RE: Sex Kahani मनोरमा
अनिल ने मौके की नजाकत को समझते हुए गाड़े साइड में एक फैक्ट्री की तरफ मोड़ ली. वो फैक्ट्री एक साल पहले बंद हो गयी थी और उस तरफ कोई जाता नहीं था. उसे पता था की फैक्ट्री के आस पास उसके प्लान के लिए अच्छी जगह होगी.
अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.
"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.
"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.
मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.
कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.
तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.
अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"
मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.
राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .
मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.
राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.
मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.
"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."
मनोरमा दर्द से चिल्लाई.
"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."
राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.
अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.
"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा
"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.
"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.
"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.
दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.
मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.
"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."
मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.
राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.
"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई
"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.
इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.
तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.
राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..
मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.
तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.
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इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.
अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."
मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".
इस बात पर तीनों हंसने लगे.
प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.
शमशेर अपनी बहु मनोरमा को हवेली के दरवाजे से विदा कर के मेहमान कच्छ की तरफ बढ़ रहा था. कल ही उसकी बहन कमला आयी थी जो वहां विश्राम कर रही थी. कल बस स्टैंड से आते समय शमशेर ने रास्ते में ही कमला के गद्रीले बदन का मज़ा अपने चचेरे भाई बल्ली के साथ लिया था. वो चाहते थे की आज वो अपनी बहन कमला को कुछ अलग अंदाज़ में जगाएं. शमशेर ने कमरे का दरवाजा सावधानी से खोला. और दबे पाँव अन्दर आये.
कमला देवी गुलाबी रंग का गाउन पहन कर सोयी हुई थीं. गाउन पूरे बदन पर अकेला कपडा था क्योंकि रात में उन्हें चड्ढी और ब्रा पहनने से नींद नहीं आती थी. उनका गाउन ऊपर की तरफ उठ गया था. जिससे उनकी झांटों से भरी हुई चूत साफ़ दिख रही थी. उन्होंने अपने पैर फैला रखे थे. रोशनदान से धुप खुल कर कमला देवी के गोर बदन पर पड़ रही थी. खुली हुई चूत, फैले हुई मोटी लम्बी गोरी जांघे शमशेर को सीधा निमंत्रण दे रही थीं. उन्होंने अपने कपडे सावधानी से उतारे ताकि कोई आवाज न हो. और बिस्तर पर चढ़ गए. उन्होंने अपनी जीभ कमला देवी की झूली चूत पर रख दी और उसे कुत्ते की तरह धीरे धीरे चाटने लगे.
"मम्मम्मम्म....म्मम्म.......उम...." कमला नींद में बडबड़ाई.
शमशेर को और शरारत सूझी. उसने बहन कमला देबी की चूत के दाने को अपने होठों से चूस के हलके से दबा दिया.
"आह..आ....आ....आ....आआआ ..ह", कमला देवी की आवाज से कमरे की दिवारें जैसे गूँज उठीं.
घर की नौकरानी मुनिया उसी समय वहां से गुज़र रही थी. उसने कमला देवी की आवाज सुनी. उसे लगा की उनकी तबियत कुछ खराब है. सीधे कमरे में जाने के बजाय, उसने कमरे की खिड़की का पर्दा खिसकाया. उसने देखा कमला देवी नीचे से पूरी नंगी थीं. मालिक शमशेर उनकी चूत को कुत्ते के समान चाट रहे थे. शमशेर ने कमला देवी का गाउन ऊपर से खिसका रखा था और वो दोनों हाथों से बड़ी बड़ी चुन्चियों को धीरे दबा रहे थे. कमला देवी की आँखें अभी भी बंद थीं जैसे वो कोई खूबसूरत सा सपना देख रहीं थीं और आँखों को खोल कर उसे तोडना नहीं चाहती थीं.
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