RE: Sex amukta मस्तानी ताई
मेने मेरे हाथ में पड़े कपड़े ज़मीन पर रखे और फिर से उसी पोज़ में आगया, मेने सपोर्ट लेने के बहाने एक हाथ ताइजी की कमर पर रख दिया और दूसरे हाथ से कपड़ा निकाल ने की कोशिश कर रहा था, और इसी बहाने में अपना लंड उनकी गांद पे घिस रहा था, वो भी इस का आनंद उठा रही थी, वो अपने को पीछे की तरफ धकेल रही थी, हम दोनो को बोहत मज़ा आरहा था, मेने कहा ताइजी लगता है कपड़ा बुरी तरह फस गया है निकल नही रहा है, वो बोली कोशिश करते रहो निकल जाएगा, अब मेने अपना हाथ पीछे से पूरा उनकी नाभि पर रख दिया और कपड़ा निकाल ने की कोशिश करने लगा, ताइजी बोली यह क्या कर रहा है, मेने कहा बॅलेन्स ना बिगड़े इसलिए, अब में खुद भी उनके पेट पर ज़ोर लगाते हुए उन्हे पीछे खीच रहा था, मेरा लंड पूरी तरह उनकी गांद में फँसा हुआ था, सच मानो दोस्तों स्वर्ग से कम नही था वो अनुभव, खैर मेने कपड़ा निकाल लिया और ताइजी से अलग हुआ, वो कहने लगी चल अब घर चलते हैं अंधेरा होने को है, और हम घर की तरफ चल पड़े, रात में खाने के बाद में सुजाता दीदी और पूजा गप्पे मार रहे थे, तभी ताइजी ने पूजा को पढ़ने के लिए कहा और सुजाता से भी सोने के लिए कहा, वो दोनो मा की आवाज़ सुनते ही चली गयी, मुझे गुड नाइट बोल के, ताइजी फिर काम ख़तम कर के बाहर आई और मुझसे पूछा सोना नही है, मेने कहा नींद नही आरही है, मेने उनसे पूछा आप सोने जा रही हो, उन्होने कहा नही में तेरे ताउजी की मालिश करूँगी बाद में सोने जाउन्गि, फिर में भी छत पे चला गया, ताइजी रूम में आई सारी निकाली और मालिश करने लगी.
जब ताइजी खिड़की से बाहर देख रही थी तभी में उन्हे दिखाई दिया, फिर वो मालिश ख़तम करके छत पे आई और पूछने लगी नींद नही आरही है क्या, मेने कहा नही आरही है, आपके बारे में ही सोच रहा था, वो बोली सो जाओ और सुबेह मेरे साथ शहर चलना थोड़ा काम है, में खुश हो गया मेने कहा कौन कौन आरहा है, उन्होने कहा तू और में, शहेर ज़्यादा दूर नही था पर रास्ता खराब होने की वजह से 1 से 2 घंटे लग जाते थे, और हमे जल्दी निकलना था ताकि 8 बजे तक वहाँ पोहच् सके, मेने पूछा क्या काम है, उन्होने कहा तेरे ताउजि की कुछ दवाई लेने जाना है डॉक्टर के पास, हम सोने चले गये, सुबेह करीबन 6 बजे मेरे रूम पे नॉक हुआ मेने दरवाजा खोला तो ताइजी थी, क्या बताउ दोस्तों कितनी खूबसूरत लग रही थी वो, वो नहा चुकी थी और बाल धोए थे बड़ी ही प्यारी महेक आरही थी उन में से, उन्होने कहा खड़े खड़े देखते रहोगे या कुछ बोलोगे, मेने कहा ऐसी बात नही है आप बोहत सुन्दर लग रही हो, वो बोली तुझे सुबेह सुबेह और कोई काम नही है क्या, चल जल्दी तैयार हो जाओ चलना है, में 15 मिनिट में तैयार होगया और हम बस स्टॉप की तरफ चल दिए, बस स्टॉप पे काफ़ी भीड़ थी, शायद सुबेह बोहत से लोग काम पे जाते होंगे, बस आ गई मेने ताइजी से कहा क्या हमे इसी में चलना है या नेक्स्ट बस ले ले उन्होने बताया के इसके बाद की बस 2 घंटे बाद की है, जैसे तैसे हम बस के अंदर घुस गये बस में पाँव रखने की जगह नही थी, में और ताइजी दरवाजे पे खड़े थे, जैसे तैसे हमने अपने खड़े रहने की जगह बना ली, बस चली फिर रास्ते में काफ़ी खड्डे और उतार चढ़ाव थे, और मेरी बॉडी ताइजी से एक दम चिपकी हुई थी.
तभी किसी ने पीछे हट ते हुए ताइजी के पाँव पे पाँव रख दिया और उनकी उंगली बुरी तरह से दब गयी थी, हमने बस रुकवाई और उतर गये, उतर के देखा तो ज़्यादा तो नही था पर राइट लेग की लास्ट 2 उंगली सूज गयी थी, फिर मेने कहा ताइजी जाना ज़रूरी है या घर चले उन्होने कहा जाना तो है दवाई लानी है, तभी वहाँ से एक ऑटो पास हुआ वो पॅसेंजर ऑटो तो नही था शायद समान ले जाने के लिए यूज़ करते होंगे और उसमे बोहत समान था, मेने उसे रुकवाया और अपनी तकलीफ़ बताई उसने कहा के में एक पर्सन की सीट तो बना सकता हूँ पर 2 नही हो पाएँगे, मेने कहा भाय्या आप एक आदमी की जगह कर दो हम अड्जस्ट कर लेंगे, उसने कहा में 100 रुपीज़ लूँगा मेने नेगोशियेट करके 50 में मनवा लिया, फिर उसने समान इधेर उधेर कर के एक आदमी की बैठने की जगह बना दी, उसकी ऑटो सिर्फ़ एक साइड से खुलती थी, और बाकी 3 तरफ से बंद थी, फिर मेने ताइजी से कहा के पहले में बैठ जाता हूँ आप मेरी गोद में बैठ जाना, पहले तो उन्होने मना कर दिया के रिक्कशे वाला क्या सोचेगा मेने कहा उसे नही दिखेगा और वैसे भी यह हमारी मजबूरी है उसकी नही, फिर वो मान गयी, तब में ऑटो में पहले बैठा और फिर ताइजी मेरी गोद में बैठ गयी, 5 मिनिट बाद ताइजी अनकंफर्टबल फील कर रही थी शायद उन्हे मेरे घुटनो की हड्डी लग रही होगी, फिर मेने कहा ताइजी आप थोड़ा पीछे होके बैठ जाओ, वो कहने लगी क्या चाहता है, मेने कहा के आप कंफर्टब्ली बैठे वोही चाहता हूँ, वो हंस के थोड़ा पीछे हो गयी, अभी भी वो मेरी थाइस पे बैठी थी.
रास्ता काफ़ी खराब था, और झटको की वजह से उन्हे बैठने में तकलीफ़ हो रही थी, तभी मेने कहा ताइजी आप जितना पीछे आके बैठ सकती है बैठ जाओ और में आपको पकड़ लेता हूँ, फिर आपको बैठने में दिक्कत नही होगी, ताइजी एक दम पीछे होके बैठ गयी, जब वो बैठ गयी तो मेरा लंड सीधा उनकी गांद के बीचो बीच फँस गया, सच बता रहा हूँ दोस्तों इतना मज़ा आया के पूछो मत, और फिर मेने अपने दोनो हाथ ताइजी की कमर से लपेट लिए, अब उनकी कमर की कोमल स्किन मेरे हाथ में थी बड़ा मज़ा आरहा था, मेने ताइजी से पूछा के आप कंफर्टबल हो के नही, वो बोली हां बेटा अब ठीक है, मेरा लंड अब बड़ा हुए जा रहा था, उन्हे फील हो रहा था मेरा लंड वो भी थोड़ा अड्जस्ट हुई और मेरा लंड पूरा अपनी गांद के बीचो बीच ले लिया, रोड खराब होने की वजह से हिलने की ज़रूरत ही नही थी, फिर मेने धीरे से आछे से पकड़ने के बहाने अपने दोनो हाथ उनकी नाभि तक ले आया, उनके मूह से सिसकिया निकल रही थी, वो मुझसे बोली ऑटो वाला देखेगा तो क्या सोचेगा, मेने कहा मेने चेक किया उसे पीछे क्या हो रहा है वो बिल्कुल नही दिखेगा, तब वो थोड़ी शांत हुई, और मेरे लंड का भरपूर आनंद लेने लगी, अब में धीरे धीरे उनका पेट सहला रहा था.
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