Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:23 PM, (This post was last modified: 06-10-2017, 02:23 PM by sexstories.)
#26
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
और उधर लाखा अपनी जीब को अब भी बहू की योनि के अंदर आगे पीछे करके अपनी जीब से बहू के अंदर से निकलते हुए रस्स को पी रहा था जैसे कोई अमृत मिल गया हो और वो उसका एक भी कतरा वेस्ट नहीं करना चाहता था उसके दोनों हाथ बहू की जाँघो के चारो और कस के जकड़े हुए थे और वो बहू की जाँघो को थोड़ा सा खोलकर सांस लेने की जगह बनाने की कोशिश कर रहा था पर बहू की जाँघो ने उसके सिर को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उसकी जाँघो को अलग नहीं कर पा रहा था 


वो इससे ही अंदाजा लगा सकता था कि बहू कितनी उत्तेजित है या फिर कितना मजा आ रहा है वो अपने को और भी बहू की योनि के अंदर घुसा लेना चाहता था पर उसने अपने को छुड़ाने की कोशिश में एक झटके से अपना चेहरा उसकी जाँघो से आजाद कर लिया और बाहर आके सांस लेने लगा तब उसकी नजर बहू पर पड़ी जो कि अब भी ड्राइविंग सीट पर लेटी हुई थी और जाँघो तक नंगी थी उसकी सफेद और सुडोल सी जांघे और पैर बाहर कार से लटके हुए थे दूर से आ रही रोशनी में उसके नंगे शरीर को चार चाँद लगा रहे थे लाखा का पूरा चेहरा बहू के रस्स से भीगा हुआ था और वो अब भी बहू को, 
एक भूके शेर की तरह देख रहा था और अपने मजबूत हाथों से उसकी जाँघो को और उसके पैरों को सहला रहा था बहू का चेहरा उसे नहीं दिख रहा था वो अंदर कही शायद गियर रोड के पास से नीचे की ओर था लाखा उठा और सहारा देकर बहू को थोड़ा सा बाहर खींचा ताकि बहू का सिर किसी तरह से सीट पा आ जाए उसे अपने नौकर होने का एहसास अब भी था वो नहीं चाहता था कि बहू को तकलीफ हो पर अपनी वासना को भी नहीं रोक पा रहा था उसने एक बार बहू की ओर देखा और उठ खड़ा हुआ और अपनी धोती से अपना चेहरा पोंछा और थोड़ा सा अंदर घुसकर बहू की ओर देखने लगा बहू अब भी शांत थी पर उसके शरीर से अब भी कई झटके उठ रहे थे बीच बीच में थोड़ा सा खांस भी लेती थी पर काका को अचानक ही अपने ऊपर झुके हुए देखकर वो थोड़ा सा सचेत हो गई 

और अपनी परिस्थिति का अंदाज लगाने लगी काका का चेहरा बहुत ही सख्त सा दिखाई दे रहा था, उस अंधेरे में भी उसे उनकी आखों में एक चमक दिखाई दे रही थी उसके पैरों पर अब थोड़ा सा नंगेपन का एहसास उसे हुआ तो उसने अपने पैरों को मोड़ कर अपने नंगे पन को छुपाने की कोशिश की 
तो काका ने उसके कंधों को पकड़कर थोड़ा सा उठाया और 

काका- बहू 

कामया- 
काका ने जब देखा कि कामया की ओर से कोई जबाब नहीं है तो वो बाहर आया और अपने हाथों से कामाया को सहारा देकर बैठा लिया काका जो कि बाहर खड़ा था और लगभग कामया के चेहरे तक उसकी कमर आ रही थी कामया के बैठते ही उसने कामया को कंधे से जकड़कर अपने पेट से चिपका लिया कामया भी काका की हरकत को जानकर अपने को रोका नहीं पर जैसे ही वो काका के पेट से लगी तो उसके गले पर एक गरम सी चीज टकराई गरम बहुत ही गरम उसने अपने चेहरे को नीचे करके उस गरम चीज़ को अपने गले और चिन के बीच में फँसा लिया और हल्के से अपनी चिन को हिलाकर उसके एहसास का मजा लेने लगी कामया के शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वो वैसे ही अपने गले और चिन को उस चीज पर घिसती रही उधर लाखा अपने लिंग के आकड़पन को अब ठंडा करना चाहता था वो उत्तेजित तो था ही पर बहू की हरकत को वो और नहीं झेल पा रहा था उसने भी बहू को अपनी कमर पर कस्स कर जकड़ लिया और अपनी कमर को बहू के गले और चेहरे पर घिसने लगा वो अपने लिंग को शायद अच्छे से दिखा लेना चाहता था कि देख किस चीज पर आज हाथ साफ किया है या कभी देखा है इतनी सुंदर हसीना को या फिर तेरी जिंदगी का वो लम्हा शायद फिर कभी भी ना आए इसलिए देख ले 


और उधर कामया की हा;लत फिर से खराब होने लगी थी वो अपने चेहरे पर और गले और गालों पर काका के लिंग के एहसास को झुटला नहीं पा रही थी और वो भी अपने आपको काका के और भी नजदीक ले जाना चाहती थी उसने अपने दोनों हाथों को काका की कमर में चारो ओर कस्स लिया और खुद ही अपने चेहरे को उनके लिंग पर घिसने लगी थी पहली बार जिंदगी में पहली बार वो यह सब कर रही थी और वो भी अपने घर के ड्राइवर के साथ उसने अपने पति का लिंग भी कभी अपने चेहरे पर नहीं घिसा था या शायद कभी मौका ही नहीं आया था पर हाँ… उसे अच्छा लग रहा था उसकी गर्मी के एहसास को वो भुला नहीं पा रही थी उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी उसकी जाँघो के बीच में फिर से गुदगुदी सी होने लगी थी ठंडी हवा उसकी जाँघो और, योनि के द्वार पर अब अच्छे से टकरा रही थी 


और वो अपने चेहरे को घिस कर अपने आपको फिर से तैयार कर रही थी उसके लिप्स भी कई बार काका के लिंग को छू गये थे पर सिर्फ़ टच और कुछ नहीं उसके होंठों का टच होना और लाखा के शरीर में एक दीवाने पन की लहर और उसे पर उसका वहशीपन और भी बढ़ गया था वो अपने लिंग को अब बहू के होंठों पर बार-बारछूने की कोशिश करने लगा था वो अपने दोनो हाथों को एक बार फिर बहू की पीठ और बालों को सहलाने के साथ उसकी चूची की ओर ले जाने की कोशिश करने लगा बाहू के बाल कमर के चारो और चिपके होने से उसे थोड़ी सी मसक्कत करी पड़ी पर हाँ… कामयाब हो ही गया वो अपने हाथों को बहू की चूचियां पर पहुँचने में ब्लाउज के ऊपर से ही वो उनको दबाने लगा और उनके मुलायम पन का आनंद लेने लगा एक तरफ तो वो बहू की चुचियों से खेल रहा था और दूसरे तरफ वो अपने लिंग को बहू के होंठों पर घिसने की कोशिश भी कर रहा था 

उसके हाथ अब उसके इशारे पर नहीं थे बल्कि उसको मजबूर कर रहे थे की बहू की चुचियों को अंदर से छुए तो वो अपने हाथों से बहू के ब्लाउज के बटन को खोलेकर एक ही झटके से उसकी ब्रा को भी आजाद कर लिया और उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथों में लेकर तोलने लगा उसके निप्पल्स को भी अपनी उंगलियों के बीच में लेकर हल्के सा दबाने लगा नीचे बहू के मुख से एक हल्की सी सिसकारी ने उसे और भी दीवाना बना दिया था और वो अपनी उंगलियों के दबाब को उसके निपल्स पर और भी ज्यादा जोर से मसलने लगा था 


बहू की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगी थी और उसका चेहरा भी अब कुछ ज्यादा ही उसके पेट पर घिसने लगा था लाखा अपने हाथो का दबाब खड़े-खड़े उसकी चुचियों पर भी बढ़ाने लगा था और अब तो कुछ देर बाद वो उन्हें मसलने लगा था बहू के मुख से निकलने वाली सिसकारी अब थोड़ी बहुत दर्द भी लिए हुए थी पर मना नहीं कर रही थी बल्कि बहू की पकड़ उसकी कमर पर और भी ज्यादा होती जा रही थी और उसका चेहरा भी उसके ठीक लिंग के ऊपर और उसके लिंग के चारो तरफ कुछ ज्यादा ही इधर-उधर होने लगा था लाखा काका ने एक बार नीचे बहू की ओर देखा और जोर से उसकी चुचियों को दबा दिया दोनों हाथों से और जैसे ही उसके मुख से आआह्ह निकली काका ने झट से अपने लिंग को उसके सुंदर और साँस लेने की लिए खुले होंठों के बीच में रख दिया और एक झटका से अंदर गुलाबी होंठों में फँसा दिया 

कामया के तो होश ही गुम हो गये जैसे ही उसके मुख में काका का लिंग घुसा उसे घिंन सी आई और वो अपने आपको आजाद कराने की कोशिश करने लगी और अपने मुख से काका के लिंग को निकालने में लग गई थी पर काका की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने आपको उनसे अलग तो क्या हिला तक नहीं पाई थी काका का एक हाथ अब उसके सिर के पीछे था और दूसरे हाथ से उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने लिंग के पास और पास खींचने की कोशिश कर रहे थे कामया का सांस लेना दूभर हो रहा था उसकी आखें बड़ी-बड़ी हो रही थी और वो अपने को छुड़ा ना पाकर काका की ओर बड़ी दयनीय स्थिति में देखने लगी थी पर काका का पूरा ध्यान अपने लिंग को कामया के मुख के अंदर घुसाने में लगा था और वो उसपरम आनंद को कही से भी जाने नहीं देना चाहते थे वो अपने हाथों का दबाब बहू के सिर और कंधे पर बढ़ाते ही जा रहे थे और अपने लिंग को उसके मुँह पर अंदर-बाहर धीरे से करते जा रहे थे 


कामया जो कि अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी अब किसी तरह से अपने मुख को खोलकर उस गरम चीज को अपने मुख में अड्जस्ट करने की कोशिस करने लगी थी घिंन के मारे उसकी जान जा रही थी और काका के लिंग के आस पाश उगे बालों पर से एक दूसरी गंध आ रही थी जिससे कि उसे उबकाई भी आ रही थी पर वो बेबस थी वो काका जैसे बालिस्त इंसान से शक्ति में बहुत कम थी वो किसी तरह से अपने होंठों को अड्जस्ट करके उनके लिंग को उनके तरीके से अंदर-बाहर होने दे रही थी पर जैसे ही उसने अपने मुख को खोलकर काका के लिंग को अड्जस्ट किया काका और भी वहशी से हो गये थे वो अब इतना जोर का झटका देते थे कि उसके गले तक उनका लिंग चला जाता था और फिर थोड़ा सा बाहर की ओर खींचते थे तो कामया को थोड़ा सा सुकून मिलता काका अपनी गति से लगे हुए थे और कामया अपने को अड्जस्ट करने में पर ना जाने क्यों थोड़ी देर बाद कामया को भी इस खेल में मजा आने लगा था अब वो उतना रेजिस्ट नहीं कर रही थी बल्कि काका के धक्को के साथ ही वो अपने होंठों को जोड़े हीरखा था और धीरे धीरे काका के लिंग को अपने अंदर मुख में लेते जा रही थी अब तो वो अपनी जीब को भी उनके लिंग पर चलाने लग गई थी उसे अब उबकाई नहीं आ रही थी और ना ही घिन ही आ रही थी उसके शरीर से उठ रही गंध को भी वो भूल चुकी थी और तल्लीनता से उनके लिंग को अपने मुँह में लिए चुस्स रही थी लाखा ने जैसे ही देखा कि बहू अब उसके लिंग को चुस्स रही थी और उसे कोई जोर नहीं लगाना पड़ रहा था तो उसने अपने हाथ का दबाब उसके सिर पर ढीला छोड़ दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करने में ध्यान देने लगा उसका लिंग बहू के छोटे से मुख में लाल होंठों से लिपटा हुआ देखकर वो और भी उत्तेजित होता जा रहा था वो अब किसी भी कीमत पर बहू की योनि के अंदर अपने आपको उतार देना चाहता था वो जानता था कि अगर बहू के मुख में वो ज्यादा देर रहा तो वो झड जाएगा और वो मजा वो उसकी योनि पर लेने से वंचित रह जाएगा उसने जल्दी से बहुके कंधों को पकड़कर एक झटके से उठाया और अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया और उसके लाल लाल होंठों को अपने मोटे और भद्दे से होंठों की भेंट चढ़ा दिया वो पागलो की तरह से बहू के होंठों को चुस्स रहा था और अपनी जीब से भी उसके मुख की गहराई को नाप रहा था कामया जब तक कुछ समझती तब तक तो काका अपने होंठों से जोड़ चुके थे और पागलो की तरह से किस कर रहे थे किस के टूट-ते ही वो बहू के ऊपर थे और काका का लिंग उसके योनि के द्वार पर था और एक ही झटके में वो उसके अंदर था काका के वहशीपन से लगता था की आज उसका इम्तहान था या फिर उनके पुरुषार्थ को दिखाने का समय या फिर बहू को भोगने का उतावलापन वो भूल चुका था कि वो उस घर का एक नौकर है और जो आज उसके साथ है वो मालकिन है एक बड़े घर की बहू उसे तो लग रहा था की उसके हाथों में जो थी वो एक औरत है और सिर्फ़ औरत जिसके जिश्म का वो दीवाना था और जैसे चाहे वैसे उसे भोग सकता था वो बहू को चित लिटाकर अपनेलिंग को उसके योनि के द्वार पर रखकर एक जोरदार धक्के के साथ उसके अंदर समा गया उसके अंदर घुसते ही बहू के मुख से एक चीत्कार निकली जो कि उस सुनसांन् ग्राउंड के चारों ओर फेल्ल गई और शायद गाडियो की आवाज में दब कर कही खो गई दुबारा धक्के के साथ ही लाखा अपने होंठों को कामया के होंठों पर ले आया और किसी पिस्टन की भाँति अपनी कमर को धक्के पर धक्के लगाने लगा वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है उसकी उत्तेजना शिखर पर है और वो इस कामुक सुंदरी को ज्यादा देर नहीं झेल पाएगा सो वो अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचने की जल्दी में था और बिना किसी रोक टोक के अपने शिखर की ओर बढ़ने लगा था 
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