RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"मजा तो इसको भी आ गया होगा, बस नाटक कर रही है" मौसाजी बोले और फ़िर से लीना की गांड के पीछे पड़ गये. उसके चूतड़ मसलने और चूमने लगे.
रज्जू हंस के बोला "मस्त चीज है भैयाजी, आप के शौक की है"
"हां, कल बोला तो मुकर गयी, अब देखता हूं कैसे मना करती है. पर क्या गांड है छोकरी की, खा जाने का जी करता है" कहकर मौसाजी ने लीना के चूतड़ फ़ैलाकर गांड खोली और मुंह लगा दिया.
इधर मौसी थक कर रुक गयी थीं. एक बार झड़ चुकी थीं पर मस्ती उतरी नहीं थी. राधा मेरे मुंह में पानी छोड़ चुकी थी. बोली "मालकिन, चुदवा लिया ना, अब मुझे चोदने दो"
"रुक ना, अनिल को तो पूछ. क्यों रे अनिल पसंद आया मेरी नौकरानी का शहद?" मौसी मेरे लंड को चूत से पकड़कर बोलीं.
"एकदम खालिस घी है मौसी, इतना पिया पर पेट नहीं भरा. वैसे अब अगर ये चुदवाना चाहती है तो कर लेने दो, मेरा लंड तो है ही तुम दोनों की सेवा के लिये" मैंने मौसी के मम्मे चूमते हुए कहा.
"मालकिन, भैया का कितना मस्त खड़ा है देखो ना, आप अब उतरो और मुझे चोदने दो" राधा ने तकरार की. मौसी की लाड़ली नौकरानी थी, वो क्या मना करतीं उसको. "चल आ जा. पर ये बता, केले वेले हैं कि नहीं घर में?"
"कल ही तो लायी थी मालकिन, अंदर पड़े हैं"
मौसी उठ कर अंदर चाल दीं. "तुम लोग चोदो, मैं अपना इंतजाम करके आती हूं."
राधा मुझे खाट पे लिटा के मुझपर चढ़ बैठी और मेरी लंड गप्प से अपनी बुर में खोंस लिया, बड़ी जल्दी में थी. मैं आह भरकर बोला "हाय ... क्या गरम भट्टी है राधा और कितने प्यार से पकड़ी है मेरे लंड को ... अरी ऐसे न कर, झड़ जाऊंगा" मैंने कहा, राधा मेरे लंड को गाय के थन जैसी दुह रही थी.
"डरो मत अनिल भैया, ऐसे जल्दी थोड़े छोड़ूंगी तुमको, इतनी देर बाद पकड़ में आये हो, अब तो सता सता कर चोदूंगी. मालकिन बेचारी थक गयीं, मैं होती तो घंटे भर तक चोदती"
"वैसे मौसी केले लेने क्यों गयी है? अच्छा समझा, शौकीन लगती हैं केले की" मैंने कहा.
मौसी दो तीन बड़े केले लेकर आयीं "और क्या अनिल बेटे, तेरे मौसाजी चोदते कम हैं और गांड ज्यादा मारते हैं. फ़िर चूत बेचारी क्या करे. और थोड़ा नाश्ते का भी इंतजाम हो जायेगा तुम्हारे"
मुझे भूख लगने लगी थी. हाथ बढ़ा कर एक केला लेने लगा तो मौसी ने रोक दिया "अरे रुक, ऐसे मत खा, ऐसे क्या मजा आयेगा! जरा तैयार करने दे तेरे लिये ठीक से" हंसकर बोलीं और केला छील कर बुर में घुसेड़ लिया. फ़िर अंदर बाहर करने लगीं "तुम लोग चोदो, मेरी चिंता मत करो. वो लीना को तो देखो, क्या चुद रही है वो लड़की! आज सब मुराद मिल गयी है लगता है उसको"
राधा ने मेरे पीछे एक बड़ा मूढा रख दिया और मैं उससे टिककर बैठ गया. राधा और मैं चोदते चोदते फ़िर से दूसरे कमरे में देखने लगे.
रघू और रज्जू दोनों अब लीना के साथ खाट पर लेटे थे. लीना को करवट पर लिटाकर रज्जू ने उसका सिर अपने पेट पर दबा रखा था और कमर आगे पीछे करके मजे से उसका मुंह चोद रहा था. उधर रघू बाजू में लेट कर लीना के पैर उठाकर पकड़े था और मस्त सधे हुए अंदाज में उसकी बुर में लंड पेल रहा था. लीना शायद काफ़ी मस्ती में थी क्योंकि नखरे छोड़ कर वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवा रही थी और रज्जू की कमर में हाथ डालकर उसका पूरा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी.
मौसाजी कमरे में नहीं थे. थोड़ी देर बाद वे वापस कमरे में आये. हाथ में एक स्टील का डिब्बा था. राधा हंस कर बोली "मख्खन ले कर आये हैं भैयाजी, खास चुदाई करने वाले हैं लगता है"
मौसाजी लीना के पीछे बैठे और अपने लंड में मख्खन चुपड़ने लगे. उनका अब मस्त तन कर खड़ा था. फ़िर उन्होंने उंगली पर एक लौंदा लिया और लीना के गुदा में चुपड़ने लगे.
लीना बिचक गयी. पीछे देखने की कोशिश करने लगी. रघू और रज्जू ने तुरंत उसके हाथ पैर पकड़े और उसका हिलना डुलना बंद कर दिया.
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