RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"कहां है बहू रानी? अच्छा ये है. बड़ी प्यारी है, ये तो कल जा रही होगी, आप लोगों ने इसकी खातिरदारी की या नहीं?" विमला बाई बोली. फ़िर लीना के पास बैठ गयी. लीना को गोद में खींचा और चूमने लगी.
मौसी बोलीं "ये भी कोई पूछने की बात है! बहू पहली बार हमारे यहां आई है, अब हमसे जितना हो सकता था उतनी हमने सेवा की बहू रानी की. तीनों को काम पर लगा दिया, ये तेरे दीपक भैया, रघू और रज्जू. और अनिल का जिम्मा हमने ले लिया, मैंने और राधा ने खूब चासनी चखाई है इसको"
"बड़ी प्यारी लड़की है मौसी. एकदम मतवाली है. अभी रहती हफ़्ते भर तो अच्छा होता" विमला बाई बोलीं और फ़िर लीना के मुंह से मुंह लगा दिया.
लीना को भी विमला बाई जच गयी थी, कस के उनको चूम रही थी. फ़िर ब्रा के कप को पकड़कर बोली "मैं तो साल में दो तीन बार आऊंगी मौसी. विमला मौसी, इसको निकालो तो जरा आप का माल चखूं, आप की चूंचियों के जलवे अलग ही दिखते हैं"
"अरे अभी नहीं बहू" विमला बाई बोलीं. "बाद में चख लेना, खास तेरे ही लिये ये भरी छाती लाई हूं. चखना है तो पहले उसे चखो" कहकर विमला बाईने टांगें फैलायीं और लीना का मुंह उनमें दबा लिया. आभा मौसी विमला बाई के मुंह का चुम्मा लेते हुए बोली "बस मेरी बहू को खुश कर दो आज विमला, बाद में तेरे को जो चाहिये मैं दे दूंगी."
"अनिल बेटे आ जा अब, मेरे बदन से लग जा, तू ही बोले, तेरे को मेरा क्या चाहिये? किस छेद में डालेगा लंड?" मौसाजी मुझसे चिपटते हुए बोले "रज्जू और रघू बचे छेदों में डाल देंगे"
"मैं तो गांड मारूंगा मौसाजी, उस दिन एक बार मारी थी वो मुलायम मखमली छेद अब तक मन में है मेरे. वैसे आप रघू और रज्जू से मराते हो तो उनके लंड के हिसाब से मेरा तो कुछ नहीं है" मैं दीपक मौसा का चुम्मा लेकर बोला.
"आ जा मेरे लाल, जल्दी मार ले अपने मौसा की, ये गांड भी तेरे लंड को देखकर देख कैसे पुक पुक करती है. रघू और रज्जू के लंड तो मस्त हैं ही पर खास भांजे के लंड से मरवाने में जो मजा है, वो मैं ही जानता हूं. अरे रज्जू, जरा गांड चिकनी करो बेटे" मौसाजी ओंधे लेटते हुए बोले. रज्जू ने तुरंत उसमें तेल लगाया और रघू ने मेरे लंड को तेल चुपड़ा. तेल लगाते लगाते दोनों मेरे मुंह को एक एक करके चूस रहे थे.
मैंने कहा "अरे क्या बात है, बड़ा लाड़ आ रहा है? उस दिन बहू रानी का हर छेद चूसा, मन नहीं भरा क्या जो मेरा मुंह ऐसे चूस रहे हो दोनों मिलकर?"
"नहीं भैया, वो बात अलग है और आप की बात अलग है, हम तो आप के बदन का भी रस चूस कर रहेंगे. पर पहले भैयाजी को ठंडा कर दें, फ़िर आप देखना कि आज कैसे आपका रस निकालते हैं" रज्जू बोला और मेरा निपल मसलने लगा.
मौसाजी पड़े पड़े चिल्लाये "अरे मारो ना मेरी गांड मेरे भांजे राजा, देखो कैसे दुख दे रही है मेरे को"
मैंने मौसाजी की गांड में लंड डाल दिया और मारने लगा. "आह ... आह ... अब सुकून मिला थोड़ा .... रघू ... अपना लंड दे जल्दी मेरे मुंह में ..."
उस रात हम मर्दों की वो चुदाई हुई जो मुझे अब तक याद है. मौसाजी की मैंने खूब देर मारी, रज्जू ने उनसे लंड चुसवाया और रघू उनका लंड अपनी गांड में लेकर पड़ा रहा. उसके बाद जितनी दे हो सकता था, बिना झड़े हम छेद बदल बदल कर मौसाजी के पूरे बदन को हर छेद में चोदते रहे.
उधर मौसी और विमला बाई मिलकर लीना के पीछे पड़ी थीं, उसके बदन को गूंध रही थीं और उसे अपनी बुर चुसवा रही थीं. आखिर विमला बाईने अपनी ब्रा निकाली और लीना को दूध पिलाया. लीना ऐसे पी रही थी जैसे छोटी बच्ची हो, विमला बाईकी छाती पकड़कर दबा दबा कर चूस रही थी, छोड़ने को ही तैयार नहीं थी.
"छाती पूरी खाली न कर बेटी, आधा पी और फ़िर दूसरी चूंची पी ले" विमला बाई लीना के मुंह से अपनी चूंची निकालने की कोशिश करते हुए बोली.
लीना ने जवाब नहीं दिया और कस के विमला बाई की चूंची और जोर से चूसने लगी.
"अरे खुद ही सब पी जायेगी क्या? तेरे मर्द को नहीं पिलाना है? वो भी तो मेहमान है" विमला बाई बोली.
"मुझको मत भूलना विमला बाई. मैंने क्या गुनाह किया है?" दीपक मौसा मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोले.
"अरे तुमको तो बाद में भी पिला दूंगी दीपक भैया, मैं अभी हूं दो चार दिन. पर ये दोनों तो चले जायेंगे ना, जरा इनको भी गांव के दूध का स्वाद तो पता चले. अरे रधिया, तू क्या बैठे बैठे अपनी बुर खोद रही है? चल इधर आ और मेरी बुर चूस. दूध और बनता है इससे"
"बाई मैं मालकिन की चूत चाट रही थी" रधिया उठकर बोली.
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