RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"भाभी को तो हम फ़िर से अगली बार ले ही लेंगे अनिल भैया, अभी तुम तो आओ ऐसे" रज्जू बोला.
"क्या गोरे चिट्टे हैं अनिल भैया. बड़े मस्त दिखते हैं" रघू बोला और मेरे सामने नीचे बैठ गया. मेरा लंड हाथ में लेकर बोला "और ये लंड तो देख रज्जू, एकदम रसीला गन्ना है" फ़िर उसको चूमने और चाटने लगा.
मौसाजी मेरे निपल मसलते हुए मेरी गर्दन प्यार से चूम रहे थे. रज्जू मेरी जांघों पर हाथ फ़िरा रहा था "अनिल भैया का बदन तो खोबा है खोबा भैयाजी. और इनके होंठ कितने खूबसूरत हैं! बिलकुल लीना बहूरानी जैसे ही हैं. चुम्मा लेने को मन करता है भैयाजी"
मौसाजी पीछे से मेरे बालों में सिर छुपा कर मेरी गर्दन को चूमते हुए बोले "तो ले ले ना, अनिल क्या मना कर रहा है"
रज्जू ने तुरंत मेरे होंठों पर होंठ रख दिये और मेरे पेट और जांघों को सहलाने लगा. उसका हट्टा कट्टा बदन मेरे बदन से लगा हुआ था. मैं चार पांच मिनिट बस बैठा रहा, सोचा कर लेने दो इन लोगों को उनके मन की. पर फ़िर मन में मस्ती छाने लगी. सामने मौसी और राधा जैसे लीना को पकड़कर आगे पीछे से लगी हुई थीं, देख देख कर और मस्ती चढ़ रही थी. मैंने रज्जूका लंड हाथ में ले लिया और अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी. रज्जू उसको चूसने लगा. उसका लंड मेरी हथेली में थिरक रहा था.
उधर रघू अब मेरा लंड मुंह में लिये था. बड़े प्यार से सुपाड़ा मुंह में लेकर उसको लड्डू जैसे गपागप चूस रहा था. रज्जू ने चुम्मा तोड़ा और मौसाजी को बोला. "भैयाजी, अनिल भैया को नीचे सुला दो तो जरा हम ठीक से उनके बदन को देख लें"
मौसाजी ने मुझे लिटा दिया और तीनों मुझसे लिपट गये. कोई मेरी जांघों को चूमता तो कोई लंड मुंह में लेता. कोई मेरे होंठ चूमता तो कोई मेरे चूतड़ सहलाने लगता. जब किसीने मेरे चूतड़ फ़ैलाकर मेरा गुदा चूसना शुरू कर दिया तो मैं मस्ती से झूम उठा.
"मां कसम क्या गांड है अनिल भैया की. एकदम माल है" मेरे पीछे से रज्जू की आवाज आयी. फ़िर उसने मुंह मेरी गांड से लगा दिया.
"मैंने बोला था ना कि कल तुझे एक मस्त गांड दूंगा. ले हो गयी तसल्ली" मौसाजी मेरे मुंह पर अपना लंड रगड़ते हुए बोले.
"अभी कहां भैयाजी, तसल्ली तो तब मिलेगी जब मैं इस खूबसूरत गांड में लंड डालकर चोदूंगा." रज्जू बोला.
"हां हां चोद लेना, पर बाद में. पहले मैं खेलूंगा. याने तुम लोगों से खिलवाऊंगा. आज बड़े दिन बाद तीन लंड एक साथ मिले हैं. आज मैं मजा करूंगा, तीनों लंड एक साथ लूंगा. अनिल बेटे, तेरे को कोई परेशानी तो नहीं है?" मैं कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि मौसाजी का लंड मेरे मुंह में था. उधर एक लंबी सी जीभ मेरी गांड में घुस कर मुझे गुदगुदी कर रही थी.
मौसी बोलीं "अरे नहीं, अनिल को क्या परेशानी होगी. अनिल बेटे, जब से तू आया है, तेरे मौसाजी आस लगाये बैठे हैं. एक साथ तीन लंड लेना चाहते हैं. पहले ही कहने वाले थे पर बहू को देखकर मुंह में पानी आ गया, बोले, पहले तीन चार दिन बहू के बदन से खेलूंगा, उसको खुश करूंगा और फ़िर खुद की प्यास बुझाऊंगा. आज इनको खुश कर दो बेटे. सुनते हो रघू और रज्जू. आज पहले भैयाजी की कस के सेवा करो और फ़िर बाद में अनिल की. अनिल यहां से प्यासा नहीं जाना चाहिये. चूतें तो बहुत मिलती हैं उसको, उसकी खुद की बीवी इतनी मतवाली है पर ऐसे तीन तीन लंड उसने कभी नहीं लिये होंगे"
तभी दरवाजा खुला और एक औरत अंदर आयी. वह भी एकदम नंगी थी सिर्फ़ ब्रा पहने हुए थी. उमर पैंतीस के करीब होगी. गले में सोने की बड़ी माला थी, कान में झूमर और कलाइयों पर चूड़ियां. बड़ी बिंदी लगाये हुए थी, मांग में सिंदूर भरा था. ब्रा में कसी चूंचियां मोटी मोटी थीं, और बदन अच्छा खाया पिया हुआ था. पेट के नीचे घने बाल थे.
"आओ विमला, बड़ी देर लगा दी, कब से राह देख रहे थे तुम्हारी. और इस बार बहुत दिन बाद गांव आयी हो, छह महने से ज्यादा हो गये."
"देर हो गयी इसीलिये तो कपड़े उतार कर ही आयी मौसी. मेरा मतलब है बुर खोल कर आयी हूं जिसको प्यास लगी हो वो चूस ले" विमला बाई बोलीं.
मौसाजी बोले "बुर खुली है बड़ी अच्छी बात है विमला बाई पर फ़िर मम्मे क्यों नहीं खोले?"
मौसी झल्ला कर बोलीं "अब तुम क्यों औरतों के बीच बोल रहे हो? आज तुम बस लंडों की सोचो. विमला के दूध आता है सो ब्रा बांध के आयी है कि छलक न जाये, मैंने ही कहा था कि आकर हमारे यहां जो खूबसूरत मेहमान आये हैं उनको चखा जाना"
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