RE: बीबी का नौवा महीना - साली ने आग लगाई
जब जीभ थोड़ी तक जाती तो अपने नाक से उसके दाने को सहलाने लगता. रोमा कीसिसकारियाँ चालू थी, "चाट मेरी चूत, छूतिए! खा जा मेरी रसभरी चूत को!" थोड़ी देर बाद सुरेश ने अपना अगला कदम बढ़ते हुए उसे बाथटब मे लिटा दिया और खुद उसकी बर्दास्त से बाहर होते हुए अपने लंड को रोमा के मुहन के सामने लहरा दिया. बाकी का काम रोमा ने खुद अपने हाथ ले लिया. सुरेश का 10" का पीपे उसके हाथो मे तड़प रहा था. हाथो से आयेज पिकचे करते हुए उसके लंड के सुपारे को जीभ से चाटने लगी. सुरेश का पूरा शरीर कांप उठा. गरम जीभ का स्पर्श पाते ही बदन का लहू `वन-वे' हो गया लॉड की तरफ. रोमा अपनी जीभ से उस मोटे लूंबे लॉड की लंबाई नाप रही थी. जीभ से उसके अंगूर को च्छेद रही थी. अब सुरेश से रहा नही जराहा था. वो एकदम काँपति हुई आवाज़ मे बोला, ""वाउ, मज़ा आ रहा है. छातो मेरे लंड को.. किसीने ऐसे चटा नही मेरे लंड को पहले. मेरे लंड को जन्नत मिल गयी, आज. ले चूस मेरे लंड को. मेरे लंड को पूरा मूह मे ले करचूसो." रोमा ने अपने होतो का एक गोल सर्कल बनाया और उसके लंड के केवलसुपरे को ही अंदर लिया. पूरा लंड लेना उसके बस की बात नही थी. वा रुक रुक कर तोड़ा तोड़ा लंड को मुहन मे ले रही थी. सुरेश एक दूं से बेसबरा हो रहा था. वा एक झटके से लंड को पूरा मुहन मे डालने के लिए एक धक्का मार दिया. रोमा ने तड़फते हुए लंड मुहन से निकाल दिया और खाँसते हुए बोली, "जालिम, पहले अपने लंड को तो देख. साला पूरा गढ़े जैसा है. पूरा मेरे मुहन मे कैसे जाएगा. तोड़ा रहम कर." सुरेश बोला, "अच्च्छा मेमसाहिब, अब धक्का नही दूँगा. मैं तोढ़ा ज़्यादा ही जोश मे आ गया था. लेकिन अब इसे चूसो. तड़फाव मत मुझे." रोमा उसके लंड को छत रही थी उपर से फव्वारे से पानी गिर रहा था. सुरेश को जन्नत का मज़ा मिल रहा था. तभी सुरेश को महसूस हुवा की अगर लंड को रोमा के मुहन से नही निकाला तो फव्वारे की तरह उसका लंड भी पानी फेंकने लगेगा. उसने रोमा को बाथटब मे लेटाकार उस पर छा गया और उसके मम्मे अपने हाथों से पकड़ एक को मुहन मे लेकर आम की तरह चूसने लगा. रोमा के मुहन से सिसकारी निकल गयी. सुरेश बगैर दंटो से नुकसान पहुँचाए उसके एक-एक करके दोनो उरजो को बरी-बरी से मुहन मे लेकर चूस रहा था. साथ मे बोलता भी जा रहाथा, "मेमसाहेब, तुम्हारे स्तन्नो का जवाब नहिन.....तुम्हरे बूब्स कितनेमलाई जिट्नी चिकान्य है....ऽउर तुम्हारे गुलाबी निपल्स... उफ्फ....इनेह तो मैं खा जाऊँगा." रोमा सिसकारी लेते हुए बोली, ""ही! और ज़ोर से मेरी चुची मसालो, इनको खूब दब्ाओ, दबा दबके इनका सारा रूस पी जाऊ. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. मेरे पूरे बदन मे नशा च्छा रहा है. ही मुझको इतनामज़ा कभी नही मिला. और दब्ाओ मेरी चुची को." सुरेश उसके मम्मे चुसते हुए अपने एक हाथ को उसके मुममे से सरकते हुए उसकी छूट के उपर हाथ से मालिश करने लगा. रोमा का जोश दुगुना हो गया. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी. जिनको सुनकर सुरेश का भी जोश बढ़ गया. उसका मुहन और दोनो हाथ की स्पीड डबल हो गयी. अपनी जीभ से उसकी कड़क हुई निपल्स को चूसने के साथ उसकी छूट और झांतों पर अपनी रग़ाद बढ़ा डी. आआह्ह्ह्ह......प्लेअसे आहिस्ता करो. रागडो मेरी चूत को.. आराम से करो.. मज़ा आ रहा है तुम ने क्या कर दिया है.. आज ऐसा पहली बार फील कर रही हून औरबहुत अछा लग रहा है.. हन ऐसे.. आराम से.. मगर रुकना मत.. करते रहो.. ऑश." लोहे को गरम होते देख सुरेश ने अब अपना हात्ोड़ा मारना ही अच्च्छा समझा. उसने रोमा को दीवाल के सहारे खड़ा कर उसके पीच्चे से अपने दोनो हाथो से उसके चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया. अफ... क्या गुदाज़किस्म के उसके चुतताड थे. ढूढ़ मे सिंदूरी कलर डाले हुए रंग के चूतड़. वो अपनी किस्मत पर यकीन ही नही कर पा रहा था. वाकई मेऐसी चूत और चूतड़ किस्मत वाले को ही मिलते है. उसने अपनी जीभ निकल कर उसके चूतड़ को चाटना चालू कर दिया. रोमा के मादक बदन मे एक सिहरन दौड़ गयी. उसका बदन का एक-एक रोया शिहर उठा. पूरे बदन मे बिजली कड़क रही थी. चूतड़ को छत-ते छत-ते अपनी जीभ को उसकी पीछे से उभर कर बाहर आई हुई चूत पर लगा दिया. जीभ चूत पर लगते ही रोमा के मुहन से "ओफ्फ्फ...ओफ्फ्फ" की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. अपनी जीभ को सुरेश ने धीरे धीरे आयेज बढ़ते हुए चूत की चुदाई अपनी जीभ से चालू कर डी. चोदना-चाटना, चोदना-चाटना, चोदना-चाटना यही कर रहा था अपनी जीभ से उसकी चूत को. "ऊवू माआ.. ओह आहाा.. यह क्या कर रहे हो, बहुत मज़ा आ रहा है और छातो, चूस डालो... पानी निकल दो इसका.... बहुत प्यासी है मेरी चूत," रोमा की लहराती हुई आवाज़ बाथरूम मे गूँज रही थी. मेरी प्यास बुझा दो, मुझे ठंडा करदो.. मेरा जिस्म बहुत जल रहा है.. कुच्छ कुच्छ हो रहा है मान मे, प्ल्ज़्ज़ मेरी आग बुझा दो मेरी.. प्ल्ज़्ज़." सुरेश ने उसकी रसीली चूत की छूसा कर उसे वैसे ही खड़ा रहने दिया और अपने सख़्त लंड को उसके चूतड़ पर दबाना शुरू कर दिया. लंड को एकदम नज़दीक देख उसकी चूत का पानी बहना चालू हो गया. चूत एकदम से जुवैसी हो गयी. अपने हाथ को पीछे ले कर सुरेश को अपने बदन से चिपका लिया. उसकी चूत की भूख अब बढ़ती ही जेया रही थी. अब उससे सहन नही हो पा रहा था. वो भड़क कर बोली, "उफ़फ्फ़... देख क्या रहे हो... चालू करो.... लगाओ अपने लंड कोनिशाने पर और मरो धक्का." सुरेश ने अपने लंड को उसकी चूत के निशाने पर ला तोड़ा सा धक्का दिया. आधा सुपरा लंड का चूत मे जेया कर फँस गया. दूसरा धक्का मारा तो उसके लंड का पूरा सुपरा उसकी चूत मे जेया कर धँस गया. तीसरा धक्का मारा तो आधा लंड उसकी गुफा मे गायब हो गया. साथ ही रोमा की आनंद भारी चीख भी निकल गयी. "है.... क्या लंड हैतुम्हारा.... एक दूं से तगड़ा.... अफ ..... वाकई मे ही... जैसे कोई गरम गरम हात्ोड़ा जाकर मेरी चूत मे फँस गया हो." अब सुरेश ने अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए. खड़े होने की वजह से पूरा लंड तो अंदर नही जा रहा था लेकिन जितना भी जा रहा था वा रोमा की चूत मे खलबली ज़रूर मचा रहा था. थोड़ी देर इस तरह डक्के मरने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और रोमा को बाथरूम के फर्श पर लेता कर अपने लंड को उसके मुहन मे डाल दिया. रोमा ने गॅप से उसको मुहन मे ले लिया. थोड़ी देर चूसने के बाद बाहर निकाल उसके लंड को हाथ से पकड़ सुरेश को कहा, "प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत मैं डाल दो. मुझे और मत तड़पाव ज़ालिम. मुझे चोदो, मैं तुम्हारे लंड की दीवानी बन गयी हून. अपने लंड से मेरी चूत की प्यास भुझाओ." सुरेश ने उसकी जाँघो को चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया. फिर कस कर एक धक्का मारा. लंड उसकी रस से भारी हुई उसकी चूत की अंदर वाली दीवार से सीधा जा टकराया. रोमा तो एक बार पूरी तरह कांप गयी. लंड को बाहर निकाल वापस धक्का मारा तो उसकीसिसकारी निकलनी चालू हो गयी. "अफ... आह..." सुरेश अपनी फुल स्पीड से उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था. रोमा बड़बड़ा रही थी, "ऑश... क्या चोद रहे हो तुम.... वाकई मे मेरी चूत धान्या हो रही है... तुम्हारी चुदाई से.... उफ़फ्फ़.... मेरी चूत को आज चोद-चोद कर खूब रगड़ाई करो.... ह.... चोदो.... चोदो.... और चोदो.... चोदते ही जाओ." "हन रानी.... खूब छोड़ूँगा तुझे आज...तुम्हरि जी भर की कसर निकालूँगा आज मे....लो संभलो मेरे लंड को.....उफ्फ्फ....तुम्हरि चूत..... क्या नाज़ुक है....तुम्हरे संतरों का भी जवाब नहि....उफ्फ क्या चुचिया है तुम्हरि...ऽअज तुझे ऐसा चोदुन्गा मैं की जिंदगी भर याद रखोगी." धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी. दोनो मदहोश हुए चुदाई मे लगे हुए थे. घचा-घच....फच-फॅक. दोनो आँखो से एक-दूसरे को देखते हुए एक दूसरे मे ज़्यादा से ज़्यादा सामने की कोशिश मे लगे हुए थे. लंड अंदर जाता फिर बाहर आकर दुगने जोश से वापस अंदर चला जाता. चूत उसका तोड़ा उपर उठके स्वागत करती फिर गुप से उसको अपने अंदर समा लेती. रोमा की चीखें बढ़ती गयी, "राजा चोदो मुझे. और तेज.. और ज़ोर्से... चोदो. उउफ़फ्फ़, ऑश, आहह, उउई मया, मार गयी मैं आज. फार दो मेरी चूत को.... और ज़ोर से चोदो मुझे..ऽप्ने लंड से फाड़ दो मेरी चूत को... मुजको अपना बनलो.... चोदो मुझको... ज़ोर से छोड़ो... प्लेअसे.....इस्को अंदर तक चोदते रहो....ऊईए...उफ्फ... कितना मोटा लंड है, ऐसा लगता है की गधे का लंड हो...ंउझे ऐसा लगा रहा है की मैं पहली बार चूदि हुन....तुम बहुत मज़े का चोद्ते हो." सुरेश अपने लंड को तोड़ा निकाल उसकी जाँघो को और फैला कर उसकी चूत की चुदाई चालू कर डी. अंदर तक जेया रहे लंड से अब उसकी चूत पिघलने को त्यार हो गयी. रोमा ने अपनी टॅंगो से उसकी टॅंगो को एकद्ूम से जाकड़ लिया और बड़बड़ाई, एस्स... मेरे राजा... चोदो मुझे....उफ्फ्फ...ऽउर...ऽउर....ऽह्ह्ह...ंएर पानि...्ऐईइ..ंएर पानी निकालने वाला है....रज.... चोद...ंएर पानी निक्ल....्आन...ंइक्ल....्आन....ंइकल गया." सुरेश के साथ एक-दूं से छिपात कर अपनी चूत के पानी से उसके लंड को सींच ही रही थी की लंड ने भी अपना फव्वारा छ्चोड़ दिया. चूत और लंड का मिलन अपने चरम पर पाहूंछ गया. दोनो एक दूसरे की बाहों मे खोते हुए निढाल हो कर फर्श पर ही लेट गये. थोड़ी देरबाद सुरेश उठा और अपनी नज़रे रोमा की आँखों मे गाड़ते हुए बोला, "मेमसाहिब ये चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी." रोमा ने भी कहा,"और नही चोदोगे मुझे." "नही मेमसाहिब, अब दूकान पर जाना होगा. नही तो सेठ को बोलना भारी पड़ेगा मुझे." इच्च्छा नही होते हुए भी सुरेश को विदा करने रोमा उठ खड़ी हुई. सुरेश खड़ा होकर अपने कपड़े पहने और रोमा को चूमता हुवा बाथरूम से बाहर निकल गया. मैं-डोर पर फिर बगैर कपड़ों मे खड़ी रोमा को अपनी बाहों मे समेत-ते हुए उसके होठों को चूमा, चुचियो को सहलाया, चूत को मसला. रोमा भी उसकी बाहों से अपने एक हाथ को फ्री कर पंत के उपर से ही उसके लंड को मसालने लगी. लंड झत्ट से खड़ा हो गया. खड़े हुए लंड ने रोमा के हाथों मे फुर्ती ला दी. और ज़ोर से मसालने लगी और बोली, "देखो इसे. इसको अभी नही जाना है." फिर नीचे बैठ कर उसके लंड को पंत की चैन खोल कर बाहर निकाल ली और चूसने लग गयी. लंड मुहन मे जाते ही उच्छल कूद मचाने लगा. अपनी पंत को नीचे खिसका कर रोमा को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी नाज़ुक चूत मे पेल दिया. रोमा की जान मे जान आई. उसकी चूत लंड खाने को ही उतावली थी और उसे लंड मिल गया. "ही, मेरे चोदु राजा, मे कब से अपनी चूत मे तुम्हारे लंड के धक्के खाने के लिए तड़प रही हूँ, और तुम दुकान का बहाना बना रहेथे. अगर एक बार ही हमे चुदाना होता तो मे क्यों तेरे घोड़े के लंड जैसे लंड से अपनी चूत फड़वति. अब ज़ोर ज़ोर से चोद मुझे." सुरेश ने अपने लंड से उसकी चूत की कस कस कर चुदाई चालू रखी. थोड़ी देर मे ही रोमा का पानी निकलना चालू हो गया. लेकिन सुरेश का लंड नही झाड़ा. तो रोमा ने उसके लंड को चूत से निकाल कर अपने मुहन मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी छूसा के बाद जब सुरेश बड़बड़ाने लगा, "आहह... चूसो मेरे लंड को.... आहह... और ज़ोर से ... अफ ... मेरे लंड का पानी निकालने वाला है.... चूसो... चूवसूओ....." तभी रोमा ने उसके लंड को मुहन से बाहर निकाल अपने हाथ से उसके लंड को पेलने लग गयी. सुरेश ने गहरी साँस लेते हुए अपना पानीरोमा के चेहरे और मुममे पर डालना शुरू कर दिया. जब पानी पूरी तरह से झाड़ गया तो एक दूसरे को चूमते हुए एक-दो मिनिट तक दोनो आपस मे लिपटे हुए खड़े रहे. फिर सुरेश कपड़े पहन कर चला गया. रोमा अब बहुत खुश थी. उसकी चूत की फिसर्ट क्लास चुदाई हुई थी. कपड़े पहन रूम मे सोने चली गयी. आँख खूली तो शाम हो चुकी थी. थोड़ी देर बाद घंटी बाजी. गाते खोला तो सामने लीना खड़ी थी. "आज हॉस्पिटल मे डॉक्टर ने किसिके भी रुकने से माना कर दिया है," लीना ने घुसते हुए कहा. "क्यों. जीजू भी नही जाएँगे वहाँ." "नही. जीजू वहाँ जाकर थोड़े लाते आएँगे. लेकिन तुम्हारे चेहरे पर सुस्ती क्यो च्छाई हुई है," लीना ने पूचछा. "नही ऐसी कोई बात नही है. ज़रा नींद लग गैट ही. अभी अभी उठी हून," रोमा ने जवाब दिया. फिर दोनो एक साथ नास्टा कर क ईक ही बेड पर लेट गये. बातों बातों मे ही रोमा ने सुबह वाला किस्सा प्लमबर का सुना दिया. लीना एक अर्थ- पूर्णा मुस्कराहट से रोमा को देखने लगी.
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