RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
तभी राधा खाने पर बुलाये आयी. हमने खाना खाया. राधा परोस रही थी. परोसते परोसते बार बार उसका आंचल गिर जाता. उसकी चोली में से उसके मचलते हुए छोटे छोटे पर सख्त मम्मे और उनकी घुंडियां दिख रही थीं. मुझे देख कर हंस देती और कभी अपनी जीभ अपने होंठों पर फ़ेरने लगती. लीना ने भी देखा पर बस मेरी ओर देखकर आंख मार दी कि लो, माल तैयार है तुम्हारे लिये.
खाने के बाद में राधा साफ़ सफ़ायी करके वहीं गुटियाती रही. शायद जाना नहीं चाहती थी.
"राधा तू अब जा. कल आना. और वो रघू और रज्जू को बोल दे कि आज कोई काम नहीं है, आराम करें. कल बहुत काम है. बोल देना कि मालकिन ने कहा है, समझी ना? कहना सो जायें जल्दी आज रात को, तू भी आराम कर लेना, कल जरूरत पड़ेगी. समझ रही है ना मैं क्या कह रही हूं?" मौसी ने डांट कर पूछा.
राधा थोड़ी निराश दिखी. वह शायद रहना चाहती थी. फ़िर मौसी ने उसके कान में धीरे से कुछ कहा तो उसका चेहरा खिल उठा. काम खतम कर के वह चल दी.
कुछ देर हम गपशप करते रहे, फ़िर दस बजे हम सब सोने चले गये. मौसी ने ही कहा कि गांव में सब जल्दी सोते हैं. हमारा कमरा मौसी के कमरे से लगा था. बीच में दरवाजा भी था, गांव के घरों जैसा.
मेरा लंड कस के खड़ा था, कमरे में घुसते ही मैं लीना पर चढ़ गया. पर उसने चोदने नहीं दिया, बोली "अरे रुको ना, जरा सबर रखो. क्या इसी लिये मुझे यहां लाये हो अकेले चोदने को? फ़िर बंबई और यहां क्या फरक हुआ?"
"अरे धीरे बोलो रानी, वहां मौसी सुन लेगी" मैंने कहा.
"इसीलिये तो बोल रही हूं. मौसाजी मौसी वहां और हम यहां, कुछ जमता नहीं अनिल" लीना शोखी से आवाज चढ़ा कर बोली, फ़िर मुझे आंख मार कर चुप हो गयी.
मौसी और मौसाजी के बात करने की आवाज आ रही थी.
"क्योंजी, खेत के घर पे मजा कर के आये हो लगता है तभी सोने की फिराक में हो. और यहां मेरी आग कौन बुझायेगा?" मौसी बोलीं.
"अरे आभा रानी, तेरी आग कभी बुझी है जो अब बुझ जायेगी? चल आजा, टांगें खोल के लेट जा, चूस देता हूं. तेरा रस चखने को तो मैं हमेशा तैयार रहता हूं, मेरे को तो तू बचपन से चखाती आयी है" मौसाजी बोले. एक दो मिनिट बस चूमा चाटी की आवाज आ रही थी. फ़िर मौसी तुनक कर बोलीं "अरे ठीक से चूसो ना मेरे सैंया ..... तुम तो बस राधा की चूसते हो ठीक से, वो जवान लड़की है, मैं तो अब बुढ्ढी हो गयी हूं ना .... पहले तो भाभी करके कैसे पीछे पड़े रहते थे ... स्कूल से आते ही मुंह लगा देते थे ... हाय .... आह ... हां ये हुई ना बात ...और थोड़ा मुंह में लो ...हां अब ठीक है"
"अरे नहीं मेरी रानी, बूढ़ी होगी तेरी सास, तेरी चूत तो एकदम जवान है, बहुत मजेदार है मां कसम, और ये मोटे मोटे चूतड़ तेरे, हाय मजा आ जाता है." मौसाजी की आवाज आयी. "चल, तेरी गांड मार दूं? मस्त मारूंगा"
"अरे तुम तो बस गांड के पीछे लगे रहते हो, मेरी बुर का तो खयाल ही नहीं रहता तुमको." मौसी हुमक कर बोली.
"अरे तेरी बुर के दीवाने भी तो हैं, वो रज्जू और रघू तो पुजारी हैं इसके. इसीलिये तो रखा है उनको. और वो राधा भी तो मरती है तेरे पे, उससे चुसवाती हो वो अलग"
"तो जैसे तुमको तो कुछ लेना देना ही नहीं है रघू और रज्जू से. आज शाम को क्या कर आये, मैं भी तो सुनूं जरा. वैसे आज तुमको नहीं डांटूंगी. आज शाम को तो मेरे को भी मजा आ गया. लीना बिटिया ने क्या चूसी थी मेरी .... इतना पानी निकाला था ...."
"अच्छा, शुरू हो गया तुम्हारा? चलो अच्छा हुआ. मैं वोही सोच रहा था, बड़ी सुंदर कन्या है. और वो अनिल भी कम नहीं है" मौसाजी बोले. "तेरे तो वारे न्यारे हैं अब"
"और तुम्हारे नहीं हैं? मुझसे नहीं छुपा सकते तुम. वैसे बाजू वाले कमरे में ही हैं दोनों. अब तक तो दो बार चोद चुके होंगे, आखिर जवान हैं" मौसी जोर से बोलीं जैसे जानबूझकर हमें सुनाना चाहती हों.
लीना सुन रही थी. मेरी ओर देख कर हंसी और जोर से बोली बोली "अनिल .... अभी मत चोदो राजा .... रुक जाओ ... ऐसे ही चूसते रहो ..... मौसी की याद आ रही है ... मौसी की बहुत प्यारी चूत है .... सच ..... तुम देखो तो दीवाने हो जाओगे"
kramashah.................
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