Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:24 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया चुपचाप अपने काम में लग गई थी धीरे उसके लिंग को अपनी गिरफ़्त में सख्ती से पकड़कर मसलने लगी थी और खुद ही अपने सीने पर घिसने लगी थी और अब भी वैसी ही उसके जाँघ पर लेटी हुई थी और भोला को पूरी आ जादी दे रखी थी जो चाहे करे और भोला भी कोई चूक नहीं कर रहा था अपने हाथों को पूरी आ जादी के साथ कामया के शरीर पर फेर रहा था उसके नितंबों तक अपने हाथों को ले जाता था अब तो वो और धीरे से दबा भी देता था उसके लिंग को पूरा समर्थन मेमसाहब की ओर से मिल रहा था सो वो तो जन्नत की सैर कर रहा था पर कामया की भूख थी जो सिर्फ़ इससे ही मिटने वाली नहीं थी वो खुद थोड़ा सा आगे हो जाती थी ताकि भोला का हाथ उसके नितंबों के आगे भी बढ़ सके भोला एक खेला खाया खिलाड़ी था 


वो जानता था कि मेमसाहब को अब क्या चाहिए पर वो तो इस खेल को आराम से खेलता था और फिर बाद में जोर लगाता था पर अभी वो समय नहीं था उसे जल्दी करना था सो उसने अपने हाथों से मेमसाहब की साड़ी को 
पीछे से ऊपर की ओर खींचना शुरू किया कामया ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि अपने नितंबो को उठाकर उसे और भी आसान कर दिया था उसके हाथों पर आए हुए लिंग को वो बुरी तरह से निचोड़े जा रही थी और जब, कुछ आगे का नहीं सूझा तो उसे अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी भोला अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और मेमसाहब की पैंटी को थोड़ा सा नीचे की ओर खिसका कर अपनी उंगली को उसके योनि तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा था कामया ने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसे आसान कर दिया था 

और धीरे से वो उंगली उसकी योनि में समा गई थी ् गीली और तड़पती हुई वो जगह जहां भोला कई बार आचुका था फिर भी एक नया पन लिए हुए थी कामया के होंठों का स्पर्श इतना अग्रेसिव था कि भोला को लगा कि वो कही उसके मुख में ही ना झड जाए वो भी जल्दी में था सो उसने कामया को खींचकर बिठा लिया था और एक ही झटके में उसकी पैंटी को उसकी कमर से निकालने के लिए नीचे की ओर झुका था कामया बैठी हुई भोला को झुके हुए देख रही थी कि उसकी नजर सामने गाड़ी चला रहे ऋषि की ओर उठी थी ऋषि उसे ही बक मिरर में देख रहा था वो अपनी नजर झुकाती इससे पहले ही बंद हो गई थी 

भोला उसकी जाँघो को किस करता हुआ उसकी चूचियां दबाने लगा था उसकी ब्लाउसको उसने कंधे से गिरा लिया था ब्लाउस इतना खुला हुआ था कि उसे हुक खोलने की जरूरत ही नहीं थी वो कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी और कमर के चारो ओर उसकी साड़ी और पेटीकोट लपेटी हुई थी जांघे खाली थी और उसपर भोला की किस और जीब का आक्रमण था 

कामया की आखें बंद थी और सांसो की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी कामया के शरीर का हर हिस्सा जीवित था और बस एक ही इच्छा थी कि भोला का लिंग उसे चीर दे और भोला के उठ-ते ही वो आसान दिखने लगा था पर भोला उठकर वापस बैठ गया था कामया का एक हाथ उसके कंधे पर था वो उसे किस करता हुआ एकटक मेमसाब की ओर देखता हुआ उसे सामने की ओर झुका कर उसे अपनी गोद में लेने की कोशिश करने लगा था कामया जानती थी कि वो क्या चाहता है उसने भी थोड़ा सा उठ कर उसे आसान बनाया था और वो खुद उसकी गोद में बैठ गई थी भोला का लिंग किसी बटर को छेदते हुए छुरी की तरह उसकी योनि में उतर गया था कामया के होंठों से एक मदमस्त सी आह निकली थी जो की ऋषि के बहुत ही पास उसके कानों तक गई थी कामया अपने दोनों हाथों को अगली सीट पर टिकाए हुए और दोनों सीट के बीच में बैठी हुई अपने आपको सहारा देने की कोशिश करती जा रही थी भोला के धक्के धीरे नहीं थे पर उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी ऋषि को जरूर बैचेंन कर रही थी वो आगे बैठे हुए एक हथेली से धीरे से कामया के गालों को छुआ था 

कामया ने आखें खोल कर उसे देखा था और फिर उन झटको का मजा लेने लगी थी भोला का हर झटका उसे सीट से ऊँचा उठा देता था और फिर वापस उसके लिंग के ऊपर वही बिठा देता था उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी कार के अंदर के वातावरण को और भी गरमा रही थी पर कामया को इस बात की कोई चिंता नहीं थी वो आराम से अपनी काम अग्नि को शांत करने की कोशिश में लगी थी भोला जो की अब शायद ज्यादा रुक नहीं पाएगा उसकी पकड़ कामया की कमर के चारो ओर कस्ती जा रही थी और उसके होंठों ने उसकी पीठ पर कब्जा जमा लिया था उसके हाथों ने उसकी चुचियों को पीछे से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था और कामया जो कि अब तक दोनों सीट का सहारा लिए हुए थी धीरे से पीछे की ओर गिर पड़ी थी और पूरी तरह से भोला के सहारे थी वो अपने हाथों को इधर-उधर करती हुई सहारे की तलाश में थी कि भोला के सिर को किसी तरह से पकड़ पाई थी पर ज्यादा देर नहीं 

कामया- रुकना नहीं और करो प्लीज 

भोला- बस मेमसाब थोड़ी देर और मजा आ गया आज तो मेमसाब 
कामया- करते रहो जोर-जोर से भोला एयाया आआआआआआआआअह्ह 
और एकदम निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई थी कामया 
भोला- बस मेमसाहब थोड़ा सा और साथ देदो आगे हो जाओ 

कामया ने उसकी बात मान ली थी और आगे की ओर होती हुई फिर से दोनों सीट को कस्स कर पकड़ लिया था और ऋषि के बहुत करीब पहुँच गई थी हर एक सांस उसकी ऋषि के कानों में या फिर उसके गालों पर पड़ रही थी ऋषि का एक हाथ फिर से कामया के गालों को सहलाता जा रहा था पर हर धक्के पर वो अपने हाथों पर से कामया के गालों को खो देता था पर फिर उसके हाथों पर उसके गाल आ जाते थे भोला भी अपने मुकाम पर जल्दी ही पहुँच गया था 

भोला- हुआ मेमसाब वाह मजा आआआआआआआआआअ हमम्म्मममममममममममममममममममम 
और मेमसाहब की पीठ पर झुक गया था वो कामया भी थक कर अगली सीट पर झुकी हुई थी पर वो थकान एक सुख दाईं थकान थी हर अंग पुलकित सा था और हर वक़्त एक नया एहसास को जगा रहा था कामया की योनि अब भी सिकुड कर भोला के लिंग को अपने अंदर तक समेट कर रखना चाहती थी भोला का आखिरी बूँद भी नीचूड़ गया था और 
वो सांसों को कंट्रोल करते हुए वास्तविकता में लाट आया था और मेमसाब की कमर और जाँघो को एक बार अपने खुरदुरे और सख़्त हाथों से सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने आपको शांत करने में लगा हुआ था कामया भी थोड़ा बहुत शांत हो गई थी और धीरे-धीरे सामानया होने लगी थी गाड़ी की रफ़्तार वैसे ही धीरे-धीरे थी एरपोर्ट रोड की ओर से लॉट रही थी गाड़ी भोला अपने आपसे ही धीरे से कामया को उठाकर अपने अलग किया था और 
भोला- भैया रोको कही अब अपनी औकात में आ जाए हम 

कामया कुछ कहती तब तक तो गाड़ी एक पेड़ के नीचे रुक गई थी गाड़ी के अंदर ही ऋषि अपनी जगह में चला गया था और भोला उतर कर वही पेड़ के नीचे ही पिशाब करने लगा था कामया और ऋषि ने अपना चहरा फेर लिया था कितना बेशर्म है यह कोई चिंता ही नहीं खेर भोला पिशाब करके वापस आया और गाड़ी अपने मुकाम की ओर दौड़ पड़ी थी 

कामया ने भी अपने आपको संभाल लिया था और कपड़े ठीक करते हुए कोट पहनकर बाहर की ओर देखती हुई चुपचाप बैठी रही थी ऋषि भी शांत था कोई कुछ नही कह रहा था कॉंप्लेक्स के अंदर जाकर गाड़ी रुक गई थी और कामया के साथ ऋषि भी आफिस में घुस गया था वहां भी कोई बात नहीं जैसे दोनों एक दूसरे से कट रहे हो या आपस में बात करने का कोई बहाना ढूँढ़ रहे हो पर बोला कोई नहीं जल्दी जल्दी काम खतम करते हुए कामया अभी उठी थी और ऋषि भी भोला बाहर ही था गाड़ी एक बार फिर घर की ओर दौड़ गई थी घर में घमासान मचा हुआ था घर भरकर लोग थे मम्मीजी भी काम में लगी थी 

खेर कोई ऐसी घटना नहीं हुई रात भी वैसी ही गुजर गई थी कामेश के थके होने की वजह 

सुबह जल्दी कामेश को गुरुजी को लेने जाना था सो कामया ने भी उसे डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा था चुपचाप अपने आप समझा कर सुला लिया था पर रात भर भोला की यादें उसे परेशान करती रही थी उसकी हर हरकत जैसे उसके सामने ही हो रही हो और वो अब भी उसके तन से खेल रहा था अपने पति के पास सोते हुए भी कामया किसी और की बाहों में थी ऐसा उसे लग रहा था सुबह जब कामेश तैयार होकर जा रहा था तब उसे उठाया था 

नींद से जागी कामया सिर्फ़ इतना ही कह पाई थी जल्दी आ जाना 

कामेश- हाँ… और तुम जल्दी से तैयार हो जाओ गुरु जी 9 00 बजे तक आ जाएँगे 

कामया- जी 
और कामया जल्दी-जल्दी नहा धो कर नीचे चली गई थी पापाजी मम्मीजी काम में लगे थे सभी के पास कुछ ना कुछ काम था नहीं था तो सिर्फ़ कामया के पास वो चुपचाप मम्मीजी के साथ घूमती रही और सबको काम करते देखती रही करीब 9 00 बजे के आस-पास घर के बाहर शंख और ढोल की आवाज से यह पता चल गया था कि गुरु जी आ गये है ् और सभी पापाजी मम्मीजी और बहुत से मेहमान जल्दी से दरवाजे की ओर दौड़े 
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