Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:19 PM,
#4
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
मम्मीजी ने कामया से कहा- “जरा देखकर चलाकर बहू। वैसे भीमा को बहुत कुछ आता है। दर्द का एक्सपर्ट डाक्टर है मालीश भी बहुत अच्छी करता है। क्यों भीमा?”

भीमा- जी माँ जी अब बहू रानी ठीक है 
कहते हुए उसने कामया के एडी को छोटे हुए धीरे से नीचे रख दिया और चल गया उसने नजर उठाकर भी कामया की और नहीं देखा 
लेकिन भीमा के शरीर में एक आजीब तरह की हलचल मच गई थी। आज पता नहीं उसके मन उसके काबू में नहीं था। कामेश और कामया की शादी के इतने दिन बाद आज पता नहीं भीमा जाने क्यों कुछ बिचालित था। बहू रानी के मोच के कारण जो भी उसने आज किया उसके मन में एक ग्लानि सी थी । क्यों उसका मन बहू के टांगों को देखकर इतना बिचलित हो गया था उसे नहीं मालूम लेकिन जब वो वापस किचेन में आया तो उसका मन कुछ भी नहीं करने को हो रहा था। उसके जेहन में बहू के एड़ी और घुटने तक के टाँगें घूम रही थी कितना गोरा रंग था बहू का। और कितना सुडोल था और कितना नरम और कोमल था उसका शरीर। 
सोचते हुए वो ना जाने क्या करता जा रहा था। इतने में किचेन का इंटर काम बजा 

मम्मीजी- अरे भीमा जरा हल्दी और दूध ला दे बहू को कही दर्द ना बढ़ जाए। 
भीमा- जी। माजी। अभी लाया। 
और भीमा फिर से वास्तविकता में लाट आया। और दूध और हल्दी मिलाकर वापस डाइनिंग रूम में आया। मम्मीजी और बहू वही बैठे हुए आपस में बातें कर रहे थे। भीमा के अंदर आते ही कामया ने नजर उठाकर भीमा की ओर देखा पर भीमा तो नजर झुकाए हुए डाइनिंग टेबल पर दूध का ग्लास रखकर वापस किचेन की तरफ चल दिया। 

कामया- भीमा चाचा थैंक्स 

भियामा- जी। अरे इसमें क्या में तो इस घर का। नौकर हूँ। थैंक्स क्यों बहू जी 

कामया- अरे आपको क्या बताऊ कितना दर्द हो रहा था। लेकिन आप तो कमाल के हो फट से ठीक कर दिया। 
और कहती हुई वो भीमा की ओर बढ़ी और अपना हाथ बढ़ा कर भीमा की ओर किया और आखें उसकी। भीमा की ओर ही थी। भीमा कुछ नहीं समझ पाया पर हाथ आगे करके बहू क्या चाहती है 

तभी कामया की नजर भीमा चाचा की नजरसे टकराई और उसकी नजर का पीछा करती हुई जब उसने देखा की भीमा की नजर कहाँ है तो वो। अबाक रह गई उसके शरीर में एक अजीब सी सनसनी फेल गई वो भीमा चाचा की ओर देखते हुए जब मम्मीजी की ओर देखा तो पाया की मम्मीजी उठकर वापस अपने पूजा घर की ओर जा रही थी। कामया का हाथ अब भी भीमा के हाथ में ही था। कामया भीमा की हथेली की कठोरता को अपनी हथेली पर महसूस कर पा रही थी उसकी नजर जब भीमा की हथेली के ऊपर उसके हाथ की ओर गई तो वो और भी सन्न रह गई मजबूत और कठोर और बहुत से सफेद और काले बालों का समूह था वो। देखते ही पता चलता था कि कितना मजबूत और शक्ति शाली है भीमा का शरीर। कामया के पूरे शरीर में एक उत्तेजना की लहर दौड़ गई जो कि अब तक उसके जीवन काल में नहीं उठ पाई थी ना ही उसे इतनी उत्तेजना अपने पति के साथ कभी महसूस हुए थी और नही कभी उसके इतनी जीवन में। ना जाने क्या सोचते हुए कामया ने कहा
कामया- कहाँ खो गये चाचा। और धीरे से अपना हाथ भीमा के हाथ से अलग कर लिया।

भीमा जैसे नींद से जागा था झट से कामया का हाथ छोड़ कर नीचे चेहरा करते हुए।
भीमा- अरे बहू रानी हम तो सेवक है। आपके हुकुम पर कुछ भी कर सकते है इस घर का नमक खाया है।
और सिर नीचे झुकाए हुए तेज गति से किचेन की ओर मुड़ गया मुड़ते हुए उसने एक बार फिर अपनी नजर कामया के उभारों पर डाली और मुड़कर चला गया। कामया भीमा को जाते हुए देखती रही ना जाने क्यों। वो चाह कर भी भीमा की नजर को भूल नहीं पा रही थी। उसकी नजर में जो भूख कामया ने देखी थी। वो आज तक कामया ने किसी पुरुष के नजर में नहीं देखी थी। ना ही वो भूख उसने कभी अपने पति की ही नज़रों में देखी थी। जाने क्यों कामया के शरीर में एक सनसनी सी फेल गई। उसके पूरे शरीर में सिहरन सी रेंगने लगी थी। उसके शरीर में अजीब सी ऐंठन सी होने लगी थी। अपने आपको भूलने के लिए। उसने अपने सिर को एक झटका दिया और मुड़कर अपने कमरे में आ गई। दरवाजा बंद कर धम्म से बिस्तर पर पड़ गई। और शून्य की ओर एकटक देखती रही। भीमा चाचा फिर से उसके जेहन पर छा गये थे। फिर से कामया को उसकी नीचे की हुई नजर याद आ गई थी। अचानक ही कामया एक झटके से उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गई। और अपने को मिरर में देखने लगी। साड़ी लेटने के कारण अस्तवस्त थी ही। उसके ब्लाउज के ऊपर से भी हट गई थी। गोरे रंग के उभार ऊपर से टाइट कसे हुए ब्लाउस और साड़ी की अस्तव्यस्त होने की वजह से कामया एक बहुत ही सेक्सी औरत दिख रही थी। वो अपने हाथों से अपने शरीर को टटोलने लगी। अपनी कमर से लेकर गोलाईयों तक। वो जब अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाकर अपने शरीर को छू रही थी। तो अपने अंदर उठने वाली उत्तेजना की लहर को वो रोक नहीं पाई थी। कामया अपने आप को मिरर में निहारती हुई अपने पूरे बदन को अब एक नये नजरिए से देख रही थी। आज की घटना ने उसे मजबूर कर दिया था कि वो अपने को ठीक से देखे। वो यह तो जानती थी कि वो सुंदर देखती है। पर आज जो भी भीमा चाचा की नजर में था। वो किसी सुंदर लड़की या फिर सुंदर घरेलू औरत के लिए ऐसी नजर कभी भी नहीं हो सकती थी। वो तो शायद किसी सेक्सी लड़की और फिर औरत के लिए ही हो सकती थी

क्या वो सेक्सी दिखती है। वैसे आज तक कामेश ने तो उसे नहीं कहा था। वो तो हमेशा ही उसके पीछे पड़ा रहता था। पर आज तक उसने कभी भी कामया को सेक्सी नहीं कहा था। नहीं उसने अपने पूरे जीवन काल में ही अपने को इस नजरिए से ही देखा था। पर आज बात कुछ आलग थी। आज ना जाने क्यों। कामया को अपने आपको मिरर में देखने में बड़ा ही मजा आ रहा था। वो अपने पूरे शरीर को एक बड़े ही नाटकीय तरीके से कपड़ों के ऊपर से देख रही थी। और हर उभार और गहराई में अपनी उंगलियों को चला रही थी। वो कुछ सोचते हुए अपने साड़ी को उतार कर फेक दिया और सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में ही मिरर के सामने खड़ी होकर। देखती रही। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। जब उसकी नजर अपने उभारों पर गई। तो वो और भी खुश हो गई। उसने आज तक कभी भी इतने गौर से अपने को नहीं देखा था। शायद साड़ी के बाद जब भी नहाती थी या फिर कामेश तारीफ करता था। तो। शायद उसने कभी। देखा हो पर। आज। जब उसकी नजर अपने उभारों पर पड़ी तो वो दंग रह गई। साड़ी के बाद वो कुछ और भी ज्यादा गोल और उभर गये थे। शेप और साइज। का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था। कि करीब 25% हिस्सा उसका ब्लाउज से बाहर की ओर था। और 75% जो कि अंदर था। एक बहुत ही आकर्षक और सेक्सी महिला के लिए काफी था। कामया ने जल्दी से अपने ब्लाउस और पेटीकोट को भी उतार कर झट से फेक दिया और। अपने को फिर से मिरर में देखने लगी। पतली सी कमर और फिर लंबी लंबी टांगों के बीच में फँसी हुई उसकी पैंटी। गजब का लग रहा था। देखते-देखते कामया धीरे-धीरे अपने शरीर पर अपना हाथ घुमाने लगी। पूरे शरीर पर। ब्रा और पैंटी के उपर से। आआह्ह। क्या सुकून है। उसके शरीर को। कितना अच्छा लग रहा था। अचानक ही उसे भीमा चाचा के कठोर हाथ याद आ गये। और वो और भी बिचलित हो उठी। ना चाहते हुए भी उसके हाथों की उंगलियां। उसकी योनि की ओर बढ़ चली और धीरे धीरे वो अपने योनि को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगी। एक हाथ से वो अपनी चूचियां को धीरे से दबा रही थी। और दूसरे हाथ से अपने योनि पर। उसकी सांसें तेज हो चली थी। खड़े हो पाना दूभर हो गया था। टाँगें कंपकपाने लगी थी। मुख से। सस्शह। और। आअह्ह। की आवाजें अब थोड़ी सी तेज हो गई थी। शायद उसे सहारे की जरूरत है। नहीं तो वो गिर जाएगी। वो हल्के से घूमकर बिस्तर की ओर बढ़ी ही थी। कि अचानक उसके रूम का इंटरकॉम बज उठा।
कामया- जी।

मम्मीजी- अरे बहू। चल आ जा। खाना खा ले। क्या कर रही है ऊपर।

कामया- जी। मम्मीजी। कुछ नहीं। बस आई। और कामया ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और जल्दी से नीचे की ओर भागी। जब वो नीचे पहुँची तो मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर आ चुकी थी। और कामया का ही इंतजार हो रहा था। वो जल्दी से ठीक ठाक तरीके से अपनी सीट पर जम गई पर ना जाने क्यों। वो अपनी नजर नहीं उठा पा रही थी। क्यों पता नहीं। शायद इसलिए। कि आज जो भी उसने अपने कमरे में अकेले में किया। उससे उसके मन में एक ग्लानि सी उठ रही थी। या कुछ और। क्या पता। इसी उधेड बुन में वो खाना खाती रही और मम्मीजी की बातों का भी हूँ हाँ में जबाब भी देती रही। लेकिन नजर नहीं उठा पाई। खाना खतम हुया और वो अपने कमरे की ओर पलटी। तो ना जाने क्यों उसने पलटकर। भीमा चाचा की ओर देखा। जो कि उसी की तरफ देख रहे थे। जब वो सीढ़ी चढ़ रही थी।

और जैसे ही कामया की नजर से टकराई तो। जल्दी से नीचे भी हो गई। कामया पलटकर अपने कमरे की ओर चल दी। और जाकर आराम करने लगी। सोचते सोचते पता नहीं कब उसे नींद लग गई। और शाम को इंटरकॉम की घंटी ने ही उसे उठाया। चाय के लिए। कामया कपड़े बदल कर। नीचे आई और चाय पीकर मम्मीजी के साथ। टीवी देखने लगी। सुबह की घटना अब उसके दिमाग में नहीं चल रही थी। 8। 30 के बाद पापाजी और कामेश घर आ जाते थे। दुकान बढ़ाकर।

दोनों के आते ही घर का महाल कुछ चेंज हो जाता था। सब कुछ जल्दी बाजी में होता था। खाना। और फिर थोड़ी बहुत बातें और फिर सभी अपने कमरे की ओर चल देते थे। पूरे घर में सन्नाटा छा जाता था।

कमरे में पहुँचते ही कामेश कामया से लिपट गया। कामया का पूरा शरीर जल रहा था। वो जाने क्यों आज बहुत उत्तेजित थी। कामेश के लिपट-ते ही कामया। पूरे जोश के साथ कामेश का साथ देने लगी। कामेश को भी कामया का इस तरह से उसका साथ देना कुछ आजीब सा लगा पर वो तो उसका पति ही था उसे यह पसंद था। पर कामया हमेशा से ही कुछ झिझक ही लिए हुए उसका साथ देती थी। पर आज का अनुभब कुछ अलग सा था। कामेश कामया को उठाकर बिस्तर पर ले गया और जल्दी से कामया को कपड़ों से आजाद करने लगा।

कामेश भी आज पूरे जोश में था। पर कामया कुछ ज्यादा ही जोश में थी। वो आज लगता था कि कामेश को खा जाएगी। उसके होंठ कामेश के होंठों को छोड़ ही नही रहे थे और वो अपने मुख में लिए जम के चूस रही थी। कभी ऊपर के तो कभी नीचे के होंठ कामया की जीब और होंठों के बीच पिस रहे थे। कामेश भी कामया के शरीर पर टूट पड़ा था। जहां भी हाथ जाता कसकर दबाता था। और जितना जोर उसमें था उसका वो इस्तेमाल कर रहा था। कामेश के हाथ कामया की जाँघो के बीच में पहुँच गये थे। और अपनी उंगलियों से वो कामया की योनि को टटोल रहा था। कामया पूरी तरह से तैयार थी। उसकी योनि पूरी तरह से गीली थी। बस जरूरत थी तो कामेश के आगे बढ़ने की। कामेश ने अपने होंठों को कामया से छुड़ा कर अपने होंठों को कामया की चूचियां पर रख दिया और खूब जोर-जोर से चूसने लगा। कामया धनुष की तरह ऊपर की ओर हो गई।

और अपने हाथों का दबाब पूरे जोर से उसने कामेश के सिर पर कर दिया कामेश का पूरा चेहरा उसके चूचियां से धक गया था उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। पर किसी तरह से उसने अपनी नाक में थोड़ा सा हवा भरा और फिर जुट गया वो कामया की चूचियां पर। कामया। जो कि बस इंतेजर में थी कि कामेश उसपर छा जाए। किसी भी तरह से बस उसके शीरीर को खा जाए। और। उसके अंदर उठ रही ज्वार को शांत कर्दे। कामेश भी कहाँ देर करने वाला था। झट से अपने को कामया की गिरफ़्त से आजाद किया और अपने को कामया की जाँघो के बीच में पोजीशन किया और। धम्म से अंदर।

आआआआआह्ह। कामया के मुख से एक जबरदस्त। आहह निकली।
और कामेश से चिपक गई। और फिर अपने होंठों को कामेश के होंठों से जोड़ दिया। और अपनी सांसें भी कामेश के मुख के अंदर ही छोड़ने लगी। कामेश आवेश में तो था ही। पूरे जोश के साथ। कामया के अंदर-बाहर हो रहा था। आज उसने कोई भी रहम या। ढील नहीं दी थी। बस किसी जंगली की तरह से वो कामया पर टूट पड़ा था। पता नही क्यों कामेश को आज कामया का जोश पूरी तरह से। नया लग रहा था। वो अपने को नहीं संभाल पा रहा था। उसने कभी भी कामया से इस तरह से संभोग करने की नहीं सोची थी। वो उसकी पत्नी थी। सुंदर और पढ़ी लिखी। वो भी एक अच्छे घर का लड़का था। संस्कारी और अच्छे घर का। उसने हमेशा ही अपनी पत्नी को एक पत्नी की तरह ही प्यार किया था। किसी। जंगली वा फिर हबसी की तरह नहीं। कामया नाम के अनुरूप ही सुंदर और नाजुक थी। उसने बड़े ही संभाल कर ही उसे इस्तेमाल किया था। पर आज कामया के जोश को देखकर वो भी। जंगली बन गया था। अपने को रोक नहीं पाया था।

धीरे-धीरे दोनों का जोश ठंडा हुआ। तो। दोनों बिस्तर पर चित लेटके। जोर-जोर से अपने साँसे। छोड़ने लगे और। किसी तरह अपनी सांसों पर नियंत्रण पाने की कोशिश करने लगे। दोनों थोड़ा सा संभले तो एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुराए कामेश। कामया की ओर देखता ही रहा गया। आज ना तो उसने अपने को ढँकने की कोशिश की और नहीं अपने को छुपाने की। वो अब भी बिस्तर पर वैसे ही पड़ी हुई थी। जैसा उसने छोड़ा था। बल्कि उसके होंठों पर मुश्कान ऐसी थी की जैसे आज उसको बहुत मजा आया हो। कामेश ने पलटकर कामया को अपनी बाहों में भर लिया और।
कामेश- क्या बात है। आज कुछ खास बात है क्या।

कामया- उउउहह। हूँ।

कामेश- फिर। आज। कुछ बदली हुई सी लगी।

कामया- अच्छा वो कैसे।

कामेश- नहीं बस। यूही। कोई। फिल्म वग़ैरह देखा था क्या।

कामया- नहीं तो। क्यों।

कामेश- नहीं। आज कुछ ज्यादा ही मजा आया। इसलिए।

और हँसते हुए। उठ गया और। बाथरूम की ओर चला गया।

कामया। वैसे ही। बिस्तर पर बिल्कुल नंगी ही लेटी रही। और अपने और कामेश के बारे में सोचने लगी। कि कामेश को भी आज उसमें चेंज दिखा है। क्या चेंज। आज का सेक्स तो मजेदार था। बस ऐसा ही होता रहे। तो क्या बात है। आज कामेश ने भी पूरा साथ दिया था। कामया का।

इतने में उसके ऊपर चादर गिर पड़ी और वो अपने सोच से बाहर आ गई

कामेश- चलो उठो।

कामया कामेश की ओर देख रही थी। क्यों उसने उसे ढक दिया। क्या वो उसे इस तरह नहीं देखना चाहता क्या वो सुंदर नहीं है। क्या। वो बस सेक्स के खेल के समय ही उसे नंगा देखना चाहता है। और बाकी समय बस ढँक कर रहे वो। क्यों। क्यों नहीं चाहता कामेश उसे। नंगा देखना। क्यों। नहीं वो चादर को खींचकर गिरा देता है। और फिर उसपर चढ़ जाता है। क्यों नहीं करता वो यह सब। क्या कमी है। उसमें।

तब तक कामेश। घूमकर अपने बिस्तर की ओर चला आया था। और कामया की ओर ही देख रहा था।

कामया धीरे से उठी और चाददर लपेट कर ही बाथरूम की ओर चल दी। लेकिन अंदर जाने से पहले जब पलट कर देखा तो कामया चुपचाप बाथरूम में घुस गई और। अपने को साफ करने के बाद जब वो बाहर आई तो शायद कामेश सो चुका था। वो अब भी चादर लपेटे हुई थी। और बिस्तर के कोने में आकर बैठ गई थी। सामने ड्रेसिंग टेबल पर कोने से उसकी छवि दिख रही थी। बाल उलझे हुए थे। पर चेहरे पर मायूसी थी। कामया के।

ज्यादा ना सोचते हुए। कामया भी धम्म से अपनी जगह पर गिर पड़ी और। कंबल के अंदर बिना कपड़े के ही घुस गई। और सोने की चेष्टा करने लगी। नजाने कब वो सो गई और सुबह भी हो गई।
 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 02:19 PM

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