RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
मैं और मौसा मौसी--7 gataank se aage........................
मैं लेटा मौसी की चूत चाट रहा था तब बाजू के कमरे से आवाजें आयी. "अब छोड़ दो ... मौसाजी .... बहुत हो गया ... गांड दुख रही है .... चूत भी कसमसा रही है ... गला दुख रहा है ... कितने अंदर तक लंड पेलते हो तुम लोग ... चलो छोड़ो अब ... मेरे बदन का चप्पा चप्पा पिस गया है ... " ये लीना की आवाज थी.
"अभी तो बस दो बार चुदी हो बहू. एक बार और चुदवा लो. चलो फ़र्श पर चलते हैं, वहां मजा आयेगा तेरे को, यहां खटिया पर बहुत हो गया, ओ रघू, वो दरी बिछा दे नीचे. ऐसे ... अब लीना को एक एक करके ठीक से चोदो." मौसाजी की आवाज आयी.
"भैयाजी, गांड ...." रघू की आवाज आयी.
"गांड कल फ़िर से मारेंगे, पर आज चोदो जरूर और घंटे भर. मैंने दो बार मारी है इसकी, बहुत मजा आया पर अब लंड खड़ा नहीं हो रहा है, मैं रात को फ़िर से चोद लूंगा बहू को, पर तुम दोनों अब फ़िर से चोदो इसको"
जल्दी ही फ़च फ़च की आवाज आने लगी. रघू बोला "भैयाजी, बड़ा मजा आता है जमीन पर, बहू रानी का मुलायम बदन एकदम मखमल की गद्दी जैसा है"
"इसीलिये तो बोला तुम लोगों को कि फ़र्श पर चोदो. फ़र्श पर जोरदार धक्के लगते हैं, चुदैल औरतों की कमर तोड़ चुदाई कर सकते हैं. हमारी बहू रानी की भी चोद चोद कर कमर टेढ़ी कर दो. कल मैं फ़र्श पर लिटा कर इसकी गांड मारूंगा, इसके बदन की गद्दी का लुत्फ़ उठाना है मुझको.
लीना कराह रही थी "अरे दुखता है रे ... मत चोदो .... बदन मसल डाला मेरा तुम लोगों ने .... तुमको तो मेरे बदन की गद्दी मिल गयी पर .... मेरी हड्डी पसली एक हो रही है"
"रज्जू उसका मुंह बंद कर, बहुत बोल रही है." मौसाजी की आवाज आयी. फ़िर शांति छा गयी, अब सिर्फ़ ’फ़च’ ’फ़च’ ’सप’ ’सप’ की आवाज आ रही थी.
लीना की होती चुदाई की कल्पना से मेरा लंड सिर उठाने लगा. जल्दी ही काफ़ी कड़ा हो गया. "चल राधा, चोद ले अब इसको. खुद ही चढ़ के चोद ले, ये चोदेगा तो फ़िर जल्दी से झड़ जायेगा" कहकर मुझे लिटा कर मौसी मेरे मुंह पर चूत जमा कर बैठ गयीं. राधा मुझपर चढ़ कर चोदने लगी.
एक घंटे बाद राधा और मौसी ने मुझे छोड़ा. पिछले घंटे में मुझे लिटा कर रखा था इसलिये लीना के साथ क्या हो रहा था, मुझे दिख नहीं रहा था. बस आवाजें सुन रहा था. चोदने की आवाज लगातार आ रही थी. लीना की आवाज बस बीच बीच में आती जब उसका मुंह वो लोग छोड़ते. वो बस कराहती और बोलती "बहुत हो गया .... अब छोड़ो ... तुम्हारे पैर पड़ती हूं ... मार डालोगे क्या .... चलो खेल खेल में मजाक बहुत हो गया ...." पर फ़िर उसका मुंह कोई बंद कर देता.
मैं झड़ा और दस मिनिट पड़ा रहा. फ़िर उठकर हम कपड़े पहनने लगे. तब मैंने बाजू के कमरे में देखा. लीना जमीन पर चुपचाप पड़ी थी. मौसाजी उसकी बुर से मुंह लगा कर चूस रहे थे, लगता था वहां काफ़ी माल था, रघू और रज्जू ने निकाला हुआ. लीना की बुर चुद चुद कर लाल हो गयी थी, पपोटे फ़ूल गये थे. रघू और रज्जू बारी बारी से उसकी गांड चूस रहे थे. लीना का बदन भी लाल गुलाबी हो गया था. खास कर मम्मे तो ऐसे हो गये थे जैसे टमाटर. पूरे गोरे अंग पर दबाने और मसलने के निशान पड़ गये थे. चूतड़ों ने भी मौसाजी के इतने धक्के झेले थे कि वे भी लाल हो गये थे.
जब मैं मौसी और राधा उस कमरे में गये तो रघू लीना को ब्रा पहना रहा था. लगता था ब्रा पहनाने में उसको मजा आ रहा था, वो बार बार लीना के मम्मे दबाने लगता. लीना आंखें बंद करके चुपचाप गुड़िया सी पड़ी थी.
"भैयाजी, बड़ी मस्त ब्रा है बहू की, साली क्या फ़िट बैठती है बहूरानी की चूंची पर" रघू बोला फ़िर मौसाजी से पूछा "भैयाजी, अब बंद करना है क्या सच में?"
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