Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:04 PM,
#71
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया जल्दी से इस परिस्थिति से मुक्ति चाहती थी वो खड़े-खड़े थक गई थी उसे डर था कि पास के बेड में जो सोया हुआ था अगर एक बार भी कंबल उठाकर देखेगा तो उसे कामया का हाथ साफ तौर पर कंबल के अंदर भोला के लिंग पर ही दिखेगा पर वो मजबूर थी भोला की गिरफ़्त के आगे उसके बहशिपान के आगे उसके उतावले पन के आगे वो उसका लिंग तो पकड़े हुए थी पर कुछ करने की उसे जरूरत नहीं थी भोला ही अपने हाथों से उसके हाथों को डाइरेक्ट कर रहा था 


वो अपने लिंग पर कामया के हाथों को आगे पीछे करता जा रहा था और अपनी आखें बंद किए ना जाने क्या-क्या बक रहा था 
भोला- आआह्ह मेमसाहब कितनी नरम उंगलियां है आपकी आआआह्ह कितना सुख है मेमसाहब अब में मर भी जाऊ तो कोई शिकायत नहीं मेमसाहब उसकी आखें बंद थी और चेहरे के भाव भी धीरे-धीरे बदल रहे थे एक सुख की अनुभूति उसके चहरे पर साफ देखी जा सकती थी सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी और अपने हाथों की गिरफ़्त भी धीरे-धीरे कामया के हाथों पर कुछ ढीली पड़ रही थी पर कामया की हथेलिया तो भोला के लिंग पर वैसे ही टाइट्ली ऊपर-नीचे होने लगी थी वो भूल चुकी थी कि उसके हाथों पर भोला की पकड़ थोड़ी सी ढीली पड़ गई थी वो् अपने आपको बचा सकती थी एक झटके से अपने हाथ को खींच सकती थी पर उसने ऐसा नहीं किया उसे पता ही नहीं चला कि कब भोला की गिरफ़्त ढीली हो गई वो तो अपने हाथों में आई उस चीज का एहसास जो कि अब तक उसके जेहन में घर कर गई थी 


उसी के समर्पण में रह गई थी अपने हाथों पर एक अजीब से एहसास के चलते वो भी अंजाने में इस खेल का हिस्सा बन चुकी थी वो अब खुद ही उसके लिंग पर अपने हाथों को चलाने लगी थी और अपनी उखड़ती हुई सांसों को कंट्रोल भी कर रही थी उसकी आँखो के सामने उस दिन का सीन फिर से घूम गया था जब उसने भोला को उस औरत के साथ देखा था और वो अवाक रह गई थीआज वही लिंग उसके हाथों में था और उसे भी एक नशे की स्थिति में पहुँचा रहा था अचानक ही उसे अपनी कमर के चारो तरफ भोला के हाथों के होने का एहसास हुआ जो कि धीरे धीरे उसे कसता जा रहा था और उसे बेड के और नजदीक लेता जा रहा था तब उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और अपने हाथों को खींचने की कोशिश की पर वो अब भोला की पूरी गिरफ़्त में थी भोला ने कस कर उसे जकड़ रखा था 


भोला----प्लीज मेमसाहब बस थोड़ी देर और हो गया बस मत छोड़ो उसे मेमसाहब बहुत परेशान करता है मुझे प्लीज 
कामया ने एक बार आस-पास देखा और फिर से अपनी गिरफ़्त उसके लिंग के चारो ओर धीरे धीरे कसते हुए उसके लिंग को आगे पीछे करने लगी उसका लिंग अब भी कंबल के नीच ही था पर उसका आकर कंबल के ऊपर से दिख रहा था बड़ा सा और कोई टेंट सा बना दिया था सीधा लेटा हुआ था भोला और अपने सीधे हाथ से कामया की कमर को जकड़े हुए वो अब धीरे-धीरे अपनी कमर को भी उच्छाल देता था कामया की उंगलियां भी अपने आप में कमाल कर रही थी उस गर्मी के अहसास को और भी नजदीक से झेलने की कोशिश में उसकी पकड़ उसके लिंग के चारो ओर और भी सख्त होती जा रही थी और उसी अंदाज में आगे पीछे भी होती जा रही थी कामया को अचानक ही याद आया कि वो अगर पकड़ी गई तो वो एक बार भोला की ओर देखती हुई अपने को बचाने की कोशिश में जोर-जोर से भोला के लिंग को झटकने लगी और उसके इस तरह से झटके देने से भोला का शरीर शायद अपने को और नहीं रोक पाया था उसकी गिरफ़्त अचानक ही कामया की कमर के चारो ओर बहुत ही सख़्त हो गई थी और एक हाथ उठकर उसकी चुचियों तक भी पहुँच गया था और कस कर दबाता तब तक उसके लिंग से बहुत सारा वीर्य निकलकर कामया के हाथों को भर गया और वही अंदर कंबल में चारो ओर फेल गया भोला की गिरफ़्त अब भी ढीली नहीं हुई थी पर कामया की हालत खराब थी वो एक अजीब सी आग में जल उठी थी भोला के चुचियों को दबाते ही वो चिहुक कर उसके पास से दूर हो जाती पर उसकी गिरफ़्त के आगे वो फिर से ढीली पड़ गई और अपने हाथ को ही खींचकर बाहर निकाल पाई थी और वही कंबल में ही पोंछ लिया था उसकी साँसे बहुत ही तेज चल रही थी पर भोला तो शांत हो चुका था 


भोला- शुक्रिया मेमसाहब बहुत बहुत शुक्रिया 
और अपनी गिरफ़्त को छोड़ते ही दरवाजे के बाहर कोई आहट हुई और कामेश और डाक्टर दोनों कमरे में घुसे 

डाक्टर- कैसी तबीयत है भोला 

भोला- हान्फता हुआ जी डाक्टर साहब अबती बिल कुल ठीक हूँ शेर से भी लड़ सकता हूँ 
डाक्टर और कामेश एक साथ ही हँस दिए 

डाक्टर- अरे शेर से लड़ने की क्या ज़रूरत है 

भोला- नहीं सर बहुत दिन हो गये है इसलिए कहीं बहुत नुकसान हो जाएगा अगर में काम पर नहीं लोटा तो 

कामेश---अरे अभी नहीं कुछ दिन और आराम करो फिर आना काम पर ठीक है और सुनो शायद आज ही में बाहर जा रहा हूँ कोई जरूरत हो तो पापा से या फिर मेडम से बोल देना ठीक है 

भोला- जी भैया आपके लिए तो जान हाजिर है और अब तो मेमसाब के लिए भी 
और बड़े ही नशीले अंदाज में हँसने लगा था वहां का माहॉल कुछ खट्टा मीठा सा हो गया था पर कामया जानती थी कि भोला क्या बोल रहा था और भोला भी इशारे से अपनी बात कामया तक पहुँचाने में सफल हो गया था पर कामया तो कही और ही खोई हुई थी कामेश के अचानक ही आ जाने से वो जहां पकड़े जाने के डर से भोला के पास से जल्दी से हटी थी वही अपने सांसों को नियंत्रित करने में उसे अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी फिर भी कामेश की नजर उसके बदले हुए तरीके पर पड़ ही गई थी 

कामेश- क्या हुआ बहुत घबराई हुई हो 

कामया- जी नहीं वो सांस फूल रही है 

कामेश- क्यों 

कामया वो स्मेल यहां की 

कामेश अरी यार हास्पिटल में ऐसा ही स्मेल आता है अब चलो 
और कामया को लिए बाहर की ओर चल दिया डाक्टर भी उनके साथ ही बाहर की ओर चल दिया जाते जाते भोला तो कामया की ओर देखता रहा पर कामया की हिम्मत नहीं हुई 
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