Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:22 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भोला अपने आपको व्यवस्थित करते हुए अपने काम को अंजाम तक पहुँचने में लग गया था और धीरे-धीरे अपने आपको संयम करता हुआ अपने आपको कामया की योनि के अंदर-बाहर पहले धीरे से फिर अपनी स्पीड को निरंतर बढ़ाते हुए अपनी पूरी जान उसमें झौंक दिया था 

कामया का शरीर साथ नहीं दे रहा था पर उसका अंतर मन पूरी तरह से भोला का एक बार फिर से साथ देने लगा था उसके झड़ने के बाद से ही वो जो अपना साथ छोड़ चुकी थी वो अब फिर से धीरे-धीरे भोला के हर धक्के के साथ एक बार फिर से जागने लगा था पर हाथ पाँव उसका साथ नहीं दे रहे थे पर शायद मन नहीं भरा था या कहिए कि मन कही भरता है वो तो शरीर साथ नहीं देता पर मन कभी नहीं भरता यही स्थिति थी कामया की हर धक्का उसके अंदर एक उफ्फान को जनम देने लगा था और वो लेटे लेटे अपनी योनि की हलचल को संभालती हुई एक सफर की ओर ना चाहते हुए भी चलने लगी थी भोला का 
आमानुष उसके निढालपन ने बढ़ा दिया था शायद हर आदमी में यह बात होती है शायद जीत की खुशी या फिर अपने पुरुसार्थ को दिखाने की खुशी में वो निरंतर आग्रेसिवे होता जा रहा था हर धक्का बहुत ही तेज और कामया को हिला देने वाला होता था 

एक हुंकार के साथ-साथ एक मजबूत सी पकड़ वो निरंतर बढ़ाए हुए था लगता था कि उसके हाथों से कही कामया छूट नहीं जाए पर कामया कहाँ तक छूटेगी वो तो एक बार फिर से उसके बंधन में एक नये और परम सुख के सागर में गोते लगाने को तैयार हो रही थी भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो चाह कर भी अपने मुख से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी पर उसके कानों में एक दरिंदे की सांसों की और कुछ कहने की आवाज उसे लगातार सुनाई दे रही थी 

भोला- बस हो गया मेमसाब, बस, थोड़ी देर और र्र उूुउउफफफफफ्फ़ 

कामया- (सिर्फ़) उूुउउम्म्म्ममम और सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह 



अलावा कुछ नहीं कह पा रही थी पर हाँ… उसे कहने की जरूरत भी नहीं थी जिसे कहा था वो कह रहा था ऊपर से गिरते हुए गरम पानी का स्वाद वो ले रही थी और नीचे से एक अलग स्वाद अपने दोनों जोड़ी होंठों से एक-एक करके अलग अलग स्वाद को चख रही थी कामया और एक बार फिर से अपने आपको संभालने की कोशिश करती जा रही थी अब तो धीरे-धीरे उसकी दोनों बाँहे भी भोला के कंधे से होकर उसकी गर्दन के चारो ओर घूमकर उसे अपने आपसे जोड़े रखना चाहती थी और भोला का जानवर अब कोई रहम और आराम के मूड में नहीं था वो लगातार स्पीड से अपने आपको उस मुकाम में पहुँचा देना चाहता था वो लगातार कामया को अपनी बाहों में जकड़े हुए वो अपने आपको पहुँचाने की कोशिश में लगा था उसके मन की हर इच्छाओ को पूरी कर लेना चाहता था वो कभी कभी कामया को पकड़कर निचोड़ता तो कभी उसे छोड़ कर उसकी चुचियों पर 
अपने होंठों को रखकर उसका रसपान करता और कभी अपनी स्पीड को मेनटेन करने के लिए फिर से एक गति बनाता हुआ उसे कस कर पकड़ लेता और अपनी कमर को हिलाता हुआ उसके अंदर तक उतर जाता था इसी तरह से करते हुए भोला की जकड कर कामया अपने आपको नहीं रोक सकी और वो धीरे होने लगी थी और भोला भी पर भोला ने एक ही झटके में उसे उठा कर फिर से अपनी गोद में बिठा लिया था और हर धक्का उसके अंदर तक उसके पेट के कही अंदर तक पहुँचने की कोशिश में लगा हुआ था वो जानता था कि अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर वो हर कुछ कर लेना चाहता था पता नहीं क्या पर हर कुछ करना चाहता था और वो कर भी रहा था अपनी गोद में बिठाए हुए वो कभी कामया को कस कर पकड़ता हुआ अपने आपसे जोड़े रखता था और कभी एक हाथ से उसकी चुचियों को निचोड़ देता था तो कभी उसके नितंबो पर हाथों से एक बार मारता हुआ उसे और पास खींचने की कोशिश करता था 


वो क्या करे नहीं जानता था पर एक बात जानता था कि वो अब झड़ने वाला था वो अब ज्यादा देर नहीं रुक सकता था एक ही झटके में वो टब में ही खड़ा हुआ कामया को लेकर वो बाथटब के बाहर की ओर खड़ा होकर कामया को गोद में लेकर उसकी योनि पर वार करने लगा था पर ज्यादा देर नहीं कर पाया और तीन चार झटके में ही वो झड़ने लगा था वो टब के किनारे बैठ गया था और फिर से अपनी स्पीड को कायम रखने की कोशिश करता रहा कामया फिर से लटक गई थी उसके कंधो पर शायद वो भी झड़ चुकी थी और उसमें जान नही बची थी जोश और होश दोनों ही खो चुकी थी वो पर हर धक्के में हिलती जरूर थी और एक आहह सी निकलती थी उसके मुख से दर्द की या शांति की यह नहीं पता पर भोला तो अपने काम को अंजाम दे रहा था उसके कोई फरक नहीं पड़ता था कि कामया कैसे कर रही थी उसे तो अपनी चिंता थी वो अपने आपको झड़ते हुए अपने मन की पूरी तम्माना को पूरी कर लेना चाहता था 


वो आज बहुत थक चुका था और जान उसमें भी नहीं बची हुई थी सो वो भी अपने मुकाम में पहुँचने के बाद थोड़ी देर आराम करना चाहता था कामया का शरीर अब उसका साथ नहीं दे रहा था और ना ही उसकी पकड़ ही उसके गले के चारो ओर कसा हुआ था वो अब ढीला पड़ गया था 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:22 PM

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