Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:24 PM,
#34
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
वो वही खड़ी रही और बहुत ही सधे हुए कदमो से दरवाजे की चौखट को अपने हाथों से टटोल कर पकड़ा और थोड़ा सा आगे बढ़ी अंदर उसे वही आकृति अंधेरे में खड़ी दिखाई दी कामया ने एक बार फिर से अपने चारो ओर देखा कोई नहीं था वहां पर वो वही खड़ी रही शायद अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी तभी वो आकृति अंधेरे से बाहर की ओर आती दिखाई दी वो धीरे-धीरे कामया की ओर बढ़ा रही थी और कामया की सांसें बहुत तेज चलने लगी थी वो अपनी जगह पर ही खड़ी-खड़ी अपनी सांसों को तेज होते और अपने शरीर को कपड़ों के अंदर टाइट होते महसुसू करती रही 


अचानक ही वो आकृति उसके पास आ गई और उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर खींचने लगी धीमे से बहुत ही धीमे से कामया उस हाथ के खिन्चाव के साथ अंदर चली गई और वही अंदर उस इंसान के बहुत ही नजदीक खड़ी हो गई वो इंसान उसके बहुत की करीब खड़ा था और अपने घर में आए मेहमान की उपस्थित को नजर अंदाज नहीं कर रहा था वो खड़े-खड़े कामया की नंगी बाहों को अपने हाथों से सहला रहा था और उसके शरीर की गंध को अपने जेहन में बसा रहा था वो थोड़ी देर तो वैसे ही खड़ा-खड़ा कामया को सहलाता रहा और उसकी नजदीकिया महसूस करता रहा 


कामया भी बिल्कुल निश्चल सी उस आकृति के पास खड़ी रही और उसकी हर हरकत को अपने में समेटने की कोशिश करती रही कि वो आकृति उसे छोड़ कर कामया के पीछे चली गई और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया कमरे में एकदम से घुप अंधेरा हो गया हाथों हाथ नहीं सूझ रहा था पर कमाया वही खड़ी रही और उस इंसान का इंतजार करती रही उसकी नाक में एक अजीब तरह की गंध ने जगह ले ली थी कुछ सिडन की जैसे की कोई पुराना घर में होती है पानी और साफ सफाई की अनदेखी होने से पर कामया को वो गंध भी अभी अच्छी लग रही थी वो खड़ी-खड़ी काप रही थी ठंड के मारे नहीं सेक्स की आग में उस इंसान के हाथों के स्पर्श के साथ ही उसने अपने सोचने की शक्ति को खो दिया था 

और वो सेक्स की आग में जल उठी थी कि तभी उस इंसान ने उसे पीछे से आके जकड़ लिया और ताबड तोड उसके गले और पीठ पर अपने होंठों के छाप छोड़ने लगा था वो बहुत ही उतावला था और जल्दी से अपने हाथों में आई चीज का इश्तेमाल कर लेना चाहता था उसे इस बात की कोई फिकर नहीं थी कि साड़ी कहाँ बँधी है या पेटिकोट कहाँ लगा था वो तो बस एक कामुक इंसान था और अपने हाथों में आए उस सुंदर शरीर को जल्दी से जल्दी भोगना चाहता था वो जल्दी में था और उसके हाथ और होंठ इस बात का प्रमाण दे रहे थे उसने कामया के शरीर से एक ही झटके में साड़ी और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उन्हे उतार दिया और जल्दी में उसके शरीर से ब्लाउज के बटनो को भी खोलने लगा था कामया जो की उसके हर हरकत को अपने अंदर उठ रही उत्तेजना की लहर के साथ ही अपने काम अग्नि को 
जनम दे रही थी वो भी उस इंसान का हर संभव साथ देने की कोशिश करती जा रही थी उसे कोई चिंता नहीं थी और वो भी उस इंसान का हर तरीके से साथ देती जा रही थी वो भी घूमकर, उस इंसान के गले लग गई थी अंधेरे में उसे कोई चिंता नहीं थी कि कोई उसे देखेगा या फिर क्या सोचेगा वो तो अपने आप में ही नहीं थी वो तो सेक्स की भेट चढ़ चुकी थी और उस इंसान का पूरा साथ दे रही थी उसके कपड़े उसके शरीर से अलग हो चके थे और वो पूरी तरह से नग्न अवस्था में उस इंसान की बहू में थी और वो इंसान उसे अपनी बाहों में लेके जोर-जोर से किस कर रहा था और अपने हाथों को उसके पूरे शरीर में घुमा रहा था पर थोड़ी देर में ही उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी और उसके एक ही झटके में कामया को अपनी गोद में उठा लिया और साइड में पड़ी हुई जमीन में रखी हुई चटाइ पर पटक दिया और अपने कपड़ों से जूझने लगा 
वो भी अपने कपड़ों से आजाद हुआ और फिर कामया के होंठों को अंधेरे में ढूँढ़ कर उन्हें चूमने लगा था और कामया की चुचियों को अपने हाथों से जोर-जोर से दबाने लगा था कामया नीचे पड़ी हुई कसमसा रही थी और उसकी हर हरकत को सहने की कोशिश कर रही थी पर उसके दबाब के कारण उसके शरीर का हर हिस्सा आग में घी डाल रहा था कामया ने किसी तरह से अपने को उससे अलग करने की कोशिश की पर कहाँ वो तो जैसे जानवर बन गया था और कामया को निचोड़ता जा रहा था कामया की टांगों को भी एक ही झटके से उसने अपने पैरों से खोला और अपने लिंग को उसकी योनि के द्वार पर रखकर एक जोरदार धक्का लगा दिया 

कामया का पूरा शरीर ही उस धक्के से हिल गया और वो सिहर उठी पर जैसे ही उसने थोड़ी सांस लेने की कोशिश की कि एक ओर झटका और फिर एक ओर धीरे-धीरे झटके पर झटके और कामया भी अब तैयार हो गई थी उसे हर धक्के में नया आनंद मिलता जा रहा था और वो अपने सफर को चलने लगी थी ऊपर पड़े हुए इंसान ने तो जैसे गति पकड़ी थी उससे लगता था कि जल्दी में था और जल्दी-जल्दी अपने मुकाम पर पहुँचना चाहता था कामया भी अपनी दोनों जाँघो को खोलकर उस इंसान का पूरा साथ दे रही थी और अपने शरीर को उससे जोड़े रखा था वो बहुत ही नजदीक पहुँच चुकी थी अपने चरम सीमा को लगने ही वाली थी उस इंसान के हर धक्के में वो बात थी कि वो कब झड जाए उसे पता ही नहीं चलता वो धक्के के साथ ही अपने होंठों को उसके साथ जोड़े रखी थी पर जैसे ही धक्का पड़ता उसका मुख खुल जाता और एक लंबी सी सिसकारी उसके मुख से निकल जाती वो नीचे पड़ी हुई हर धक्के का जबाब अपनी कमर उठाकर देती जा रही थी 


पर जैसे ही वो अपने चरम सीमा की ओर जाने लगी थी उसका पूरा शरीर अकड़ने लगा था और वो उस इंसान से और भी सटने लगी थी और अपने मुख से निकलने वाली सिसकारी और भी तेज और उत्तेजना से भरी हुई होती जा रही थी 
कि तभी उस इंसान का बहुत सा वीर्य उसके योनि में छूटा और वो दो 4 जबरदस्त धक्कों के बाद वो उसके ऊपर गिर गया और नीचे जब कामया ने देखा कि वो इंसान उसके अंदर छूट चुका है तो वो उससे और भी चिपक गई और अपनी कमर को उठा कर हर एक धक्के पर अपनी योनि के अंदर एक धार सी निकलते महसूस करने लगी उसके होंठों को उसने भिच कर, उस इंसान के कंधो पर नाख़ून गढ़ा दिए थे और अपने हाथों को कस कर जकड़कर उस इंसान को अपने अंदर और अंदर ले जाना चाहती थी उसके मुख से के लंबी सी आहह निकली और 
- कल से आप रोज आना प्लीज 
- जी 
कामया नीचे पड़े हुए अपनी सांसों को नियंत्रित करती हुई बोली 
कामया- आज क्यों नहीं आए थे 
- जी वो 
कल से रोज आना मुझे ड्राइविंग सिखाने

वो इंसान और कोई नहीं लाखा ही था वो मंदिर के पास ही रहता था और आज वो जानबूझ कर नहीं गया था क्योंकी उसे डर था कि कही कामया ने शिकायत कर दी तो पर जैसे ही उसने कामया को मंदिर में देखा तो वो अपनी सारी गलती भूल गया और कामया अको अपने घर के अंदर ले आया और आगे तो अपने ऊपर पढ़ ही लिया होगा

तो खेर दोनो अपने आपको शांत करके अब बिल्कुल निश्चल से पड़े हुए थे की लाखा ने अपने आपको उठाया और अंधेरे में ही टटोलते हुए अपने कपड़े और कामया के कपड़ों को उठा लिया और दोनों ही अंधेरे में तैयारी करने लगे जब वो कपड़े पहनकर तैयार हुए तो उसे अपनी परिस्थिति का ध्यान आया वो कहाँ है और कैसी स्थिति में है उसके मन में एक डर घर कर गया था कामया ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और अंधेरे में ही बाहर की ओर जाने लगी थी 


पर लाखा ने उसे रोक लिया वो पहले बाहर की ओर बढ़ा और दरवाजा खोलकर बाहर एक नजर डाली वहां किसी को ना देखकर वो संतुष्ट हो गया और इशारे से बहू को बुलाया और बाहर को जाने को इशारा किया कामया भी नजर झुकाए तुरंत बाहर निकल गई और जल्दी से गार्डेन की ओर दौड़ पड़ी जब वो 
गार्डेन तक आई तो वहां सबकुछ नार्मल था किसी को भी उसका ध्यान नहीं था वो वही खड़ी हुई अपने बाल और चेहरे को ठीक करने लगी थी कि उसे मम्मीजी को मंदिर की सीढ़ियाँ उतरते देखा वो भी थोड़ा सा आगे होकर मम्मीजी के पास चली गई कुछ लोगों से बात करते हुए मम्मीजी टक्सी के अंदर बैठ गई और कामया भी और टक्सी उनके घर की ओर चल दी मम्मीजी कामया से बातें करती जा रही थी पर कामया का 
ध्यान उनकी बातों में कम अपने आज के अनुभव की ओर ज्यादा था वो बहुत खुश थी और अपने सुख की चिंता अब वो करने लगी थी उसके तन की आग को वो बुझा चुकी थी 
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