Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:22 PM,
#22
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया पड़े हुए भीमा की हर हरकत को देख भी रही थी और महसूस भी कर रही थी लेकिन उसके शरीर में इतनी जान ही नहीं बची थी कि वो कोई कदम उठाती या फिर अपने को ढँकती वो तो बस लेटी लेटी भीमा की हर उस हरकत का लुफ्त उठा रही थी जिसे कि आज तक उसके जीवन में नहीं हुआ था वो तब भी उठी हुई थी जब वो उसके ऊपर से हटा था और उसने पलटकर अपनी धोती और अंडरवेअर पहना था कितना बलिश्त था वो बिल्कुल कसा हुआ सा और उसके नितंब तो जैसे पत्थर के टुकड़े थे बिल्कुल कसे हुए और काले काले थे जाँघो में बाल थे और लिंग तो झड़ने के बाद भी कितना लंबा और मोटा था कमर के चारो ओर एक घेरा सा था और उसके ऊपर उसका सीना था काले और सफेद बालों को लिए हुए 

उसने लेटे हुए उसने भीमा को अच्छे से देखा था उतना अच्छे से तो उसने अपने पति को भी नहीं देखा था पर ना जाने क्यों उसे भीमा चाचा को इस तरह से छुप कर देखना बहुत अच्छा लग रहा था और जब वो जाते जाते रुक गये थे और पलटकर आके उसके होंठों को चूमा था तो उसका मन भी उनको चूमने का हुआ था पर शरम और डर के मारे वो चुपचाप लेटी रही थी उसे बहुत मजा आया था 

उसके पति ने भी कभी झड़ने के बाद उसे इस तरह से किस नहीं किया था या फिर ढँक कर सुलाने की कोशिश नहीं की थी वो लेटी लेटी अपने आपसे ही बातें करती हुई सो गई और एक सुखद कल की ओर चल दी उससे पता था कि अब वो भीमा चाचा को कभी भी रोक नहीं पाएगी और वो यह भी जानती थी कि जो उसकी जिंदगी में खाली पन था अब उसे भरने के लिए भीमा चाचा काफी है वो अब हर तरीके से अपने शरीर का सुख भीमा चाचा से हासिल कर सकती है 
और किसी को पता भी नहीं चलेगा और वो एक लंबी सी सुखद नींद के आगोस में समा गई 

शाम को इंटरकॉम की घंटी के साथ ही उसकी नींद खुली और उसने झट से फोन उठाया 
कामया- हाँ… 

- जी वो माँ जी आने वाली है चाय के लिए 

कामया- हाँ… 
और फोन रख दिया लेकिन आचनक ही उसके दिमाग की घंटी बज गई अरे यह तो भीमा चाचा थे पर क्यों उन्होंने फोन किया मम्मीजी भी तो कर सकती थी 

तभी उसका ध्यान अपने आप पर गया अरे वो तो पूरी तरह से नंगी थी उसके जेहन में दोपहर की बातें घूमने लगी थी वो वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपने बारे में सोचने लगी थी वो जानती थी कि आज उसने क्या किया था सेक्स की भूख खतम होते ही उसे अपनी इज़्ज़त का ख्याल आ गया था वो फिर से चिंतित हो गई और कंधे पर पड़े अपने ब्लाउज को ठीक करने लगी और धीरे से उतर कर बाथरूम की ओर चल दी 

बाथरूम में जाने के बाद उसने आपने आपको ठीक से साफ किया और फिर से कमरे में आ गई थी वारड्रोब से सूट निकालकर वो जल्दी से तैयार होने लगी थी पर ध्यान उसका पूरे समय मिरर पर था उसका चेहरा दमक रहा था जैसे कोई चिंता या कोई जीवन की समस्या ही नहीं हो उसके दिमाग पर हाँ… आज तक उसका चेहरा इतना नहीं चमका था उसने मिरर के पास आके और गौर से देखा उसकी आखों में एक अजीब सा नशा था और उसके होंठों पर एक अजीब सी खुशी उसका सारा बदन बिल्कुल हल्का लग रहा था 

दोपहर के सेक्स के खेल के बाद वो कुछ ज्यादा ही चमक गया था वो सोचते ही उसके शरीर में एक लहर सी दौड़ गई और उसके निपल्स फिर से टाइट होने लगे थे उसने अपने हाथों से अपनी चुचियों को एक बार सहलाकर छोड़ दिया और वो अपने दिमाग से इस घटना को निकाल देना चाहती थी वो जल्दी से तैयार होकर नीचे की ओर चली सीडियो के कोने से ही उसने देख लिया था कि मम्मीजी अपने कमरे से अभी ही निकली है अच्छा हुआ भीमा ने फोन कर दिया था नहीं तो वो तो सोती ही रह जाती 

वो जल्दी से मम्मीजी के पास पहुँच गई और दोनों की चाय सर्व करने लगी वो शांत थी 
मम्मीजी- तैयार हो गई 

कामया- जी 

मम्मीजी- अरे लाखा के साथ नहीं जाना गाड़ी चलाने 

कामे- जी जी हाँ… बस चाय पीकर तैयार होती हूँ 

लाखा का नाम सुनते ही पता नहीं क्यों उसके अंदर एक उथल पुथल फिर मच गई उसे लाखा काका की आखें नजर आने लगी थी और फिर वही बैठे बैठे दोपहर की बातों पर भी ध्यान चला गया किस तरह से भीमा चाचा ने उसे उठाया था और बिस्तर पर रखा था और उसने किस तरह से उनका हाथ पकड़कर अपने सीने पर रखा था सोचते सोचते और चाय पीते पीते उसके शरीर में एक सिहरन सी वापस दौड़ने लगी थी उसकी चूचीफिर से ब्रा में टाइट हो गई थी और उसकी जाँघो के बीच में फिर से कूड़कुड़ी सी होने लगी थी पर मम्मीजी के सामने वो चुपचाप अपने को रोके हुए चाय पीती रही 

पर एक, लंबी सी सांस जरूर उसके मुख और नाक से निकल ही गई 

मम्मी जी का ध्यान भी उस तरफ गया और कामया की ओर देख कर पूछा 
मम्मीजी- क्या हुआ 

कामया- जी कुछ नहीं बस हमम्म्ममम 

मम्मीजी- आराम से चलाना और कोई जल्दी बाजी नहीं करना ठीक है 

कामया- जी हमम्म्म 

वो ना चाह कर भी अपने सांसों पर कंट्रोल नहीं रख पा रही थी उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था वो चाहती थी कि किसी तरह से वो अपने आप पर कंट्रोल करले पर पता नहीं क्यों लाखा काका के साथ जाने की बात से ही वो उत्तेजित होने लगी थी 

मम्मीजी- चल जल्दी करले 6 बजने को है लाखा आता ही होगा तेरे जाने के बाद ही पूजा में बैठूँगी जा तैयार हो जा 

मम्मीजी की आवाज ने उसे चोका दिया था वो भी जल्दी से चाय खतम करके अपने कमरे की ओर भागी और वारड्रोब के सामने खड़ी हो गई 

क्या पहनु सूट ही ठीक है पर साड़ी में वो ज्यादा अच्छी लगती है और सेक्सी भी लाखा भी अपनी आखें नहीं हटा पा रहा था उसके होंठों पर एक कातिल सी मुश्कान दौड़ गई थी उसने फिर से वही साड़ी निकाली जो वो उस दिन पहनकर पार्टी में गई थी और हँगर को अपने सामने करती हुई उसे ध्यान से देखती रही फिर एक झटके से अपने आपको तैयार करने में जुट गई थी बड़े ही सौम्य तरीके से उसने आपने आपको सजाया था जैसे कि वो अपने पति या फिर किसी दोस्त के साथ कही पार्टी या फिर किसी डेट पर जा रही हो हर बार जब भी वो अपने को मिरर में देखती थी तो उसके होंठों पर एक मुश्कान दौड़ पड़ती थी 

एक मुश्कान जिसमें बहुत से सवाल छुपे थे एक मुश्कान जिसे कोई भी देख लेता तो कामया के दिल की हाल को जबान पर लाने से नहीं रोक पाता एक मुश्कान जिसके लिए कितने ही जान न्यौछावर कर जाते पता नहीं जब वो तैयार होकर मिरर के सामने खड़ी हुई तो वाह क्या लग रही थी खुले बाल कंधों तक सपाट कंधे और उसपर जरा सी ब्लाउसकी पट्टी सामने से ब्लाउस इतना खुला था कि उसके आधे चुचे बाहर की ओर निकले पड़े थे साड़ी का पल्लू लेते हुए वो ब्लाउसपर पिन लगाने को हुई पर जाने क्यों उसने पिन वही छोड़ दिया और फिर से अपने पल्लू को ठीक से ब्लाउज के ऊपर रखने लगी दाईं साइड की चूची तो पूरी बाहर थी और साड़ी उसके लेफ्ट और दाए चुचे के बीच से होती हुई पीछे चली गई थी 


खुले पल्ले की साड़ी होने की वजह से सिर्फ़ एक महीन लाइन या ढका हुआ था उसकी चूचीया क्या कहूँ सामने वाले की जोर आजमाइश के लिए था यह साड़ी का पल्लू देखा क्या छुपा रखा है अंदर हाँ… हाँ… हाई हाई साड़ी या पेटीकोट बाँधते समय भी कामया ने बहुत ध्यान से उसे कमर के काफी नीचे बाँधा था ताकि उसका पेट और नाभि अच्छे से दिखाई दे और साफ-साफ दिखाई दे, ताकि उसपर से नजर ही ना हटे और पीछे से भी कमर के चारो तरफ एक हल्का सा घेरा जैसा ही ले रखा था उसने ना ही कमर को ढकने की कोशिश थी और बल्कि दिखाने की कोशिश ज्यादा थी कामया ने 

हाथों में लटकी हुई साड़ी को लपेट कर वो एक चंचल सी लड़की के समान मिरर के सामने खड़ी हुई अपने को निहारती रही और तभी इंटरकम की घंटी बजी 

मम्मीजी- क्या हुआ बहू तैयार नहीं हुई क्या लाखा तो आ गया है 

कामया- जी आती हूँ 

और कामया का सारा जोश जैसे पानी पानी हो गया था 
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