Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:39 PM,
#66
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामेश- हाँ कर तो लो वो नहीं तो उनका लड़का ही सही पर साला झल्ला है 

कामया- झल्ला .....................






कामेश- हाँ यार ढीला है 

कामया- हाँ… हाँ… हाँ… हूँ हीही 

कामेश- हाँ… देखोगी तो हँसोगी 

कामया- क्यों 

कामेश- अरे कुछ भी कहो समझ ही नहीं आता से डील की बातें करो तो बगले झाँकने लगता है अरे कुछ तो सिखाया पढ़ाया हो तब ना 

कामया- अरे तुम तो जबरदस्ती परेशान हो रहे हो ऐसा है तो अच्छा ही है उसे कुछ समझ नहीं आएगा और तुम अपना काम करते जाना और क्या 

कामेश कामया की ओर आश्चर्य से देखने लगा उसके होंठों में एक हँसी थी एक आँख दबाकर वो कामया के नजदीक आया और झट से अपने होंठों से कामया के होंठों को कस कर चूम लिया 

कामेश- अरे वाह मेडम सच ही तो कहा तुमने साले को ले लेता हूँ हाँ यार 

कामया- 

कामेश- लेकिन परेशानी एक है 

कामया- क्या 

कामेश- वो दिन भर तुम्हारे पीछे पड़ा रहेगा 

कामया- मेरे पीछे क्यों 

कामेश अरे वो जो कॉंप्लेक्स बन रहा है ना उसमें भी उन्होंने फाइनेंस किया है और एक्सपोर्ट में भी उनका पार्ट्नर शिप है इकलौता बेटा है थोड़ा मेंटल प्राब्लम है दो या तीन लड़कियों के बाद है ना साला वो भी लड़कियों जैसा ही हो गया है 

कामया- तो क्या हुआ में संभाल लूँगी कौन सा मुझे उसे हाथों से खिलाना है दौड़ा दूँगी दिन रात और वो कितने साल का है 

कामेश- है तो 23 24 साल का पर बहुत ही दुबला पतला है और लड़कियों जैसा है बड़ा लचक कर चलता है हिहीही 

कामया- धात तुम तो ना चलो जल्दी से तैयार हो जयो पापाजी वेट करते होंगे 
और दोनों झट पट तैयार होने लगे थे दोनों को पापाजी के साथ ही निकल ना था जब वो नीचे पहुँचे तो पापाजी नहीं आए थे डाइनिंग टेबल पर खाना लगा था कामया और कामेश के बैठने के बाद पापाजी भी आ गये और सभी खाना खाके बाहर की ओर निकल गये 

इसी तरह से दो तीन दिन निकल गये कोई बदलाब नहीं आया कामया के जीवन में रोज सुबह वो पापाजी के साथ ही निकल जाती और शाम को अपने पति के साथ ही वापस आती और रात को भी वो अपने पति के साथ ही रहती 
हर रात वो अपने शरीर की संतुष्टि के लिए अपने पति को उकसाती और अपनी ओर से कोई भी कमी नहीं रखती पर कामेश हर बार दो बार में सिर्फ़ एक बार ही कामया को साथ दे पाता था हर बार पहले झड़ जाता और दूसरी बार में थोड़ा बहुत कामया को संतुष्ट कर देता 

पर कामया को यह प्यार कुछ जम नहीं रहा था पर वो एक पति व्रता नारी की तरह अपने पति का साथ देती रही वो एक सेक्स मशीन बन चुकी थी कामेश भी उसे उकसाता था वो उसे अपने साथ होते हुए हर खेल को बहुत ही अच्छे तरीके से अपना लेता था वो कामया को खुश देखना चाहता था और उसे किसी भी तरह से मना नहीं करता था 

कामया जब उसका लिंग वा फिर उसके शरीर को किस करती तो वो उसे खूब प्यार से सहलाता और उसे और भी करने को उकसाता था कामया को मालूम था कि कामेश को यह सब अब अच्छा लगने लगा था सो वो अपने तरीके से कामेश के साथ खेलती और अपने को पतिव्रता स्त्री के रूप में रखती जा रही थी 

अब तो कामया बिज़नेस में भी थोड़ा बहुत इन्वॉल्व होने लगी थी लोग बाग अब उसे थोड़ा सीरियस्ली लेने लगे थे और बहुत कुछ बताने भी लगे थे कॉंप्लेक्स के काम के बारे में भी उसे रिपोर्टिंग करने लगे थे उसे पता था कि स्टोर में क्या शार्ट है क्या मंगाना पड़ेगा कौन सा स्टाफ क्या करता है और किसकी क्या रेपोंसिबिलिटी है कौन सा काम धीरे चल रहा है और कौन सा काम आगे 

कौन कहाँ जाता है और कौन छुट्टी पे है और भी बहुत कुछ अब कामेश कामया को बहुत से बिज़नेस पार्ट्नर्स से भी मिला चुका था और बहुत सी बातें भी समझा चुका था कामया अब एक निपुण बिज़नेस विमन की तरह रेएक्ट करने लगी थी उसकी चाल में एक कान्फिडेन्स आ गया था जो पहले नहीं था अब वो बहुत ही कॉनफीदेंतली बातें करती कोई इफ’स आंड बॅटस नहीं होते थे पापाजी सुबह हमेशा उसके आस-पास होते कभी कामेश भी जाता उसके साथ और दुपहार को जब वो शोरुम पहुँचती तब भी वो शोरुम मे बहुत से बदलाब ले आई थी ड्रेस कोड जारी कर दिया था और शोरुम में गानो की धुन हमेशा बजती रहती थी कोल्ड ड्रिंग्स कस्टमर्स के लिए सर्व होने लगी थी एक कोने को बच्चो के लिए डेवेलप किया था जहां कष्टमर के बच्चे खेल सके बड़े-बड़े सेट भी लगा दिया था शोरुम में और भी बहुत कुछ कर दिया था कामया ने जो कि उसके पति और पापाजी को बहुत ही पसंद आया 


कामया का जीवन अब बहुत ही संतुलित सा हो गया था बीच में मम्मीजी का फोन भी आया तो उन्होंने भी कामया को बहुत बधाई दी और अपने काम को ठीक से करने की नसियात भी दी कामेश और पापाजी को कामया का इस तरह से बिज़नेस में इन्वॉल्व होना बहुत ही अच्छा लगा था और वो दोनों ही कामया को और भी सजेशन्स देने को उकसाते रहते थे उनका शोरुम उस इलाके का एक ऐसा शोरुम हो गया था जिसे देखकर बड़े दुकान दार अपने हिसाब से अपनी दुकान को रेनवेट करने लगे थे पर कामया के सामने वो कुछ नहीं कर पाते थे उसका दिमाग हमेशा कुछ ना कुछ अलग करता रहता था 
इसी तरह कमाया का जीवन आगे चलता जा रहा था 

पर यह कहानी तो कुछ और ही कहने को बनी है तो अब वो बातें करते है ठीक ओके… 

तो हमेशा की तरह आज भी कामया कामेश और पापाजी के साथ ही तैयार थी शोरुम जाने को खाने के बाद कामेश तो चला गया पर कामया और पापाजी जब बाहर निकले तो आज वो कामेश के साथ ही कॉंप्लेक्स का काम देखने चली गई और पापाजी और कामेश का दिन आज कल थोड़ा बहुत व्यस्त सा हो गया था वो शोरुम पर कम टाइम दे पा रहा था उसका ज्यादा ध्यान कॉंप्लेक्स की ओर था और वहां की दुकानों को बेचने का काम भी पापाजी और कामया ने संभाल लिया था 
कामेश- कामया अब सोच रहा था कि शोरुम में आना बंद कर दूं 

कामया- क्यों 

कामेश- अरे यहां का काम थोड़ा सा सफर हो रहा है और कुछ परचेजर्स भी जब देखो तब बुला लेते है इसलिए 

कामया- आप देखो जो ठीक लगे 

कामेश- तुम क्या कहती हो 

कामया- ठीक है पर वहां के डील्स जो होते है वो पापाजी कर लेंगे 

कामेश- अरे तुम तो हो तुम डील करना शुरू करो 

कामया- अरे मुझसे नहीं बनेगा रोज तो प्राइस ऊपर-नीचे होते रहते है 

कामेश- अरे तो क्या जब बढ़ते है तो रुक जाओ और जब घट-ते है तो खरीद लो और क्या है इसमें 

कामया- पता नहीं 

कामेश- अरे तुम चिंता मत करो पापाजी तो है सीख जाओगी 
और कामेश की गाड़ी तब तक कॉंप्लेक्स के अंदर पार्क हो गई थी 

आस-पास के लोग सावधान हो गये थे और कामेश और कामया की ओर देखते हुए नमस्कार करते जा रहे थे कामेश कामया के साथ आफिस की ओर बढ़ा था पर कामया थोड़ा सा रुक कर सामने से खड़े होकर एक बार ऊपर की ओर देखते हुए अपने नाम से बन रहे कॉम्प्लेक्स की ओर देखा 

कामेश- आओ 

कामया- आप चलिए में थोड़ा देखकर आती हूँ 

और कामेश अंदर आफिस की ओर चला गया कामया इधर उधर टहलती हुई सी लोगों को अपने काम में लगे हुए देखती जा रही थी और एक-एक करके सीढ़िया चढ़ती हुई हर फ्लोर में काम का जाएजा लेती जा रही थी जहां भी जाती लोग एक बार उसे जी भर के देखते और झुक कर सलाम भी करते अब तो कामया को यह आदत सी पड़ गई थी सो कोई ज्यादा तवज्जो नहीं देती थी वो इधर उधर देखती हुई हर फ्लोर के कोने तक देखती और फिर एक फ्लोर ऊपर चढ़ जाती 

लगभग हर फ्लोर में काम अपनी तेज गति से चल रहा था और हर कोई काम में ज्यादा ही व्यस्त दिखाई दे रहा था कामया का ध्यान बारीकी से हर काम को अंजाम देते हुए देखते हुए जा रही थी फिफ्थ फ्लोर तक ही बना हुआ था और उसके ऊपर छत थी इसलिए वहां सिर्फ़ लिफ्ट का टवर था और डक्ट बने हुए थे स्टेर केस का रास्ता भी था और खोल छत थी कामया चलती हुई फिफ्थ फ्लोर पर खड़ी होकर सामने का नजारा देखती रही बहुत ही मन भावन था हर तरफ काम से लगे हुए लोग काम से खाली होकर बाहर की ओर जा रहे थे तो कुछ लोग समान भर कर अंदर की ओर आ रहे थे 

कामया ने फिफ्थ फ्लोर को धीरे-धीरे घूमकर पूरा देखा वहां लोग भी कम थे और धूल भी थोड़ा कम उड़ रही थी सो कामया को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी जब वो सीढ़िया उतर कर नीचे की ओर जाने को हुई तो ना जाने क्यों वो ऊपर छत की ओर देखती हुई रुकी और वहां का क्या हाल है जान-ने के लिए ऊपर की ओर चल दी छत में कोई नहीं था एकदम खाली था बहुत तेज हवा चल रही थी यहां वहां थोड़ा बहुत समान फैला हुआ था पर कोई काम करता हुआ नहीं दिखा वो थोड़ी देर रुक कर वहां का हाल जानकर सामने साइन को देखती हुई वापसा नीचे की ओर जाने को पलटी ही थी कि 
उसे कोई चीज गिरने की आवाज आई उसका सिर उस तरफ घूम गया वहां कोई नहीं था पर गिरा क्या वो अपने को रोक ना पाई और उस गिरने वाली चीज को देखने को वो आगे बढ़ी पर उसे कोई दिखाई नहीं दिया डक्ट और बड़े-बड़े पाइप के बीच में उसे कुछ भी ना दिखा पर फिर से किसी आहट ने उसे चोका दिया वो किसी चीज के हिलने की आवाज़ थी या फिर कुछ गड़बड़ थी जो भी हो कामया जल्दी से एक डक्ट के पीछे से जहां से वो आवाज आ रही थी वहां पहुँचने लगी थी जैसे-जैसे वो डक्ट के पीछे की ओर देखने को आगे बढ़ती जा रही थी उसे आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी उसे इतना तो पता चाल गया था कि जरूर कोई गड़बड़ है पर क्या पता नहीं 

आवाज से अंदाजा लगाया जा सकता था कि दो जने है पर क्या उठा रहे है या कुछ खिसका रहे है पता नहीं हाँ… हाँफने की आवाज जरूर आ रही थी कामया दबे पाँव जैसे ही वहां डक्ट के पीछे पहुँची तो चिहुक कर एकदम से पीछे की ओर हट गई जो उसने देखा उस चीज की कल्पना भी उसने अपने जीवन में कभी नहीं की थी 
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