिया। रानी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए ।अब वो अपना लौड़ा हाथ में लेकर दूसरे हाथ से उसकी बुर की पुत्तियों को फैलाया। अब अपना मोटा सुपाड़ा उसकी तंग छेद पर रखा और हल्के से दबाने लगा। मोटा लौड़ा क्रीम के कारण अंदर को जैसे धँसने लगा। फिर उसने एक धक्का मारा और वह चिल्लाई: आऽऽऽऽहहहह मरीiiiiiii। उइइइइइइइइ अंकल जी निकालो नाआऽऽऽऽऽऽ आह्ह्ह्ह्ह्ज। 

रीमा के चिल्लाने पर ध्यान ना देकर वह अब आख़री धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में पेल दिया। रीमा अब गिड़गिड़ाने लगी: प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽल लो बहुत दर्द हो रहा है। आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ प्लीज़ । 

राजीव ने आगे होकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और वह अब गन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह उसके निपल्ज़ को मसल कर उसकी मस्ती जगाने में लग गया। रीमा भी अब थोड़ा शांत हो गयी थी। 

राजीव: बेटी, दर्द कम हुआ? 

रीमा: जी अंकल, पर आपका बहुत बड़ा है ना उफ़्फ़् बहुत दुख रहा था। 

राजीव: बस बेटी अब मज़ा लो , तुम नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर हिलाओ और देखो तुमको कैसा लगता है? 

रीमा वैसे ही करी और बोली: हाऽऽऽऽऽय अंकल अच्छा लग रहा है। 

राजीव: फिर मैं अब चुदाई शुरू करूँ मेरी गुड़िया? 

रीमा: जी अंकल करिए। 

राजीव मुस्कुरा के: क्या शुरू करूँ?

रीमा शर्माकर: : चुदाई ।

अब राजीव मस्त हो गया और उसने चुदाई चालू की और उसकी कमर अब ऊपर नीचे होकर उसे मस्ती से भर रही थी। वह अब भी उसके होंठ चूस रहा था और उसके निपल्ज़ दबा रहा था। उसका पूरा बदन रीमा के बदन के ऊपर था पर वज़न उसने अपनी कुहनियों और घुटने पर के रखा था। उसके बालों से भरे विशाल चूतर ऊपर नीचे होकर रीमा की बुर में मानो आग लगा रहे थे। रानी उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहला रही थी जो कि इस चुदाई के प्रत्यक्ष दर्शी थे।

अब वो चिल्लाने लगी: उइइओइइइइइ उम्म्म्म्म्म्म्म हाऽऽऽऽऽय्यय उइइइइइइइइ ओओओओओओओओओ । और वह अब झड़ने लगी और राजीव भी उसकी टाइट बुर की जकड़न को और बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपक कर अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेने लगे।फिर पूक्क की आवाज़ से उसका लौड़ा बाहर आ गया। रीमा बुरी तरह से थक कर लस्त होकर पड़ी थी। रानी ने उसकी बुर की जाँच की, वहाँ उसे कुछ बूँदें ख़ून की भी वीर्य से सनी हुई दिखी। वह बोली: रीमा , आज तुम्हारी असली चुदाई हुई है , इसके पहले तुम्हारे दोस्त ने बस तुम्हारी बुर का उद्घाटन किया था , चुदाई तो आज ही हुई है। 

रीमा उठी और बाथरूम से आकर बोली: आऽऽह मुझे बात दर्द हो रहा है नीचे में। चला भी नहीं जा रहा । 

रानी: पहली चुदाई में ऐसा होता है। आज घर में बहाना बना देना कि स्कूल में गिर गयी तो पैर में मोच आ गयी है, समझी?

रीमा: जी समझी। वह अब कपड़े पहन रही थी। 

राजीव भी बाथरूम से बाहर आया और बोला: बेटी एक बार और हो जाए?

रीमा: नहीं अंकल मैं तो ऐसे ही दर्द के मारे मरी जा रही हूँ, अब और नहीं। फिर राजीव उसके पास आया और उसके चूतरों को सहलाया और उसकी चुम्मी लेकर बोला: बेटी जब भी चुदाई का मन हो फ़ोन कर देना, मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा, ठीक है? और हाँ एंटी प्रेग्नन्सी पिल्ज़ खा लेना। अभी बहुत छोटी हो अभी से माँ तो नहीं बनना है ना?

रीमा: जी अभी कई दिन तक हिम्मत ही नहीं होगी। आपका यह मोटू इतना दुखाया है कि क्या बोलूँ। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया। फिर बोली:और हाँ , मैं अभी माँ नहीं बनूँगी, मैं वो गोली खा रही हूँ। 
राजीव हँसने लगा। 

रानी उसे नीचे जाकर ऑटो में बिठा आयी और उसके पैसे भी दे दिए।

जब रानी वापस आयी तो उसके हाथ में एक बंडल था। वह बोली: लीजिए शादी के कार्ड छप कर आ गए। अब लड़कियों को चोदना छोड़िए और कार्ड बाँटिये वरना कोई भी शादी में नहीं आएगा। 

राजीव: आह महक की शादी में भी सबसे परेशानी वाला काम यही था और अब शिवा की शादी में भी यही काम सबसे कष्टप्रद है। 

रानी: पर कार्ड तो बाटना ही होगा ना? 

राजीव: हाँ सच है, पर इसमें भी कभी कभी मज़ा मिलता है। कई घरों में अकेली औरतें रहतीं हैं , उनके साथ थोड़ी सी चूहल हो जाती है। और कभी कोई पुराना माल अकेला मिल जाए तो ठुकाई भी हो सकती है। 

रानी: हे भगवान, कमसे काम कार्ड तो सही मन से बाट आओ आप। सब जगह बस एक ही जुगाड़ में रहते हैं, चुदाई की। 

अब दोनों हँसने लगे।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:08 AM

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