RE: क्या ये धोखा है ?
यूँ ही. 2-3 दिन बीत गये…शादी हो गयी थी और हम अपने रूम रज़ाई लेकर सोए हुए थे..तब तक मेरा कोई बच्चा नहीं था…मैं नींद में थी की अचानक मेरी नींद खुली मेरे सरीर पर कुच्छ फिसलते हुए महसूस किया…थोडा होश में आई तो पता चला कोई बेड के पास खड़ा मेरे बूब्स पर हाथ फेर रहा हैं….मैं झटके से उठने वाली थी कि मेरे दिमाग़ में ख्याल आया कि ये कहीं विवेक तो नहीं…धीरे धीरे मूंदी पॅल्को से नाइट बल्ब की रोशनी में देखा तो वही था…मुझे समझ में नहीं आया कि क्या करूँ…मैं चुप चाप थी…और उसका हाथ मेरे नाइट ड्रेस के अंदर घुटनो तक सहला रहा था…और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर घुमा रहा था…एकदम वही आदत थी जो वो बचपन में किया करता था…लेकिन मैने ये फील किया की आज़ उसके हाथों में कुच्छ बात थी ..तब कुच्छ नहीं होता था पर अब उसके सहलाने से मेरे निपल कड़े होने लगे थे…और जांघों में कसाव होने लगा था…शायद सुहागरात के बाद कोई मुझे ऐसे अब प्यार कर रहा था…मैं कुच्छ कहने की हिम्मत नहीं कर पाई…सोचा देखूं क्या करता हैं..ज़्यादा आगे बढ़ेगा तो रोक दूँगी उसे…..वो धीरे2 अपना हाथ मेरे जाँघो तक ले जाकर उसे सहलाने लगा और अंदर हाथ डाल कर मेरे ब्रा पर से बूब्स को सहलाने लगा…उसे लगा कि मैं गहरी नींद में हूँ और उसे भी ये सब अंग छूकर अब होश नहीं रहा था की मैं जाग जाऊंगी तो क्या होगा…आख़िर वो भी अब एक जवान हो गया था…मैं अपने आपको रोके रही रही…पर मेरी चूत गीली होती जा रही जब उसके हाथ ब्रा के हुक खोल कर नंगे बूब्स को सहलाने लगे और फिर उसके हाथ बिन पॅंटी की चूत पर पड़े..तो वो बिलकूल सब कुछ भूल कर मेरी चूत को ध्यान से पैरो को अलग कर देखने लगा और फिर अचानक उसके होठ मेरे चूत पर जा टीके…मेरे होंठो से सिसकारी निकल गयी…वो समझ गया की मैं जागी हूँ तो और निडर हो गया..बोला.
“दीदी जब जागी हो तो आँखें खोलो ना और मेरे होंठो को किस कर दिया…पर मैं फिर भी कुच्छ नहीं बोली पर पैरो को थोड़ा फिला दिया ताकि वो आराम से मेरी चूत चाट ले अब मेरी कमर उपर उठने लगी थी….अचानक वो दूर हट गया…फिर वो आकर मेरे पास अंदर रज़ाई में लेट गया…ह्म्म्म्मममम वो नंगा हो गया था…
उसका पूरा गरम जिस्म मेरे शरीर से टच हो रहा था और उसका नीचे वाला अंग भी मेरी जेंघो से टच हो रहा था…मेरा मन हुआ उसे च्छुकर देखने का ….मैने उसके उपर हाथ ऐसे रखा जैसे की नींद में रखा हो….अचानक उसका गरम मस्त लंड जो की लगभग 4-5 ‘ का होगा मेरे हाथ में आ गया….अचानक मुझे संगीता के पति अजय के लंड की याद आ गयी..कितनी मस्ती से वो संगीता को चोद रहे थे.
…मैने झटके से हाथ हटाना चाहा तो विवेक बोला दीदी सहलाओ ना..अच्छा लग रहा हैं….
मैं अब बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली “विवेक ये सब क्या कर रहा हैं?मैं तेरी बेहन हूँ,और तू अभी बच्चा हैं इस उम्र में ये सब क्या कर रहा हैं?”
“दीदी क्या आपको अच्छा नहीं लग रहा हैं..?मुझे अच्छा लगता हैं ऐसा करना…आपके साथ?”
“क्यों तेरे कॉलेज में कोई गर्ल फ्रेंड नहीं हैं ये सब करने के लिए….?”
“नहीं दीदी..मुझे तो बचपन से आप ही अच्छी लगती हो….आपके साथ ही ये सब करना चाहता हूं…ग़लत मत समझना मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ..आप कहोगी तो मैं कुच्छ नहीं करूँगा…पर क़िस्सी से कुच्छ कहना नहीं..”
पर मैं तो उतेज़ित हो चुकी थी और उसका लंड देख कर उस समय मैं सारा रिस्ता भूल गयी..
|