RE: क्या ये धोखा है ?
उन्होने धीरे से मेरी हथेली अपने हाथों में लेकर उसे अपने होठ से चूम लिया..एक बार नहीं बॅस चूमते ही चले गये…फिर मेरा हाथ अपनी पीठ पर रख दिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रख कर फिर धीरे से अपने होठ मेरे दाहकते गुलाबी काँपते होंठो पर रख दिए……ओह मैं तो पता नहीं उस समय कहाँ खो गयी..वो पल कभी भूल नहीं सकती…पहली बार उनके होठ मेरे होंठो को अपने अंदर समेट कर उसका रास्पान कर रहे थे. मेरे दोनो हाथ अपने आप उनके पीठ पर कस गये,उन्होने भी मुझे पूरी तरह जाकड़ लिया था अपने सिने में और मैं कुच्छ भी नहीं सोच पा रही थी और ना ही कुच्छ कर पा रही थी….जी तो चाह रहा था कि मैं भी उनके खूबसूरत होंठो को चुसू और उन्हे प्यार करूँ..
दोस्तो अभी कहानी बाकी है आगे की कहानी अगले भाग मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..............
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क्या ये धोखा है ?--2
गतान्क से आगे............
पर कुच्छ नहीं…बस अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया था…उन्होने धीरे से मुझे लिटा दिया और फिर खुद बगल में लेट कर फिर मेरे होंठो को चूमने लगे…इस बार मैं भी हिम्मत कर उनके होंठो को धीरे से अपने होठों के बीच दबाने लगी…उफ़फ्फ़ क्या मस्ती थी उनके होठों को चूसने में,,,,वो मुझे किस करता देख पूरी तरह उतेज़ित हो गये..मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिर से कस गये थे.और उनके होठ मेरे होंठो में..
बहुत देर तह हम यूँ ही किस करते रहे फिर उन्होने धीरे धीरे होठों से नीचे किस करना शुरू कर दिया…मेरी गर्दन फिर उसके नीचे उनके हाथ उपर से ही मेरे गोलाईयो पर पड़े,मैं अंदर तक हिल गयी …आख़िर मेरे इस अंग पर पहली बार किसी का हाथ पड़ा था….उनके हाथ धीरे धीरे वहीं चोली के उपर ही घूमने लगे..मेरा गला सूखा जा रहा था…वैसे तो अब मैं अपने आपको उन्हे पूरी तरह सौप चुकी थी.वो क्या कर रहे थे ये सिर्फ़ मुझे एहसास हो रहा था…उन्होने चोली धीरे से खोल दी थी और उनके हाथ मेरी ब्रा से बाहर निकले हुए दूधिया गोलाइयों को सहला रहे थे और अपने होंठो से किस भी करना शुरू कर दिया था,मेरे हाथ उनके सरीरपर बस इधर उधर फिसल रहे थे..मेरी आँखें बंद हो चुकी थी….
तभी उन्होने ब्रा का भी हुक खोल दिया और धीरे से हाथ पेट को सहलाते हुए ब्रा के अंदर घुसा दिया…उफफफ्फ़ क्या एहसास था मेरे होंठो से एक सिसकारी निकल गयी..उन्होने ब्रा हटाकर नीचे फेक दिया ..अब मेरी दोनो अनचुई कुँवारी चुचियाँ जो की उनका हाथ लगते ही बिलकूल तन गयी थी ,निपल टाइट होकर खड़े हो गये थे…वो गोरी चुचियाँ देखकर अमित भी पागल हो उठे थे,…कोई भीपागल हो जाता इन गोरी तनी हुई कुँवारी चुचियों को देखकर….वो एक निपल हाथों के बीच लेकर मसल्ने लगे और दूसरे के पास अपना चेहरा ले गये…उनकी गरम साँसे मेरी चुचियों को च्छुने लगी….एक हाथ की उनकी उंगली धीरे धीरे मेरे निपल के चारो तरफ घेरा सा बना कर सहला रही थी…मुझमे अभी तक सिर्फ़ प्यार था…पर उनकी साँसों का अहसास अपने चुचियों के पास पाकर एक दम मेरे अंदर वासना का तूफान अंगड़ाई लेने लगा…
मेरे हाथ अपने आप उनके सर के बालों पर चले गये और धीरे धीरे उनके सर को अपनी चुचियों की तरफ दबाने लगे…अमित मेरे हाथ का इशारा समझ कर मेरे निपल को अपने होंठो के बीच दबा लिया…
अहह उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे मूँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गयी…मैने उनका सर ज़ोर से अपनी चुचियों पर दबा दिया…वो मेरे निपल को अब चूसने लगे…..मैं उनके सर को चुचियों पर दबा कर रखी हुई थी और वो एक एक कर दोनो चुचियाँ बारी बारी से चूसने लगे बच्चे के जैसे…उनके हाथ रेंगते हुए मेरे पेट और नाभि को सहला रहे थे..बहुत देर तक वो मेरे चुचियों को पीते और सहलाते रहे….मेरा तो जी चाह रहा था की वो यूँ ही पूरी रात पीते रहे…..सच कहूँ तो उस समय नहीं लगा पर आज़ याद आता हैं कि उतने देर में मैं दो बार झाड़ चुकी थी……
अब वो चुचियों पर किस करते पेट पर और मेरे नाभि पर अपनी जीभ घुमा कर चाटने लगे….जब उनकी जीभ मेरे लहंगे के नाडे पर पाहूंची तो वो उसे अपने दांतो से खोलने का प्रयास करने लगे…मैं चिहुक उठी..वो मेरे उस अंग को छूने जा रहे थे जिसे मैने 21 साल से उनके लिए ही बचा कर रखा था…एक पल को तो मेरे सामने देखी हुई गंदी फिल्म याद आ गयी …कि क्या वो भी मेरे साथ ऐसा ही करने जा रहे हैं…मेरे हाथ उनके अपने लहंगे के नाडे पर चले गये थे ताकि वो खोल ना सके…उनका एक हाथ पहले ही मेरे पैरो को सहलाते हुए घुटनो तक लहंगे को उपर कर चुका था…..वो दांतो से अब भी नाडे को खोलने में लगे हुए थे…मैने सोचा आख़िर ये सब उन्ही का तो हैं ..जब वो ये सब करना चाह रहे हैं तो मैं क्यों रोकू….ये ख्याल मन में आते ही मेरे हाथ नाडे पर ढीले पड़ गये और डोर खुल गयी…वो दांतो से धीरे धीरे खिचते हुए नीचे तक ले गये…पर जैसे ही मैने कमर उठा कर उसे निकालने में सहयोग दिया ….वो भौचके रह गये….दरअसल मैने नीचे कुच्छ भी नहीं पहना था..मैं कभी पहनती भी नहीं थी…लह्न्गा घुटनो से नीचे जा चुका था…..मैं पहली बार क़िस्सी के सामने नंगी हो चुकी थी….सरं से मैने अपना चेहरा तकिये में च्छूपा लिया था…अमित तो मेरी गोरी जंघे और उनके बीच में मेरे छ्होटे से उस अंग को देखकर पागल हो उठे…और अचानक मेरी जांघों को घुटनो से लेकर चूमते हुए कमर की तरफ बढ़ने लगे …..
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