Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:22 PM,
#24
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
लाखा को तो जैसे साप सूंघ गया हो वो गाड़ी चलाए या फिर क्या करे दिमाग काम नहीं कर रहा था जो बहू अब तक उसके गाड़ी के अंदर धकि ढकाई बैठी थी अब सिर्फ़ एक कोट उतारने से ही उसकी सांसों रोक सकती है तो जब वो गाड़ी चलाएगी उसके पास बैठकर तो तो वो तो मर ही जाएगा वो अपने को क्या संभाले वो तो बस उस सुंदरता को रियर व्यू में बार-बार देख रहा था और अपने भाग्य पर इठला रहा था कि क्या मौका मिला था आज उसे जहां वो बहू को गाड़ी चलाने के लिए सब लोगों को मना करने वाला था और कहाँ वो आज उस जन्नत के दीदार कर रहा है वो सोचते सोचते अपनी गाड़ी को ग्राउंड की ओर ले चला था और कामया ने सोचा था वो उसे मिल गया था वो लाखा काका का अटेन्शन खींचने में सफल हुई थी जो नजर गाड़ी चलाते समय सड़क पर थी वो अब बार-बार उसपर पड़ रही थी वो अपने इस कदम से खुश थी और अपनी सुंदरता पर इठला रही थी वो अपने आप को एक जीवंत सा महसूस कर रही थी उसके शरीर में जो आग लगी थी अब वो आग धीरे-धीरे भड़क रही थी उसकी सांसों का तेज होना शुरू हो गया था और हो भी क्यों नहीं उसकी सुंदरता को कोई पुजारी जो मिल गया था उसके शरीर की पूजाकरने वाला और उसकी तारीफ करने वाला भले ही शब्दो से ना करे पर नजर से तो कर ही रहा था वो अपने को और भी ठीक करके बैठने की कोशिश कर रही थी ठीक से क्या अपने आपको काका के दर्शान के लिए और खुला निमंत्रण दे रही थी वो थोड़ा सा आगे की ओर हुई और अपनी दोनों बाहों को सामने सीट पर ले गई और बड़े ही इठलाते हुए कहा 
कामया- और कीईईतनीईिइ दुर्र्ररर है हाँ… 

लाखा- जी बस पहुँच ही गये 

और गाड़ी मैदान में उतर गई थी और एक जगह रोक गई 


लाखा ने अपने तरफ का गेट खोलकर बाहर निकलते समय पीछे पलटकर कामया की ओर देखते हुए कहा 

लाखा- जी आइए ड्राइविंग सीट पर 

कामया ने लगभग मचलते हुए अपने साइड का दरवाजा खोला और जल्दी से नीचे उतर कर बाहर आई और लगभग दौड़ती हुई इचे से घूमती हुई आगे ड्राइविंग सीट की ओर आ गई 

बाहर लाखा डोर पकड़े खड़ा था और अपने सामने स्वप्न सुंदरी को ठीक से देख रहा था वो अपनी नजर को नीचे नहीं रख पा रहा था वो उस सुंदरता को पूरा इज़्ज़त देना चाहता था वो अपनी नजर को झुका कर उस सुंदरता का अपमान नहीं करना चाहता था वो अपने जेहन में उस सुंदरता को उतार लेना चाहता था वो अपने पास से बहू को ड्राइविंग सीट की ओर आते हुए देखता रहा और बड़े ही अदब से उसका स्वागत भी किया थोड़ा सा झुक कर और थोड़ा सा मुस्कुराते हुए वो बहू के चेहरे को पढ़ना चाहता था वो उसकी आखों में झाँक कर उसके मन की बातों को पढ़ना चाहता था वो अपने सामने उस सुंदरी को देखना और देखना चाहता था वो एकटक बहू की ओर नजर गढ़ाए देखता रहा जब तक वो उसके सामने से होते हुए ड्राइविंग सीट पर नहीं बैठ गई कामया का बैठना भी एक और दिखावा था वो तो लाखा को अपने शरीर का दीदार करा रही थी बैठते ही उसका आचाल उसके कंधे से ढलक कर उसकी कमर तक उसको नंगा कर गया सिर्फ़ ब्लाउसमें उसके चूचियां जो की आधे से ज्यादा ही बाहर थी लाखा के सामने उजागर हो गया पर कामया का ध्यान ड्राइविंग सीट पर बैठे ही स्टियरिंग पर अपने हाथों को ले जाने की जल्दी में था वो बैठते ही अपने आपको भुलाकर स्टियरिंग पर अपने हाथों को फेरने लगी थी और उसके होंठों पर एक मधुर सी मुस्कान थी पर बाहर खड़े हुए लाखा की तो जैसे जान ही निकल गई थी अपने सामने ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई उसे काम अग्नि से जलाती हुई स्वर्ग की उस अप्सरा को वो बिना पलके झपकाए आखें गढ़ाए खड़ा-खड़ा देख रहा था उसकी सांसें जैसे रुक गई थी वो अपने मुख से थूक का घुट पीते हुए डोर को बंद करने को था कि उसकी नजर बहू के साड़ी पर पड़ी जो की डोर से बाहर जमीन तक जा रही थी और बहू तो स्टियरिंग पर ही मस्त थी उसने बिना किसी तकल्लूफ के नीचे झुका और अपने हाथों से बहू की साड़ी को उठाकर गाड़ी के अंदर रखा और अपने हाथों से उसे ठीक करके बाहर आते हुए हल्के हाथों से बहू की जाँघो को थोड़ा सा छुआ और डोर बंद कर दिया 



वो जल्दी से घूमकर अपने सीट पर बैठना चाहता था पर घूमकर आते आते उसने धोती को और आपने अंडरवेर को थोड़ा सा हिलाकर अपने लिंग को आकड़ने से रोका या कहिए थोड़ा सा सांस लेने की जगह बना दी वो तो तूफान खड़ा किए हुए था अंदर कामया अब भी उसी स्थिति में बैठी हुई थी उसने अपने पल्लू को उठाने की जहमत नहीं की थी और अपने हाथों को स्तेरिंग पर अब भी घुमाकर देख रही थी लाखा काका के आने के बाद वो उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और 
कामया- हाँ… अब क्या 

लाखा साइड की सीट पर बैठे हुए थोड़ा सा हिचका था पर फिर थोड़ा सा दूरी बना के बैठ गया और बहू को देखता रहा ब्लाउज के अंदर से उसकी गोल गोल चूचियां जो कि बाहर से ही दिख रही थी उनपर नजर डालते हुए और गले को तर करते हुए बोला 

लाखा - जी आप गाड़ी स्टार्ट करे 

कामया- कैसे 
और अपने पल्लू को बड़े ही नाटकीय अंदाज से अपने कंधे पर डाल लिया ना देखते हुए कि उससे कुछ ढका कि नहीं 

लाखा- जी वो चाबी घुमा के साइड से 
और आखों का इशारा करते हुए साइड की ओर देखा कमाया ने भी थोड़ा सा आगे होकर कीस तक हाथ पहुँचाया और घुमा दिया 

गाड़ी एक झटके से आगे बड़ी और फिर आगे बढ़ी और बंद 

लाखा ने झट से अपने पैरों को साइड से लेजाकर ब्रेक पर रख दिया और ध्यान से बहू की ओर देखा 

लाखा के ब्रेक पर पैर रखते ही कामया का सारा बदन जल उठा उसकी जाँघो पर अब लाखा काका की जांघे चढ़ि हुई थी और उसकी नाजुक जांघे उनके नीचे थी भारी और मजबूत थी उनकी जांघे और हाथ उसके कंधे पर आ गये थे साड़ी का पल्लू फिर से एक बार उसकी चुचियों को उजागर कर रहा था वो अपनी सांसो को नियंत्रण करने में लगा था लाखा ने जल्दी से अपने पैरों को उसके ऊपर से हठाया और गियर पर हाथ लेजाकर उसे न्यूट्रल किया और बहू की ओर देखता रहा उसकी जान ही अटक गई थी पता नहीं अब क्या होगा उसने एक बहुत बड़ी गलती कर ली थी 

पर कामया तो नार्मल थी और बहुत ही सहज भाव से पूछी 
कामया- अरे काका हमें कुछ नहीं आता ऐसे थोड़ी सिखाया जाता है गाड़ी 

लाखा- जी जी जी वो 
उसके गले में सारी आवाज ही फँस गई थी क्या कहे उसके सामने जो चीज बैठी है, उसको देखते ही उसके होश उड़ गये है और क्या कहे कैसे कहे 

कामया- अरे काका आप थोड़ा इधर आके बैठो और हमें बताओ कि क्या करना है और ब्रेक बागेरा सबकुछ हमें कुछ नहीं पता है 
लाखा- जी जी 
और लाखा अपने आपको थोड़ा सा संभालता हुआ बहू की ओर नजर गढ़ाए, हुए उसे बताने की कोशिश करने लगा 

लाखा- जी वो लेफ्ट तरफ वाला ऐक्सीलेटर है बीच में ब्रेक है और दायां में क्लच है और बताते हुए उसकी आखें बहू के उठे हुए उभारों को और उसके नीचे उसे पेट और नाभि तक दीदार कर रहे थे ब्लाउज के अंदर जो उथल पुथल चल रही थी 
वो उसे भी दिख रहा था पर जो शरीर के अंदर चल रहा था वो तो सिर्फ़ कमी को ही पता था उसके निपल्स टाइट औट टाइट हो धुके थे जाँघो के बीच में गीला पन इतना बढ़ चुका था कि लग रहा था की सूसू निकल गई है पैरों को जोड़ कर रखना उसके लिए दूभर हो रहा था वो अब जल्दी से अपने शरीर में उठ रही अग्नि को शांत करना चाहती थी और वो आई भी इसीलिए थी लाखा काका की नजर अब उसपर थी और वो काका को और भी भड़का रही थी वो जानती थी कि बस कुछ ही देर में वो लाखा के हाथों का खिलोना बन जाएगी और लाखा काका उसे भीमा चाचा जैसे ही रौंद कर रख देंगे वो चाहत लिए वो हर उसकाम को अंजाम दे रही थी जिससे कि वो जल्दी से मुकाम को हासिल कर सके 

कामया- उउउफ़्फुऊऊ काका एक काम कीजिए आप घर चलिए ऐसे मैं तो कभी भी गाड़ी चलना सीख नहीं पाऊँगी 

लाखा- जी पर कोशिश तो आप को ही करनी पड़ेगी 

कामया- जी पर मैं तो कुछ भी नहीं जानती आप जब तक हाथ पकड़कर नहीं सिखाएँगे गाड़ी चलाना तो दूर स्टार्ट करना भी नहीं आएगा 

और अपना हाथ स्तेरिंग पर रखकर बाहर की ओर देखने लगी लाखा भी सकते में था कि क्या करे वो कैसे हाथ पकड़कर सिखाए पर सिखाना तो है बड़े मालिक का आदेश है वो अपने आपको संभालता हुआ बोला 
लाखा- आप एक काम करे एक्सीलेटर पर पैर आप रखे मैं ब्रेक और क्लच संभालता हूँ और स्तेरिंग भी थोड़ा सा देखा दूँगा 

कामया- ठीक है 
एकदम से मचलते हुए उसने कहा और नीचे हाथ लेजाकर कीस को घुमा दिया और एक्सीलेटर पर पैर रख दिया दूसरा पैर फ्री था और लाखा काका की ओर देखने लगी 

लाखा भी नहीं जानता था कि अब क्या करे 
कामया- अरे काका क्या सोच रहे है आप तो बस ऐसा करेगे तो फिर घर चलिए 

घर चलिए के नाम से लाखा के शरीर में जैसे जोश आ गया था अपने हाथों में आई इस चीज को वो नहीं छोड़ सकता अब चाहे कुछ भी हो जाए चाहे जान भी चली जाए वो अब पीछे नहीं हटेगा उसने अपने हाथों को ड्राइविंग सीट के पीछे रखा और थोड़ा सा आगे की ओर झुक कर अपने पैरों को आगे बढ़ाने की कोशिश करने लगा ताकि उसके पैर ब्रेक तक पहुँच जाए पर कहाँ पहुँचे वाले थे पैर कामया लाखा की इस परेशानी को समझते हुए अपने पल्लू को फिर से ऊपर करते हुए 
कामया- अरे काका थोड़ा इधर आइए तो आपका पैर पहुँचेगा नहीं तो कहाँ 

लाखा- जी पर वो 

कामया- उउउफफ्फ़ ऊऊ आप तो बस थोड़ा सा टच हो जाएगा तो क्या होगा आप इधर आईई और अपने आपको भी थोड़ा सा डोर की ओर सरक के वो बैठ गई 

अब लाखा के अंदर एक आवेश आ गया था और वो अपने को रोक ना पाया उसने अपने लेफ्ट पैर को गियर के उस तरफ कर लिया और बहू की जाँघो से जोड़ कर बैठ गया उसकी जांघे बहू की जाँघो को रौंद रही थी उसके वेट से कामया की जाँघो को तकलीफ ना हो सोचकर लाखा थोड़ा सा अपनी ओर हुआ ताकि बहू अपना पैर हटा सके पर बहू तो वैसे ही बैठी थी और अपने हाथों को स्टियरिंग पर घुमा रही थी 

लाखा ने ही अपने हाथों से उसके जाँघो को पकड़ा और थोड़ा सा उधर कर दिया और अपनी जाँघो को रखने के बाद उसकी जाँघो को अपने ऊपर छोड़ दिया वह कितनी नाजुक और नरम सी जाँघो का स्पर्श था वो कितना सुखद और नरम सा लाखा अपने हाथों को सीट के पीछे लेजाकर अपने आपको अड्जस्ट किया और बहू की ओर देखने लगा बहू अब थोड़ा सा उससे नीचे थी उसका आचल अब भी अपनी जगह पर नहीं था उसकी दोनों चूचियां उसे काफी हद तक दिख रही थी वो उत्तेजित होता जा रहा था पर अपने पर काबू किए हुआ था अपने पैरों को वो ब्रेक तक पहुँचा चुका था और अपनी जाँघो से लेकर टांगों तक बाहू के स्पर्श से अविभूत सा हुआ जा रहा था वो अपने नथुनो में भी बहू की सुगंध को बसा कर अपने आपको जन्नत की सैर की ओर ले जा रहा था 

बहू लगभग उसकी बाहों में थी और उसे कुछ भी ध्यान नहीं था वो अपनी स्वप्न सुंदरी के इतने पास था वो सोच भी नहीं सकता था 

गाड़ी स्टार्ट थी और गियर पड़ते ही चालू हो जाएगी 
लाखा का दायां हाथ अब गियर के ऊपर था और उसने क्लच दबा के धीरे से गियर चेंज किया और धीरे-धीरे क्लच को छोड़ने लगा और 
लाखा- आप धीरे से आक्सेलेटर बढ़ाना 

कामया- जी हमम्म्ममममम 

लाखा ने धीरे से क्लच को छोड़ा पर आक्सेलोटोर बहुत कम था सो गाड़ी फिर रुक गई 

कामया अपनी जगह पर से ही अपना चेहरा उठाकर काका की ओर देखा और 
कामया- क्या हुआ 

लाखा- जी थोड़ा सा और एक्सीलेटर दीजिएगा 

और अपने दाँये हाथ से गियर को फ्री करके रुका पर कामया की ओर से कोई हरकत ना देखकर लेफ्ट हैंड से उसके कंधे पर थोड़ा सा छूके कहा 
लाखा- जी वो गाड़ी स्टार्ट कजिए हमम्म्ममम 

कामया- जी हाँ 
किसी इठलाती हुई लड़की की तरह से हँसी और झुक कर कीस को घुमाकर फिर से गाड़ी स्टार्ट की लाखा की हालत खराब थी वो अपने को अड्जस्ट ही कर रहा था उसका लिंग उसका साथ नहीं दे रहा था वो अपने आपको आजाद करना चाह-ता था लाखा ने फिर से अपने धोती को अड्जस्ट किया और अपने लिंग को गियर के सपोर्ट पर खड़ा कर लिया ढीले अंडरवेअर से उसे कोई दिक्कत नहीं हुई थी अब वो गियर चेंज करने वाला ही था कि कामया का हाथ अपने आप ही गियर रोड पर आ गया था ठीक उसके लिंग के उउऊपर था जरा सा नीचे होते ही उसके लिंग को छू जाता लाखा थोड़ा सा पीछे हो गया और अपने हाथों को बहू के हाथों रख दिया और जोर लगाकर गियर चेंज किया और धीरे से क्लुच छोड़ दिया गाड़ी 
आगे की ओर चल दी 

लाखा- जी थोड़ा सस्स्साअ और एक्सीलेटर दबाइए हमम्म्ममम 
उसकी गरम-गरम सांसें अब कामया के चेहरे पर पड़ रही थी और कामया की तो हालत ही खराब थी वो जानती थी कि वो किस परस्थिति में है और उसे क्या चाहिए उसने आपने आप पर से नियंत्रण हटा लिया था और सबकुछ काका के हाथों में सौंप दिया था उसकी सांसें अब उसका साथ नहीं दे रही थी उसके कपड़े भी जहां तहाँ हो रहे थे उसके ब्लाउज के अंदर से उसकी चूचियां उसका साथ नहीं दे रही थी वो एक बेसूध सी काया बन कर रह गई थीजो कि बस इस इंतजार में थी कि लाखा काका के हाथ उसे सहारा दे 

उसने बेसुधि में ही अपनी आखें आगे की ओर गढ़ाए, हुए स्टियरिंग को किसी तरह से संभाला हुआ था गाड़ी कभी इधर कभी उधर जा रही थी 

लाखा का लेफ्ट हैंड तो अब बहू के कंधे पर ही आ गया था और उस नाजुक सी काया का लुफ्त ले रहा था और दायां हैंड कभी उसके हाथो को स्टियरिंग में मदद करते तो कभी गियर चेंज करने में वो भी अपनी स्थिति से भली भाँति परिचित था पर आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा था पूरी थाली सजी पड़ी थी बस हाथ धोकर श्री गणेश करना बाकी था हाँ बस ओपचारिकता ही उन्हें रोके हुए थी 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 02:22 PM

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