बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:24 AM,
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
तभी राजीव एक बॉक्स लेकर आया और दीवान पर बैठा और उसके चूतरों को जी भर कर दबाया और चूमा।फिर वो उसके गाँड़ के भूरे छेद को सहलाया। फिर उसने एक पतला सा नक़ली लंड निकाला और उसमें जेल मला और फिर मालिनी की गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगा।

राजीव: बेटा अब तो ये नहीं दुखता ना?

मालिनी: आऽऽह नहीं पापा। अब ठीक लगता है। हाऽऽयययय।

राजीव ने अपनी लूँगी निकाली और मालिनी को बोला: बेटा मेरे लौड़ा सहला दे ना प्लीज़। बहुत गरम हो गया हूँ तेरी मस्तानी गाँड़ देखकर। वो उसके लौंडे को पकड़कर सहलाने लगी।

राजीव ने अब नम्बर २ का लण्ड डाला और उसे हिलाने लगा और पूछा: बेटा ये कैसा लग रहा है?

मालिनी: पापा आऽऽऽऽह ये थोड़ा सा दुखा था पर अब अच्छा लग रहा है। उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ।

क़रीब ५ मिनट के बाद अब राजीव नम्बर ३ वाला लम्बा और थोड़ा मोटा लंड डाला और मालिनी : आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽपा दर्द कर रहाआऽऽऽऽ है।

राजीव: बस बेटा थोड़ी देर बस, फिर मज़ा आएगा। वो हिलाते जा रहा था।

मालिनी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा अब अच्छा लगाआऽऽऽऽऽऽ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है । हाऽऽऽऽय्य उम्म्म्म्म्म्म कहकर वो अपनी गाँड़ उछालने लगी। अब वो बोली: पापा प्लीज़ बुर में ऊँगली डालो नाआऽऽऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽहहह बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है पाआऽऽऽऽऽपा।

शिवा आँखें फाड़े देख रहा था कि पापा उसकी गाँड़ में मोटा नक़ली लंड भी डालकर हिला रहे थे और एक हाथ उसकी बुर में भी घुसा कर उसकी बुर में उँगलियाँ कर रहे थे। मालिनी भी उनके लंड को दबाकर आऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽपा। उम्म्म्म्म्म मैं गयीइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।

शिवा भी अपना लंड दबाकर पागल हुए जा रहा था ।

अब राजीव बोला : बेटा मज़ा आया? मेरे ख़याल से तुम्हारी गाँड़ इसके लिए ही खुजा रही थी। फिर उसने नक़ली लंड निकाला और कहा: देखो क्या मस्त फैल गयी है तुम्हारी गाँड़? अब बस एक इससे मोटा वाला ले लोगी कल तो तय्यार हो जाओगी गाँड़ मरवाने के लिए।

इसके बाद जो मालिनी ने कहा उसको सुनकर शिवा अपने लंड का माल अपने रुमाल में गिरा बैठा। वो अपना हाथ अपनी गाँड़ में ले जाकर छेद में ऊँगली फेरकर बोली: हाँ पापा ये तो बहुत बड़ा हो गया। अब आप मेरी गाँड़ की सील तोड़ दो। बुर की सील शिवा ने तोड़ी और गाँड़ की आप तोड़ दो।

शिवा सोचा कि उफफफफ ये लड़की क्या से क्या बन गयी है। पापा ने तो इसको पक्की रँडी बना दिया है।

तभी घंटी बजी, राजीव: लगता है बाई आ गयी। मैं जाता हूँ। तुम दरवाज़ा खोल दो।

मालिनी ने अपनी साड़ी नीचे की और दरवाज़ा खोलने गयी। राजीव समान लेकर अपने कमरे में चला गया। शिवा भी बाहर आया और ऊपर चढ़ कर सीढ़ी को ऊपर खिंचा और चुपचाप बाहर चला गया। वो दुकान जाते समय मोबाइल से आयशा को फ़ोन किया और उसको सब आज की बातें बताया।

आयशा: हम्म मतलब ससुर और बहु पूरा मज़ा ले रहे है।

शिवा: उफफक मैं क्या बताऊँ? मेरे पास शब्द नहीं हैं ।

आयशा: आपको ग़ुस्सा आया। या उत्तेजना हुई?

शिवा: सच कहूँ तो मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मैंने मूठ्ठ भी मार ली ।

आयशा हँसकर बोली: आह और मेरा नुक़सान करा दिया ।

दोनों हँसने लगे।

आयशा: मैं आज उसको २ बजे फ़ोन करूँगी। अगर वो उत्तेजित होगी तो आज भी मिलने आएगी। उसे आगे की कहानी सुननी है।

शिवा: वो तो मुझे भी सुननी है।

आयशा: ठीक है आपको भी सुना दूँगी। अच्छा कुछ काम बना तो बताऊँगी। बाई ।

शिवा भी फ़ोन काटकर सोचते हुए दुकान पहुँचा। उसे पता था कि शायद आज पापा और मालिनी साथ ही नहाएँगे और चुदाई भी होगी। वो सोचा कि काश वो ये देख पाता ।

उधर आज भी राकेश १० बजे सबके जाने के बाद सरला के पास आके बैठा और उसकी जाँघ सहलाकर बोला: मम्मी आप बहुत थक जाती हो ना? मेरी नौकरी लगने दो आपको महारानी बना कर रखूँगा । नौकर ही घर का काम करेंगे ।

सरला: तू बहु ले आना, तो मुझे आराम मिल जाएगा।

राकेश: मम्मी फिर वही बात? मुझे शादी करनी ही नहीं। मेरी तो आप ही दुल्हन हो । वो उसकी गोद में लेट कर उसकी चूची साड़ी के पल्लू को गिराकर ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगा।

सरला उसके गाल चुमी और बोली: आह्ह्ह्ह्ह तेरी यही बातें तो मेरी सारी थकान उतार देतीं हैं बेटा। फिर दोनों एक मादक चुम्बन में लीन हो गए। सरला जानती थी कि वो अब उसे बिना चोदे छोड़ेगा नहीं। उसकी बुर भी पनियाने लगी और उसने पैंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और दबाकर मस्त होने लगी।

उधर श्याम को चैन नहीं था। वो बार बार ये सोचता कि सरला और राकेश ग़लत कर रहे है। आख़िर वो सोचा कि कम से कम राजीव को तो वो ये बता ही सकता है। वो राजीव को फ़ोन किया ।

राजीव: हेलो श्याम कैसे हो भाई बड़े दिन बाद फ़ोन किया ।
मालिनी इस समय बाई के साथ किचन में थी।

श्याम: भाई बात ही कुछ ऐसी है। आपसे सलाह करनी थी।

राजीव: हाँ हाँ बोलो।

श्याम: वो क्या है ना कि अब कैसे बोलूँ ? बड़ा अजीब लग रहा है।

राजीव: अरे बोलो यार । सरला के बारे में है क्या?

श्याम: हाँ मगर आपको कैसे पता?

राजीव: यार वो माल है ही ऐसी कि उसके पीछे कोई ना कोई पड़ा ही रहेगा। बोलो क्या हुआ?

श्याम: यार इस बार तो इसने हद कर दी। जानते हो आजकल अपने बेटे से चुदवा रही है। उसे और राकेश को मैंने चुदाई करते देखा है।

राजीव थोड़ा सा चौंका फिर बोला: ओह तो ये बात है। देखो भाई मैं इसे ग़लत नहीं मानता। वो एक मस्त सेक्सी औरत है जिसे भरपूर चुदाई चाहिए। वो उसे राकेश या शायद शिवा ही दे सकते हैं। अब तुम उसका उतना ख़याल तो रख नहीं पाते। इसलिए वो अगर राकेश से चुदवा रही है तो तुमको बुरा नहीं लगना चाहिए।

श्याम: ओह आप ऐसा सोचते हो? मतलब वो अगर शिवा से भी चुदवा ले तो आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?

राजीव मन में सोचा कि वो तो शिवा से चुदवा ही चुकी है। फिर बोला: नहीं मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। अच्छा ये बताओ कि उसने तुमसे चुदवाने से कभी मना किया क्या?

श्याम: नहीं कभी नहीं। वो तो बीचारी महवारी में भी गाँड़ मरवा लेती है । इस मामले में कभी कोई शिकायत का मौक़ा नहीं दी।

राजीव: फिर क्या समस्या है? तुम भी चोदो और राकेश को भी चोदने दो। दोनों मज़ा लो उससे । एक बात बोलूँ चुदाई में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं होती। चुदाई औरत और आदमी के बीच होती है बस ।

श्याम: इसका मतलब है कि आप भी अपनी बहु से ये सब कर सकते हो?

राजीव मन ही मन हँसा और बोला: हाँ अगर बहु को ऐतराज़ नहीं हो तो? वैसे मैं बेटी महक से भी कर सकता हूँ अगर उसे ऐतराज़ ना हो तो।

श्याम: ओह बड़ी विचित्र सोच है आपकी? अच्छा रखता हूँ।

श्याम सोचने लगा कि मेरी भी तो दो बेटियाँ हैं तो क्या मैं उनके साथ सम्बंध बना लूँ? ये तो बड़ी ही फ़ालतू सी बात लगती है।

उधर मालिनी बाई को घर भेजकर राजीव के कमरे में गयी । अभी दिन के १२:३० बजे थे। राजीव कुर्सी पर बैठ कर उसका ही इंतज़ार कर रहा था। वो अब तक नहाया नहीं था।


राजीव अपने कमरे ने बिना नहाए मालिनी के आने का इंतज़ार कर रहा था। मालिनी आयी और बोली: पापा आप अभी तक नहाए नहीं?

राजीव: बेटा आज तो तुम्हारे साथ ही नहाने का तय था ना।

मालिनी: पापा मैं तो एक बार शिवा के साथ नहा ली हूँ ना।

राजीव: मेरे साथ भी नहा लो। क्या फ़र्क़ पड़ता है।

मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप बोलो। वैसे हम कल भी साथ नहा सकते हैं।

राजीव: कोई बात नहीं बेटा कल ही साथ नहा लेंगे। तो फिर मैं नहा लेता हूँ।

मालिनी: ठीक है पापा आप नहाओ , मैं थोड़ी देर में आती हूँ।

राजीव नहाने चला गया और मालिनी किचन में काम निपटाने लगी।

राजीव नहा कर तय्यार होकर आया और मालिनी को बोला: बेटा मैं ज़रा बैंक का कुछ काम निपटा कर आता हूँ।

मालिनी : ठीक है पापा।

राजीव के जाने के बाद मालिनी घर के काम निपटा रही थी तभी आयशा का फ़ोन आया: हाय कैसी हो?

मालिनी: ठीक हूँ। आप कैसी हो? मैं आपको फ़ोन करने ही वाली थी।

आयशा: किस लिए।

मालिनी: बस ऐसे ही। वैसे भी कल बात आधी रह गयी थी ना।

आयशा शरारत से हँसी: कैसी बात?

मालिनी भी हँसी: अरे वही आपकी शादी की बात जो आप बता रही थीं ।

आयशा: ओह वो बात? तो उसके लिए तो तुम कल आने वाली थी ना।

मालिनी: अरे मैं आज भी फ़्री हूँ। आप बोलो तो चार बजे आ जाऊँ?

आयशा: तुम्हारा ससुर तुमको आने देगा?

मालिनी: वो क्यों रोकेंगे? उनका काम करके ही आऊँगी ना।
इस पर दोनों हँसने लगे। आयशा बोली कि वह उसका इंतज़ार करेगी। फिर आयशा ने शिवा को फ़ोन किया और बताया कि मालिनी आएगी । तो वो फिर से बात सुनने की विनती किया और आयशा ने मान लिया।

मालिनी आयशा से मिलने का सोचकर थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी। ख़ैर थोड़ी देर बाद राजीव वापस आया और अपने हाथ में एक मिठाई का डिब्बा लाया था। वो राजीव के पीछे पीछे उसके कमरे में गयी और पूछी: पापा क्या लाए हैं?

राजीव: तुम्हारे लिए मलाई रबड़ी लाया हूँ।
मालिनी ख़ुशी से बोली: पापा ये तो मेरी मनपसंद मिठाई है।

राजीव उसको अपनी बाँह में खींचकर बोला: बेटा तभी तो लाया हूँ अपनी मीठी गुड़िया के लिए। वैसे बाई गयी क्या? मालिनी ने हाँ में सिर हिलाया। अब वह मालिनी के होंठ चूमने लगा। मालिनी भी उससे चिपट गयी। राजीव के हाथ उसके पीठ को दबा रहे थे। वो ब्लाउस के नीचे से उसकी चिकनी कमर को सहला रहा था। अब वो उसके मोटे चूतरों को पकड़कर अपने से चिपका लिया और मालिनी अपने बुर का हिस्सा उसके पैंट के सामने भाग से चिपका कर मस्त होकर उसके होंठ चूसने लगी। अब वो मालिनी की साड़ी खोलकर उसका ब्लाउस भी निकाला और अब ब्रा में क़ैद मालिनी के चूचों को वो दबाने लगा। अब उसने ब्रा भी निकाली और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और उसको पूरी नंगी करके मज़े से उसने नंगे बदन पर हाथ फेरने लगा।

मालिनी बिस्तर पर लेटी और वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। अब वो उसके बग़ल में लेटकर उसकी चूचियाँ सहलाया और निपल को ऐंठ कर उसे मस्त कर दिया । फिर बहुत देर तक चूमा चाटी होती रही। वो: ६९ का मूड है?

मालिनी: ठीक है पापा। वो ये कहकर उसके ऊपर आने लगी।

राजीव: रुको एक मिनट। फिर वो मिठाई लाया और उसकी चूचियों में मलने लगा और फिर उसकी जाँघों ,पेट,चूतरों , गाँड़ और बुर के ऊपर भी मलाई को मला। फिर वो मालिनी से भी यही करने को कहा। मालिनी हँसी और मलाई को उसकी छाती उसकी जाँघों और चूतरों पर मलने के बाद वह उसके लौड़े और बॉल्ज़ पर भी मली । अब राजीव उसकी चूचियों के ऊपर से मलाई चाटने लगा। मालिनी सी सी कर उठी। अब वो उसके पेट और जाँघों से भी मलाई चाटा। इस तरह वो उसके चूतरों की भी मलाई चाटा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। वो गाँड़ और बुर को छोड़कर सब जगह की मलाई चाट चुका था।

अब वो मालिनी से बोला: बेटा अब तुम चाटो पर लौड़े के आसपास को छोड़ देना। अब वो। भी उसकी छाती पेट जाँघें चाटी और बोली: पापा मलाई बड़ी स्वाद है। इसको ऐसे भी खाते हैं मुझे तो पता ही नहीं था। अब सिर्फ़ लंड के ऊपर और बॉल्ज़ के आसपास की मलाई बची हुई थी। अब राजीव बोला: बेटा चलो ऊपर आ जाओ,६९ की पोजीसन में । वो उलटी होकर अपनी गाँड़ को उसके मुँह के ऊपर रखी और ख़ुद अपना मुँह उसके लंड पर रखी और उसके लंड पर लगी मलाई चाटने लगी। फिर वो उसके बॉल्ज़ और नीचे होकर उसकी बालों से भरी गाँड़ भी बड़े प्यार से चाटी। उधर राजीव भी अपना मुँह उसकी बुर में डालकर उसकी मलाई चाटा और फिर उसकी गाँड़ भी चाटा। अब वो दोनों पूरी तरह से ओरल सेक्स में लग गए। मालिनी की बुर में जिस तरह से जीभ डालकर वो उसे मस्त कर रहा था मालिनी को लगा वो झड़ जाएगी। वो उठकर बैठी और सीधी होकर उसके लंड को पकड़कर अपनी बुर ने घुसा ली और उसके ऊपर चिल्ला कर: उम्म्म्म्म आऽऽऽऽऽऽह हाऽऽऽय्य मरीइइइइइइ कहकर उसको चोदने लगी। अब राजीव भी उसकी चूचियाँ मसल कर नीचे से अपनी कमर उछालकर उसकी मस्ती को दुगुना करने लगा। अब मालिनी: आऽऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी। राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह कहकर झड़ने लगा। अब दोनों लस्त होकर पड़े हुए थे तो मालिनी बोली: पापा मलाई रबड़ी इतनी स्वाद कभी नहीं लगी जितनी आपके लंड के ऊपर से चाट कर लगी थी। राजीव हँसकर: हाँ मुझे भी तुम्हारी गाँड़ और बुर में इतना मीठा स्वाद कभी नहीं आया। अब वो दोनों हँसने लगे। 

अब मालिनी ने उसको चूमते हुए कहा: पापा आज मैं फिर आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव : अरे क्यों अब क्या हो गया?

मालिनी ने सफ़ाई से झूठ बोला: पापा वो आज और अपने कुछ प्रॉडक्ट्स दिखाएगी। बस मैं चार बजे जाऊँगी और एक घंटे में ही आ जाऊँगी।

राजीव: ठीक है बेटा जाओ। वैसे इस आयशा के मम्मे काफ़ी बड़े हैं जैसे तुम्हारी माँ के हैं। एक बार चुदवा दो ना उसको?

मालिनी: पापा आप भी ना, बस अब फ़ालतू बातें मत करिए।

शाम को मालिनी आयशा के घर पहुँची। आज आयशा ने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था। मालिनी साड़ी ब्लाउस में थी। दोनों गले मिलीं। आयशा चाय बनाकर लायी और तबतक मालिनी आयशा के द्वारा दी हुई एक एल्बम की तस्वीरें देख रही थी। कोई उन तस्वीरों को देख कर सोच भी नहीं सकता था कि इतनी अजीब फ़ैमिली है। तस्वीरों में असलम और आयशा थे और उसके ससुर सास और देवर भी था। सब बड़े ख़ुश दिख रहे थे। कुछ तस्वीरें तो पहाड़ों की थीं जहाँ पूरा परिवार मस्ती से घूम रहा था। कौन कह सकता है कि ये परिवार रिश्तों में चुदाई में विश्वास करते हैं।

आयशा चाय लायी और दोनों चाय पीने लगे। आयशा ने पहले ही फ़ोन कनेक्ट कर दिया था शिवा के फ़ोन से । थोड़ी देर इधर उधर की बातें की और फिर आयशा बोली: अभी ससुर से चुदवा के आयी हो क्या?

मालिनी: हाँ और क्या? जवान बहु को छोड़ेंगे थोड़ी ना? आज तो उन्होंने स्पेशल चुदाई की। मलाई रबड़ी वाली चुदाई। फिर वो विस्तार से उसको आज की चुदाई का क़िस्सा सुनाई। आयशा मस्त होकर बोली: तेरे ससुर भी मेरे ससुर की तरह नयी नयी आसान और तरीक़े खोजते हैं।
( उधर शिवा उसके मुँह से ये सब सुन कर वो मस्ती से भर गया। उफफफ पापा भी क्या क्या आयडिया लगाते हैं।मलाई रबड़ी लगाकर ।उफफफफ )

मालिनी: अच्छा ये सब छोड़ो और उस दिन जब आपको आपकी अम्मी असलम के घर लेकर गयी तो क्या हुआ वहाँ विस्तार से बताओ।

आयशा हँसकर उसका हाथ पकड़ कर सहलाती हुई बोलने लगी: ठीक है सुनो-------////////----

अम्मी मुझे लेकर अपने चचेरे भाई के यहाँ पहुँची। वो असलम के अब्बा थे। दोनों भाई बहन गले मिले। मुझे लगा कि दोनों ज़रा ज़्यादा देर ही आपस में चिपके थे। फिर अलग हुए और उन्होंने मेरे सामने ही कहा: भाई जान ये मेरी बेटी आयशा है और में इसके लिए असलम का हाथ माँगने आयी हूँ।

असलम के अब्बा जिनका नाम वाहिद है मुझे घूरते हुए बोले: हाँ हाँ क्यों नहीं ? ये तो बहुत प्यारी बच्ची है । इसकी और असलम की जोड़ी ख़ूब सही रहेगी।
वो मेरी छातियों को घूरे जा रहे थे। फिर उन्होंने असलम को आवाज़ दी और मैंने उसे पहली बार देखा। वो बहुत सुन्दर थे और थोड़े दुबले पतले थे। असलम के अब्बा बोले: बेटा ये आयशा है। इनकी अम्माँ इसका रिश्ता तुम्हारे लिए लाई है। बोलो पसंद है? ये शर्मा कर बोले: जी अब्बा पसंद है। ये भी मेरे बदन और ख़ासकर चूचियाँ देख कर बोले थे।
असलम की अम्मी उसकी सौतेलि माँ थी। वो बोली: हाँ इनकी जोड़ी मस्त जमेगी। उनका नाम सलमा था। तभी एक लड़का समोसे लेकर आया । वो अजमल था। सलमा का बेटा और असलम का सौतेला भाई। वो मेरी उम्र का ही था।

अम्मी तो पूरी तैयारी से आयी थी। वो बोली: आज सगाई कर देते हैं। क्या कहते हो भाई जान?

वाहिद: हाँ हाँ क्यों नहीं? सलमा चलो सगाई की तैयारी करो । शाम को कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुला लो और फिर सगाई कर देते हैं । पर इसके अब्बा तो आ ही नहीं पाएँगे?

अम्मी: कोई बात नहीं है। उनको बहुत काम था। शादी का पूरा इंतज़ाम तो वही करेंगे। अब हम सब बैठकर समोसा खाते हुए बातें करने लगे। फिर दोपहर का खाना खाकर सलमा मुझे लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आइ और वहाँ असलम और अजमल आए। अब हम तीनों बातें करने लगे। अजमल तो मुझे भाभी भी बोलने लगा। असलम की आँखें बार बार मेरी बड़ी चूचियों पर चली जाती थीं । मेरी आँख भी असलम के पैंट के उभार को देखी क्योंकि वहाँ एक ज़बरदस्त उभार बन गया था। असलम और उसका भाई वहीं एक बिस्तर पर लेट गए और मैं कुर्सी पर बैठी थी।

तभी मुझे पिशाब लगी और मैं पूछी: बाथरूम कहाँ है? अजमल मुझे लेकर दो कमरे पार किया और एक कॉमन बाथरूम में ले गया। मैं उसे थैंक्स कहकर अंदर गयी।

जब मैं बाहर आयी तो देखी कि अजमल वहाँ नहीं था। मैं धीरे धीरे उस कमरे की ओर जाने लगी जहाँ से आयी थी। तभी एक कमरे के सामने मुझे कुछ सिसकियों की आवाज़ें आयीं। मैं रुकी और खिड़की के पास जाकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँकी तो मेरा सिर ही घूम गया। अंदर मेरी अम्मी और असलम के अब्बा बिस्तर पर चिपके हुए लेटे थे। अम्मी की ब्लाउस के हुक खुले हुए थे और मेरे होने वाले ससुर उसमें मुँह डालकर मेरी अम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे। उन्होंने चूचियाँ ब्रा से बाहर निकाल रखी थी।

अम्मी सीइइइइइइइ उइइइइइइ कहे जा रही थी। अब ससुर ने अपना पजामा निकाला और वो चड्डी नहीं पहने थे। उफफफ क्या काला सा बहुत मोटा लंड था। मेरे अब्बा से भी ज़्यादा ही मोटा और लम्बा था। अम्मी बड़े प्यार से उनका लंड पकड़ी और सहलाने लगी और बोली: उफफफ कितना मिस करती हूँ इसको। आऽऽऽहहह कितना गरम है । इसको अंदर डालिए भाई जान बहुत दिन हो गए इसको लिए हुए।

ससुर: सच में मैं भी तुम्हारी बुर को बहुत याद करता हूँ। वो अम्मी की साड़ी उठाकर उनकी जाँघें सहलाते हुए अम्मी की बुर सहलाने लगे। अम्मी पैंटी नहीं पहनती थीं। अब वो उठे और अम्मी को बोले: लौड़ा चूसोगी नहीं क्या?
अम्मी किसी भूक़े की तरह उनके लौड़े पर टूट पड़ी और उसे चूसने लगी। ससुर: आऽऽऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह को अपने लंड पर दबाने लगे। फिर वो बोले: चलो अब चोदता हूँ। अम्मी ने लौड़े से मुँह हटाया और सीधे लेट गयीं और अपने घुटने मोड़ कर अपनी जाँघें फैला दीं। ससुर उसमें अपना मुँह डाले और थोड़ी देर बुर चूसे और अम्मी की सिसकियाँ मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। अब वो अपना लंड अम्मी की बुर में डाले और उनको बेतहाशा चोदने लगे। अब अम्मी भी उइइइइइइ आऽऽऽहहह करने चुदवाने लगी। क़रीब आधे घंटे की रगड़ाई के बाद वो दोनों शांत हुए। मेरी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। अब अम्मी को चूमकर वो बोले: आह बहुत दिन बाद मिली तुम। पिछली बार हमारी चुदाई तुम्हारे घर में हुई थी एक साल हो गए उस बात को।

अम्मी: हाँ आपने मुझे और आयशा के अब्बा ने सलमा भाभी को चोदा था। ये तो अब भी सलमा को याद करते हैं।

मैं सन्न रह गयी कि मेरी सास भी मेरे अब्बा से चुदवा चुकी है।

ससुर: वैसे आयशा भी मस्त जवान हो गयी है। क्या छातियाँ है उसकी , बिलकुल तुम पर ही गयी हैं। वो अम्मी की छातियाँ दबाकर बोले।
अम्मी: इसलिए तो मैं उसकी शादी कर रही हूँ। कहीं बाहर वालों के चक्कर में ना पड़े और शादी के बाद उसका शौहर उसका ख़याल रखे।

ससुर आँख मारकर: हाँ हाँ क्यों नहीं असलम भी रखेगा और हम भी रखेंगे।

अम्मी: पहले असलम को अच्छे से सुहागरत और हनीमून मना लेने देना। फिर आप उसको जो करना है , बाद में ही करना। यह नहीं कि दोनों बेटा और बाप पहले दिन से ही उस पर टूट पड़ो।

ससुर अम्मी की जाँघ सहलाकर: अरे ऐसा ही होगा। पहले असलम से तो ठीक से काम बना ले वो। हम बाद में अपना काम बना लेंगे। अब बच्ची को कोई डराना थोड़े ही है।

मैं हैरानी से सुन रही थी किमेरा इस घर में क्या होने वाला है और वो भी अम्मी की मर्ज़ी से ।

तभी सलमा अंदर आयी और बोली: अगर आप लोगों का हो गया हो तो चलो शाम की सगाई की तय्यारियाँ कर लें?

वो दोनों हँसे और बाथरूम से फ़्रेश होकर सलमा के सामने ही कपड़े पहने और फिर बाहर निकल गए। मैं भी वापस असलम और अजमल के वापस आयी। वहाँ वो दोनों सो गए थे। खाना खाकर लेटे थे सो शायद नींद आ गयी। मैं बाहर आके बड़े हाल में गयी तो वहाँ ससुर और सास और अम्मी थे। वो सगाई की थाल सज़ा रहे थे। मुझे देखकर ससुर बोले: आओ बेटा मेरे पास आओ और यहाँ बैठो। मैं उनके पास बैठ गयी और वो मुझसे स्कूल की और मेरे शौक़ वगेरा की बातें करने लगे। मैंने देखा कि बात करते करते वो मेरी चूचियों को घूरने लगते और मेरी सलवार में से मेरी जाँघों की शायद गोलाइयों का अन्दाज़ लगा रहे थे। मेरी आँखें भी उनकी पजामा में से उनके उभार की ओर चली जाती थी।

शाम हुई और हमारी सगाई भी हो गयी। अब जब हम घर जाने के लिए निकले तो पूरा परिवार हम माँ बेटी तो छोड़ने बाहर तक आया। दरवाज़ा छोटा सा था। सबके साथ होने के कारण भीड़ सी हो गयी थी। तभी मैं जब बाहर निकल रही थी तो मैंने महसूस किया कि एक हथेली मेरे एक चूतर को दबोच कर दबा रही है। मैं उफफफ करके पीछे मुड़ी और मेरे ससुर की नज़र मुझसे मिली। वो मुस्कुरा रहे थे और चूतर दबाए जा रहे थे। मैं जल्दी से बाहर आयी और वो मेरी चूतर से हाथ हटा दिए ।

मैं ऑटो में बैठ कर सोची कि क्या ससुराल है जहाँ ससुर ज़्यादा बेताब है दूल्हे से ,दुल्हन की लेने के लिए।

शिवा अबतक बहुत उत्तेजित हो चुका था , फ़ोन पर ये सब सुनकर। उधर मालिनी का हाथ साड़ी के ऊपर से अपनी बुर पर जा चुका था।
आयशा ने मालिनी की हालत देखी और मुस्कुराकर उसकी बुर को दबाकर बोली: कुछ करूँ क्या इसको?

मालिनी: आह अभी नहीं अभी कहानी आगे बताओ।
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