RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"बिचक गयी मेरी बहू रानी, पर अब क्या फ़ायदा. प्यार से नहीं मरवाती तो ऐसे ही जबरदस्ती मारनी पड़ेगी" मौसाजी हंसे और लीना की गांड में गहरे उंगली करने लगे.
"अब डाल दो भैयाजी. मां कसम बहुत मजा आयेगा तीनों ओर से बहू रानी को चोदने में" रज्जू बोला.
"उसको पकड़े रह, मैं अभी डालता हूं" कहकर मौसाजी ने लीना के गुदा पर अपना सुपाड़ा रखा और पेलने लगे. मेरी लीना रानी के गोरे गोरे चूतड़ चौड़े होने लगे और फ़च्च से मौसाजी का सुपाड़ा उसके छल्ले के पार हो गया. लीना हाथ पैर मारने की कोशिश करने लगी पर तीनों उसको ऐसे दबोचे हुए थे जैसे तीन शेर एक हिरन पर टूट पड़े हों.
"अरे अरे बेचारी की हालत कर देंगे तीनों. क्यों रे अनिल, तू जा ना और कह ना उनको कि बहू की ऐसी दुर्गत ना करें" मौसी मस्ती में जोर जोर से केला अपनी बुर में अंदर बाहर करते हुए बोलीं. उनकी गीली बुर से अब ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ की आवाज आ रही थी. "ये तीनों मिलकर उसके हर छेद का भोसड़ा बना देंगे"
राधा मुझको पकड़कर बोली "मैं न जाने दूंगी मालकिन. अभी तो मजा आ रहा है भैया को चोदने का" वो अब उछ उछल कर मुझको चोद रही थी. मैं उसके मम्मे पकड़कर बोला "अब चुदवाने दो मौसी, लीना का जो होगा देखा जायेगा. बड़ी शेखी बघार रही थी, अब जरा खुद देख ले कि गांव की चुदाई कैसी होती है"
वहा मौसाजी का लंड अब तक लीना के चूतड़ों के बीच पूरा गड़ चुका था और वे उसकी कमर पकड़कर गांड मार रहे थे. अगले आधे घंटे तक तीनों ने मिलकर लीना को खूब चोदा, एक मिनिट की राहत नहीं दी. लीना ने कुछ देर हाथ पैर मारने की कोशिश की, फ़िर उसका बदन लस्त पड़ गया और पड़ी पड़ी चुदवाती रही. बीच में उसकी नजर मुझसे मिली तो मुझे आंख मार दी. बड़ा मजा आ रहा था उसको पर नाटक अब भी कर रही थी.
kramashah.................
|