Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:09 PM,
#76
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
पर लाखा के दिमाग में कुछ और ही था वो झट से कामया को अपनी गोद में फिर से उठा लिया और धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया और बाथरूम के डोर को खोलकर उसे पॉट पर बिठा दिया वैसे ही नंगी
लाखा- करले बहू आज नहीं छोड़ूँगा एक मींनट के लिए भी नहीं और खुद भी नंगा उसके सामने खड़ा हुआ अपने लिंग को उसके चहरे पर अपने हाथों से मारने लगा था कामया जिंदगी में पहली बार किसी इंसान के सामने वैसे पॉट पर बैठी थी शायद जिंदगी में अपने पति के सामने भी वो यह नहीं कर पाई थी पर लाखा के सामने वो एक असहाय नारी की तरह पॉट पर बैठी हुई उसके लिंग को अपने चहरे पर घिसते हुए देख रही थी तभी बाथरूम के दरवाजे पर भीमा भी नजर आया और वो भी अंदर आ गया वो भी अपने हथियार को अपने हाथों से सहलाते हुए कामया की ओर देखते हुए अंदर आते जा रहा था कामया से और नहीं रोका गया और वो पॉट पर बैठी बैठी पिशाब करने लगी दोनों के सामने लाखा काका ने जैसे ही आवाज सुनी तो वो थोड़ा सा मुस्कुराए और थोड़ा सा आगे बढ़ कर अपने लिंग को कामया के चेहरे पर घिसते हुए उसके होंठों से घिसने लगे थे कामया जानती थी कि क्या करना है उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपने गिलाबी होंठों के अंदर उस बड़े से लिंग को ले लिया और धीरे-धीरे अपने जीब से उसे चाटने लगी थी लिंग बहुत सख़्त नहीं था थोड़ा सा ढीला था पर आकृति वैसे ही थी मोटा सा और काला सा तभी उसे अपने गालों के पास एक और लिंग आके टकराया वो भीमा चाचा का लिंग था वो अपने होंठों को लाखा काका के लिंग से अलग करके भीमा चाचा के लिंग पर झुक गई और एक हाथ में लाखा काका के लिंग को घिसते हुए दूसरे हाथ से भीमा चाचा के लिंग को पकड़कर अपने मुख के अंदर डाल लिया वो भी थोड़ा सा ढीला था पर उसके हाथों में आते ही जैसे जादू हो गया था वो धीरे धीरे अपने आकार में आने लगा था एक हाथ में लाखा काका का लिंग और दूसरे में हाथों में भोला चाचा का लिंग लिए वो चूस रही थी और पॉट के ऊपर बैठी हुई वो यह सब करती जा रही थी


उसे मना करने वाल कोई नहीं था और नहीं कोई आपत्ति करने वाला वो जो चाहती थी कर सकती थी कैसे भी और कितनी भी देर तक जाने क्यों उसे यह सब अच्छा लग रहा आता एक औरत को दो-दो आदमी एक साथ प्यार करे और उसे कैसा लग रहा हो यह कोई पूछे तो शायद कोई जबाब ना ही मिले पर कामया को यह खेल पसंद आया था वो पूरे तल्लीनता के साथ एक के बाद एक लिंग को अपने होंठ के पास लाती और झट से अपने मुख में घुसाते हुए अपनी जीब से चूसती जाती दोनों खड़े-खड़े नीचे बहू की हरकतों को देख रहे थे और अपने जीवन के सुख से परिचित हो रहे थे वो इस सुख की कल्पना भी नहीं किए थे की बहू उन्हें वो सुख दे जाएगी जिसे भोगने के लिए पता नहीं इंसान क्या-क्या जतनकरता है फिर भी उसे नसीब नहीं होता वो दोनों भी अपने मुख को ऊपर उठाए हुए बाथरूम के अंदर ही कामया को इस खेल का मास्टर बना चुके थे जब जब कामया के होंठ उनके लिंग को चूसकर मुख से बाहर निकालते थे तो एक सिहरन सी उठ जाती थी उनके शरीर में दोनों का लिंग बारी बारी चूसती हुई कामया को अब उनके लिंगो को पकड़ने की जरूरत नहीं थी अब उसने उनको छोड़ कर, चाचा और काका को कमर से पकड़ लिया था और अपने मुख के पास खींचने लगी थी उसकी नरम नरम हथेलिया काका और चाचा के सख़्त नितंबों पर घूम घूमकर उसकी रचना और गोलाई और मर्दाने पन का एहसास भी करने लगी थी कामया फिर से आतुर थी और वो अब तैयार थी अपनी 3री पारी के लिए एक-एक करके दो पारी तो वो खेल चुकी थी पर इस बार वो जरूरत से ज्यादा तैयार थी दोनों चाचा और काका ने उसकी दोनों जाँघो को अपनी टांगों के बीच में दबा रखा था और बहुत जोर लगा कर उसे अपनी जाँघो से ही दबाते जा रहे थे अपने हाथों से दोनों एक के बाद एक उसके सिर और चहरे पर अपनी हथेलियो को फेरते जाते थे शायद अपने प्यार को दिखने का तरीका था या फिर जो सुख कामया उन्हें दे रही थी उसे प्रदर्शित करने का यही एक तरीका था उनके पास कामया अब भी दोनों के लिंग को बारी बारी अपनी जीब और होंठों से चाट-ती और चुबलती जा रही थी और बीच बीच में थक कर अपने चहरे को उनके लिंग के आस-पास घिसते भी जा रही थी अब उसकी जाँघो के बीच से पानी जैसा कुछ बहने लगा था वो तैयार थी और बहुत तैयार वो अब नहीं रुक पा रही थी अपना चहरा उठाकर वो दोनों की ओर देखने लगी थी लाखा और भीमा भी एकटक कामया की ओर ही देख रहे थे
कामया- आअह्ह सस्स्स्स्स्स्शह चाचा आआआअ प्लीज ईईईई अब करो
भीमा- आआह्ह बहू
लाखा- उूुुुुउउम्म्म्मममम
नीचे झुक कर, लाखा ने कामया के होंठों को अपनी गिरफ़्त में लेलिया और कस कर अपनी उत्तेजना को दिखाने लगा था वो एक ही झटके में बहू को फिर से अपनी गोद में खींचकर उठा लिया था और बिना किसी परेशानी के उसे उठाकर बाहर की तरफ लगभग दौड़ता हुआ निकला कामया की दोनों जांघे लाखा काका की कमर के दोनों तरफ से कस गई थी उसे पीछे से भी अपने नितंबों पर दो हथेलियों का स्पर्श सॉफ महसूस हो रहा था जो की उसके गुदा द्वार तक जाते थे और फिर वापस उसके गोल गोल नितंबों का आकार प्रकार नापने में मस्त हो जाते थे वो वैसे ही लटकी हुई अपने रूम में आ गई थी काका का लिंग उसकी योनि और नितंब के बीच में टकरा रहा था और गरम गर्म सा एहसास उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचा रहा था वो जैसे ही रूम में पहुँची लाखा काका ने बिना किसी देर के झट से अपने को बिस्तर पर लिटा लिया और कामया को अड्जस्ट करते हुए उसे ऊपर बिठाकर अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर कर दिया लिंग को बिना किसी तकलीफ के एक ही झटके में अंदर तक समा गया जैसे वो रास्ते को जानते थे या फिर वो इतना साफ था कि उसे कोई तकलीफ ही नहीं हुई भीमा चाचा भी पीछे से कामया के नितंबों को अपने हाथों और होंठों से प्यार कर रहे थे और बीच बीच में उसके गुदा द्वार पर भी सहलाते जाते थे कामया के अंदर जैसे एक सेक्स का सागार जनम ले रहा था उत्तेजना के साथ ही एक अजीब सा सुख उसे मिल रहा था जो की आज तक उसने एहसास नहीं किया था जब भी भीमा चाचा उसके गुदा द्वार को छूते वो एक झटके से आगे की ओर होती थी नीचे लेटे लाखा काका को भी इस बात का एहसास होता और वो अपने गंतव्य की ओर एक कदम आगे बढ़ जाते आज पता नहीं क्यों कामया की उत्तेजना शिखर पर थी दो बार झड़ने के बाद भी वो अब तक उत्तेजित थी कि शायद पूरी रात वो इन दोनों के साथ इस खेल में शामिल रह सकती थी पर जो भीमा चाचा कर रहे थे वो उसके लिए नया था वो लगातार उसके गुदा द्वार को छेड़ रहे थे और अचानक ही उनकी एक उंगली भी उसके अंदर चली गई वो एक झटके से आगे की ओर हुई पर कहाँ भीमा की उंगली और भी अंदर तक जाती चली गई वो पलटकर कुछ कहने वाली थी कि लाखा काका की बालिस्ट हथेलियों ने उसकी गर्दन को कस कर पकड़ लिया और अपने होंठों पर झुका लिया वो अपने होंठों को काका के होंठों से अलग नही कर पाई थी और उनका साथ देने लगी थी भीमा चाचा की उंगलियाँ अब धीरे-धीरे उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी बहुत ही धीरे-धीरे पर वहाँ ल्यूब्रिकेशन ना होने के कारण उसे थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था और एक अंजान सा डर उसके जेहन में घर करता जा रहा था वो अपनी कमर को हिलाकर और अपने गुदा द्वार को सिकोड कर भीमा चाचा को रोकने की कोशिश करती जा रही थी अपने हाथों को पीछे की ओर लेजाकर वो अपने गुदा द्वार को ढकने की भी कोशिस कर रही थी पर सब बेकार भीमा चाचा तो अपने काम में लगे हुए थे और अपनी उंगलियों को अब बहुत तेजी से अंदर-बाहर करने लगे थे कामया के मुख से चीख निकलने लगी थी पर जाने क्यों उसे अच्छा भी लगने लगा था वो इस खेल में नई थी पर आगे से लाखा काका अपना कमाल दिखा रहे थे और पीछे से भीमा चाचा उसके अंदर बाहर अपनी उंगलियों को कर रहे थे जिससे कि वो और भी तेजी से आगे पीछे होने लगी थी और बहुत ही तेजी से अपने मुकाम की ओर भागने लगी थी नीचे पड़े हुए लाखा काका की स्पीड भी अब लगभग किसी एंजिन की तरह हो गई थी होंठों को होंठों से जोड़े हुए बिना रुके लगातार झटके पर झटके दे रहे थे अचानक ही कामया को अपने पीछे किसी गाढ़े चिप चिपे तेल जैसी किसी चीज का अहसास हुआ वो कुछ करती इतने में भीमा चाचा के लिंग का एहसास उसे अपने गुदा द्वार पर हुआ वो चौंक गई यह क्या कर रहा है यह पागल वहां भी कोई करता है पर कुछ कहती उससे पहले ही भीमा चाचा का लिंग हल्के से उसके अंदर समा गया वो एक लंबी सी चीख के साथ ही पलट गई पर लाखा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने अंदर से उस मान्स्टर को निकालने में सफल तो हो गई पर अपने को नीचे नही ला पाई फिर से वो उस स्थिति में आ गई थी जैसे वो पहले थी पर एक डर उसके अंदर समा गया था अगर फिर से भीमा चाचा ने कोशिश की तो नहीं यह नहीं चलेगा उंगली तक तो बात ठीक थी पर वो नहीं बहुत बड़ा है अगर वो अंदर गया तो तो वो मर जाएगी नहीं मर फिर से जैसे ही वो अपनी जगह पर पहुँची भीमा चाचा की उंगली फिर से उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी जैसे तैसे अपने मुख को काका के होंठों से अलग करके

कामया- नहियीईईईई चाचा आआआआअ वहां नहीं प्लीज ईईईईई
पर कहाँ भीमा मानने वाला था वो लगातार अपनी उंगली को बहू के अंदर-बाहर करता जा रहा था नीचे से लाखा भी उसे निरंतर धक्के देता हुआ उसे ऊपर-नीचे कर रहा था और अब तो पीछे से भी यही हाल था भीमा चाचा की उंगली तो अब कमाल करने लगी थी कामया की ना नुकर अब बंद थी बल्कि लंबी-लंबी सांसें लेती हुई वो हर झटके के साथ लगातार अपने एक नये मुकाम पर पहुँचने वाली थी तभी शायद नीचे से लाखा ने उसे कस कर जकड़ लिया था और वो उससे लिपट गई थी पर हाँ… अब उसे भीमा चाचा से परेशानी नहीं थी वो अपने लिंग को वहां नहीं डाल रहे थे वो सिर्फ़ अपनी उंगलियों को ही वहां चला रहे थे और तेज और तेज वो अपनी योनि के साथ-साथ अपने नितंबों को भी सिकोड़ कर अपनी उत्तेजना को अंदर तक समेटने की कोशिश में लगी थी कि लाखा काका की गिरफ़्त में वो लगातार हर झटके के साथ अपनी योनि से एक लंबी सी धार लिकलते हुए महसूस कर रही थी पर पीछे का आनंद तो लगा तार बढ़ने लगा था भीमा चाचा की उंगलियां अब उसके गुदा द्वार के अंदर और बहुत ही अंदर तक समा जाती थी और उसे कोई तकलीफ भी नहीं बल्कि उसे तो मजा आने लगा था वो निढाल सी काका के ऊपर लेटी हुई थी पर अपने नितंबों को जरूर पीछे करते हुए भीमा चाचा का साथ दे रही थी और भीमा चाचा भी अब लगातार अपनी स्पीड बढ़ाने लगे थे जो कि एक अजीब सी हलचल उसके अंदर तक मचा रहे थे कामया ने अपनी पूरी जान लगाकर पीछे की ओर एक बार देखा भीमा चाचा अपने लिंग को अपने हाथों में पकड़े हुए झटके दे रहे थे और आगे पीछे कर रहे थे और एक हाथ से वो उसके गुदा द्वार के अंदर अपनी उंगलियां आगे पीछे कर रहे थे एक आवाज उसके कानों में टकराई
लाखा- कमाल की है तू बहू मजा आ गया
कामया- हाँ… आअह्ह और नहीं चाचा आआआआअ प्लीज अजीब सा लग रहा है
भीमा- रुक जा बहू आज के बाद तू कभी मना नहीं करेगी रुक जा इसे पकड़
और थोड़ा सा आगे बढ़ कर उसने अपने लिंग को कामया के हाथों में पकड़ा दिया

तभी नीचे से लाखा हट गया और कामया बेड पर आ गई थी वो अब भी वैसे ही स्थिति में थी पीछे की ओर अपने नितंबों को उठ कर साइड दे भीमा चाचा के लिंग को अपनी गिरफ़्त में लिए हुए अपने गुदा द्वार के अंदर-बाहर होते उनकी उंगलियां के मजे लेते हुए वो और भी नीचे एक ओर झुक गई थी पता नहीं क्या हुआ पर वो अपने आपको संभाल नहीं पाई और अपनी उत्तेजना को फिर से बढ़ते देखकर उसने झट से भीमा चाचा के तकड़े लिंग को झट से अपने मुख के अंदर कर लिया और खूब जोर-जोर से चुबलने लगी अब वो बेड पर थी और उसके नितंब अब पीछे की ओर हो गये थे और वो नीचे झुक कर भीमा चाचा के लिंग पर झुकी हुई थी भीमा चाचा का हाथ अब उसके नितंबों तक ही पहुँच पा रहा था गुदा द्वार उसकी पहुँच से दूर हो गया था पर नहीं वो बची नहीं थी एक उंगली फिर से उसके अंदर समा गई थी पीछे से वो लाखा काका की उंगली थी वो भी वैसे ही बहुत तेजी से उसके अंदर बाहर होने लगी थी और एक साथ उसकी योनि के अंदर भी दो उंगलियां एक पीछे और एक आगे जैसे लगता था कि अंदर से किसी चीज को जोड़ने की कोशिस में थे वो लगातार हो रहे इस तरह के आक्रमण से कामया थक गई थी और उसके अंदर अब इतनी ताकत नहीं थी कि किसी को मना कर पाई ना ही उसके घुटनों में ही इतनी ताकत बची थी कि अपने नितंबों को उँचा उठाकर रख पाई धीरे-धीरे अपने घुटनों को सीधा करते हुए वो बेड पर लेट गई थी कि तभी उसके चहरे पर गरम-गरम वीर्य एक साथ बहुत सारा झटके देता हुआ भीमा का लिंग छोड़ गया वो अपने अंदर उठ रही 4थी बार एक उमंग को शांत होते हुए भी पाया जो कि लाखा काका की उंगलियों का ही कमाल था जो कि अब भी लगातार उसकी योनि और गुदा द्वार के अंदर-बाहर उसी स्पीड से हो रहा था वो अब पीठ के बल लेटी हुई थी और अपने अंदर की उमँगो को हर झटके के साथ अपनी कमर को उठाकर निकाल रही थी अपनी योनि से वो निढाल होकर पड़ी रही और सबकुछ शून्य हो गया बहुत दूर से कुछ आवाज उसके कानों में टकरा रही थी लाखा काका और भीमा चाचा की उसे समझ नहीं आया और वो एक गभीर निद्रा की चपेट में चली गई थी
भीमा- मजा आ गया आज तो
लाखा- हाँ यार गजब की है बहू अपनी पर सताया बहुत इसने
भीमा- अरे तू ही तो बेसबरा हो रहा था मुझे तो पता था की जिस दिन टाइम मिलेगा बहू फिर से अपने पास आएगी
लाखा- हाँ यार तेरी बातों में दम है ही ही
और दोनों धीरे से उस कमरे से बाहर की ओर निकल गये


कामया वैसे ही रात भर अपने बिस्तार पर पड़ी रही उसके शरीर में जब जान आई तो सुबह हो चुकी थी वो एकदम फ्रेश थी सुबह की धूप उसके कमरे में पर्दे से छन कर आ रही थी वो एक झटके से उठी और घड़ी की ओर देखा
कामया- बाप रे 11 बज गये है
झट से बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और फोन उठकर किचेन का नंबर डाईयल किया
भीमा- जी
कामया- पापाजी कहाँ है
भीमा- जी कमरे में तैयार ही रहे है चाय लाऊ बहू
कामया- हाँ… जल्दी
थोड़ी देर में ही डोर में आवाज़ आई और भीमा चाचा पहली बार उसके कमरे में चाय लेकर आए
टेबल पर रखकर वो कामया को देखते हुए
भीमा- कुछ और बहू
कामया- नहीं जाओ
उसकी नजर जब भीमा चाचा से टकराई तो उनके चहरे में एक-एक अजीब सी, शरारत थी और एक मुश्कान भी वो झेप गई और वही खड़ी रही तब तक जब तक वो बाहर नहीं चले गये

जल्दी से चाय पीकर वो तैयार होने लगी बहुत ही सलीके से तैयार हुई थी आज वो टाइट चूड़ीदार था और कुर्ता जो की उसके शरीर के हर भाग को स्पष्ट दिखाने की कासिश कर रहा था हर उतार चढ़ाव को साफ-साफ दिखा रहा था लाल और ब्लच का कॉंबिनेशन था पर ज्यादा ब्लैक था

सिल्क टाइप का कपड़ा था और उसपर एक महीन सा चुन्नी उसके इस शरीर पर गजब ढा रहा था बालों को सिर्फ़ एक क्लुचेयर के सहारे सिर्फ़ पीछे बाँध लिया था और बाकी के खुले हुए थे जोकि उसके स्लीव्ले कुर्ते से होकर गले के कुर्ते के ऊपर पीठ तक आते थे कसे हुए कुर्ते के कारण पीछे से गजब की खूबसूरत लग रही थी कामया एक बार फिर से दर्पण में अपने को निहारने के बाद वो झटके से अपना पर्स उठाकर कमरे से बाहर निकलकर लगभग उछलती हुई सी सीढ़िया उतरने लगी थी पापाजी को डाइनिंग स्पेस पर बैठे देखकर वो थोड़ा सा सकुचा गई थी और धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर डाइनिंग टेबल पर आ गई थी
पापाजी- आज बहुत देर तक सोई तुम
कामया- जी वो रात नींद नहीं आई इसलिए
पापाजी- हाँ… जल्दी सो जाया करो नहीं तो सुबह के काम में फरक पड़ जाएगा हाँ…
कामया- जी
और झुक कर अपना खाने में जुट गये थे दोनों बातें काम और जल्दी ही दोनों खाना खतम करके बाहर की ओर हो लिए बाहर लाखा काका हमेशा की तरह नजर नीचे किए दोनों का इंतजार करते मिले पापाजी और कामया के बैठने के बाद झट से ड्राइविंग सीट पर जम गया
पापाजी- लाखा एक काम कर पहले बहू को कॉंप्लेक्स छोड़ देते है और जरा हमें मार्केट की ओर ले चल थोड़ा काम है
लाखा- जी
पापाजी- एक काम करते है बहू तुमको कॉंप्लेक्स छोड़ देता हूँ पहले फिर मुझे थोड़ा मार्केट में काम है जाते हुए तुम्हें लेता हुआ चलूँगा
कामया- जी पर क्या आप वापस आएँगे
पापाजी- हाँ… क्यों
कामया- जी नहीं वो में सोच रही थी कि आप शोरुम चले जाइए जब मुझे आना होगा में आपको फोन कर दूँगी तो आप गाड़ी भेज देना
पापाजी- यह भी ठीक है
कामया- जी
और गाड़ी अपनी रफ़्तार से कॉंप्लेक्स की ओर दौड़ पड़ी कॉंप्लेक्स के बाहर पहुँचते ही वहां एक सन्नाटा सा छा गया था बड़े साहब की गाड़ी जो थी सब थोड़ी देर के लिए अटेन्शन में थे फिर दो एक आदमी दौड़ते हुए गाड़ी की ओर आए पापाजी के साथ कामया भी उतरी जैसे कोई अप्सरा हो हर किसी की नजर एक बार तो कामया के हुश्न के दीदार के लिए उठे ही थे और कुछ आहे भर कर शांत भी हो गये थे

पापाजी के साथ कामया भी आगे बढ़ी और इधर उधर देखती हुई अपने आफिस की ओर बड़ी थी पीछे-पीछे बहुत से लोग पापाजी को ओर उसे कुछ समझाते हुए आगे पीछे बने हुए थे थोड़ी देर बाद ही पापाजी अपने काम से निकल गये और कामया अकेली रह गई आज पहला दिन ऐसा था जब कामया अपने आप कॉंप्लेक्स के काम को अकेला देखने के लिए रुकी थी नहीं तो हमेशा ही कामेश या फिर पापाजी उसके साथ ही होते थे


आफिस में हर कोई कामया मेडम के आस-पास होने की कोशिश कर रहा था हर कोई अपने आवाज में सहद घोल कर और आखों में और चेहरे में एक मदमस्त मुश्कान लिए कामया मेडम को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा था कामया यह बात अच्छे से जानती थी कि क्यों आज लोग उसके आस-पास और इतनी सारी बातें उससे शेयर कर रहे है कोई कुछ बताने की कोशिस कर रहा था तो कोई कुछ हर कोई अपनी इंपार्टेन्स उसके सामने साबित करने की कोशिश
कर रहा था थोड़ी देर में ही कामया को जो जानना था वो जान चुकी और एक-एक करके सारे लोग उसके केबिन से विदा हो गये अब वो अकेली रह गई थी थोड़ी देर में ही आफिस में सन्नाटा सा छा गया था बाहर चहल पहल थोड़ी सी रुक गई थी वो थोड़ा सा सचेत हुई कि क्या बात है पर जब घड़ी में नजर गई तो लंच टाइम था शायद इसलिए सबकुछ शांत था वो भी चहल कदमी करती हुई अपने केबिन से निकली और आफिस को देखती हुई बाहर की ओर चल दी दौड़ता हुआ उसका चपरासी उसके पीछे आया
चपरासी- मेडम
कामया- हाँ…
चपरासी- जी कुछ
कामया- नहीं नहीं आप जाइए हम थोड़ा सा काम देखकर आते है
चपरासी- जी और चपरासी हाथ बाँधे हुए अपनी नजर नीचे किए हुए पीछे हट गया कामया अपने आफिस से निकलते ही उसने एक नजर पूरी बिल्डिंग में घुमाई हर कही कोई ना कोई काम कर रहा था कुछ लोग खाना खा रहे थे कामया को देखकर थोड़ा सा चौके जरूर पर कामया के हाथ ऊपर करने से वो सहज हो गये और अपने काम में लगे रहे घूमते हुए कामया थोड़ा बाहर की ओर निकली और सामने का काम देखते हुए थोड़ा और बाहर वो देखना चाहती थी कि कॉंप्लेक्स सामने से कैसा देखता है सो वो थोड़ा और आगे बढ़ कर सामने से उसे देखती रही सच में जब बनकर तैयार होगा तो अकेला ही दिखेगा एक नजर घुमाकर उसने कॉंप्लेक्स और मल्टी प्लेक्स की ओर देखा फिर विला की ओर घूम गई वो उसके
बारे में भी थोड़ा बहुत जानने की कोशिस करना चाहती थी आगे बढ़ते हुए साइड की ओर देखती जा रही थी छोटे छोटे झुग्गी टाइप बने हुए थे साइट पर काम करने वाले वर्कर वही रहते थे कुछ गंदे से बच्चे वही रेत और मिट्टी में खेल रहे थे शायद माँ बाप दोनों काम पर थे इसलिए उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था थोड़ा आगे चलने पर वो थोड़ा सा ठिठकी उसे कुछ याद आया वो थोड़ा सा रुकी और एक बार अपने चारो ओर देखती रही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई हथेलिया आपस में जुड़ गई थी और कदम भारी से होचले थे उसपर किसी की नजर नहीं थी सब अपने काम में व्यस्त थे एक बार फिर उसके कदम आगे की ओर बढ़े और पास में खेल रहे कुछ बच्चो को उसने हँसकर देखा एक छोटी सी लड़की उसके जबाब में मुस्कुराई
कामया- यहां रहती हो
वो लर्की- (मुस्कुराते हुए अपना सिर हिला दिया )
कामया- और कौन रहता है यहां
वो लड़की- (कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराती रही )
कामया- अच्छा वो भोला कहाँ रहता है (कामया का गला सुख गया था पूछने में )
झट से पूछकर वो एक बार पीछे घूमकर देखने लगी शायद उसे डर था कि किसी ने उसकी आवाज तो नहीं सुनी
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:09 PM

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