RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"पहले राधा की मार लो, फ़िर भी जोश बाकी रहे तो मेरी मार लेना. वैसे कल तूने बहुत अच्छा चोदा बेटे, और भी चोदा कर, ज्यादा मेरी गांड के पीछे मत पड़ा कर, तेरे मौसाजी हैं उस काम के लिये. अभी तो मुझे केले में मजा आ रहा है, बहुत दिन हो गये ऐसे बड़े बड़े केले मिले हैं मुठ्ठ मारने को" मौसी ने पसरकर उंगली बुर में अंदर डाली और केला बाहर निकालने लगीं. वो टूट गया और एक टुकड़ा बाहर आ गया.
मौसी ने टुकड़ा मेरे मुंह में दे दिया और बोलीं "ले खा ले अनिल बेटे, स्वाद आयेगा मौसी के प्यार का. मैं दूसरा छील लेती हूं"
राधा चिल्लाई "मालकिन, हमको नहीं दोगी ये पकवान?"
"अरे तू तो हमेशा चखती है. आज अनिल को मजा करने दे. अनिल बेटे, अभी ये टुकड़ा खा ले, बाद में पूरा माल खिला दूंगी" मौसी ने दूसरा केला अंदर डाला और शुरू हो गयी. फ़िर बोली "अनिल, ये राधा तो दिन भर चोदती रहेगी तुझे, इसकी तो तसल्ली ही नहीं होती. तू गांड मार ले, इसके कहने पे मत जा"
मैंने राधा को जबरदस्ती अपने लंड पर से उतारा और ओंधा लिटा दिया. राधा छूटने की कोशिश करने लगी "भैया, मेरी गांड मत मारो, आज चुदाने का मौका मिला है, मुझे और चोद दो ना. तुमको चोदने से मतलब है, चूत या गांड से आपको क्या फरक पड़ता है? छोड़ो ना भैया, आप को मेरी कसम"
मौसी ने अपनी उंगली अपनी चूत से निकाली और राधा के गुदा में चुपड़ दी. "डाल दे अब. मैं पकड़ के रखती हूं इसको. इसकी मत सुन, ये तो बहुत चपड़ चपड़ करती है दिन भर" मौसी ने अपनी मोटी मोटी टांगें उठाकर राधाकी पीठ पर रखीं और उसे दबा कर रखा. मैंने राधा के सांवले चूतड़ों को पकड़कर चौड़ा किया और लंड डाल दिया, आराम से लंड पूरा सप्प से चला गया.
"अच्छी मुलायम है मौसी. लगता है काफ़ी ठुकी हुई है" मैंने गांड में लंड पेलना शुरू करते हुए कहा. "आखिर तीन तीन लंड हैं यहां, सबसे रोज मरवाती होगी ये छोकरी"
"अरे नहीं, इसकी गांड तो बस तेरे मौसाजी मारते हैं. बड़ा शौक है गांडों का, रघू और रज्जू को सख्त हिदायत दी हुई है कि राधा की गांड को कोई छुए भी नहीं. गांड क्या, वो तो उन दोनों को ठीक से राधा को चोदने भी नहीं देते"
"हां भैयाजी, बड़ी प्यासी रह जाती है मेरी बुर. तभी तो आप चोद रहे थे तो बड़ा सुकून मिल रहा था. अब आप भी मेरी गांड के पीछे पड़ गये." राधाने शिकायत की.
"फ़िकर मत करो रानी, अभी तो कई दिन पड़े हैं. मैं तेरे को और मौसी को जितना कहो चोद दूंगा. अभी मारने दे मस्ती से. डर मत, झड़ूंगा नहीं तेरी गांड में" मैं हचक हचक कर उस नौकरानी की गांड मारते हुए बोला. "और ये मम्मे तो देख, कैसे कड़क सेब हैं सब. इनको कोई दबाता नहीं क्या?" कहकर गांड मारते मारते मैं राधा की चूंचियां मसलने लगा.
"धीरे भैयाजी, आप को मेरी कसम. पिलपिली न करो ऐसे" राधा कराह कर बोली.
"तू दबा अनिल, इसकी मत सुन. इसके मम्मे कोई नहीं दबाता, ये किसी को दबाने नहीं देती. मैं कहती हूं इसको कि दबवा ले, जरा नरम नरम और बड़े करवा ले, आखिर जब बच्चा पैदा करेगी तो दूध तो ठीक से भरे" मौसी कस के अपनी बुर में केला अंदर बाहर करते हुए बोली. "आह ... आह ... हां .... अरे मेरी रानी ... रधिया बिटिया .... कई दिन हो गये रधिया री इतनी मस्त मुठ्ठ मारे हुए" और मौसी झड़ कर ढेर हो गयीं.
मैंने दूसरे कमरे में देखा. रघू पलंग पर लेटा था और लीना उसके ऊपर कोहनियों और घुटनों के बल झुक कर जमी थी. रघू का लंड लीना की बुर में था और वो नीचे से कमर हिला हिला कर उसको चोद रहा था. रज्जू सिरहाने खड़ा हो कर लीना के मुंह में लंड पेल रहा था. लीना के सिर को उसने कस के अपने पेट पर दबा रखा था और आगे पीछे होकर उसका मुंह चोद रहा था. मौसाजी खड़े खड़े राधा की गांड मार रहे थे. लीना का पूरा बदन हिल रहा था. वो आंखें बंद करके चुपचाप चुदवा रही थी. मौसाजी दोनों नौकरों को हिदायत दे रहे थे "रघू, अब झड़ना नहीं बहू की चूत में. समझा ना? झड़ना सिर्फ़ उसके मुंह में. लोटा भर मलाई खिलानी है उसको आज"
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