Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:19 PM,
#91
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
डोर के खुलते ही कामया थोड़ा सा चौंक कर आगे की ओर हुई और अपनी चुचियों का और पीठ का थोड़ा सा हिस्सा नुमाइश करते हुए अपनी टांगों को बाहर निकालते हुए एक हाथ को खिड़की पर रखते हुए बाहर को निकली उसका निकलना था कि दो खुशबुओं ने एक साथ अपनी जगह बदली कामया की मधुर और काम उत्तेजित करने वाली खुशबू भोला के नथुनो को भेदती हुई उसके शरीर के रोम रोम में उतरगई थी खड़ा-खड़ा भोला अपनी मदहोशी के आलम में खोया हुआ कामया को अपने सामने से होकर आगे जाते हुए देख रहा था और एक खुशबू जो कि भोला की थी पसीने और एक मर्दाना जो कि कामया के नथुने में घुसते ही एक लड़खड़ाहट सी पैदा कर चुकी थी उसके शरीर में एक लंबी सी साँस छोड़ती हुई वो आगे बढ़ी थी पीछे से उसे भोला की आवाज भी सुनाई दी थी जो कि ड्राइवर से कुछ कह रहा था पर क्या कामया ने नहीं सुना था पर जैसे ही वो लिफ्ट पर रुकी थी और बटन प्रेस किया था वो खुशबू फिर से कामया नथुनो को भेद गई थी यानी की भोला उसके पीछे ही खड़ा था वो थोड़ा सा बिचलित सी हो उठी थी शरीर का हर हिस्सा उसका जबाब दे उठा था सांसें जो कि अभी तक नियंत्रित थी अब बहक बहक कर चल रही थी रुक रुक कर चलती हुई सांसों को कंट्रोल करने में लगी कामया के सामने धीरे से लिफ्ट कर दरवाजा खुला और एक बलिशट सी बाँहे उसके पीछे से निकलकर उसके कंधों को छूकर पीछे से आई और आगे बढ़ गई थी कामया थोड़ा सा हटी पर जो आग्नि उसके अंदर जागी थी उसे और भी बढ़ा कर अलग हो गई थी कामया थोड़ा सा हटी थी और झट से अंदर हो गई थी लिफ्ट में अंदर आते ही भोला भी अंदर आ गया था और कामया के पीछे खड़ा हो गया था कामया ने पलटने की कोशिश नहीं की थी पर अपनी सांसों को कंट्रोल करने में लगी थी पीछे से उसे कोई आहट सुनाई नहीं दी थी लिफ्ट धीरे से ऊपर की ओर उठने लगी थी लिफ्ट के पीछे लगे हुए मिरर में कामया ने देखा था की भोला उसकी ओर पीठ करके खड़ा था 


वो कुछ और देखती कि भोला की नजर भी आमने लगे हुए मिरर से टकरा गई थी वो अपनी नजर झुका कर खड़ी हो गई थी सांसों के साथ उसकी साड़ी का आँचल भी उसके शरीर के हिस्से को ढकने की छोड़ चुका था वो खड़ी हुई थी कि उसके नितंबों पर एक सख़्त और कठोर हाथों ने कब्जा कर लिया था उसने एक बार अपनी नजर उठा कर फिर से मिरर की ओर देखा था भोला जो कि थोड़ा सा उसकी ओर घुमा था अपने हाथों से उसके नितंबों का जायजा ले रहा था और धीरे-धीरे उसकी हथेलिया उसकी कमर के पास आके रुक गई थी उसकी आखों में एक तारीफ थी जी उसे मिरर में दिख रही थी वो कामया की पीठ की ओर ही देख रहा था और अपने हाथों को घुमाकर उसकी रचना की और उसकी सुंदरता और उसकी कोमलता को वो सहेज रहा था अपने अंदर और एक ना भुजने वाली आग में कामया को जलाकर रखकर देना चाहता था कामया के शरीर में जो आग लगी थी वो एक बार भोला के छूने से फिर से बढ़ गई थी पर एक झटके से पलटकर खड़ी हो गई थी वो जैसे कहना चाहती थी कि छोड़ो मुझे पर भोला तो भोला ही था जानता था कि आज कामया उसे ना नहीं कर पाएगी अपने हाथ ना खींचते हुए वो फिर से कामया के पेट को छूता हुआ उसकी चुचियों की ओर बढ़ा था और अपने हाथों से उन्हें छूता हुआ एक बार उसकी ठोडी को ऊपर करके चूमता तभी लिफ्ट रुक गई थी कामया की जान में जान आ गई थी और वो भी जोर-जोर से अपनी सांसों को छोड़ती हुई खड़ी हुई एकटक भोला की ओर देखती रही पर भोला जैसे ही लिफ्ट रुकी आगे बढ़ कर गेट खोलने में लग गया था अपने कपड़ों की सुध लिए बिना ही कामया जैसी थी वैसे ही बाहर निकल आई थी और खड़ी होकर भोला के फ्लैट के मेन डोर खोलने का इंतजार करने लगी थी भोला भी जल्दी से डोर खोलकर अंदर घुस गया था और पीछे-पीछे कामया भी दौड़ती हुई घुसी और सीधे अपने कमरे में चली गई थी और झट से डोर बंद करलिया था जैसे उसे डर था कि भोला उस पर टूट ना पड़े 

पर भोला ने ऐसा कुछ नहीं किया थोड़ी देर शांति बनी रही रात के 11 बज गये थे पर एक शांति ऐसी थी उस घर में कि जैसे कोई कुछ सुनने की कोशिश कर रहा हो और कुछ नहीं कामया आते ही बेड की साइड में बैठी हुई अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिस करने लगी थी धमनियो से टकराती उसकी सांसों से उसे लग रहा था कि कही हार्ट फैल नहीं हो जाए सांसों के साथ उसके मुख से एक अजीब तरह की आवाज भी निकल रही थी जो कि सिर्फ़ उसे ही सुनाई दे है थी कह सकते है कि आअह्ह थी या कह लीजिए कि सिसकारी थी जो भी हो बहुत जान लेवा थी अपने शरीर को छूने के तरीके से भी वो बड़ी ही आश्चर्य चकित थी कितने प्यार भरे अंदाज से भोला उसके शरीर को छुआ था जैसे उसके शरीर के हर उतार चढ़ाव को वो देखना चाहता था कोई जल्दी नहीं थी पर एक कसक थी जो उसके दिल में जगा गया था वो भोला सच में उसके तरीके की गुलाम बन गई थी

कामया - सांड़ कही का जानवर अगर एक बार में पकड़कर चूम लेता तो वो क्या करती कुछ नहीं उस दिन भी उसने यही किया था ऋषि के कमरे में सिर्फ़ एक बार चूमा था और कितना कस कर पकड़ा था कि कमर ही टूट जाती पर उसके कहने पर छोड़ दिया था उसके कमरे में भी जब उसने उसकी जाँघो के बीच में उंगली डाली थी तो कैसा लगा था कामया को बता नहीं सकती और एक-एक करके कामया को सब ध्यान आता चला गया जो कि भोला ने उसके साथ किया था अपनी सांसों को कंट्रोल करती हुई और अपने दोनों हाथों को समेटती हुई कामया बेड के एक साइड में लेटी हुई थी और अपने आपसे बातें करती जा रही थी कि डोर पर हल्के से नोक हुआ भोला था 

भोला- मेमसाहब 

कामया- हाँ… 

भोला- जी मेमेसाहब में खाना खा आता हूँ आप अगर चाहे तो डोर बंद करले नहीं तो में लंच करके आता हूँ 

कामया- ठीक है लंच करके आओ 

कामया की हिम्मत नहीं थी उसके सामने आने की वो नहीं चाहती थी कि भोला एक बार फिर से उसके सामने आए बाहर की आवाज़ बंद हो चुकी थी और मेन डोर भी बंद होने की आवाज उसने सुनी थी लेटी हुई कामया अपने आपको स्थिर करने की कोशिश करती जा रही थी कि फोन ने उसे चौंका दिया था 

कामेश- खाना खा लिया 

कामया- हाँ… ताज गये थे 

कामेश- रीना के पति से मिली कैसा है 

कामया मस्त है सिर्फ़ खाने और घूमने के अलावा कुछ नहीं अच्छा लड़का है 

कामेश- हाँ… इस दुनियां में एक में ही हूँ जो खराब हूँ बाकी तो सब मस्त ही है ही ही है ना 

कामया- अरे यार बोर मत करो कब आओगे यह बताओ हद करते हो तुम 

कामेश---अरे यार आने का मन तो बहुत करता है पर यह काम जो है ना इसके चलते सब बेकार का हो जाता है 

कामया- कल आही जाना 

कामेश--चल रखता हूँ 

जो आग कामया संभालने की कोशिश कर रही थी वो कामेश के फोन ने और भी बढ़ा दिया था उसकी याद ने और उसके यहां नहीं होने से वो अपने आपको फिर से उसी आग में जलता पा उठी थी 

एक तो वो भोला और ऊपर से उसकी वो हरकत और अकेला घर सबकुछ मिलाकर कामया अपने आपको सभालने की कोशिश से लड़ती हुई सी अपने से हारती हुई पा रही थी वो चाह कर भी अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी गला सूखने को लगा था पर बाहर जाने का डर था कही वो सांड़ नहीं आ जाए कितनी देर हुई थी और कहाँ गया था वो नहीं जानती थी पर एक डर था उसके अंदर डर यह नहीं था कि वो क्या करेगा डर था अगर वो अपने आपको ना सभाल पाई तो 
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