बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:30 AM,
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
अगले दिन सुबह मालिनी सबसे पहले उठी और सबके लिए चाय बनाई । अभी उसने एक नायटी डाल ली थी और उसके नीचे कुछ नहीं पहना था । जब वो दोनों बाप बेटा को जगाने आयी तो शिवा वहाँ नहीं था। उसने राजीव को उठाया और राजीव ने उठते हुए उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके गाल चूमने लगा। 

मालिनी ने उसकी नंगी छाती को सहलाकर कहा: पापा आप अप्सेट हो क्या मम्मी के बारे में सुनकर? 

राजीव उसकी चूचि दबाकर: नहीं बेटा , अब ठीक है। वो बेचारी तो रही नहीं, उससे क्या नाराज़ होना? और फिर वो समय ही ऐसा था कि बीमारी की वजह से मैं उसकी इच्छा पूरी नहीं कर पाता था। वैसे भी मेरे ठीक होने के बाद वो किसी से नहीं मिली। यही बहुत सही हुआ ना? 

मालिनी ने पापा के आधे खड़े लौड़े को सहलाकर कहा: हाँ पापा ये तो है बाद में वो सम्भल गयी। चलिए अब उठिए चाय पी लीजिए। 

राजीव उठकर मालिनी की गाँड़ सहलाया और बोला: शिवा कहाँ है? 

तभी शिवा अंदर आया और बोला: सुबह सुबह पापा बहु मज़ा ले रहे हैं? वो भी पापा की तरह ही नंगा था और उसका बड़ा लौड़ा नीचे को लटक कर झूल सा रहा था। 

मालिनी और राजीव हँसने लगे। फिर सब चाय पीने लगे। 

शिवा: पापा आज आयशा को बुला लो, अगर उसकी तबियत ठीक हो तो। 

राजीव: मुझे तो मालिनी से परमिशन लेनी होगी। बोलो मालिनी क्या कहती हो?

मालिनी: वाह जैसे मेरे मना करने से आप उसको नहीं बुलाएँगे।

वो सोफ़े पर बैठी थी और शिवा उसके बग़ल में बैठा था। अब राजीव भी उठकर आया और मालिनी के बग़ल में ही बैठ गया। राजीव ने एक हाथ मालिनी की जाँघ पर रखा और नायटी के ऊपर से उसे सहलाने लगा। शिवा भी एक जाँघ पर हाथ फेर रहा था। 
अब मालिनी ने मस्ती में आकर एक एक हाथ में दोनों के लंड पकड़ लिए और सहलाने लगी और बोली: सच में मैं बहुत लकी हूँ जो आप दोनों मुझे इतना प्यार करते हो। वो बारी बारी से दोनों के गाल चुमी। अब वो दोनों भी उसकी एक एक चूचि दबाने लगे। कमरे में मस्ती का माहोल बनने लगा था। 

राजीव: क्या बेटा सुबह सुबह ही नायटी पहन ली? देखो हमारे लंड कैसे खड़े हैं तुम्हें मज़ा देने के लिए? चलो उतारो इसको और चुदाई करते हैं। 

शिवा ने मुस्कुराकर उसकी नायटी उतारनी शुरू की और मालिनी भी खड़ी होकर उसकी मदद की। राजीव ने उसे आगे की ओर झुकाया और दोनों उसकी लटकी हुई चूचियाँ दबाकर चूसने लगे। मालिनी भी उनके लंड सहलाए जा रही थी। 

शिवा: आऽऽऽह मेरी जान अब लंड चूसो ना। 
मालिनी अब नीचे बैठकर दोनों के लंड बारी बारी से चूसने लगी। शिवा अब उठा और जाकर उसको आधा उठाया और उसकी गाँड़ की दरार में अपना मुँह घुसेड़कर बुर चाटने लगा। मालिनी ह्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽऽह करने लगी। अब राजीव बोला: आओ बेटा मेरे लंड पर बैठो। वह उठी और अपने पाँव फैलाकर उसके लंड के ऊपर अपना बुर रखकर बैठ गयी। उसका मोटा लंड उसकी बुर में घुसता चला गया। अब शिवा उसके सामने आया और अपना लंड उसके मुँह के पास ले आया। वो उसे चूसकर अपनी कमर उछालकर चुदवाने लगी। वो उन्न्न्न्न्न्न्न्न आऽऽऽऽऽह ह्म्म्म्म्म्म्म चिल्लाए जा रही थी। 
क़रीब दस मिनट के बाद राजीव उसे उठाया और शिवा को बैठने का इशारा किया। अब वो शिवा का लंड बुर में और राजीव का मुँह में लेकर मज़े से चुदवा रही थी। राजीव और शिवा उसकी चूचि और गाँड़ सहला रहे थे। अब मालिनी उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी और शिवा भी नीचे से लंड उछालकर झड़ने के करीब आ गया। उधर राजीव भी बहुत गरम हो चुका था। अब वो अपना लंड मुँह से निकालकर अपने हाथ से उसे मुठियाने लगा और शिवा समझ गया कि पापा आज उसको अपना रस पिलाने वाले हैं। पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो भी मालिनी को अपनी गोद से उठाके सोफ़े में बिठाया और वो ख़ुद भी अपने लंड को पापा की तरह ही मूठ्ठी में भरकर ज़ोर से उसके मुँह के पास हिलाने लगा। 

मालिनी समझ गयी कि आज उसको दोनों का रस पीने को मिलने वाला है, वो उत्तेजित होकर अपना मुँह खोली ताकि पूरा रसपान कर सके। राजीव ने अब अपने लौड़े का रस छोड़ना शुरू किया। मालिनी के होंठ और गाल में सफ़ेद गाढ़ा रस गिरता चला गया। उधर शिवा भी क्लाइमैक्स पर पहुँचा और झटके से झड़ने लगा। जल्दी ही मालिनी का पूरा मुँह बाप बेटे के गाढ़े सफ़ेद रस से पूरा भर गया। वो भी अब जीभ निकालकर उनका लौड़ा बारी बारी से चाटने लगी। उसने चाटकर दोनों के लौड़े पूरा साफ़ कर दिया। अब शिवा उठा और बोला: आऽऽह मेरी जान चलो उस आइने में देखो क्या रँडी लग रही हो। राजीव भी उसकी गाँड़ दबाकर उसको आइने के सामने ले गया। अब दोनों उसके पीछे खड़े थे । मालिनी अपने आप को देखकर शर्मा गयी। उसके मुँह पर सफ़ेद रस सब जगह चिपका सा था। अब वो बाथरूम की ओर दौड़ गयी। 

क्योंकि बाई आने वाली थी इसलिए सबने कपड़े पहन लिए। शिवा नाश्ता करके दुकान जाते हुए बोला: पापा आयशा को बुलाना होगा तो मुझे फ़ोन कर दीजिएगा। 

क़रीब १२ बजे अब मालिनी और राजीव बैठे थे अब बाई जा चुकी थी। मालिनी: पापा मैं नहीं चाहती कि आप अभी आयशा पर ध्यान दो। अभी मुझे आप दोनों से ही चुदवाना है एक महीने तक ताकि मैं आपमें से किसी के भी बच्चे की माँ बन सकूँ। 

राजीव चौक कर: ओह ऐसा ? तो क्या अब तक तुम कोई पिल्ज़ ले रही थी ? 

मालिनी: बस एक दिन ली थी जब असलम ने किया था। मैं आप दोनों से ही बच्चा चाहती हूँ बाहर वाले से नहीं। 

राजीव उसे प्यार से देखा और बोला: ठीक है बेटा जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा। अब हमारे घर में तभी कोई बाहर वाला आएगा जब तुम प्रेगनेंट हो जाओगी। ठीक है ना? 

मालिनी जाकर प्यार से उसके गोद में बैठी और उसके गले में बाहँ डाली और बोली: थैंक यू पापा। आप बहुत अच्छे हो। शिवा भी ये बात मान जाएँगे ना? 

राजीव: वो भी तुमको बहुत प्यार करता है ज़रूर तुम्हारी भावनाओं की क़द्र करेगा। वह उसे चूमते हुए बोला। 

तभी शिवा का फ़ोन आया और वो बोला: पापा आयशा का क्या फ़ैसला किया? वो मुझे फ़ोन की थी कि क्या वो आपसे चुदवा सकती है? 

राजीव: मेरी बहु नहीं चाहती कि अभी बाहर वाले इस घर में चुदाई के लिए आएँ। आज अगर आयशा आएगी तो फिर असलम भी आयेगा कल को। वो अभी हमारे बच्चे की माँ बनना चाहती है। ठीक है? 

शिवा : सच में पापा? वाऽऽह ठीक है मैं मना कर देता हूँ आयशा को। यह कहकर वो फ़ोन रख दिया। 

मालिनी: आप सच में अपने बेटे का मन जानते हो। वो एकदम से मान गए आयशा को मना करने के लिए। 

राजीव: अरे बेटा सच में हम दोनों तुझे बहुत प्यार करते हैं। और अब आज से तुमको माँ बनाने की कोशिश शुरू । ठीक है ना? 

वो हँसती हुई उसको चूम ली। फिर राजीव बोला: बेटा तो फिर ये कोशिश अभी से शुरू कर दें? 

मालिनी हँसकर बोली: पापा नेकि और पूछ पूछ। चलिए। 

वो दोनों उठकर बेडरूम में आए और राजीव ने बहुत प्यार से मालिनी को नीचे लिटाके चोदा और फिर पूरा रस गहराई तक जा कर उसकी बुर में छोड़ा। 
वो बोला: बेटा बस आज से रस अंदर गहराई में ही छोड़ेंगे हम बाप बेटा ताकि तुम जल्दी से जल्दी माँ बन जाओ।

मालिनी मुस्कुरा कर अपनी टाँगें उठायी रखी और बोली: हाँ मैं भी महसूस कर रहीं हूँ कि रस बहुत अंदर तक गया है। 

फिर दोनों बाथरूम से आए और लिपट कर आराम करने लगे। 
शाम को शिवा आया और डिनर के बाद दो राउंड चुदाई हुई।हालाँकि राजीव ने उसकी गाँड़ भी मारी पर रस उसकी बुर में ही डाला। इस तरह से दोनों ने अपना रस उसकी बुर में ही छोड़ा। 

पति और ससुर के लगातार कई दिनो की चुदाई से आख़िर में मालिनी का मासिक धर्म नहीं हुआ और वो राजीव और शिवा को बोली: मेरा प्रेग्नन्सी टेस्ट करवा लीजिए। 

शिवा किट लेकर आया और राजीव और शिवा की आँखों के सामने मालिनी बाथरूम में आकर अपनी नायटी उठाई और आधी बैठ कर उस स्ट्रिप पर मूतने लगी। सी सी की आवाज़ से दोनों मर्दों के लौड़े अकड़ने लगे। उफफफ क्या मस्त दृश्य था एक जवान लड़की अपने पति और ससुर के सामने बेशर्मी से मूत रही थी। उसकी बुर से निकालता पिशाब दोनों मर्दों को साफ़ दिखाई पड़ रहा था। शिवा ने स्ट्रिप पकड़ी थी सो उसके हाथ में भी थोड़ा सा पेशाब लगा। फिर शिवा ने स्ट्रिप हटा ली पर मालिनी आधी उठी हुई मूतती रही। दोनों मंत्र मुग्ध से उसकी बुर को देखते रहे। अब वो उठी और अपनी नायटी नीचे की। 
अब तीनो उस स्ट्रिप के रंग बदलने का इंतज़ार किए। जैसे ही स्ट्रिप ने रंग बदला तीनों ख़ुशी से भर गए और एक दूसरे से लिपट कर बधाइयों देने लगे। राजीव आगे से और शिवा पीछे से उससे चिपके हुए थे और उसे प्यार किए जा रहे थे। मालिनी भी उन दोनों को चूमे जा रही थी। 

शिवा ने उसके पेट को सहलाया और बोला: पापा ये बच्चा आपको दादा कहेगा या पापा? 

राजीव हँसकर: मुझे दादा ही कहेगा चाहे मैं उसका सच में दादा ही हूँ या फिर बाप। 
मालिकी शर्मा कर उन दोनों से चिपक गयी। 
फिर उस दिन सब प्लान बनाते रहे कि बच्चे का क्या नाम होगा ? कौन से स्कूल में जाएगा और ना जाने क्या क्या। 

मालिनी बोली: हमको ये ख़ुश ख़बरि महक दीदी को भी देनी चाहिए। 

राजीव: हाँ मैं उसे फ़ोन भी करने वाला था कि अब डिलीवरी के लिए यहाँ ही आ जाए। अमेरिका में कौन ध्यान रखेगा उसका? 

शिवा: हाँ पापा उसे यहीं बुला लेते हैं। मेरा भांजा यहीं हमारे घर में ही होना चाहिए ।

राजीव उसको फ़ोन लगाया: हेलो बेटा कैसी हो? 

महक: पापा ठीक हूँ। 

राजीव: बेटा हम तीनों यहाँ बैठे हैं और फ़ोन स्पीकर मोड में है। बताओ कैसी हो? और डिलेवरी के लिए यही आ जाओ ना। 

महक: हाँ पापा मैं भी यही सोच रही हूँ। 

राजीव : आ जाओ बेटा हम सबको बहुत अच्छा लगेगा । वैसे एक ख़ुश ख़बरी हमें भी देनी है। 

महक: वो क्या पापा? 

राजीव: बेटा मालिनी भी माँ बनने वाली है। 

महक ख़ुशी से : सच पापा? वाह क्या ख़ुश ख़बरी है। मालिनी बहुत बहुत बधाई हो। 

मालिनी: थैंक यू दीदी। बस आप जल्दी से यहाँ आ जाओ। 

महक: और मालिनी कैसा चल रहा है तुम्हारा डबल मज़ा? 

मालिनी चौंकी और राजीव को देखी । राजीव हँसकर: बेटा मैंने हमारे बारे में सब महक को बता रखा है। उससे कोई बात छुपी नहीं है? 

मालिनी: ओह पापा आप भी ना? सब बता दिया? 

महक: हाँ सब बताया हुआ है। अच्छा ये तो बताओ कि बच्चा पापा का है या शिवा का? 

मालिनी: वो तो कभी पता नहीं चलेगा, पर शिवा को वो पापा और पापा को वो दादा ही बोलेगा। 

महक हंस पड़ी: क्या फ़र्क़ पड़ता है परिवार का ही बच्चा होगा ना? वैसे तुमको पापा बे बताया या नहीं कि मेरे पेट में भी पापा का ही बच्चा है। ये उसके पापा और नाना दोनों हैं। हा हा ।

शिवा: हाँ पापा बे बताया है और सच में बड़ी ख़ुशी की बात है कि वो मेरा भाई भी होगा और भांजा भी। 

राजीव: तुम्हारी डिलीवरी अगले महीने में है ना? 

महक: जी पापा मैं बस दस दिन में आती हूँ। 

शिवा: और बच्चे को कम से कम पाँच महीने का करके ही भेजेंगे। ठीक है ना? 

महक: हाँ ठीक है। हमको यहाँ काफ़ी छुट्टी मिल जाती है। 

मालिनी: और जीजा जी ठीक है? 

महक: हाँ सब बढ़िया । चलो रखती हूँ। 
अब शिवा बोला: पापा आपने कहा था कि मैं भी दीदी को चोद सकूँगा। अब वो आएगी तो डिलीवरी के कितने बाद चुदवा सकेगी? 

राजीव: हाँ अभी तो वो चुदवा ही नहीं सकती। और डिलीवरी के बाद भी वो कम से कम एक महीना नहीं चुदवा पाएगी। 

मालिनी: तब तक आपको संतोष करना होगा और मेरे से ही काम चलाना होगा। 

उसकी इस बात पर सब हंस पड़े। 

शिवा: पापा आज इसकी प्रेग्नन्सी को सेलब्रेट करते हैं ना? चलिए बाहर खाना खाते हैं। 

राजीव: एक शर्त पर कि कुछ शरारत भी करेंगे। 

शिवा: कैसी शरारत? 

राजीव: मुझे नहीं पता। पर कुछ तो करेंगे। ऐसा करते हैं कि मालिनी को वो जो एक मैं माडर्न ड्रेस लाया था वो पहनाते हैं। मिनी स्कर्ट और टॉप। और नीचे पैंटी भी नहीं पहनेगी। बस फिर कुछ शरारत करेंगे हम सब। 

मालिनी: वाह ये क्या बात हुई? क्या आप मुझे सबके सामने नंगी करना चाहते हो? 

राजीव: सबके सामने नहीं बस कोई ख़ास एक दो के सामने। 

शिवा : आऽऽऽह पापा बहुत मज़ा आएगा। चलो डार्लिंग तय्यार हो जाओ। 

मालिनी: पता नहीं आप लोग क्या करने वाले हो? ठीक है मुझे क्या है। 

अब सब तय्यार हुए और जब बाहर बैठे शिवा और राजीव के सामने मालिनी आयी और बोली: आप चाहते हो कि मैं ऐसे बाहर जाऊँ? 

शिवा और राजीव का मुँह खुला रह गया। उसका टॉप उसकी आधी चूचियाँ ही ढक रहा था। और पूरा पेट नंगा था। स्कर्ट भी टाइट था और उसके गाँड़ के उभार को और ज़्यादा सेक्सी बना रहा था। स्कर्ट जाँघ के ऊपरी हिस्से तक चढ़ी हुई थी और उसकी गुदाज जाँघें बिजली गिरा रहीं थीं। 

राजीव अपने लंड को पैंट के ऊपर से दबाकर बोला: उफफफ जानू क्या दिख रही हो? मस्त माल हो। 

शिवा: आऽऽऽह सही में पापा। अच्छा पैंटी पहनी हो क्या? ज़रा स्कर्ट उठाकर दिखाओ ना। 

मालिनी ने स्कर्ट उठाकर दिखाया और उसकी चिकनी बुर सामने थी। उफफफ उसने पापा की इच्छा के अनुसार पैंटी भी नहीं पहनी थी। 

राजीव: बेटा पिछवाड़ा भी दिखाओ ना। 

मालिनी स्कर्ट उठाए हुए ही घूमी और उसकी मस्त गाँड़ देखकर बाप बेटा मस्ती से भर गए। 

शिवा: जानू गाँड़ खोलो ना तुम्हारा मस्त छेद देखना है। 

मालिनी: उफफफ आप लोग भी ना ? यह कहकर वो अपने दोनों चूतरों को फैलायी और उसके मस्त खुले हुए भूरे छेद को देखकर बाप बेटा मस्त होकर अपना अपना लौड़ा दबाने लगे। 
मालिनी अब स्कर्ट ठीक की और बोली: आप सच में चाहते हो कि मैं ऐसे ही जाऊँ? 

शिवा : आऽऽह जान बिलकुल ऐसी ही चलो । 

अब मालिनी ने देखा कि दोनों के पैंट में तंबू तना हुआ है तो वह बोली: आप दोनों का खड़ा सामान साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है। आपने भी चड्डी नहीं पहनी है क्या? 

राजीव: चड्डी तो पहनी है पर तुम्हारी जवानी का जलवा पागल कर देने वाला है। 
फिर दोनों ने अपना लौड़ा पैंट में ठीक किया और सब बाहर आए। राजीव भी शिवा के साथ कार में आगे बैठा और मालिनी पीछे बैठी। अब राजीव पीछे मुड़कर बोला: बेटा ज़रा जाँघों को फैलाओ तो। 

मालिनी ने जाँघें फैलाईं और राजीव उसकी बुर देखकर बोला: बेटा बस ऐसे ही बैठना रेस्तराँ में जब मैं बोलूँ। शिवा ने भी पीछे का शीशा ठीक किया और उसकी बुर देखकर बोला: जानू बाल कब बनाए थे? मस्त चिकनी दिख रही है। 

मालिनी: दो दिन पहले ही साफ़ किया है। 

राजीव: बेटा ज़रा वहाँ हाथ फेरो ना। 

मालिनी: उफफफ पापा क्या क्या करवा रहे हो अपनी बहू से? यह कहकर वो अपनी बुर में हाथ फेरकर राजीव और शिवा को मस्ती से भर दी। मालिनी सोच रही थी कि पापा उससे पता नहीं क्या करवाने वाले हैं रेस्तराँ में? वह अब गरम होने लगी थी। 

रेस्तराँ में पहुँचकर राजीव ने एक कोने की गोल टेबल पसंद की। वो और शिवा मालिनी को बीच में लेकर बैठे। उनकी बग़ल की टेबल पर दो आदमी बैठे थे जो कोट और टाई में थे किसी कोरपोरेट से लगते थे। वो शराब पी रहे थे और उम्र से ५० के आसपास के लगते थे । राजीव ने मालिनी को ऐसा बिठाया था ताकि वो उन दोनों के सामने पड़ती थी। 

अब तक मालिनी अपनी जाँघ मिलाकर बैठी थी। राजीव ने देखा की वो दोनों लगातार मालिनी के टॉप से झाँकती बड़ी बड़ी चूचियों को ताड़ रहे थे। मालिनी की जाँघे उनको वैसे भी नहीं दिख सकती थी क्योंकि वो टेबल के नीचे थीं । 

अब राजीव ने मालिनी को कहा : बेटा वो जो दो आदमी बैठे है उनको थोड़ा सा लाइन मारो। 

मालिनी: छी पापा वो क्यों? 

शिवा भी उत्तेजित होकर: अरे बस थोड़े मज़े के लिए यार और क्या? 

मालिनी चुप रह गयी। अब वो उनको लाइन मारने लगी। वो उनको देखकर अपना टॉप ऐडजस्ट करती और कभी उनको देखकर मुस्कुरा देती। अब वो भी उसमें इंट्रेस्ट लेने लगे। वो उसको देखकर मुस्कुराए । राजीव और शिवा ऐसा दिखा रहे थे मानो उनको कोई ख़बर ही नहीं हो।उनकी भी शराब आ गयी थी और दोनों बाप बेटा पीने लगे। 

थोड़ी देर बाद राजीव के कहने पर शिवा और वो दोनों ऐसे दिखाए मानो नशे में हों। अब राजीव ने मालिनी को धीरे से कहा: बेटा अब अपनी कुर्सी घुमाओ और उनको पहले अपनी जाँघ दिखाओ। फिर बुर के भी दर्शन करवा देना। मालिनी भी अब गरम हो चली थी। उसने बातें करते हुए अपनी कुर्सी घुमाई और अब उसकी स्कर्ट उन दोनों के सामने थीं । वो दोनो उसकी जाँघों को घूरने लगे। अब राजीव बोला: बेटा अब अपनी जाँघ पर हाथ फेरों। मालिनी वैसा ही की और वो दोनों आँख फाड़े उसे देखते रहे। अब वो पापा के कहने पर एक टाँग के ऊपर दूसरा टाँग रखी तो उसकी स्कर्ट ऊपर तक चढ़ गयी और अब उन दोनों आदमियों की आँख और बाहर को आ गयीं। शिवा सोचा कि उफफफफ कितनी नंगी दिख रही थी मालिनी। अब मालिनी आगे को झुकी और शिवा को बोली: पापा चाहते क्या हैं? 

उसके आगे झुकने से शिवा को उसकी टॉप से उसकी आधी चूचि दिख रही थी। वो थोड़ा सा साइड में हुआ ताकि वो दोनों उसकी आधी नंगी चूचियाँ देख कर मस्त हो जाएँ। 
अब वो दोनों आदमी अपनी टाई ढीली किए और कोट उतार कर कुर्सी पर रखे। जब वो खड़े हुए कोट उतारने के लिए तो मालिनी को उनका पैंट का सामने का उठा हुआ हिस्सा साफ़ दिखाई दिया। जब वो बैठे तो उनके हाथ पैंट पर आ गए थे और कोई देखता तो समझ जाता कि वो अपना लौड़ा मसल रहे हैं। 

अब राजीव बोला: बेटा चलो अब जन्नत के दर्शन कराओ उनको। 

मालिनी शिवा की ओर देखी तो वो भी इशारा किया कि करो। अब वो अपनी जाँघें खोली और उसका मुँह उन दोनों आदमियों की तरफ़ था। राजीव ऐसी शक्ल बनाया था मानो नशे में हो। शिवा भी नशे में होने का नाटक कर रहा था। दोनों आदमी अब जैसे ही उसकी खुली जाँघों के बीच देखे और वहाँ पैंटी ना देखकर मानो पागल से हो गए। क्या दृश्य था मालिनी की बुर साफ़ दिखाई दे रही थी। हर टेबल पर मोमबत्ती रखी थी। उनको मालिनी की चिकनी बुर साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। अब शिवा के इशारे को समझ कर मालिनी अपनी बुर सहलाने लगी। वह दोनों आँखें फाड़कर देख रहे थे और अपना लंड सहला रहे थे। 

अब उन दोनों ने देखा कि शिवा और राजीव क़रीब क़रीब नशे में सोए हुए से थे तो एक आदमी उठा और मालिनी को उसका लंड पैंट के ऊपर से उभरा हुआ साफ़ साफ़ दिखा और वो आकर शिवा के पास वाली सीट पर बैठ गया और अब वो अपनी कुर्सी को घुमाया और अब वो मालिनी की बुर से सिर्फ़ दो फ़ीट पर था। मालिनी थोड़ा सा डरी पर राजीव ने चुपचाप इशारा किया कि होने दो। अब वो आदमी ठीक सामने बैठ कर उसकी बुर देख रहा था। मालिनी अभी भी बुर सहला रही थी। वो अपनी जीभ अपने होंठ पर फेर रहा था। अब मालिनी भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी दो ऊँगली अंदर डालकर बुर में अंदर बाहर करने लगी। वो आदमी अब खुल कर अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। अचानक उसकी उत्तेजना उसके होशोंहवास उड़ा दी और वो शिवा और राजीव को नशे में समझ कर अपना एक हाथ मालिनी की जाँघ पर रख दिया। मालिनी का बदन काँप उठा। उसे लगा कि ज़्यादा ही हो रहा है । वो फिर से पापा को देखी तो वो आँख मार दिए। 

अब उस आदमी ने थोड़ी देर उसकी जाँघ सहलाई और फिर अपना हाथ उसकी जाँघों के बीच में ले गया। वहाँ उसका हाथ मालिनी की गीली उँगलियों से टकराया और मालिनी ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया। अब वो आदमी अपने हाथ से उसकी बुर को सहलाया और फिर उसने दो उँगलियाँ अंदर डालकर हिलाना चालू किया। मालिनी की घुटी हुई सिसकारियाँ निकल गयीं। उसने इधर उधर देखा तो सब खाना खाने में व्यस्त थे। और शिवा और राजीव के चेहरों पर मंद मंद मुस्कान थी। अब वो आदमी जल्दी से हाथ हिलाकर मस्ती से भरने लगा। 

जहाँ ये बैठे थे वो एक तरफ़ किनारे पर टेबल लगी थी। अचानक वो आदमी अपनी उँगलियाँ निकाला और गीली उँगलियाँ चाटने लगा। अब दूसरा आदमी भी मस्त हो चुका था । वो उठा और आकर कुर्सी लेकर मालिनी से सट कर बैठ गया। वो बिना देर किए मालिनी की टॉप के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। जहाँ वो बैठा था उसके कारण मालिनी को कोई नहीं देख सकता था सिवाय राजीव और शिवा के । जो उसे देखकर भी नहीं देखने का नाटक कर रहे थे। अब दृश्य यह था कि एक आदमी उसकी गीली बुर में उँगलियाँ कर रहा था और दूसरा उसकी चूचियाँ दबा रहा था। अब एक आदमी ने मालिनी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। वो उसको दबाने लगी और ख़ुद ही दूसरे के पैंट के ऊपर से उसका लंड भी दबाने लगी। शिवा और राजीव इतने गरम हो गए थे कि उनको लगा की कहीं वो पैंट में झड़ ना जाए। 

उधर मालिनी अब झड़ने वाली थी और वो अपनी जाँघे खोलने और बंद करने लगी। और सीइइइइइइ कर उठी। अब वो अपनी गाँड़ हिलाकर झड़ने लगी। तभी उसके दोनों हाथ भी गीले हो गए। वो दोनों पैंट में ही झड़ गए थे। अब सब शांत हो चुके थे । एक आदमी बोला: मोबाइल नम्बर दो ना बेबी । कल दिन में मिलेंगे। 

मालिनी ने शिवा को हिलाया और कहा: चलो घर चलें ? 

वो दोनों हड़बड़ा कर अपनी सीटों पर वापस चले गए। उनके पैंट के सामने गीले धब्बे साफ़ दिखाई दिए। बाद में वो अपना कोट उठाकर अपनी पैंट के आगे रखकर चले गए। 

शिवा मुस्कुराया: मज़ा आया जान ? तुम तो मज़े से झड़ीं। 

राजीव: तो याद रहेगा ना ये अनुभव? हम सब देख रहे थे कि तुमको कितना मज़ा आ रहा है। 

मालिनी: अब जल्दी से खाना खाइए और घर चल कर मुझे तबियत से चोदिए आप दोनों। उफफफफ कितना गरम कर दिया है आप सबने मुझे। आऽऽऽऽहहहह । 
दोनों बाप बेटा मुस्कुरा दिए।
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना - by sexstories - 06-10-2017, 10:30 AM

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