Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:39 PM,
#69
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
उसके मन में ढेर सारे सवालों के बीच में वो घिरी हुई अपने आपसे उत्तर ढूँडने की कोशिश करती रही पर उसे कोई जबाब नहीं मिला तभी कामेश के नजदीक आने से से और उसे कस कर पकड़ लेने से उसकी सोचने में ब्रेक लग गया 

कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था 
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज 

कामेश- क्यों 

कामया- मन नहीं कर रहा 

कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा 
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी 
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बाप रे का क्या 

कामेश- हाँ… हाँ… ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ 

कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ 

पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था 

कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी 

कामेश- इधर घुमो हाँ… और अपने होंठ दो, 

कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था 

कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है 

कामेश- बस थोड़ी देर हाँ… बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज 

कामया- प्लीज ना आज नहीं 
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे 

कामेश- रूको थोड़ी देर बस 
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स 
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे 

उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा 
कामेश- पकडो इसे 

कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी 

कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया 


कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक गई 

कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था 

कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्ममममममममममम 
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया 

कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों 


वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की 
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ… एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी 


क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये 

आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही 
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा 

कामया- क्यों कहाँ 

कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे 
कामया- तो 

कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे 

कामया- हाँ… पर कितने दिन के लिए 

गाड़ी चलाते हुए 
कामेश- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा 

कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है 

कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है 

कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही 

कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी 

कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके 
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है 

कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था 

सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी 

टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था 

कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
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