RE: Chudai Kahani मैं उन्हें भइया बोलती हूँ
मुझे उसकी बांहों में आकर बहुत अच्छा लगा। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपने एक हाथ से पकड़ा और मेरे हाथ को अपने अंडरवीयर
पर रख कर लंड को मेरे हाथ से दबाने लगा।
मैं तो बेसुध सी हो गई थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। फिर उसने अंडरवीयर को नीचे करके अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर लंड को सहलाने लगा।
उसका गर्म लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर एक झनझनाहट सी महसूस हुई और उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें तेज हो गई और मैं पागल सी होने लगी। मैंने अब अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
फिर उसने मुझसे कहा- रोमा, मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
तब मुझे होश आया और मैंने अपने आपको उसकी बांहों से किसी तरह छुड़ाया और उससे कहा- अभी आप जाइये, आपको मीटिंग के लिए देर हो रही है। देखो 4 बज गए हैं।
उसने फिर मुझसे पूछा- रोमा मेरे साथ सेक्स करोगी क्या?
तो मैंने मन में सोचा कि घर जाने से पहले एक बार और सेक्स कर लेती हूँ तो मैंने अपना सर हाँ में हिला दिया और रूम से बाहर आई। फिर जब मैं भाभी के रूम में गई तो उधर भैया भाभी की चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था, भैया भाभी को चोद रहे थे।
भाभी ने मुझसे कहा- रोमा तुम मिनी को बाहर ले जाओ, हम अभी आते हैं।
मिनी भाभी की बेटी का नाम है मैंने अपनी पुरानी कहानी में बताया भी था शायद !
तो मैं मिनी को लेकर हॉल में आ गई और टीवी देखने लगी। कुछ ही देर में भैया-भाभी भी अपना चुदाई का प्रोग्राम ख़त्म करके हॉल में आ गये, फिर प्रदीप भी आया और उसने कहा- मैं मीटिंग के लिए जा रहा हूँ, आने में थोड़ी देर हो जायेगी।
उसने अपनी कार निकली और वो चला गया।
प्रदीप के जाने के बाद भैया ने मुझसे कहा- रोमा, तुम्हें प्रदीप को टाई देने में इतनी देर कैसे हो गई थी? क्या हुआ रूम में?
तो मैंने भैया से कहा- भैया, मुझे पता है कि आपने मुझे प्रदीप को टाई देने के लिए क्यूँ भेजा था, मैंने आपकी और प्रदीप की सारी बातें सुन ली थी कि आपने उसे क्या क्या कहा था।
तो भैया भाभी ने मुझसे पूछा- तो क्या हुआ रोमा, तुम आज यहीं रुक रही हो ना?
फिर तो मैंने हाँ कही और वो सारी बात बताई जो प्रदीप ने मेरे साथ रूम में की थी। फिर भैया भाभी को कहा- मैंने सोचा कि घर जाने से पहले प्रदीप के साथ एक बार सेक्स कर ही लेती हूँ क्यूँ कि उसने मुझे रूम में बहुत गर्म कर दिया था।
ऐसे ही बातों के बाद भैया मार्किट सब्जी लाने के लिए चले गये तो भाभी और मैं टीवी देखने लगी।
भैया मार्किट से सब्जी लाए तो भाभी और मैं रात के खाने कि तैयारी में लग गए।
रात के करीब 9 बजे प्रदीप आया, उसने मुझे देखा तो उसके चेहरे की खुशी साफ दिख रही थी।
भैया ने प्रदीप से कहा- जाओ प्रदीप, तुम जा कर फ्रेश हो आओ, खाना तैयार है ! खाने के बाद तुम बताना कि तुम्हारी मीटिंग कैसी रही। खाने के बाद भैया और प्रदीप फिर हॉल में चले गए और टीवी देखने लगे। इधर भाभी और मैं भी रूम में चले गये। रूम में जाकर भाभी ने मुझे एक नाइटी निकाल कर दी और कहा- लो रोमा, तुम इसे पहन लो !
तो मैंने अपने कपड़े उतारे और वो नाइटी पहन ली। भाभी ने भी एक नाइटी पहन ली और हम फिर बाहर हॉल में ही आकर बैठ गए।
11 बज चुके थे, कुछ देर बाद अब प्रदीप से सब्र नहीं हो रहा था तो उसने भैया के कान में कुछ कहा तो भैया ने…
भाभी से कहा- चलो पलक, अब हमें सोना चाहिए !
तो वो दोनों वहाँ से अपने कमरे में चले गये। मुझे थोड़ा डर लग रहा था तो मैं भी उठ कर किचन में जाकर पानी पीने लगी।
तभी प्रदीप भी वहाँ आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगा और कहने लगा- रोमा, अब तो तुम इस
नाइटी में पहले से भी ज्यादा सुन्दर लग रही हो।
तभी वहां भाभी आ गई तो उसने मुझे छोड़ दिया।
भाभी ने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और चली गई।
तो प्रदीप ने मुझे फिर से पकड़ लिया और कहने लगा- चलो ना रोमा, रूम में चलते हैं।
उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और रूम में लाकर मुझे बेड पर बैठा दिया, फिर उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया और उन्हें चूम लिया।
अब उसने मेरे हाथों को अपने कंधों पर रखा और मुझे मुझे अपनी तरफ खींच लिया तो मैं आसानी से उसके ऊपर जा गिरी।
प्रदीप ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखा और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें अब गर्म होने लगी थी और वो मेरे होंठों को चूसे जा रहा था। फिर उसने मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लिया और चूसने लगा, उसके हाथों की अंगुलियाँ मेरे बालों में उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लिया और बहुत ही सुन्दर ढंग से चूस रहा था।
उसके हाथ अब मेरी पीठ पर घूमते हुए कमर से होते हुए नीचे जाने लगे और फिर उसने अपने हाथ मेरी नाइटी के अंदर डाल दिए और नाइटी को उठाने लगे तो मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर नाइटी उतरने में उसकी मदद की।
उसने नाइटी उतर कर अलग कर दिया अब धीमे धीमे उसके हाथ मेरे वक्ष की गोलाइयों के नजदीक तक पहुँच गए, उसके हाथ मेरी ब्रा पर महसूस हो रहे थे। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा उसकी हरकतें मुझे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, अब मैंने भी अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी। इस बीच मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड खड़ा हो गया है जो उसके लोअर को फाड़कर बाहर आने को तैयार था। मैं उसके सख्त हो चुके लंड को लोअर के ऊपर से ही रगड़ रही थी। फिर मैंने उसके लोअर को पूरा नीचे सरका दिया तो उसने भी उसे अपने पैरों से निकाल कर अलग कर दिया। अब मैं अंडरवीयर के ऊपर से ही प्रदीप के लंड को पकड़ कर सहलाने लगी और वो मेरे होंठों को चूमने लगा।
कुछ ही देर बाद उसने मुझे बेड पर से उठा कर नीचे बिठा दिया और मेरे सामने आकर अपनी अंडरवेअर को भी उतार कर फेंक दिया और अपने लण्ड को मेरे लबों पर टिका दिया। वो बहुत गर्म था, उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
उसने कहा- रोमा, चूसो इसे !
तो मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करने लगा मानो मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।
कुछ देर बाद उसने मुझे वापस बेड पर बैठा दिया और अपने हाथों को मेरी पीठ पर लाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मेरे वक्ष की दोनों गोलाइयाँ उसके सामने बिल्कुल आजाद होकर झूलने लगी, वो मेरी चूचियाँ अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। मेरे चेहरे पर बेचैनी थी। उसने मेरे एक निप्पल को अपनी अंगुलियों में लेकर मसला तो मेरे मुँह से एक आह्ह की आवाज निकली।
फिर उसने झुककर मेरे दूसरे निप्पल को अपने मुख में ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, में सिसकारियाँ लेने लगी।
अब प्रदीप ने अपना एक हाथ निप्पल पर से हटा कर पेरे पेट से सरकते हुए पेन्टी के ऊपर रख दिया और मेरी चूत को पेन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
कुछ ही देर बाद उसने अपना मुँह भी मेरे निप्पल पर से हटा कर मेरी चूत की तरफ आकर एक ही झटके में मेरी पेन्टी को मेरी जाँघों से सरका कर अलग फेंक दिया और अपने हाथ की अंगुली को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और अंदर-बाहर करने लगा।
फिर मुझे बेड के किनारे लाकर खुद बेड के नीचे बैठ गया और अपना मुँह मेरी चूत पर रख कर जीभ से उसे चाटने लगा। मेरी बेसबरी अब बढ़ती जा रही थी तो मैंने उसके बालो को पकड़कर उसके सर को अपनी चूत पर दबाया। जैसे जैसे उसकी जीभ अपना काम कर रही थी, में और भी उत्तेजित होती जा रही थी, कुछ देर उसकी जीभ से मेरी चूत की चुदाई के बाद उसने मेरे दोनों पैरों को फैलाया, मेरी चूत उसके सामने थी तो उसने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और उसके अंदर डालने लगा।
उसका लंड काफी मोटा था जो आसानी से अंदर नहीं जा रहा था और मुझे बहुत दर्द हो रहा था। तो उसने वहाँ मेज पर रखी बॉडी लोशन की बोतल से थोड़ी क्रीम अपने लंड और मेरी चूत पर लगाई, फिर लंड को मेरी चूत पर रख कर लंड को अंदर डालने की कोशिश की तो लंड थोडा सा अंदर चला गया और मेरी चीख निकल गई।
वो थोड़ा रुका और फिर एक और जोर का झटका मारा तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में जा चुका था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं दर्द के मारे तड़प रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हो गया तो प्रदीप ने लंड को आगे पीछे करना शुरु किया और मुझे चोदने लगा। फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया, हम दोनों की चोदन-गति बढ़ती जा रही थी, मेरे पैर हवा में खुले हुए थे जिससे प्रदीप को लंड चूत के अंदर तक डालने में आसानी हो रही थी।
अब उसका लंड तेजी से चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, एक जबर्दस्त घर्षण उसके लंड से मेरी चूत की दीवारों पर उत्पन्न हो रहा था। हम दोनों आनन्द की एक दूसरी दुनिया में तैर रहे थे। मेरी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो लुब्रीकेंट का काम कर रहा था।
हम दोनों अपनी चरम सीमा के नजदीक पहुँच रहे थे, इस चुदाई से फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी, हमारे अंदर एक जबर्दस्त तूफान उबाल मार रहा था, हम दोनों के अंदर एक लावा भभक रहा था जो हमारी चुदाई के अन्तिम पलों में फ़ूट पड़ा, हम दोनों के शरीर शांत हो गए और थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे।
यह मस्ती का दौर रात में फिर दो बार और चला !
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