बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:11 AM,
#48
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था। 
तभी बाहर से मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राजीव: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। मालिनी ने नोटिस किया कि आज राजीव की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और मालिनी ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया। 

बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या शिवा को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।

उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राजीव की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राजीव में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि मालिनी देख रही है या नहीं। मालिनी की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह शिवा से भी कुछ नहीं कह पा रही थी। 

इधर शिवा की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही मालिनी को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निपल्ज़ को रगड़कर मालिनी को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था। आधे घंटे की चुदाई में मालिनी की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त मालिनी और वो ६९ करते थे। मालिनी ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब शिवा उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में मालिनी को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी। शिवा के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब मालिनी खुल कर चीख़ने भी लगी थी। शिवा उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं। 

जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो मालिनी चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ

शिवा: जान , मज़ा आ रहा है? 

मालिनी: आऽऽऽऽँहह बहुत ।

शिवा: कहाँ मज़ा आ रहा है? 

मालिनी: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।

शिवा: अब क्या करूँ ?

मालिनी: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब मालिनी भी उसके रंग में रंग गयी थी।

उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और शिवा के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। शिवा उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तय्यार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। मालिनी अनुभव कर रही थी कि शिवा चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे। 

जीवन इसी तरह बीत रहा था। मालिनी पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!! 

इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राजीव अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?

बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम। 

मालिनी ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी? 

दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा? 

मालिनी: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ। 

उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। मालिनी घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए? 

एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।

अब मालिनी डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ। 

राजीव की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर मालिनी की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने मालिनी को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राजीव एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए। 
राजीव उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए। 

जब वो वापस आया तब मालिनी जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो? 

मालिनी के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी। 
राजीव ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। मालिनी की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राजीव ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है। 

तभी फिर से घंटी बजी और मालिनी एकदम से डर गयी और राजीव की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राजीव ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है? 

कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ। 

राजीव चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ । 

उधर मालिनी उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राजीव ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो। 

मालिनी अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राजीव की छाती से सटी हुई थी। राजीव को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता? 

मालिनी का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे। 

राजीव ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया? 

मालिनी थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी। 

राजीव उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने? 

मालिनी: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी। 

अब राजीव ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ। 

मालिनी: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं। 

राजीव अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है? 

मालिनी: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी। 

तभी उसका मोबाइल बजा। मालिनी: हाय जी। 

शिवा: जान कैसी हो? 

मालिनी रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।

शिवा: क्या हुआ? 

राजीव ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और शिवा को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक मालिनी को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ। 

शिवा: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:11 AM

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