बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:23 AM,
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा ने आज अलार्म लगाया हुआ था वो मालिनी से भी पहले उठ गया था। उसने अलार्म बंद किया और चुप चाप पड़ा रहा। अपने समय पर मालिनी उठी और बाथरूम से आकर बाहर आयी।

किचन में जाकर वह चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी। शिवा ने खिड़की का पर्दा बहुत थोड़ा सा हटाया और बाहर ड्रॉइंग रूम में झाँकने लगा।

राजीव बाहर आया और आकर मालिनी को अपने से चिपका लिया और उसके होंठ चूमकर बोला: गुड मॉर्निंग माई लव।

मालिनी भी उसके चुम्बन का जवाब दी और बोली: मॉर्निंग पापा। अब राजीव उसे अपने से चिपटाए हुए उसकी कमर सहलाया और फिर उसकी गाँड़ पर हाथ फेरने लग। वो झुक कर उसकी नायटी से बाहर झाँकती चूचियों को चूमने लगा।

शिवा का लण्ड खड़ा हो चुका था। पापा ऐसे बर्ताव कर रहे थे मानो मालिनी उनकी बहू नहीं बीवी हो।

अब वो बैठे और चाय पीते हुए राजीव ने वही पुराना घिसा पिटा प्रश्न किया : रात को शिवा ने चोदा?

(शिवा इस प्रश्न से हैरान रह गया। भला कोई ससुर अपनी बहू से ऐसा पूछ सकता है क्या? उसका लण्ड अब पूरा तन गया था। )

मालिनी: क्या पापा सुबह सुबह मुझे आपको रात की चुदाई की रिपोर्ट देनी होती है ना? हाँ हुई। बस अब ख़ुश।

राजीव: अरे बेटा चिढ़ क्यों रही हो। मैं तो बस इसलिए पूछा ना कि कहीं मेरे सम्बन्धों के कारण तुम उसका ध्यान रख रही हो कि नहीं। बस इतनी सी बात है बेटा।

मालिनी आकर राजीव की गोद में बैठी और उसको चूमकर बोली: पापा मैं आपसे और शिवा से दोनों से प्यार करने लगी हूँ। ठीक है?

राजीव भी उसको चूमा और बोला: ठीक है बेटा। सच तुम बड़े दिल वाली हो।

मालिनी हँसकर : सिर्फ़ बड़े दिल वाली और कुछ बड़ा नहीं है?

राजीव हँसकर : हा हा नहीं ये भी अब काफ़ी बड़े हैं । वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला। फिर पीछे हिप्स को सहलाया और बोला: वैसे ये भी अब फैल रहे हैं बेटा और मस्त बड़े हो रहे हैं।

मालिनी मुस्कुराकर: इन सबको बड़ा करने में आपका बहुत योगदान है पापा। वैसे पापा एक बात बोलूँ आप बहुत मज़ा देते हो।

राजीव: बेटा कल जब तुम आयशा के घर से आयी तो बहुत चुदासि थी। ऐसी ही चुदासि एक बार तुम्हारी सास भी हुई थी । उसने भी मुझे ऐसे ही चोदा था,जैसे कल तुम मुझ पर चढ़ कर चोदी थी।

वो उसकी चूची दबा रहा था। मालिनी उसके गाल को चूमकर बोली: मुझे तो आयशा की कहानी ने गरम कर दिया था। मम्मी जी को किसने गरम कर दिया था?

राजीव उसकी भरी जाँघों को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा: उसकी सहेली ने, उसको अपने देवर से चुदाई की कहानी सुनाई थी। इसीसे वो बहुत गरम हो कर आयी थी और आकर मुझ पर चढ़ी थी। तुम भी अपनी सास पर गयी हो ।

इस पर वो दोनों हँसने लगे।

(शिवा स्तब्ध होकर सुनता रहा कि पापा उससे मम्मी की सेक्स की बातें भी कर रहे हैं, जो अब इस दुनिया में रही ही नहीं। उफफफ क्या बाप है मेरा। बहुत ही कमीना है। वो अपना लंड सहलाते हुए सोचने लगा कि इनकी कमीनगी पर मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है। मैं बल्कि उत्तेजित हुए जा रहा हूँ। )

मालिनी उठी और बोली: पापा अब शिवा को चाय देती हूँ। राजीव ने उसकी गाँड़ सहलायी और बोला: ठीक है बेटा, आज साथ में नहाएँगे। तुमने कहा था कि जल्दी ही नहाओगी। चलो ना आज साथ में नहाते हैं।

मालिनी: अच्छा जी अच्छा। नहा लेंगे। शिवा को जाने तो दीजिए। वैसे भी नहाने के बहाने आप मेरी फाड़ेंगे ही ना और क्या?

राजीव: अरे वो तो फाड़ेंगे ही मेरी जान। ये कहकर वो नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर मसलने लगा

मालिनी: उफफफफ पापा क्या कर रहे हो? छोड़ो । देखो पूरा कपड़ा यहाँ का कैसा हो गया है। शिवा समझ जाएगा कि आपने मसला है।

अब मालिनी किचन में जाकर चाय लेकर शिवा को उठाने आयी।

शिवा वापस बेड पर आकर लेट गया और पीठ के बल लेटा जिससे मालिनी उसका खड़ा लौड़ा लोअर से देख ले।

मालिनी आकर उसके लौड़े को देखी और मुस्कुराकर उसको पकड़ ली और उसको दबाके शिवा को आवाज़ दी: उठो अब, और ये क्या है जब देखो खड़ा रहता है?

शिवा उठा और मुस्कुराया: जिसकी इतनी हसीन बीवी हो उसका खड़ा ही रहेगा ना।

अब वो उसकी बुर की ओर इशारा करके बोला: क्या बात है नायटी बुर के ऊपर बहुत मुड़ी तुड़ि दिख रही है।

मालिनी हड़बड़ाई और बोली: ओह वो कुछ नहीं । लगता है नींद में ज़्यादा खुजा दी हूँगी।

शिवा ने देखा कि कैसे पापा उसकी बुर मसले थे अभी। वो सोचा कि क्या सफ़ाई से झूठ बोलने लगी है।
वो बोला: ओह इतना खुजा रही है। अच्छा चलो आज साथ में नहाते हैं। बहुत दिन हो गए है ना, साथ में नहाए हुए।

मालिनी चौंक कर: ठीक है नहा लेते हैं। वो सोची कि अभी अभी पापा ने भी यही बोला था।
अब शिवा ग़ौर से उसे देखा कि वो सोच में पड़ गयी थी।

वो: मैं फ़्रेश होकर तुमको आवाज़ दूँगा फिर साथ में नहाएँगे।

अब शिवा मालिनी को नहाने का बोलकर बाथरूम में घुसा और जाकर ब्रश करने लगा। खुले दरवाज़े से मालिनी ने देखा कि वो ब्रश कर रहा है।

वो बोली:मैं अभी आयी । वो ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। वहाँ राजीव फ्रिज से पानी की बोतल निकाल रहा था। मालिनी उसको देखकर मुस्कुरायी।

दोनों बाहर ड्रॉइंग रूम में आए।

( शिवा अब झट से उसी खिड़की से आकर झाँका और उनकी बातें सुनने लगा)

वो बोला: क्या बात है मुस्कुरा रही हो?

मालिनी: मैं ये सोचकर हैरान हूँ कि बाप बेटा एकदम एक जैसा कैसे सोचते हैं।

राजीव: मतलब?

मालिनी: पापा वो भी अभी अभी बोले हैं कि उनको अभी मेरे साथ नहाना है। और वो नहाते हुए ठुकाई तो करेंगे ही। इधर अभी अभी आप भी बोले थे कि आपको भी मेरे साथ नहाना है। बताइए बाप बेटा एक जैसे सोचते है ना?

राजीव: मैंने तो नहीं कहा कि मैं तुमको ठोकूँगा।

मालिनी हँसकर : बोले तो शिवा भी नहीं हैं पर वो पक्का ठोकेंगे। और आपको भी जानती हूँ आप भी ठोकोगे ही। अब मुझे दो बार नहाना पड़ेगा और दो बार ही लगवाना भी पड़ेगा।

राजीव हँसकर उसको पकड़ लिया और उसकी क़मर सहलाकर उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी भी उसके चुम्बन का जवाब देते हुए उसकी लूँगी के अंदर हाथ डालकर उसका लण्ड दबाने लगी।

( शिवा हैरान होकर सोचा कि मालिनी को क्या हो गया है? उफफफ कैसी बातें कर रही है मानो कोई रँडी हो)

अब मालिनी बोली: पापा अब छोड़ो । उनका ब्रश हो गया होगा। वो मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे नहाने के लिए।

अब राजीव उसको छोड़ दिया और उसकी गाँड़ दबाकर बोला: जाओ बेटा , शिवा से चुदवाओ और मज़ा लो। मैं भी अपनी बारी का इंतज़ार करूँगा।

मालिनी हँसकर वापस अपने कमरे की ओर चलने लगी। तभी राजीव बोला: बेटा एक मिनट।

मालिनी खड़ी होकर: अब क्या हुआ पापा?

राजीव: बेटा ज़रा गाँड़ मटका कर चलो ना। बहुत दिन से तुम्हारी वो वाली चाल नहीं देखी।

मालिनी: पापा आप भी ना। अच्छा लो देखो।

अब वो अपनी गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से मटका कर चलती हुई अपने कमरे की तरफ़ बढ़ी। उधर राजीव उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या माल है मेरी बहू -ये कहकर अपना लंड दबाने लगा। फिर बोला: बेटा रुको ना।

मालिनी फिर से रुक गयी और बोली: अब क्या हुआ पापा?

राजीव धीरे से बोला: बेटा एक बार नायटी उठाकर गाँड़ दिखा दो ना? प्लीज़। बहुत मन कर रहा है, देखने का।

मालिनी : पापा उफफफ आप बिगड़ते ही जा रहे हो। फिर वो अपनी नायटी उठाई और ऊपर तक उठाकर अपनी गाँड़ दिखाई।

राजीव अपना लंड लूँगी से बाहर निकाला और उसको दबाकर बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त गोरी गाँड़ है। छेद भी दिखा दो ना। प्लीज़

मालिनी मुस्कुराई: लो पापा देखो अपनी बहु की गाँड़। ये कहकर वो अपने चूतरों को दोनों हाथ से फैलायी और उसको अपनी गाँड़ का छेद दिखाई।

राजीव पागल सा होकर अपना लंड दबाने लगा और बोला: उफफफफ क्या माल हो तुम।

मालिनी हँसी और अपनी नायटी नीचे करके अपने कमरे के दरवाज़े को दबाकर अंदर आयी।

( शिवा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ कि मालिनी इतनी बेशर्म हो सकती है। शिवा को लगा कि वो झड़ ना जाए। उफफफ क्या हो रहा है ये हमारे घर में? वो तेज़ी से वहाँ से हटा और जाकर अपने कपड़े निकालने लगा। )

मालिनी अंदर आयी और बोली: अभी भी मूड है क्या मेरे साथ ही नहाने का? या मूड बदल गया।

शिवा: अरे ऐसे कैसे बदल जाएगा। चलो अब नहाते हैं।

मालिनी ने देखा की उसके लोअर में ज़बरदस्त उभार था। वो बोली: आपका इतना ज़ोर से खड़ा क्यों है?

शिवा उसको लिपटा कर: जान तुम हॉट चीज़ हो ना। वो अपना लण्ड पकड़कर बोला: सच में अभी ज़बरदस्त मूड है चुदाई का।

अब मालिनी ने अपनी नायटी उतारी और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी । उधर शिवा ने भी अपना लोअर और टी शर्ट उतारा और नंगा ही अपना मोटा लम्बा लंड झुलाते हुए बाथरूम में मालिनी के साथ घुस गया। अब मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर शॉवर चालू किया। दोनों के होंठ चिपके हुए थे और वो भीग रहे थे। शिवा सोचा कि ये अभी पापा से भी ऐसे चिपक के किस्स कर रही थी।अब उसने उसकी ब्रा का हुक निकाला और उसकी मोटी छातियों को क़ैद से आज़ाद कर दिया। वो उसकी गोलाइयों को पानी से भीगा देख रहा था और दिर उनको दबाकर मस्ती से बोला: उफफफ क्या मस्त हैं तुम्हारी चूचियाँ । काफ़ी बड़ी हो गयी हैं । गदरा रही है तुम्हारी जवानी। फिर वो उसके चूतरों को दबाके बोला: आऽऽहहह ये भी तो मस्त बड़े हुए जा रहे हैं। तुम्हारी जवानी का निखार बढ़ता ही जा रहा है मेरी जान।

मालिनी चौंकी कि आज क्या हो रहा है ? ये शिवा भी ना आज सब कुछ वही बोल रहा है जो पापा अभी बोले हैं। ये क्या हो रहा है?

शिवा मन ही मन सोचा कि मालिनी काफ़ी सोच में पड़ रही है। वो जानबुझकर वही बात बोल रहा था जो पापा बोले थे।

अब वो मालिनी के कंधे पर साबुन लगाने लगा। फिर वो उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाया और मालिनी की आऽऽह निकलने लगी। फिर वो उसके पेट और नाभि के छेद से होकर उसकी जाँघों तक पहुँचा और फिर एक स्टूल पर बैठा और उसकी पिंडलियां और पैर पर साबुन लगाया। अब वो उसकी बुर को साबुन लगाया मालिनी सीइइइइइइइ कर उठी। शिवा अब फिर खड़ा होकर उसकी पीठ और पिछले हिस्से को साबुन लगाकर उसके चूतरों को भी साबुन लगाया। अब वो उसकी गाँड़ की दरार में साबुन लगाया। मालिनी की आह निकल जाती थी। उफ़ क्या मर्दाना हाथ है वो सोची।

अब शिवा बोला: अब तुम लगाओ ना जान साबुन मेरे बदन में। मालिनी मुस्कुराई और साबुन लेकर उसके छाती से शुरू किया । फिर वहाँ से होते हुए वो नीचे आकर उसके पेट से होकर उसकी जाँघों से होकर फिर नीचे पैरों तक होकर वापस उसके लण्ड और बॉल्ज़ को साबुन लगायी। लंड तो उसके हाथ की छुअन से और भी कड़ा हो चुका था। फिर वो भी पीठ और गाँड़ में साबुन लगायी। आख़िर में दोनों ने एक दूसरे के मुँह पर भी साबुन लगाया। शिवा ने उसको अपने से चिपकाया और शॉवर चालू किया। अब दोनों एक दूसरे का साबुन साफ़ किया । थोड़ी देर बाद शिवा मालिनी को बोला: आऽऽह अब चुदवा लो जानू। वो उसकी चूचियाँ दबाके चूसता हुआ बोला। अब तक मालिनी भी गरम हो चुकी थी। वो बोली: आऽऽऽह यहाँ चोदोगे या बेडरूम में?

शिवा उसे आगे झुकाया और वो दीवाल के सहारे आगे को झुकी और शिवा पीछे आंके उसकी गाँड़ और बुर को सहलाया। उसने २ ऊँगली डालकर बुर को गीला किया और फिर अपना लंड उसकी बुर में डाला और उसे पीछे से चोदने लगा। वह उसकी चूचियाँ दबाकर उसकी बुर में ज़बरदस्त धक्के लगा रहा था। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ पीछे दबाकर अपनी बुर को उसके लण्ड पर दबाने लगी। अब चुदाई पूरे ज़ोरों पर थी और मालिनी की बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। शिवा उसकी चूचियों और निपल्ज़ को मसल कर उसे मस्त कर रहा था। वो अब चिल्लाकर चुदवा रही थी और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ मैं गयीइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।
शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽह कहकर झड़ने लगा और अपना रस उसकी बुर में डाल दिया। अब दोनों हाँफते हुए शॉवर के नीचे खड़े हुए। मालिनी ने साबुन से उसका लंड साफ़ किया और शिवा ने भी उसकी बुर जाँघ और गाँड़ में साबुन लगा कर सफ़ाई की। फिर एक दूसरे के होंठ चूसकर दोनों अलग हुए और तौलिए से अपना अपना बदन पोंछे। फिर मालिनी तय्यार होकर बाहर आइ और किचन में काम करने लगी। अब तक बाई भी आ गयी थी।



शिवा भी तय्यार होकर बाहर आया और नाश्ता किया और कनख़ियों से देखता रहा कि ससुर और बहु में क्या चल रहा है? राजीव बीच बीच में मालिनी को घूरता था और कुछ नहीं हुआ।

शिवा सोच रहा था कि मेरे जाने के बाद आज ये दोनों साथ ही नहाएँगे और चुदाई भी करेंगे। तभी मालिनी ने बाई को कहा: ज़रा बाज़ार से आलू और सब्ज़ियाँ ले आओ। ख़त्म हो गए हैं। वो चली गयी। शिवा सोचा कि ये अब अकेले होंगे थोड़ी देर के लिए तो क्या बातें करेंगे? वो एक प्लान बनाया। वो अपने कमरे का वो दरवाज़ा जो की बरामदे को ओर खुलता था उसे खोला।
फिर दुकान के लिए निकलने का नाटक किया। अब वह छत पर गया और वहाँ रखी एक सीढ़ी से चुपचाप नीचे वारंडे में आया और खुले दरवाज़े से धीरे से झाँका । उसका कमरा ख़ाली था। वो चुपचाप उसी खिड़क़ी से पर्दा हटाकर झाँका। अंदर का दृश्य बहुत ज़्यादा ही कामुक था।

राजीव सोफ़े पर बैठा था और मालिनी उसकी गोद में बैठ कर चुम्बन दे रही थी।

मालिनी: पापा कल रात से पीछे खुजा सी रही है।

राजीव: अच्छा दिखाओ कहीं कोई इन्फ़ेक्शन तो नहीं हो गया?

मालिनी उठी और बेशर्मी से साड़ी उठाकर अपनी गाँड़ उसको दिखाई और बोली: पापा देख लो। सच बहुत खुजा रही है।

राजीव ने उसके चूतरों को फैलाया और गाँड़ की अच्छे से जाँच की और बोला: बेटा यहाँ सब ठीक दिख रहा है।

मालिनी: पापा फिर भी खुजा रही है। आप थोड़ा सा खुजा दो ना।

राजीव मुस्कुराया और उसकी गाँड़ के छेद को खुजाया और फिर अपनी ऊँगली में थूक लगाकर उसकी गाँड़ में डाल दिया।

मालिनी: आऽऽऽऽह पापाआऽऽऽ अच्छा लगाआऽऽऽऽ।

राजीव : ओह अब समझा। बेटा तुमको गाँड़ में नक़ली लंड डलवाने की इच्छा हो रही है। एक काम करो वहाँ दीवान पर लेटो और मैं अभी लंड लाकर तुम्हारी गाँड़ में डालता हूँ। तुमको अच्छा लगेगा। वैसे बाई को वापस आने में १५ मिनट तो लगेंगे ना?

मालिनी: हाँ पापा इतना टाइम तो लगेगा ही। आप ले आओ।

राजीव अपने कमरे में गया और मालिनी दीवान पर पेट के बल लेटी और साड़ी और पेटिकोट कमर से ऊपर तक उठा लिया।

शिवा सोचने लगा कि ये लड़की तो रँडी को भी मात दे रही है। पर ये हो क्या रहा है? उसे समझ में नहीं आ रहा था।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:23 AM

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