Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:33 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
गुरुजी भी अब धीरे धीरे अपने आपको कामया के सुपुर्द करते जा रहे थे एक नजर अपने सामने वाली दीवाल पर डाले हुए अपनी बाहों में कामया को समेटने लगे थे कामया तो पूरी तरह से गुरुजी के सुपुर्द थी और बिना कुछ सोचे अपनी काम अग्नि को शांत करने की जुगत में लगी थी कामया का दिल तो कर रहा था कि गुरुजी को पटक कर उनके ऊपर चढ़ जाए पर एक शरम और झीजक के चलते वो अपने आपको रोके हुई थी 

गुरुजी भी बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कोई जल्दी नहीं थी उन्हें अपने एक हाथ के बाद दूसरे हाथ को भी वो अब कामया की चूचियां पर रखते हुए उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए उसे पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया था अब कामया बिल्कुल उनकी गोद में बैठी हुई थी उसका ऊपर का कपड़ा खुला हुआ था और कमर पर बँधे हुए चैन की वजह से वो कपड़ा अटका हुआ था पर किसी काम का नहीं था नीचे से सबकुछ उठा हुआ था और कोई भी अंग कपड़े से ढँका हुआ नहीं था पूरा शरीर साफ-साफ दिख रहा था और हर अंग सेक्स की आग में डूबा हुआ गुरु से आग्रह करता नजर आता था कि शांत करो और अपनी भूख को मिटाओ गुरुजी ने अपनी गोद में लिए कामया को एक बार उसकी ठोडी पकड़कर दीवाल की ओर नजर डालने को कहा 

कामया ने जब उस ओर देखा तो वो औरत एक मर्द के ऊपर लेटी हुई थी और पीछे से उसकी गुदा द्वार पर वो लंड घुसाए हुए था ऊपर का मर्द उसकी योनि के अंदर था और साथ के दो मर्द उसके आजू बाजू में खड़े हुए अपने लिंग को उसके हाथों में पकड़ाए हुए उसकी चुचियों पर घिस रहे थे और मंदिरा और रूपसा अपनी योनि को एक-एक करके उसके होंठों पर घिस रही थी रूपसा और मंदिरा पास खड़े उन दो मर्दो को भी छू रही थी और उनके शरीर से भी खेलती थी और वो औरत तो बेसूध सी पूरे खेल का आनंद ले रही थी क्या सेक्स का तरीका था उसका कितना सेक्सी और काम की उतावली थी वो देखते ही बनता था उसे कामया भी उसे देखकर और भी उत्तेजित हो गई थी झट से घूमकर एक बार फिर से गुरुजी की ओर बड़े ही सेक्सी तरीके से देखा था और 

कामया- बस गुरुजी और मत तड़पाओ मुझसे नहीं रुका जा रहा है मुझे शांत कीजिए प्लीज 

गुरुजी- इस तरह से कर पाओगी सखी तुम हाँ… 
और उसकी ओर देखते हुए धीरे से उसकी होंठों को चूम लिया था और एकटक उसकी ओर देखते रहे थे कामया को समझ नहीं आया था कि क्या जबाब दे पर अपने हाथों को गुरुजी के गालों पर घुमाकर सिर्फ़ देखती रही थी अर्ध नग्न आवस्था में बैठी हुई वो नहीं जानती थी क्या कहे 

गुरुजी- अपने अंदर सेक्स की इच्छा इतना जगाओ कि तुम अपने आपको इस खेल में माहिर कर लो और हर मर्द तुम्हारे सामने हार जाए सखी तुम हमेशा से ही मेरी पसंद रही हो शादी के समय तुम्हारा फोटो दिखाया था मुझे ईश्वर ने तभी में जान गया था तुम क्या हो और कहाँ तक तुम जा सकती हो तभी आज तुम यहां हो मेरे पास नहीं तो उसी घर में रहती और तुम्हें यहां सिर्फ़ उस कमरे तक आने की इजाजत होती कहो जो मैंने सोचा है करोगी ना 

कामया- जी … … 
और गुरुजी से सटती हुई उनके होंठों पर फिर से टूट पड़ी थी गुरुजी अब तक अपनी धोती से आजाद नहीं हुए थे पर कामया की उंगलियां अब धीरे धीरे उनकी धोती तक पहुँच रही थी और कमर पर बँधी हुई धोती उसकी उंगलियों में उलझ रही थी अपने आपको उनकी गोद से ना उठाते हुए कामया ने उनकी धोती को खोल लिया था किसी तरह और अपनी जाँघो से उनके लिंग को दबाने लगी थी कामया की योनि तो जैसे झरने को तैयार थी पानी की हल्की सी धार उसमें से बहते हुए उसे पूरा गीलाकर चुकी थी 

पर गुरुजी का लिंग अब भी ढीला ही था बहुत कुछ टेन्शन में नहीं दिख रहा था कामया एक बार गुरुजी की ओर देखती हुई धीरे से अपनी कमर को हिलाते हुए और उनके लिंग को अपनी जाँघो से दबाते हुए धीरे से नीचे की ओर होने लगी थी उसे पता था कि उसे क्या करना था और गुरुजी भी शायद जानते थे कि कामया अगला स्टेप क्या होगा वो वैसे ही मुस्कुराते हुए कामया की पीठ को सहलाते हुए उसे अपनी बाहों से आजाद करते रहे कामया ने धीरे-धीरे उनकी जाँघो के बीच में बैठी हुई अपनी उंगलियों से उनके लिंग को उठाकर एक बार देखा और धीरे से अपनी जीब को निकाल कर उसपर फेरा था अपनी निगाहे उठाकर एक बार गुरुजी की ओर देखते हुए वो फिर से अपनी जीब से उनके लिंग को धीरे-धीरे चूसती हुई अपने होंठों के बीच में ले गई थी उसकी आँखे गुरुजी पर ही टिकी हुई थी 

उसकी नजर को देखकर साफ लगता था कि वो कितनी उत्तेजित थी और अपना हर प्रयास गुरुजी को उत्तेजित करने में लगाने वाली थी जो कुछ भी रूपसा और मंदिरा ने उसे सिखाया हुआ था वो करने को बेताब थी उस कमरे में होने वाले खेल को वो इस कमरे में जीवित करना चाहती थी पर गुरुजी के चहरे पर कोई उत्तेजना उसे दिखाई नहीं दे रही थी पर बिना थके वो अपनी आखें गुरुजी पर टिकाए हुए उनके लिंग को धीरे-धीरे अपने होंठों और जीब से चूमते हुए उनकी जाँघो को अपने हाथों से और अपनी चूचियां से सहलाते जा रही थी गुरुजी के पैरों के अंगूठे उसकी योनि को छू रहे थे बैठी बैठी कामया आपनी योनि को उनके उंगुठे पर घिसती रही और अपने अंदर की आग को और भड़काती रही थी गुरुजी की नजर भी कामया पर टिकी हुई थी और धीरे-धीरे वो भी कामया होंठों के सामने झुकने लगे थे थोड़ा बहुत टेन्शन अब उनके लिंग में आने लगा था अपने उंगुठे से कामया की योनि को छेड़ने में उन्हें बड़ा मज आ रहा था 

कामया अपने पूरे जतन से गुरुजी के लिंग को चूसे जा रही थी और बीच बीच में अपने दाँत भी हल्के से गढ़ा देती थी गुरुजी हल्का सा झटका खाते थे तो कामया को बड़ा मजा आता था आखों में मस्ती लिए हुए थोड़ा सा मुस्कुराते हुए गुरुजी के लिंग से खेलती हुई कामया अब गुरुजी के सीने को भी हथेली से सहलाते हुए धीरे से उठी और उनके सीने को चूमती रही अपनी चुचियों से गुरुजी के लिंग को स्पर्श करती हुई कामया उनके निपल्स को अपने होंठों के बीच में लिए हुए चूमती जा रही थी जीब से चुभलते हुए उनपर भी दाँत गढ़ा देती थी गुरुजी अब तैयारी में थे पर कामया का इस तरह से उनके साथ खेलना उन्हें भी अच्छा लग रहा था अपनी सखी को अपने घुटनों के पास इस तरह से बैठे और उनको चूमते हुए वो देखते रहे अपने हाथों को धीरे से कामया की चुचियों पर रखा था उन्होंने फिर धीरे से मसलते हुए नीचे झुके थे और कामया के होंठों को अपने होंठो में दबा लिया था एक हल्की सी सिसकारी भरती हुई कामया उनके गले में लटक गई थी और अपनी जीब को उनकी जीब से मिलाते हुए उनके सीने में अपने आपको रगड़ती हुई जोर-जोर से सांसें ले रही थी गुरुजी की पकड़ अब उसके चुचो पर थोड़ा सा कस गई थी और कामया को अपने ऊपर गर्व हो रहा था वो अपने सामने गुरुजी को झुकाने में सफल हो गई थी कामया पूरे मन से तन से और अपने सारे हुनर से गुरुजी को खुश करने में लगी थी हर एक कदम वो संभाल कर और बड़े नजाकत से रखती हुई गुरुजी के चुंबन का जबाब देती जा रही थी गुरुजी भी थोड़ा बहुत आवेश में आ गए थे और धीरे से कामया को पकड़कर वही आसन में अढ़लेटा सा करते हुए उसके होंठों को चूम रहे थे कामया की जांघे खुलकर गुरजी के चारो ओर कसती जा रही थी और उनके लिंग का स्पर्श अब उसके योनि द्वार पर होने लगा था आम्या अपने अंदर उस लिंग को जल्दी से ले जाना चाहती थी 

गुरु जी- बहुत उत्तावाली हो जाती हो सखी तुम इतना उत्तावाली होना अच्छा नहीं है तुम्हें तो शांत रहना चाहिए 

कामया- बस गुरुजीी बहुत हो गया प्लीज अब अंदर कर दीजिए बहुत तड़प गई हूँ प्लीज 

और कहते हुए अपने होंठ वापस गुरुजी से जोड़ लिए थे गुरुजी भी उसे शांत करने में लग गये थे और धीरे बहुत धीरे से अपने लिंग को अंदर पहुचाने में लग गये थे गुरुजी जिस तरह से कामया को सिड्यूस कर रहे थे कामया सह नहीं पा रही थी अपनी कमर के एक झटके से ही उसने गुरुजी के लिंग को आधे से ज्यादा अपने अंदर उतार लिया था 

कामया- आआआआअह्ह बस अब करते रहिए प्लीज जल्दी-जल्दी 

गुरुजी उसे देखकर मुस्कुराए और आधी जमीन पर और आधी आसन पर पड़ी हुई कामया को एक बार नीचे से ऊपर तक देखा था बिल्कुल गोरा रंग और सचे में ढाला शरीर अब उसके हाथों में था वो जैसा चाहे इसे भोग सकते है और जब चाहे तब 

गुरुजी- बस थोड़ा सा और रूको सखी वहां देखो उस महिला को कितना आनंद ले रही है 

कामया की नजर एक बार फिर से दीवाल पर गई थी वो औरत अब झड़ चुकी थी और वो चारो पुरुष उसे अभी रौंद रहे थे कोई उसके मुख में घुसा रहा था तो कोई उसके हाथों के साथ साथ उसके शरीर में अपना लिंग घिस रहा था दो जने तो निरंतर उसके योनि और गुदा द्वार पर हमलाकर ही रहे थे 


एक नजर देखकर कामया ने फिर से अपनी कमर को एक झटके से ऊपर उठाकर गुरुजी के लिंग को पूरा का पूरा अपने अंदर समा लिया था और कस कर गुरुजी को पकड़ लिया 

कामया- बस करते रहिए गुरुजी नहीं तो में पागल हो जाऊँगी प्लीज गुरुजी प्लेआस्ीईईईईई 

इतने में गुरुजी ने भी उसे थोड़ा सा ठंडा किया और एक जोर दार झटका उसके अंदर तक कर ही दिया 

गुरुजी- लो अब सम्भालो मुझे तुम नहीं मनोगी 

कामया- नहीं अब और नहीं प्लेआस्ीईई करते रहिए 

गुरुजी- घबराओ नहीं सखी तुम्हें ऐसे नहीं छोड़ूँगा शांत किए बिना नहीं छोड़ूँगा 
और गुरुजी ने आवेश में आते ही कामया को कसकर पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया था और अढ़लेटी सी कामया की योनि पर प्रहार पर प्रहार करने लगे थे कामया तो बस कुछ ना कहते हुए अपनी जाँघो को खोलकर गुरुजी के प्रसाद का मजा लेने लगी थी वो इतना कामुक थी और उत्तेजित थी कि उसे अपने आपको रोक पाना बिल्कुल मुश्किल हो रहा था गुरुजी के लिंग का हर धक्का उसकी योनि के आखिरी छोर तक जाता था और उनकी पकड़ भी इतनी सख्त थी कि वो हिल भी नहीं पा रही थी पर मजा बहुत आरहा था गुरुजी का वहशीपन अब उसके सामने था वो कितना शांत और सभी बनते थे वो अब उसके सामने खुल गया था पर हाँ… उनके सेक्स का तरीका सबसे जुदा था वो जानते थे कि औरत को कैसे खुश किया जाता है उसे किस तरह आवेश में लाया जाता है और किस तरह उसे तड़पाया जाता है 

वो निरंतर हर धक्के में गुरुजी के बाहों में कस्ती जा रही थी सांसें लेना भी दूभर हो रहा था सिर्फ़ अपने शारीर को शांत करने की इच्छा में वो हर तरह का कष्ट सहने को तैयार थी और गुरुजी उसका पूरा इश्तेमाल भी कर रहे थे 

गुरुजी की पकड़ में वो हिल भी नहीं हो पा रही थी 

कामया- हमम्म्मम प्लीज़ और बस 

गुरुजी- बोलो सखी यह मजा और कही आया है तुम्हें 

कामया- नही और करो प्लीज ईईएआआओउुउउर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर हमम्म्ममम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह 

गुरुजी- कामेश से भी नहीं हाँ… 

कामया-, नही 

गुरुजी- और किसी और के साथ 

कामया- नही 

गुरुजी- और किसके साथ किया है तुमने बोलो हाँ… आआह्ह 

कामया- … 
गुरुजी- कहो नहीं तो रुक जाउन्गा 

कामया- नही प्लीज रुकिये नहीं प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज करते रहिए मेरा ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई 
और कामया ने कस कर गुरुजी को अपनी जकड़ में ले लिया था और अपने शरीर का हर हिस्सा गुरु जी से मिलाने की कोशिश करने लगी थी 

कामया तो शांत हो गई थी पर गुरुजी अभी शांत नहीं हो रहे थे वो कामया के झड़ने के बाद तो जैसे और आक्रामक हो गये थे अपनी बाहों में कामया के नाजुक और ढीले पड़े हुए शरीर को कस लिया था और लगातार झटके पे झटके देते रहे निचोड़ कर रख दिया था उन्होंने कामया को और जबरदस्त तरीके से उसे चूसते हुए बिल्कुल उसकी चिंता नहीं करते हुए अपने आपको शांत करने में लगे थे कामया उनके नीचे दबी हुई अब अपने आपको छुड़ाने की कोशिश भी कर रही थी पर उसकी हालत ऐसी नहीं थी आधी लेटी हुई और आधी नीचे की ओर होने से उसे बलेन्स नहीं मिल रहा था और किसी तरह से गुरुजी की बाहों का सहारा ही उसे लेना पड़ रहा था और इतने में शायद गुरुजी भी अपने अंतिम पड़ाव की ओर आ गये थे कि अचानक ही उन्होंने अपने लिंग को निकाल कर एक ही झटके में कामया को नीचे गिरा लिया और उसके होंठों के अंदर अपने लिंग को जबर दस्ती घुसा दिया था एक रेप की तरह था वो कामया कुछ कहती या करती उससे पहले ही गुरुजी का लिंग उसके गले तक पहुँचजाता था और फिर थोड़ा सा बाहर की ओर आते ही फिर से अंदर की ओर हो जाता था कामया नीचे पड़ी हुई गुरुजी की ओर देखते हुए कुछ आखों से मना करती पर गुरुजी अपनी आखें बंद किए हुए जोर-जोर से उसके सिर को पकड़कर अपने लिंग में आगे पछे की ओर करते रहे कि अचानक उनके लिंग से ढेर सारा वीर्य उसके गले में उतर गया कामया अपने आपको छुड़ाना चाहती थी पर गुरुजी की पकड़ इतनी मजबूत थी की उसे पूरा का पूरा वीर्य निगलने के अलावा कोई चारा नहीं था गुरुजी अब उसके सिर पर से अपनी गिरफ़्त ढीली करके साइड में बैठ गये थे 

कामया थक कर नीचे ही लेटी हुई थी और गुरुजी की पीठ पर टिकी हुई थी गुरुजी भी नीचे ही बैठे थे सांसों को कंट्रोल करते हुए कामया के कानों में गुरुजी की आवाज टकराई थी 

गुरुजी- इस सेक्स को जितना गंदे और आक्रामकता से खेलोगी इसमें उतना ही मजा आता है अपने अंदर के गुस्से को और हवस को शांत करने का यही तरीका है सखी 

कामया को यह आवाज बहुत दूर से आती सुनाई दी थी पर सच था यह उसे अच्छा लगा था आज गुरुजी के साथ बहुत तड़पाया था उन्होंने पर शांत करने का तरीका भी जुदा था लेटी हुई कामया को कुछ पैरों के जोड़े दिखाई दिए थे पास में आके रुक गये थे और पहले गुरु जी को सहारा देकर उठाया था फिर कामया को वही चेयर में बिठाकर दूसरे कमरे की ओर ले चले थे 

कामया जो देख पा रही थी वो था कुछ महिलाए और बड़े-बड़े कमरो के बीच से होकर निकलना कामया बेसूध टाइप की थी अपने आपको अब तक संभाल नहीं आई थी पर अचानक ही उसे अपने नहाने वाले कमरे में ले जाते हुए देखकर वो थोड़ा सा निसचिंत हो गई थी थोड़ी देर बाद वो उस कुंड में थी और सभी महिलाए उसे फिर से नहलाने में जुटी हुई थी रूपसा और मंदिरा भी वहां आ गई थी हाथों में एक ग्लास लिए हुए उसमें वही पेय था जो वो लगातार यहां आने के बाद से पीते चली आई थी 
नहाने के बाद और वो पेय पदार्थ पीने के बाद कामया फिर से तरोताजा हो उठी थी एकदम फ्रेश अपने अंगो को और अपने शरीर को ढँकते समय उसने देखा था कि वो अब भी बहुत सुंदर है और हर अंग एक नई ताज़गी लिए हुए था कमरे में उसे खाना भी सर्व किया गया और पेय पीने के बाद उसे आराम करने को कहा गया था 
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