Chudai Kahani मैं उन्हें भइया बोलती हूँ
06-27-2017, 11:52 AM,
#3
RE: Chudai Kahani मैं उन्हें भइया बोलती हूँ
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद भैया के मुँह से भी आअह आअह्ह आअह्ह्ह की आवाज निकलने लगी और उन्होंने अपना गर्म गर्म वीर्य भाभी की गर्भ-गुहा में छोड़ दिया।
इस चुदाई के बाद भैया थक कर भाभी के पास ही लेट गए और भाभी उठ कर उनके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चाट कर साफ करने लगी।
इधर मेरी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी, मैं अपने कमरे में चली गई। इतने में ही भाभी की बेटी जग गई और रोने लगी तो मैं उसे उठा कर सुलाने की कोशिश करने लगी।


शायद भाभी को उसके रोने की आवाज सुन गई थी तो उन्होंने मुझे आवाज लगा कर कहा- रोमा, उसे मेरे पास ले आओ।
मैं उठी और उनकी बेटी को लेकर उनके कमरे में गई तो भैया कमरे में नहीं थे और भाभी नंगी ही बिस्तर पर बैठी थी।
मैंने उनकी बेटी को उन्हें दिया, भाभी उसे दूध पिलाने लगी, मैंने भाभी से पूछा- कैसी रही आपकी चुदाई? हो गई या अभी बाकी है?
तो भाभी ने बताया- हाँ, हो गई है, अभी वो बाथरूम में हैं, आएँगे तो हम फिर से करेंगे !
फिर भाभी ने कहा- रोमा, तुम भी अपनी रगड़ाई करवा लो ना इनसे !
तो मैंने कहा- भाभी, पहले आप तो चुद लो जी भर के ! मेरी तो बाद की बात है !
यह बात भईया पीछे खड़े सुन रहे थे तो भैया ने आकर मुझे फिर पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे, उनका लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में घुस रहा था।
मैंने थोड़ा विरोध करना चाहा पर कर न सकी और वो मेरे चूचों को जोर जोर से मसल रहे थे। फिर उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगे। मैं तो पहले से ही अन्तर्वासना की अग्नि में झुलस रही थी तो मैं भी भईया का साथ देने लगी और उन के होंठों को चूमने लगी।
भाभी बिस्तर पर बैठी अपनी बेटी को दूध पिला रही थी। फिर भैया ने मेरी नाइटी उतार दी और मेरा हाथ उनकी छाती से होता हुआ उनके लंड की तरफ जाने लगा, मैं उनके लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी। अब भईया ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे उरोज चूसने लगे।
मैं भी मस्त हुई जा रही थी, मैं अपने दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ कर अपने वक्ष में दबाने लगी और भईया जोर जोर से मेरे चुचूक चूसे जा रहे थे। फिर वो चूमते-चाटते नीचे आने लगे, मेरी नाभि को चूमने लगे और दोनों हाथों से मेरे स्तन दबाने लगे।
अब भैया ने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगे, फिर मेरी पेंटी को उतार दिया और कहा- रोमा, तुम्हारी चूत तो बहुत ही सुन्दर है !
अब उन्होंने अपने होंठों को मेरी चूत के ऊपर रख दिया और चूत को चूसने लगे। मैं सिहर उठी और मेरे मुँह से जोर से आअह्ह्ह की आवाज निकली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
भाभी जो वहीं बैठी अपनी बेटी को दूध पिला रही थी, उन्होंने कहा- कैसा लगा रोमा?
मैं कुछ न बोल सकी, बस आहें भरे जा रही थी। भैया मेरी चूत को बुरी तरह चूसे जा रहे थे। मेरी चूत गीली हो चुकी थी तो भईया कहने लगे- रोमा, तुम्हारी चूत का स्वाद बहुत अच्छा है।
काफी देर तक चूत चूसने के बाद वो उठे और मेरे ऊपर आकर अपने लंड को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रख और मुझ से कहा- रोमा, तुम अपने बूब्स को बगल से बीच में दबाओ ताकि मेरा लण्ड तुम्हारे बूब्स के बीच में फंस जाये।
मैंने वैसा ही किया। अब उनका लण्ड मेरी वक्ष घाटी में फंस चुका था और भैया मेरे बूब्स की चुदाई करने लगे। ऐसा करते हुए जब उनका लण्ड आगे आता तो वो मेरे होंठों को छू जाता। यह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं अपनी जीभ निकाल कर लन्ड के अग्र भाग का स्वाद चख रही थी।
थोड़ी देर बूब्स चुदाई के बाद भैया ने लण्ड को मेरे मुँह पर रख दिया और कहा- लो रोमा, अब चूसो इसे, बहुर बेसबरी हुई जा रही हो इसके लिए !
मैंने भी देर न करते हुए उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं उनके लण्ड को किसी लॉलीपॉप के तरह चूस रही थी। भईया अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड पर दबाने लगे जिससे उनका लण्ड मेरे गले तक जा रहा था। वो लंड से मेरे मुँह की चुदाई करने लगे तो भैया के मुँह से भी अह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह की आवाज आने लगी और उन्होंने अपना गर्मागर्म वीर्य मेरे मुँह में ही छोड़ दिया।
वो ढीले होकर बिस्तर पर लेट गए और मुझ से लिपट कर मेरे होंठों को चूमने लगे। अब भाभी उठी और अपनी बेटी को वहीं रखे पालने में सुला कर हमारे पास आकर भैया के लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी भैया का लंड फिर से खड़ा होने लगा। अब भैया बिस्तर पर सीधे लेट गए और मुझे अपनी छाती पर बिठा लिया और मेरी चूत को अपने मुँह के पास रख कर चूसने लगे और भाभी भैया का लण्ड चूसे जा रही थी।
मेरे मुख से बेतहाशा आअह आअह्ह्ह ओह्ह की सिसकारियाँ निकल रही थी, मैंने भईया से कहा- मैं झड़ने वाली हूँ !
तो वो और जोर जोर से चूत को चूसने लगे फिर मैं उनके मुँह पर ही झड़ गई।
फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया, लण्ड को भाभी के मुँह से निकाल कर मेरे पैरों को फैला दिया और लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और लंड से ही मेरी चूत को सहलाने लगे।
मैं बोली- भैया, अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा है !
तो उन्होंने लण्ड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया। उन्होंने एक ही झटके में अपना आधा लण्ड मेरी चूत में सरका दिया। मैं जोर से चील्लाई- आआईईईईईइ !
और कहा- भाभी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
तो भाभी ने भैया को कहा- थोड़ा धीरे करो इसे !
और मुझसे कहा- रोमा, थोड़ा सा दर्द होगा, इसे सहन कर लो, फिर बाद में नहीं होगा, तुम्हें बहुत मजा आयेगा !
भैया थोड़ी देर वैसे ही लण्ड को मेरी चूत में फ़ंसाये मेरे ऊपर ही लेट गए। फिर थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया हो उन्होंने एक और झटका मारा पर उनका लण्ड अभी तक पूरा अन्दर नहीं गया था, पर मेरा दर्द कम हो गया था तो उन्होंने और दो तीन झटके मारे तो उनका लण्ड पूरा चूत के अन्दर चला गया।
मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया जिसकी चिकनाई से अब भैया का लण्ड आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था और मुझे अब मजा आने लगा था। अब भैया ने मेरी ठकाठक चुदाई करनी चालू की, वो मुझे चोदे जा रहे थे और मैं आहें भरे जा रही थी। अब
मुझे चुदाई का और ज्यादा मजा आने लगा, मैं कहने लगी- और जोर से चोदो।
तो भैया ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। फिर उन्होंने मेरे पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और भाभी उठ कर उनके होंठों को चूमने लगी। इधर भईया मेरी चुदाई कर रहे थे और भाभी उनके होंठों को चूम रही थी। इस चुदाई के दौरान मेरी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी; फिर भैया ने भाभी को अपने से अलग किया और मेरी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी। 4-5 मिनट की चुदाई के बाद भैया कहने लगे- मैं झड़ने वाला हूँ !
तो भाभी ने कहा- रोमा की चूत में मत झड़ना ! नहीं तो दिक्कत हो जाएगी !
तो फिर उन्होंने लण्ड को चूत से निकाला, उनकी पिचकारी छुट गई, मेरे भईया के लौड़े से निकली मलाई मेरे बदन पर आकर गिरी। भाभी ने जल्दी से उनके लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं बिस्तर में ही लेटी थी और बहुत थक चुकी थी, मेरा सारा बदन दर्द कर रहा था।
मैं उठ कर जाने लगी तो भाभी बोली- कहाँ जा रही है?
मैंने कहा- बाथरूम में?
वो बोली- क्यों?
“इसे साफ़ करने !” मैंने अपने बदन पर पड़े वीर्य की तरफ़ इशारा किया।
“अरे, यह तो मेरा है, आ मेरे पास, मैं साफ़ करती हूँ !” पलक भाभी बोली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास खींच कर मेरे बदन पर गिरे भईया के वीर्य को चाट कर साफ़ कर दिया।


कुछ ही देर बाद बाहर कमरे से आवाजें आने लगी- जोर से चोदो मेरे राजा, जरा जोर जोर चोदो !
मैं बाथरूम से बाहर निकली तो देखा कि अब भैया भाभी की चुदाई कर रहे थे। मैं उनके पास जा कर बैठ गई तो भाभी ने कहा- रोमा, कैसा लगा चुदाई करवा कर? कैसा चोदते हैं ये?
तो मैंने कहा- भाभी, मुझे तो बहुत मजा आया ! भैया बहुत मजेदार चुदाई करते हैं।
मैंने कहा- भाभी, आप बहुत लकी हो जो आपको इतनी अच्छी चुदाई करने वाला पति मिला है।
फिर भैया ने कहा- रोमा, मुझे भी तुमको चोद कर मजा आ गया !
भाभी कहने लगी- और चुदाई करवाना चाहोगी क्या रोमा?
मैंने हाँ कर दी। उस रात भैया ने भाभी और मेरी चार बार चुदाई की। इसी तरह चुदाई करते करते हमें 5 बज चुके थे और हम तीनों वैसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
फिर सुबह 9 बजे के लगभग मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी बिस्तर पर नहीं थी और भैया मुझसे लिपटे हुए सो रहे थे।
मैंने भैया को अपने से दूर किया और अपने कपड़े ढूंढने लगी। मुझे मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने वहीं पर रखा भाभी का गाऊन ही पहन लिया और भाभी को आवाज लगाई- भाभी, कहाँ हैं आप?
तो भाभी की आवाज आई- रोमा, मैं किचन में हूँ।
मैं रसोई में गई तो देखा कि भाभी ने कोई भी कपड़ा नहीं पहना था, वो पूरी तरह नंगी थी। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुझे कमरे में मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने आपका यह गाउन पहन लिया।
फिर मैंने कहा- भाभी आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने?
तो भाभी के कहा- रोमा, अभी जब तुम्हारे भैया उठेंगे न, तो वो मेरी एक बार फिर से चुदाई करेंगे ! तो मुझे फिर कपड़े उतारने पड़ते ! इसलिए मैंने कपड़े पहने ही नहीं !
फिर भाभी ने कहा- रोमा तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती हूँ !
मैंने कहा- हाँ ठीक है !
और मैं वही किचन में डायनिंग टेबल पर बैठ गई, फिर भाभी ने मुझे कॉफी बना कर दी और हम वहीं डायनिंग टेबल पर ही बैठ कर
बात करने लगे। भाभी मुझसे कहने लगी- रोमा, रात में कैसा लगा? सब ठीक रहा न ! तुम्हें अच्छा तो लगा न?
मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आया था !
तभी भैया की आवाज आई- पलक, कहाँ हो?
तो भाभी ने कहा- मैं यहाँ किचन में हूँ।
तब भैया रसोई में आए तो भैया ने भी कपड़े नहीं पहने थे, वो भी नंगे थे, मेरी नजर उनके लंड के तरफ गई जो छोटा सा सिकुड़ा हुआ नीचे लटक रहा था, उनके चलने से दाएं बाएं हिल भी रहा था।
भैया आकर डायनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गए और कहा- पलक, चाय तो पिलाओ यार !
तो भाभी ने कहा- दूध तो खत्म हो गया है, मैंने और रोमा ने अभी अभी कॉफी पी ली है।
तब भैया भाभी पर गुस्सा करने लगे- तुम्हें पता है न कि मुझे सुबह सुबह चाय पीने की आदत है?
तो भाभी ने कहा- थोड़ी देर रुक जाओ ना, दूध वाला आता ही होगा, फिर बना दूंगी चाय, तब तक आप मेरा दूध पी लो !
और भाभी भैया की गोद में बैठ गई और अपने एक स्तन को भैया के मुँह में डाल दिया और कहने लगी कि इनमें बहुत सारा दूध भर गया है, तो ये भारी हो गए हैं, तुम ही दूध पीकर कुछ कम कर दो !
तब भैया भाभी के चूचे को चूस कर उससे दूध पीने लगे, भाभी उनके बालों में हाथ फिराते हुए उनके सिर को अपने वक्ष में दबाती जा रही थी।


अब भैया ने अपने एक हाथ से भाभी के दूसरे उभार को दबाते हुए हाथ को नीचे लाए और उनकी चूत पर रख कर चूत को सहलाने लगे। भाभी मस्त हुए जा रही थी। फिर भैया ने अपने हाथ की दो उंगलियाँ भाभी की चूत में डाल दी। तब भाभी के मुँह से एक जोर की आआहह्ह्ह निकली और फिर भैया उंगली को चूत में आगे-पीछे करने लगे और भाभी आहें भर रही थी।
फिर बाहर दरवाजे की घंटी बजी और आवाज आई- दूध वाला !
तो भाभी ने मुझसे कहा- रोमा जाओ जाकर दूध ले लो ! मैंने कपड़े नहीं पहने हैं और तुम्हारे भैया दूध पी रहे हैं तो मैं नहीं जा सकती,
तुमने कपड़े पहने हैं तो तुम जाकर दूध ले लो !
तो मैं उठ कर दूध लेने चली गई। मैंने दूध वाले से दूध लिया और रसोई में आकर दूध को गर्म करने के लिए गैस पर रख दिया।
तो फिर भाभी ने भैया को अपने से अलग किया और कहा- बस करो, कुछ दूध मिनी के लिए भी रहने दो। सारा दूध तुम ही पी लोगे तो मैं मिनी को क्या पिलाऊँगी, मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ, तुम चाय पी लो।
मिनी उनकी बेटी का नाम है।
और भाभी चाय बनाने लगी, तब उनकी बेटी की रोने की आवाज आने लगी तो भाभी ने मुझसे कहा- रोमा तुम चाय बना दो, मैं मिनी को दूध पिला कर आती हूँ, उसे भूख लगी होगी।
भाभी चली गई और मैं चाय बनाने लगी। मैं चाय बना रही थी कि भैया मेरे पास आए और मुझे पीछे से ही अपने आप से चिपका लिया और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरी गर्दन को चूमने लगे। मुझे उनका लंड मेरे नितम्बों के बीच की दरार में महसूस हो रहा था जो कुछ हद तक खड़ा हो चुका था पर पूरा खड़ा नहीं हुआ था।
वो एहसास मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर मैंने भैया से कहा- छोड़ो मुझे, अभी चाय तो बना लेने दो !
मैंने उन्हें चाय बना कर दी और वो डायनिंग टेबल पर बैठ कर चाय पीने लगे, फिर मैं नाश्ते की लिए ब्रेड पर जैम लगाने लगी, तभी भैया ने अपनी चाय खत्म की और फिर से आकर मुझ से चिपक गए, कहने लगे- रोमा, तुमने यह गाउन क्यूँ पहना है? देखो मैंने और पलक ने कपड़े नहीं पहने हैं तो तुम भी उतार दो इसे ! हम तीनों घर में अकेले हैं।
और भैया ने मेरा गाउन उतार दिया। भैया ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे अपने सीने से लगा कर मेरे होंठों को चूमने लगे, मेरा हाथ उनकी पीठ से होता हुआ उनके नितम्बों पर आ गया और फिर मैं अपने हाथ को सामने लाकर उनके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।
भैया मेरे होटों को चूसे जा रहे थे और मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर मैं उनके होंठों को चूमते हुए उनकी छाती के निप्पल को चूमने लगी और धीरे धीरे नीचे आकर मैंने भैया के लंड को अपने मुँह में ले लिया।
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