Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:35 PM,
#44
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया भी उत्तेजित होती जा रही थी पर भीमा चाचा का इस तरहसे उसके शरीर को छूना उसके लिए एक बरदान था जो आग वो दो तीन दिनों से अपने अंदर छुपाकर रखी थी वो उमड़ रही थी उसकी सांसें और शरीर उसका साथ नहीं दे रहे थे अब तो उसके हाथ भी भीमा चाचा के हाथों से जुड़ गये थे और वो ही अब भीमा चाचा के हाथों को डाइरेक्षन दे रही थी वो अपने को भीमा चाचा से रगड़ने लगी थी 

और भीमा चाचा को अपने ऊपर हावी होने का न्यूता दे रही थी 

भीमा भी कहाँ रुकने वाला था वो तो खुद पागल हुआ जा रहा था उसके हाथ अब बहू के कपड़ों में उलझ गये थे वो बहू की सलवार को खींचता हुआ एक हाथ से उसके कुर्ते के अंदर अपने हाथों को घुसाता और अपने होंठों से बहू के गालों और गले को चूमता 

जहां भी उसके हाथ जाते और उसके होंठ जाते वो उनका इश्तेमाल बहुत ही तरीके से करता जा रहा था वो जानता था कि बहू को क्या चाहिए पर वो थोड़ा सा इंतजार करके उस हसीना को अपने तरीके से भोगना चाहता था वो आज कुछ अलग ही मूड में था तभी तो वो बिना किसी डर के उसके कमरे में आ गया था वो अब अपने तरीके से बहू को उत्तेजित करता जा रहा था और किसी एक्सपीरियेन्स्ड आदमी की तरह वो बहू को नचा भी रहा था बहू के कपड़े धीरे-धीरे उतर चुके थे वो सिर्फ़ एक पैंटी पहने हुए उसके सीने से लगी हुई थी और उसके हाथो का खिलाना बने हुए थी भीमा पीठ की तरफ से उसे जकड़े हुए उसके हर अंग को खूब तरीके से घिस रहा था रगड़ रहा था कामया के मुख से निकलने वाली हर सिसकारी को और हर दबाब के बाद निकलने वाली हल्की सी चीख को भी ध्यान से सुन रहा था 

कामया- बस चाचा और नहीं अब करो प्लेआस्ीईईईईईई 

भीमा- जरा खेलने दे बहुउऊुुुुुुुुउउ तुझ से खेले बहुत दिन हो गये है 

कामया- और नहीं सहा जाता चाचा उूुुुुउउम्म्म्मममममम 

उसके होंठ चाचा के होंठों को ढूँढ ही लिए 

भीमा भी बहू के नरम होंठों के आगे झुक गया और अपने जीब से बहू के होंठों को चूमता और चूसता जा रहा था कुछ देर बाद वो भी अपने कपड़ों से आजाद था और अपने लिंग को बहू के नितंबों पर रगड़कर अपने मर्दानगी का परिचय देता जा रहा था तभी भीमा बहू को छोड़ कर अलग हो गया और मुस्कुराते हुए बेड की ओर चलने लगा भारी भरकम और सफेद और काले बालों से ढका उसका शरीर किसी बनमानुष की तरह लग रहा था और उसपर उनका अकड़ा हस लिंग जो कि उनके शरीर से अलग ही उठा हुआ था देखकर कामया ने जिग्याशा भरी हुई दृष्टि से भीमा चाचा की ओर देखा भीमा चाचा बेड के किनारे बैठ गये और इशारे से अपने लिंग की ओर देखते हुए बोले
भीमा- आ बहू इसे प्यार कर आ आाजा 

कामया भी बिना कुछ ना नुकरके धीरे धीरे चलते हुए भीमा चाचा के पास पहुँच गई और उनके सामने खड़ी हो गई भीमा बैठे बैठे अपने हाथों से एक बार कामया को नीचे से ऊपर तक सहलाया और फिर कंधे पर जोर देकर अपने लिंग के पास जमीन पर बिठा दिया 

कामया ने एक बार ऊपर देखा और अपने हाथों को लेजाकर भीमा चाचा के लिंग को अपने गिरफ़्त में ले लिया उसके चेहरे पर एक मनाही थी पर मजबूरी के चलते वो जो भी चाचा कहेंगे करना पड़ेगा सोचकर धीरे से अपने मुख को उनके लिंग की और बढ़ाया 

भीमा का एक हाथ बहू के सिर पर पहुँच गया था और धीरे से अपने लिंग की ओर धकेल रहा था 
कामया ने भी कोई आना कानी नहीं की और अपनी जीब को निकाल कर धीरे-धीरे चाचा के लिंग को चाटने लगी 
भीमा- आआआआआह्ह बहू कितना मजा देती है तू आआआआआअह्ह 

कामया- हमम्म्ममम 

भीमा- चूस और चूस बहुउऊुुुउउ आआआह्ह 

और कामया तो अब लगता है कि एक्सपीरियन्स वाली हो चुकी थी भीमा चाचा का लिंग उसके मुख में और भी फूलता जा रहा था और गरम भी वो अपने हाथों को अब भीमा चाचा की जाँघो पर फेरने लगी थी उनके जाँघो से लेकर पीछे पीठ तक और मुँह तो बस उनके लिंग को एक बार भी नहीं छोड़ा था अब तो वो खूब मजे लेकर चूस रही थी और अपनी चूचियां को भी उनकी जाँघो में घिस रही थी 

भीमा भी बहू की कामुकता को महसूस कर रहा था और अपने लिंग को अब झटके से उसके गले तक पहुँचा देता था उस दिन की तरह आज बहू अपने को बचाने की कोशिश नहीं कर रही थी उसे आज मजा आ रहा था वो यह अच्छे से जानता था बहू के हाथ जब उसकी जाँघो और पीठ तक जाते थे तो भीमा और भी पागल हो उठ-ता था अपने आपको किसी तरह से रोके रखा था पर ज्यादा देर नहीं रोक पाया वो झट से उठा और बहू को खींचकर खड़ा कर लिया बहू हान्फते हुए उठी और झमक से उसके मुख से भीमा का लिंग हवा में लटक गया थूक की एक लकीर उसके मुख से निकल कर भीमा के लिंग तक चली गई बहू के खड़े होते ही भीमा फिर से बहू के होंठों पर टूट पड़ा और बड़ी ही बेरहमी से उन्हें छूने लगा और एक हाथ बढ़ा कर बहू की पैंटी लो उसके शरीर से अलग कर दिया और एक ही धक्के से बहू को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया अब बहू के नितंब सीलिंग की ओर थे और गोरी गोरी स्किन रोशनी में चमक उठी भीमा झट से बहू के ऊपर टूट पड़ा और बहू की पीठ से लेकर नितंबों तक किसकी बौछार करने लगा उसके हाथ बहू की पीठ से लेकर जाँघो तक और फिर सिर तक जाते और फिर कस के सहलाते हुए ऊपर की और उठ-ते कामया भीमा चाचा के इस तरह से अपने ऊपर चढ़े होने से हिल तक नहीं पा रही थी और उनके लिंग को अपने नितंबों के बीच में घिसते हुए पा रही थी वो भी अब सबर नहीं कर पा रही थी और अपनी जाँघो को खोलकर भीमा चाचा के लिंग को अपनी जाँघो के बीच में लेने की कोशिश करती जा रही थी 

भीमा भी अपनी कोशिश में लगा था पर जैसे भी बहू ने अपनी जाँघो को खोला तो वो और भी कामुक हो गया उसने झटके से बहू को नीचे की ओर खींचा और कमर को अपनी ओर उँचा करके अपने लिंग को एक ही धक्के में बहू की योनि में उतार दिया 
कामया- आआआआआआह्ह ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई 

आज पहली बार किसी ने उसे पीछे से डाला था उसकी योनि गीली तो थी पर उसके योनि को चीरते हुए वो जब अंदर गया तो कामया धम्म से बेड पर गिर पड़ी और अपने अंदर गये हुए लिंग से छुटकारा पाने की कोशिश करने लगी आज उसे बहुत दर्द हो रहा था पर कहाँ वो भीमा चाचा के जोर के सामने कुछ नहीं कर पाई घोड़ी बनाकर उसके पति ने भी आज तक नहीं किया था पर भीमा चाचा के अंदाज से तो वो मर ही गई भीमा चाचा कस कर कामया को बेड पर दबा रखा था और अपने लिंग को बिना किसी पेरहेज के उनकी योनि के अंदर और अंदर धकेलते जा रहा थे 

कामया- मर गई ईईईईईईईईईईईईईईई प्लीज ईईईईईई धीरीईईईईईईईईईईई 

पर भीमा को कहाँ चैन था वो तो धक्के पर धक्के लगाते जा रहा था 

कामया- धीरीईई चाचााआआआ मर जाऊँगिइिईईईईईईईईईईई धीरीईईईईईईई 

भीमा कहाँ सुनने वाला था वो बहू को और भी अपने पास कमर से खींचकर अपने से जितना चिपका सकता था चिपका लिया और निरंतर अपने धक्कों को चालू रखा बहू की चीख पुकार से उसे कोई फरक नहीं पड़ा हाँ उसका कसाव और भी बढ़ गया उसकी हथेली अब बहू की चुचियों को पीछे से पकड़कर निचोड़ रही थी और वो बहुत ही बेदर्दी से निचोड़ रहे थे हर धक्के में बहू बेड पर गिरने को होती पर भीमा उसे संभाले हुए था धीरे धीरे बहू की ओर से आने वाली चीत्कार सिसकियो में बदलने लगी थी और अब वो खुद ही अपनी कमर को भी भीमा के धक्कों के साथ ही आगे पीछे भी करने लगी थी 

भीमा- बहू उूुुुुुुुउउ अब ठीक है हाँ… और अपने होंठों से बहू के होंठों को ढूँढने लगा था 

कामया ने भी भीमा चाचा को निराश नहीं किया और मुड़कर अपने होंठों का प्याला उनकी ओर कर दिया और अंदर होते उनके लिंग को एक और सहारा दिया 

कामया को अब उतना दर्द या फिर परेशानी नहीं हो रही थी भीमा चाचा का जंगलीपन अब उसे अच्छा लगने लगा था वो भी जानती थी कि किसी आदमी को जब एक औरत अपनी हवस की पूर्ति के लिए मिल जाए तो वो क्या-क्या कर सकता था वो आज भीमा में उस बात का परिणाम देख रही थी वो भी अब भीमा चाचा के लिए एक खिलोना थी जिसे वो अपने तरीके से भोग रहे थे और अपनी ताकात का परिचय दे रहे थे उनकी बाहों का कसाव इतना जोरदार था कि कामया को सांस लेना भी दूभर था पर उस कसाव में एक अपनापन था और एक भूख थी जिसे कामया समझ पा रही थी 

भीमा जो कि अब तक बहू को जम कर निचोड़ रहा था अब अपने शिखर पर पहुँचने वाला था और अपनी पूरी ताकत से वो बहू को अपने अंदर और अंदर तक उतार जाना चाहता था 

कामया भी जानती थी कि भीमा की चाल में आगे क्या है वो भी अपने शिखर पर पहुँचने वाली थी आज उसे इस बेदर्दीपन में बहुत मजा आया था उसके शरीर में इतना जोर नहीं था कि वो हिल भी सके पर अंदर आते जाते उनके लिंग का मजा तो वो उठा ही रही थी सांसें किसी हुंकार की भाँति निकल रही थी दोनों की और एक लंबी सी चीख और आह्ह के साथ कामया और भीमा अपने शिखर पर पहुँच गये भीमा कामया को इसी तरह से अपनी बाहों में भरे हुए उसके ऊपर लेटा रहा दोनों के पैर अब भी बेड के नीचे लटक रहे थे और कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर थे 

कुछ देर बाद भीमा तो नार्मल हो गया पर कामया को तो कोई सुध ही नहीं थी वो अब भी निश्चल सी उनके नीचे दबी पड़ी थी उसके हाथ पाँव ने जबाब दे दिया था आज के खेल में जितना भीमा चाचा इन्वॉल्व थे शायद उससे ज्यादा कामया ने उस खेल का मजा उठाया था आज के सेक्स में जो रफनेस था वो कामया के शरीर में एक नया जोश भर गया था वो बिना हीले वैसे ही उल्टी बेड पर पड़ी रही जब भीमा उसके ऊपर से हटा तो भी भीमा ने उठकर उसके गोल गोल नितंबों पर एक हाथ रखकर उन्हें बड़े ही प्यार से सहलाता जा रहा था और उसकी जाँघो तक लाता था कामया की जाँघो के बीच से कुछ गीला पन सा बह कर घुटनों तक आ रहा था शायद दोनों के मिलन की निशानी थी या फिर कामया के उतावलेपन का जो भी हो भीमा वैसे ही बेड पर बैठा हुआ उसके नंगे शरीर को अपने हाथों से सहलाता जा रहा था और अपने अंदर उठ रहे ज्वर को कुछ देर के लिए और भी भड़का रहा था वो जानता था कि बहू में आज अब इतना दम नहीं है कि वो उसे दूसरी बार झेल सके पर वो अपने मन को कैसे समझाए 

फिर भी कुछ देर बाद उसने बहू को आवाज दी 

भीमा- बहू 

कामया- 

भीमा- बहू उठो 

कामया- उूुउऊह्ह 

भीमा- अच्छा लगा आज 

कामया- उउउम्म्म्मम 
और भीमा अपने हाथों से कामया को उठाकर ठीक से बेड पर सुलाकर पास में खड़ा हुआ अपने कपड़े पहनने लगा उसने आज बहू को धक्का नहीं शायद अपने अंदर उस सुंदरता को उतारना चाहता था वो थोड़ी देर खड़ा-खड़ा बहू को देखता रहा फिर नीचे झुक कर एक लंबा सा किस उसके होंठो पर किया और बाहर निकल गया 

कामया भी जानती थी कि भीमा चाचा क्या देख रहे है पर उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो उठकर अपने को ढँके आज तक उसके पति ने उसे इस तरह से नहीं देखा था वो अपनी अद्खुलि सी आँखों से भीमा चाचा के चेहरे पर उठ रही लकीरो को देख पा रही थी अगर कामया ने एक बार भी कुछ किया होता तो शायद वो उसपर फिर से टूट पड़ते पर आज उसमें इतनी जान नहीं बची थी कि वो और भीमा चाचा को झेल सके आज का सेक्स उसके जीवन में एक नया मोड़ ले आया था वो इस बात को जान गई थी कि उसे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था आज जब वो दर्द से चिल्लाई थी तब अगर भीमा चाचा रुक जाते या फिर यह सब नहीं करते तो उसे जो आनंद आज मिला था वो नहीं लूट पाती हर दिन की तरह ही आज भी भीमा चाचा ने उसे निचोड़ा था पर आज कुछ अलग था आज उसमें एक वहशीपन था आज उन्होंने कामया की एक नहीं सुनी थी 
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