Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:22 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भोला भी थक कर चूर हो गया था वो झरने के बाद अपने होंठों से कामया के होंठों को ढूँढते हुए उनको गिरफ़्त में लेकर एक बार फिर से चुबलने लगा था उसके लिंग की आखिरी बूँद भी नीचूड़ गया था कामया के अंदर तक बाथ टब पर अब भी शावर चल रहा था भोला एक-एक करके अपने पैरों को फिर से अंदर की ओर ले गया और धीरे से कामया अपनी गोद से ना उतारते हुए वो खुद ही टब पर बैठ गया था गरम-गरम पानी अब उसके अंदर जा धीरे धीरे सेंक रहा था कामया उसके ऊपर लेटी हुई थी एकदम निढाल सी और सोई हुई सी कोई जान नहीं बची थी उसमें एकदम लस्तपस्त सी भोला के हाथ धीरे-धीरे उसके शरीर के हर कोने में घूमते हुए उसके शरीर का एक बार जायजा ले रहे थे जैसे कि जानने की कोशिश कर रहे थे हाँ… यही वो शरीर है जिसे उसने भोगा था कामया और भोला बहुत देर तक उसे बाथ टब मे बैठे रहे कोई नहीं हिला और नहीं कुछ कहा ही पर भोला थोड़ी देर बाद अपने लिंग को कामया के नीचे से निकाल कर जितना हो सके कामया के शरीर को पानी से धोया और उठकर नंगा ही बाथरोब ले आया और कामया को टब से निकाल कर बाहर खड़ा किया कामया के शारी मे जान ही नहीं थी की खड़ी होसके 

भोला- मेमसाहब 

कामया- हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्स्शह 
और भोला के कंधे पर सिर रखते हुए एक असीम नींद के सागर में खो गई थी वही खड़े-खड़े पर हाँ इतना याद था उसे कि भोला उसे उठा कर वाशबेसिन के साथ वाले प्लॅटफार्म में बैठा कर बड़े ही जतन से उसे बाथरोब पहनाया था और फिर अपनी गोद में लेकर जैसे बाथरूम में ले गया था एक बार फिर से उसके रूम में ले आया था रूम में ठंडा था एसी चलने के कारण एकदम वातावरम में चेंज आने से कामया जाग सी गई थी पर अपने आपको एक मजबूत गिरफ़्त में पाकर फिर अपने आपको ढीला छोड़ दिया था उसने आपने आपको बेड पर लिटाते हुए भी महसूस किया था और फिर एक कंबल से ढँकते हुए भी और फिर एक लंबा सा किस उसके गालों में और फिर होंठों पर बहुत देर तक पर वो कुछ नहीं कर पाई थी नहीं कुछ कर पाने की इच्छा ही थी उसके अंदर वो तो बस महसूस ही कर सकती थी अब फिर भोला धीरे धीरे कमरे से बाहर चला गया था 



कामया एक सुख के सागर में गोते लगाकर अपने आपको भूल चुकी थी वो नहीं जानती थी कि वो कहाँ है और क्या हो रहा था हाँ… एक बात साफ थी वो इतना कभी नहीं थकि थी कि अपनी आखें तक खोल नहीं पा रही थी सेक्स में इतना सुख था वो जानती थी पर इतना कि उसको होश नहीं था कि वो कहाँ है और ना वो सोच ही पा रही थी नींद के आगोश में उसे पता ही नहीं चला कि कब सो गई और कब सुबह हो गई थी पर फोन की घंटी से वो जागी थी आखें खुल नहीं रही थी तकिये के नीचे था शायद फोन जो लगातार बज रहा था अपनी आखें ना खोलते हुए उसने फोन को उठाया था ना देखते हुए ही 

कामया- हेल लो 

कामेश- सो रही हो 

कामया- हाँ… 

कामया के अंदर से कही दूर से आवाज निकली थी शरीर में जान ही नहीं थी एक अजीब तरह की थकान थी आखें भारी थी और तन बेसूध था जैसे उलट कर पड़ी थी वैसे ही बातें करने की कोशिश करती जा रही थी कामेश की बातें भी ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी उसे फिर भी 

कामेश- क्या बात है 

कामया- नहीं कुछ नहीं बस 

और एक बार थोड़ा सा अपने शरीर को खींचकर सीधा किया था कामया ने फिर अपने हाथ पैर फैलाकर आराम से लेट गई थी मुँह नीचे की ओर करते हुए सीने के बल एक टाँग को फैलाकर और दूसरे को नीचे से सीधा करते हुए एक हाथ में फोन लिए हुए वो कामेश से बातें कर रही थी 

कामेश- नींद ठीक से नहीं हुई क्या रात को 

कामया- हाँ… 

कमीश- क्यों 


कामया क्या जवाब देती चुप थी पर अचानक ही उसे अपने कमरे में किसी के होने का आभास हुआ था कौन था देखने की हिम्मत नहीं थी पर ये जरूर था कि एक बार अपने कपड़ों का ध्यान जरूर आया था पर फोन पर कामेश था और उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने हाथ पैरों को हिलाकर वो अपने आपको ढँक सके 


उसे पता था कि उसकी जांघे बिल्कुल नंगी है और शायद कंधे पर से भी खुला हुआ था पर एक सख़्त सी हथेली ने उसकी टांगों से लेकर जाँघो तक का सफर कब शुरू कर दिया था वो नहीं जान पाई थी पर आखें खुली ना थी उसकी और नहीं मुँह से कोई आवाज ही निकली थी उसकी बिना हीलेडूले वो वैसे ही पड़ी रही और उस हथेली को अपनी जाँघो तक के सफर के एहसास को अपने अंदर समेट-ती रही 

उन हथेलियों में कोई जल्दी नहीं थी और नहीं कोई उतावला पन ही था बड़े ही आराम से वो हाथ अपने आप ही उसकी चिकनी और नरम और मुलायम सी त्वचा को स्पर्श करती हुई उसकी कमर तक आ पहुँची थी और फिर उसके नितंबों से भी गाउनको हटा कर उसके नितंबों पर हाथ घुमाने लगी थी कानों में कामेश की आवाज गूँज उठी थी 

कामेश- फिर सो गई क्या 

कामया--ना ही हुहह उउउम्म्म्मम 

कामेश- सुनो यार में आ नहीं पा रहा हूँ आज का दिन और देख लो 

कामया- उउउंम्म सस्स्शह क्यउउुउउ कहा आआ हह आ
उसके नितंबों को वो हथेली अच्छे से स्पर्श करते हुए एक-एक रोम को टटोल रही थी और उसकी जाँघो को अब तो वो किस भी करने लगा था ना चाहते हुए भी कामया के होंठों से एक लंबी से सिसकारी के साथ एक आहह भी निकली थी 

कामेश- अरे यार बहुत नींद में लग रही हो 

कामया- सस्शह नहियीई बोलो ऊऊुउउम्म्म्ममम 

कामेश- सुनो तुम आज का दिन और देख लो फिर कल निकल जाना 

कामया- हाँ… उउउम्म्म्म 

कामेश- और सुनो वो ऋषि को थोड़ा काम से भेजना है कहाँ है वो 

कामया- हाँ… 

कामया के शरीर के नीचे का हिस्सा अब बिल्कुल नंगा था और वो दोनों हाथ उसके हर हिस्से को छूते हुए उसके अंदर एक आग को फिर से जनम दे रहे थे बहुत ही अच्छा और सुख दाई था वो एहसास कामया के लिए नींद में थी और उसके साथ कोई खेल रहा था भोला ही होगा सुबह सुबह आ गया कल रात को पता नहीं कितनी बार किया था थका तक नहीं सुबह सुबह फिर से 

कामया- हाँ… कहा क्यों उउउंम्म सस्शह 

कामेश- क्या हुआ कुछ बोलो तो बस हाँ हाँ कर रही हो 

कामया- आप बोलो ना उउउम्म्म्ममम 

कामेश---अच्छा ठीक है सो जाओ बाद में फोन करूँगा 

कामया-नहीं बोलो उठ रही हूँ 

और कामया को उठने की जरूरत नहीं थी वो खुद को पलटने की कोशिश ही करती कि उन बलिष्ठ हाथों ने उसे पलटा लिया था एकदम चित थी वो अब हाथों में फोन लिए हुए अपने आपको ढकने की कोशिश भी नहीं की थी उसने पता था कि कोशिश करने से कोई फ़ायदा नहीं था उसके बाथ रोब का सामने का हिस्सा भी खुला हुआ था और वो बिल्कुल चित सी अपनी दोनों जाँघो को थोड़ा सा जोड़ कर फेल कर लेटी हुई थी और भोला अपने काम में लगा हुआ था उसके अंगो को सहलाता हुआ और चाट-ता हुआ 

बड़े ही इतमीनान से वो लगा हुआ था पर कामया को एक अजीब सी उत्तेजना के असीम सागर में धकेलते हुए वो अपने काम को अंजाम दे रहा था उसे कोई डर नहीं था कि मेमसाहब भैया से बातें कर रही है वो तो हमेशा से ही अपने काम को ठीक से अंजाम देता रहा था चाहे वो कोई भी काम हो वो अपनी एक उंगली को धीरे-धीरे उसकी योनि के लिप्स पर घुमाने लगा था और अपने होंठों को उसके चूचियां पर टिकाए हुए उन्हें धीरे से चूस रहा था 

कामया होंठों से अपने तरीके से आवाज को दबाते हुए वो बिल्कुल नार्मल होकर कामेश से बातें करने लगी थी 

कामया- हाँ… बोलो क्य्ाआअ हाईईईई 
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