RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
मैंने कहा "तो क्या हुआ मौसी, आप तो मेरी मां जैसी हो, इसकी सास हो, फ़र्ज़ है इसका" मन में कहा कि मौसी, आप नहीं जानती ये क्या फ़टाका है, जरूर कोई गुल खिलाने वाली है नहीं तो ये और किसी के पैर दबाये! हां और कुछ भले ही दबा ले. फ़िर लीना की की बात याद आयी, मुझे हंसी आने लगी, मौसी भी कोई कम नहीं है, आज अच्छी जुगल बंदी होगी दोनों की.
लीना मेरी ओर देखकर बोली "तुम यहां क्या कर रहे हो, मैं मौसी की मालिश भी कर देती हूं, तुम घूम आओ बाहर. मौसाजी नहीं हैं क्या?"
मौसी बोलीं "अरे वे खेत पर होंगे रघू के साथ. तू घूम आ अन्नू. मिलें तो कहना कि खाने में देर हो जायेगी, आराम से आयें तो भी चलेगा, तू भी आना आराम से घूम घाम कर. ये राधा भी गायब है, वहां कही दिखे तो बोलना बेटे कि बजार से सामान ले आये पहले, फ़िर आकर खाना बना जाये, कोई जल्दी नहीं है. वो खेत पे घर है ना रघू का, वहीं होंगे तेरे मौसाजी शायद"
लगता था दोनों मुझे भगाने के चक्कर में थीं. मेरा माथा ठनका पर क्या करता. वैसे लीना की करतूत देखकर मुझे मजा आ रहा था, जरूर अपना जाल बिछा रही थी मेरी वो चुदक्कड़ बीबी. और मौसी भी कोई कम नहीं थी, बार बार ’बहू’ ’बहू’ करके लीना के बाल प्यार से सहला रही थी.
घर के बाहर आकर मैं थोड़ी देर रुका. फ़िर सोचा देखें तो कि लीना क्या कर रही है. अब तक तो पूरे जोश से अपने काम में लग गयी होगी वो चुदैल. मैं घर के पिछवाड़े आया. मौसी के कमरे की खिड़की बंद थी, अंदर से किसीकी आवाज आयी तो मैं ध्यान देकर सुनने लगा. लगता था मौसी और लीना बड़ी मस्ती में थीं.
"ओह .... हां बेटी .... बस ऐसे ही ... अच्छा लग रहा है .... आह ..... आह ..... और जोर से दबा ना ...... ले मैं चोली निकाल देती हूं .....हां ... अब ठीक है"
"ऐसे कैसे चलेगा मौसी, ये ब्रा भी निकालो तब तो काम बने, ऐसे कपड़े के ऊपर से दबा कर क्या मजा आयेगा" लीना की आवाज आयी. "वैसे मौसी आप ब्रा पहनती होगी ऐसा नहीं लगा था मेरे को. गांव में तो ..."
"बड़ी शैतान है री तू. मैं वैसे नहीं पहनती ब्रा पर आज पहन ली, सोचा शहर से बेटा बहू आ रहे हैं ... मौसी को गंवार समझेंगे ..."
"आप भी मौसी ... चलिये निकालिये जल्दी"
"ले निकाल दी .... हा ऽ य ... कैसा करती है री ..... आह .... अरी दूर से क्या करती है हाथ लंबा कर कर के, पास आ ना ... बहू .... मेरे पास आ बेटी .... मुझे एक चुम्मा दे .... तेरे जैसी मीठी बहू मिली है मुझे .... मेरे तो भाग ही खुल गये .... आज तुझे जब से देखा है तब से .... तरस रही हूं तेरे लाड़ प्यार ... करने को ... और लीना बेटी जरा मुंह दिखाई तो करा दे अपनी ... तू तो बड़ी होशियार निकली लीना ... जरा भी वक्त नहीं लिया तूने अपनी मौसी की सेवा करने को ... हा ऽ य ... आह ... " मौसी सिसककर बोलीं.
लीना की आवाज आयी "अब आप जैसी मौसी हो तो वक्त जाया करने को मैं क्या मूरख हूं! और मुंह देखना है मौसी बहू का कि और कुछ देखना है? ... ठहरिये मैं भी जरा ये सब निकाल देती हूं कि आप बहू को ठीक से देख सकें ... ये देखिये मौसी .... पसंद आयी मैं आपको? ... और लो आप कहती हैं तो पास आ गयी आप के ... आ गयी आप की गोद में ...अब करो लाड़ अपनी बहू के ... जरा देखूं मैं आप को कितनी अच्छी लगती हूं ... बड़े आग्रह से बुलाया है अपने गांव ... अब देखें जरा बहू कितनी अच्छा लगती है आप को" फ़िर सन्नाटा सा छा गया, सिर्फ़ हल्की हल्की चूमा चाटी की आवाजें आने लगीं. मेरा लंड तन गया और मुझे हंसी भी आ गयी. लीना अपने काम में जुट गयी थी.
kramashah.................
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