Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:38 PM,
#63
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
वो कामया को अपने सीने से लगाए हुए जोर से भीचे हुए उसकी चुचियों को और निपल्स को अपने दाँतों से काट-ता जा रहा था और जोर से अपनी उंगली को उसकी योनि में घुसाता जा रहा था लगता था कि जैसे उसकी अंतिम सीमा तक पहुँचना चाहता था उधर भीमा भी अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पा रहा था और बहू को बाहों में भरे हुए उसके होंठों पर लगा हुआ था एक हाथ में उसके कभी-कभी लाखा के छोड़ने से एक चुचि आ जाती थी तो उसे वो बहुत जोर से निचोड़ता था उसे कोई डर नहीं था क्योंकी उसने बहू का मुख बंद कर रखा था वो कोई भी अब धीरे नहीं कर रहा था वो भी जानवर हो चुका था और बहशी के समान कमाया को निचोड़ने में कोई नहीं रहा था वो भी अपनी उंगली को कामया की जाँघो के बीच में घुसाता था पर जब वहां लाखा की उंगलियां होती थी तो कामया की जाँघो को सहलाकर वापस अपने लिए जगह बनाता था दोनों के हिस्से में आए कामया का शरीर को दोनों अपने तरीके से सहला रहे थे और जोर से उसे इश्तेमाल करते जा रहे थे पर अचानक ही लाखा एकदम से कामया की जाँघो के बीच में पहुँच गया और बिना किसी पूर्व चेतावनी के ही एक ही धक्के के उसके अंदर तक समा गया वो अचानक ही कामया के पूरे शरीर को अपने गिरफ़्त में लेने को हुआ और भीमा के हाथों से छुड़ा कर उसने कामया को अपनी बाहों में भर कर अपनी गोद में बिठा लिया था और कामया की गर्दन और गालों को चूमे जा रहा था पर कामया का पूरा शरीर जैसे लटका हुआ था वो जब तक कुछ करती तब तक तो लाखा ने उसपर पूरा नियंत्रण कर लिया था और उसके होंठों को भी ढूँढ़ कर अपने होंठों से दबा लिया था लाखा घुटनों के बल बैठा हुआ कामया को गोद में लिए हुए झटके लगाता जा रहा था और हर धक्के में कामया उसकी गोद में उच्छल कर उसके कंधे से ऊपर चली जाती थी भीमा जो कि वही पास बैठे हुए लाखा को अपनी हरकत करते हुए देख रहा था और अचानक अपने हाथों से बहू के निकल जाने के बाद सोच ही रहा था कि कहाँ से अपना कब्जा शुरू करे तभी कामया पीछे की ओर धनुष जैसे हुई तो भीमा ने लपक कर कामया को अपने हाथों से सहारा दिया और कसकर फिर से कामया के होंठों पर झुक गया वो भी अपने को किसी तरह से रोके हुए था पर कामया को इस तरह से उछलते हुए देखकर वो भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और वो भी एक बहशी बन गया था वो जोर-जोर से कामया को चूमे जा रहा था और अपनी दोनों बाहों को कामया के शरीर के चारो ओर घेर कर अपने सीने से कस के लगाए हुए था लाखा भी अपने पूरे जोर से कामया की कमर को जकड़े हुए नीचे से धक्के लगाते जा रहा था और लाखा कामया को चूमते हुए देखता जा रहा था शायद वो अपने चरम सीमा की ओर पहुँचने ही वाला था क्योंकी उसके धक्के अब बहुत ही गतिवान हो गये थे और वो कामया को थोड़ा सा ऊपर करके लगातार धक्के लगा रहा था 
और उधर भीमा भी अपने आपको और ज्यादा नहीं रोक पाया तो वो कामया के पीछे की ओर हो गया और पीछे से अपने लिंग को कामया के नितंबों को छू रगड़ने लगा था और लाखा की ओर देखते हुए 

भीमा- लाखा, अब छोड़ मुझे भी करना है 

लाखा आआह्ह रुक जा यार बस हो गया 

भीमा को कहाँ शांति थी उसने एक बार अपने हाथों को कामया और लाखा के बीच में डाल ही दिया और कामया की कमर को पकड़कर एक ही झटके में कामया को अपने पास खींच लिया कामया जो कि एक लाश के समान थी एक ही झटके में भीमा की गोद में पहुँच गई और लाखा काका के हाथों से छूट गई अब वो पीछे से भीमा चाचा की गोद में पहुँच गई थी और एक फ्रॉग की तरह से नीचे गिर पड़ी पर गिर पड़ी क्या लाखा कहाँ छोड़ने वाला था उसने कामया को झट से खींच कर अपने हाथों से संभाला और उसके चहरे को अपने लिंग के आस-पास घिसने लगा और भीमा ने देर नहीं की और झट से कामया के पीछे से उसकी योनि में झट से घुस गया और क्या अपने जोर से उसे लगा जैसे कि अपनी हवस को अंजाम देने की कोशिश कर रहा हो वो बहुत उत्तेजित था उसकी हरकतों को देखकर ही कहा जा सकता था उसे कोई चिंता नहीं थी ना तो कामया की और नहीं लाखा की वो तो बस कामया के अंगो को पीछे से निचोड़ता हुआ अपने लिंग को कामया की योनि में बिना किसी रोक टोक के लगातार अंदर और बहुत अंदर तक जा रहा था कामया जो की अब दोनों ओर में अटकी हुई थी अब उसके मुख में लाखा काका के लिंग से एक लंबी सी पिचकारी निकलकर उसके गले तक उतरगई थी और नीचे भीमा चाचा के लिंग से निकली पिचकारी उसके अंदर बहुत अंदर तक कही जाकर समा गई थीएक गरम सी बौछार दोनों और से उसके शरीर के अंदर तक उतरगई थी कामया ने अपने जीवन का पहला और बहुत ही दर्दनाक सेक्स आज की रात किया था पर एक बात जरूर थी उसने एक बार भी किसी को मना नहीं किया था जाने क्यों उसे इस तरह से अपने शरीर को रौंदने वाले भीमा और लाखा पर कही से भी गुस्सा नहीं था वो बिल्कुल निश्चल सी नीचे पड़ी हुई थी जैसे कोई मर गया हो और उसके मुख की ओर लाखा काका बैठे हुए थे और नीचे की ओर भीमा चाचा लंबी सांसें लेते हुए अपने आपको कंट्रोल कर रहे थे सभी बहुत थके हुए थे और किसी के शरीर में इतनी जान नहीं बची थी कि जल्दी से हरकत में आए 
कुछ 20 25 मिनट बाद अचानक ही लाखा और भीमा जैसे नींद से जागे हो अपनी जाँघो के पास कामया को इस तरह से नंगे पड़े हुए देखकर दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा 

लाखा- क्यों इसे कमरे में कैसे ले जाए 

भीमा- रुक बहू उूुउऊबहुउऊउ 
और कामया को थोड़ा सा हिला के देखा कामया के शरीर में जान कहाँ थी इस तरह से हिलाने से क्या होना था अगर झींझोड़ कर उठाया नहीं गया तो शायद वो वही ऐसे ही पड़ी रहती सुबह तक पर लाखा और भीमा को उससे ज्यादा फिकर थी वो कामया के शरीर को अपने हाथों से एक बार अच्छे से सहलाते हुए अपने मुख को कामया के कानों के पास तक ले गये और धीरे-धीरे उसको आवाज लगाते हुए उसे उठाने लगे किसी तरहसे उठाकर बैठा लिया दोनों ने 

लाखा--- वो रहा गाउन तेरे पीछे दे 

भीमा ने अपने पीछे से गाउन उठाकर लाखा की ओर किया और कामया को सीधा करके उसके माथे के ऊपर से दोनों मिलकर उसे गाउन पहनाने में लगे थे बीच बीच में अपने हाथों से उसकी गोल गोल चूची को भी अपने हाथों से छू लेते थे और उसके पेट से लेकर नीचे तक उसे देखते हुए उसे सहला भी देते थे 
लाखा- अब तो छोड़ 
भीमा- तू भी चल ध्यान देने थोड़ा सा चल 
और दोनों कामया को अपने हाथों से उठाने को उतावले हो उठे पर यह सौभाग्य भीमा ने उठाया और आधी नंगी कामया को बिना, पैंटी के ही वैसे गाउन मे लेके बाहर आ गये लाखा धीरे-धीरे घर का जायजा लेने लगा था और भीमा अपनी बाँहों में भरे हुए कामया को उसके बेडरूम तक ले जाने लगा था लाखा आगे जाकर देख रहा था और पीछे भीमा उसे लिए हुए दबे कदम कामया के कमरे तक पहुँच गये 

कमरे के बाहर भीमा और लाखा दोनों रुक गये और फिर लाखा ने कामया को एक बार फिर से होश में लाना चाहा 

लाखा- बहू उठो बहू 

पर बहू तो जाने कहाँ थी वो अब भी मुर्दे की भाँति भीमा चाचा की बाहों में पड़ी हुई थी 
लाखा- अब हाँ… 

भीमा- रुक दरवाजा खोल 

लाखा- नहीं मरवाएगा क्या भैया है अंदर 

भीमा- नहीं बहू नहीं पहुँची ना तो तू भी और में भी और यह भी अपनी गोद में लिए कामया की ओर इशारा करते हुए भीमा ने जताया 
लाखा ने बड़ी हिम्मत करते हुए दरवाजे को धकेला पर वो नहीं खुला 
लाखा- अंदर से बंद है 
भीमा चाचा और लाखा के चहरे से रंगत उड़ गई थी पर तभी उनका ध्यान नीचे लॉक पर गया और देखकर थोड़ी सी हिम्मत बनी कि वो तो बाहर से बंद था लाखा ने धीरे से उसे खोला और अंदर आ कर देखा अंदर कामेश दूसरी तरफ मुँह किए सो रहा था अंदर मस्त एसी की ठंड थी और दरवाजा खुलते ही बाहर तक आने लगी थी लाखा ने दरवाजा खोलकर भीमा की ओर देखा भीमा धीरे से कामया को गोद में लिए अंदर की ओर हुआ और बहुत ही धीरे से कामया को भैया के पास सुलाकर वैसे ही दबे कदम बाहर की ओर हो लिया दरवाजे पर लाखा वैसे ही खड़ा हुआ भीमा को सबकुछ करते हुए देख रहा था और उसका साथ देने को खड़ा हुआ था 

भीमा अपने काम को अंजाम देने के बाद वैसे ही दबे कदम बाहर आ गया और दरवाजा बंद करते हुए दोनों जल्दी से अपने कमरे में आ गये थे 




दोनो के चहरे में एक संतोष था और एक अजीब सी खुशी भी थी जैसे कोई मैदान मारकर आए हो कमरे में पहुँचते ही दोनों कमरे को ठीक करने में लग गये थे 
लाखा- यार मजा आ गया बहू तेरे कमरे में भी आ जाती है 

भीमा- हाँ यार दूसरी बार ही आई है 

लाखा- साले बताया नहीं तूने तो साले खेल रहा था हाँ… 

भीमा- अरे यार क्या बताता तुझे तो पता है फिर तू कौन सा साधु है तूने भी तो कोई कमी नहीं छोड़ी ना 

लाखा- हाँ यार क्या माल है साले मेंने भी कभी नहीं सोचा था कि इस घर की बहू को भी भोगने का मिलेगा यार गजब की माल है 

भीमा- हाँ… सला भैया खुश नहीं कर पाता होगा नहीं तो क्या वो अपने पास आती 

लाखा- हाँ यार साला खाली कपड़े और गाड़ी ही देता होगा ही ही और बाकी हम देते है हा हा हा 
भीमा भी उसकी हँसी में शामिल हो गया और कुछ देर बात करते हुए दोनों कब सो गये पता ही नहीं चला 

उधर कामया जब अपने बिस्तर पर पहुँची तो उसे थोड़ा बहुत होश था पर शरीर में इतना जोर नहीं था कि उठ सके या कोई काम कर सके वो वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही और फिर बहुत संघर्ष करके अपने आपको एक चादर से ढँक कर सो गई उसके जेहन में अब तक लाखा और भीमा की छवि छाइ हुई थी किसी तरह से उन दोनों ने मिलकर उसे निचोड़ कर रख दिया था उसका बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूचियां और शरीर का हर हिस्सा दर्द में बदल चुका था वो लेटी हुई अपने बारे में सोच रही थी और पास में लेटे हुए अपने पति के बारे में भी वो क्या से क्या हो गई थी आज तो जैसे वो अपनी नजर से बहुत गिर चुकी थी उसने जो आज किया था वो क्या कोई घर की बहू करती है 
क्या उसने जो भी किया उसके लिए ठीक था जाने क्यों वो इस बात के निर्णय पर नहीं पहुँच पाई और शून्य की ओर देखती हुई कब सो गई पता ही नहीं चला 


सुबह जब आखें खुली तो कामेश उसकी बगल में नहीं था शायद नीचे चाय पीने गया था वो जल्दी से उठी और झट से बाथरूम में घुस गई नहाते समय उसे अपने शरीर में काले नीले धब्बे दिखाई दिए और मिरर में देखकर वो चकित रह गई थी यह धब्बे कल रात का परिणाम था उसके शरीर के साथ हुए कर्म की निशानी थे पर एक सी मुस्कान उसके होंठों में दौड़ गई थी क्या वो इतनी गिरी हुई है कि लाखा और भीमा उसके शरीर में इस तरह के निशान छोड़ गये 

क्या वो इतनी कामुक है कि उसे कल पता भी नहीं चला कि क्या हो गया पर हाँ… उसे दर्द या फिर कुछ भी अजीब सा नहीं लगा था तब अच्छा ही लगा होगा नहीं तो वो संघर्ष तो करती या फिर कुछ तो आशा करती जो उसे अच्छा नहीं लगने का संकेत होता पर उसने तो बल्कि उन दोनों का साथ ही दिया और उन्हें वो सब करने दिया जो कि वो चाहते थे हाँ… उसे मजा ही आया था और बहुत मजा आया था उसने कभी जिंदगी में मजा कभी नहीं लिया था वो भी सेक्स का वो इतना कभी नहीं झड़ी थी जितना कि कल रात को वो कभी सेक्स में इतना नहीं थकि थी जितना कि कल रात को उसके शरीर का इस्तेमाल भी कभी किसी ने इस तरह से नहीं किया था कि जितना कि कल हाँ… यह सच था और उसी का 
ही परिणाम था यह जो की उसके शरीर में जहां तहाँ उभर आए थे वो अपने शरीर को घुमाकर हर हिस्से को एक बार देखना चाहती थी उसकी जाँघो में नितंबों में जाँघो के पीछे के हिस्से में कमर में नाभि के आस-पास और चूचियां में और निपल्स में गले में हर कही उसे दिख रहे थे वो मिरर में एक बार अपने को देखकर और फिर अपने शरीर को मिरर में देखने लगी थी कितनी सुंदर है वो क्या शरीर पाया है उसने मस्त चूचियां जो की निपल्स के साथ किसी की चोटी की तरह से सामने की ओर देख रहे थे उसके नीचे पतली सी कमर उसके बीच में गहरी नाभि जो कि उसके शरीर को और भी ज्यादा सुंदर बना देती थी नीचे नितंबों का सिलसिला होते हुए जाँघो से नीचे तक टाँगें जो कि उसके शरीर को किसी बोतल के शेप में चेंज कर देती थी 

कंधों के ऊपर से सुराहीदार गर्दन और फिर उसका प्यारा सा चहरा लाल होंठ उसके ऊपर नोक दार नाक पतली सी और फिर उसकी कातिल निगाहे जो कि बहुत कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थी
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 02:38 PM

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