RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
"मौसी, आप इधर आओ ऐसे, मेरे को दो अपनी बुर. मुझे चखे भी बहुत दिन हो गये. रधिया चल जल्दी मेरी टांगों में सिर कर अपना"
चारों औरतें आपस में लिपट गयीं और चूसने और चाटने की आवाज कमरे में गूंजने लगी.
घंटे भर हम सब जुटे रहे. अधिकतर देर मैंने मौसाजी की गांड मारी थी, एक बार उनका लंड मुंह में लिया था और झड़ा कर उनका गाढ़ा वीर्य चूस डाला था. तब रज्जू उनकी गांड की धुनाई कर रहा था.
"भैयाजी और मारूं क्या?" रज्जू बोला.
"नहीं बस रहने दे, काफ़ी हो गया. आज तीन लंड लेकर एकदम तसल्ली मिल गयी. अब तुम लोग मेरी बाद में मार लेना. अब अनिल को जरा चोदो. इसकी गांड देखो और मजा लो. मैंने कहा था ना कि एक कोरी गांड दिलवाऊंगा सो वो ये रही. मजे करो दोनों मिल कर"
"आप नहीं मारेंगे क्या भैयाजी?" रघू ने फूछा.
"बिलकुल मारूंगा. लीना बेटी की इतनी मारी है तो अनिल की भी मारूंगा. बेटे और बहू दोनों को चोदने का मौका मुझे मिला है वो नहीं छोड़ूंगा. पर पहले तुम लोग मार लो"
दोनों मिलकर मेरे पीछे लग गये, पहले दस मिनिट तो बस मुझे पट लिटाकर दोनों मेरी गांड को बस चूमते और चूसते रहे. "वाकई खूबसूरत गांड है भैयाजी, बहू रानी की तो मस्त है ही, अनिल भैया की भी कम नहीं है" रज्जू बोला. फ़िर मेरी गांड में तेल लगाने लगा.
मौसाजी ने मेरे नीचे घुस कर मेरा लंड मुंह में ले लिया और मुझे अपने ऊपर सुला लिया. रघू मेरे सामने बैठ गया और अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया, बड़ा मतवाला लंड था, सांवला सा और एकदम सख्त. रज्जू मेरे ऊपर चढ़ गया और अगले ही पल मेरे चूतड़ अलग हुए और रज्जू का मोटा लंड अंदर धंसने लगा. मैंने ’गं’ गं’ किया तो लीना बोली "मजा आ रहा है मेरे सैंया को. जरा ठीक से मारना रज्जू, ठीक से चोदोगे तो अगली बार जब गांव आऊंगी तो मेरी गांड तुमको दूंगी"
रज्जू लंड पेलता हुआ बोला "एकदम ठीक से लूंगा अनिल भैया की. क्या सकरी और कोरी गांड है तुम्हारे सैंया की बहूजी. मजा आ गया, डालने में ही इतना मजा आ रहा है तो मारने में तो और आयेगा" एक धक्के के साथ आखिर उसने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक उतार दिया. मैं सिहर उठा तो मौसाजी बोले "मजा आया ना रज्जू बेटे? बहू रानी की जो खिदमत की है हफ़्ते भर, अब उसका यह इनाम पा ले"
रज्जू मेरे ऊपर लेट कर मेरी मारने लगा "मस्त कसी गांड है भैयाजी. लाखों में एक है"
"तो आज मार मार कर फुकला कर दो. और रघू, अनिल को अपनी मलाई चखाओ ठीक से. लंड का स्वाद याद रहना चाहिये मेरे भतीजे को"
अगले दो घंटे लगातार मुझे चोदा गया. दो बार रघू ने मेरी मारी और दो बार रज्जू ने. एक एक बार मुझे अपना वीर्य भी चखाया. मौसाजी तो जैसे मेरा लंड निचोड़ने को ही बैठे थे. बार बार मुझे झड़ाते और मेरा वीर्य निगल लेते. आखिर में तो मेरा गोटियां दुखने लगीं पर वे तीनों मुझे चोदते रहे. मैंने एक दो बार उठने की कोशिश की तो लीना ने ही उनको और उकसाया "मौसाजी .. अनिल को भागने मत दो .. और चोदो ... नहीं तो मैं अब कभी नहीं आऊंगी दोबारा"
आभा मौसी ने भी हां में हां मिलाई. "इतना चोदो मेरे भांजे को नींद में भी यहां के सपने आयें उसको"
बीच में मुझे विमला बाई ने अपना दूध पिलाया. बस उतनी देर मेरी गांड को कुछ राहत मिली. उस मीठे दूध में ऐसा स्वाद था कि लंड फ़िर से तैयार हो गया.
चूंचियां खाली करके विमला बाई वापस लीना के पास गयीं और फ़िर तीनों औरतें मिल कर लीना पर चढ़ बैठीं. उनके बदन के नीचे लीना का बदन दिख भी नहीं रहा था, बस एक बार इतना जरूर दिखा मुझे कि विमला बाई अपनी चूंची से लीना को चोद रही थीं. मुझे पहली बार ध्यान में आया कि उनकी चूंचियां तोतापरी आमों जैसी नुकीली थीं और आधी चूंची वे लीना की बुर में पेल देती थीं.
सुनह होने तक सब थक कर चूर हो गये थे. बस एक घंटे सोये और फ़िर हमारे निकलने का टाइम हो गया.
जाते वक्त लीना ने सबका एक एक करके चुम्मा लिया और बोली "अब आप सब हमारे घर भी आइये बंबई में. एक एक करके आइये या साथ में, पर आइये जरूर. मैं और अनिल आपकी आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे"
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