RE: Sex Hindi Kahani राबिया का बेहेनचोद भाई
राबिया का बेहेनचोद भाई--12
. जब तक हम निकलते तब तक बारिश की तेज बौचारों ने हमे पूरा भिगो दिया...किसी तरह कार में आकर बैठे और चल दिए.....बारिश ने मुझे और भाई दोनो को पूरी तरह भिगो दिया था....कपडे हमारे बदन से चिपक गये थे.....मेरा टॉप मेरे सीने से चिपक चूंचीयों को और ज़्यादा उभार रही थी.....भाई बार बार कनखियो से मेरी उभरी कबूतरियों को देख रहा था....मुझे से नज़र मिली तो मुस्कुरा दिया....मैं भी मुस्कुरा दी....धीरे हाथ आगे बढ़ा उसकी जाँघ पर चिकोटिकाट लिया....भाई चौंक गया....उ....क्या करती है....मैने ज़ुबान निकाल कर दिखा दी....भाई ने मुझे आँख मार दी.....मैने फिर से ज़ुबान दिखा कहा.....गंदे....भाई ने अपना एक हाथ मेरी रानों पर रख दिया....मैं कुछ नही बोली...
घर पहुँच मैं बेडरूम घुस गई....भाई अपने कमरे में चला गया....कुछ देर सोचने के बाद...कपड़ों में से खोज कर मैने एक सफेद फ्रॉक जिस पर सुर्ख लाल छापे वाले फ्लवर्स बने थे निकाला......अभी तक फटी नही थी.....नई जैसी लगती थी....जब तक 14-15 की थी तब तलक़ पहना....फिर टाइट हो गई...चूंची बहुत अच्छी उभर कर आती.....छोटी भी हो गई.....घुटनो के उपर तक आती.....थोड़ा सा इधर उधर होते...रान दिखने लगती...नींबू जब नारंगी बन गये तो अम्मी ने पहन ने से मना कर दिया....वैसे भी कुतिया को मेरी हर ख़ुशी से जलन होती थी.....बैग में छुपा कर यहाँ ले आई... आज इसका सही इस्तेमाल होने के आसार थे....फ्रॉक ले कर मैं बात रूम में घुस गई..... आज मैने उसके लंड में आग लगा देना चाहती थी.....अपनी जवानी दिखा...तरसाने में मज़ा आ रहा था...
मैने फ्रॉक पहन लिया....मर गई रब्बा....कितना टाइट है.....लगता है जैसे दम घूट जाएगा.....खैर किसी तरह से पहन लिया.... आईने में जब अपने आप को देखा .....तो... क्या जबरदस्त टाइट फिटिंग आई थी.....जवानी ऐसे छलक कर उभरी थी की.....चूंचीयाँ उभर कर सामने की तरफ अपनी चोंच निकाल..... जैसे किसी ने फ्रॉक के अंदर ज़बरदस्ती दो सेब ठूंस दिए हो....गीला बदन होने से फ्रॉक चिपक कर बदन के सारे उतार चढ़ाव बयान कर रही थी.....छोटे किस्मीस के आकर के निपल्स ऐक दम तन कर खड़े हो उभर आए थे.....कपड़ों के रगड़ का असर था......अंदर ब्रा नही पहना था....लाल छापे वाली चड्डी पहन ली...फ्रॉक कमर के पास चिपक गाँड को और उभार रही थी......जब बाहर निकली तो देखा भाई ड्रॉयिंग रूम में हाथ में कपडे लिए मेरे बाथरूम से निकालने का वेट कर रहा था...
मैं उसके सामने मटकती हुई गुज़री तो वो.....देखता ही रह गया.....गीले बॉल...गीला बदन....उसपर चिपकी हुई फ्रॉक......उसके घूरने के लिए बहुत मसाला था.....सबसे खास बात ये थी की.....गौर से देखे तो चूंचीयों के निपल आराम से दिखते.....इठलाते हुए उसके सामने से होकर बेडरूम में गई.....बालो को सूखा कर पोनीटेल बना लिया.....स्कूल की नादान कमसिन लौंडिया लग रही थी.....चड्डी की अनचुदी सहेली को दिलासा दिया की आज पक्का लंड ले लूँगी.....आज उसको तरसाना था....इतना तरसना था की खुद ही हाथ में लंड लेकर खड़ा हो जाए की.....अब रहा नही जा रहा.....उसका डर दूर करना था.....मैं उसके पास जा कर खड़ी हो गई.....भाई क्या बनाऊं....उसकी नज़र मेरे गीले फ्रॉक में कसे चूंचीयों पर अटक गई..... लाल छापे वाला फूल मेरी राईट चूंची को आधा ढके हुए था....और लेफ्ट चूंची लाल फूल से पूरी तरह से धक गई थी....राईट चूंची का निपल सफेद फ्रॉक से नज़र आ रहा था.....
चूंची घूरने में इतना मस्त था की मेरे सवाल से चौंक गया....आ हा...क्या बोला....क्या बनाऊं भाई.....ओह...मेरा हाथ अपने हाथ में ले मुस्कुराते हुए बोला....क्या बनाएगी....कुछ स्पेशल....जो तेरे दिल में आए और जो जल्दी बन जाए....बारिश नही होती तो बाहर ही खाते...चल मैं भी मदद करता.....अरे नही तुम रहने दो....बोल कर मैं किचन में चली गई....वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया....मैं जानती थी चूंची देखने को मिल रही है.....अभी आस पास ही रहेगा.....लंड को ताव लगा रहा होगा.... मैने शोख अदा के साथ उसके हाथ पर धक्का दिया..... हाए !!! भाई जाओ ना....नहा लो....अभी दिल नही कर रहा.... साले के दिल में तो मेरी चूची ओर गाँड घुसी है.....ज़रा इसको अपनी गाँड दिखती हू....हाथ में पकड़ा चाकू गिरा दिया....फिर नीचे झुक....गाँड उचका...चाकू उठाया....
भाई थोड़ा पीछे खिसक गया.....मेरा तीर निशाने पर लगा था.....पीछे खिसक फ्रॉक में कसी मेरी गाँड देख लंड पर हाथ फेर रहा था....नीचे झुकने की वजह से मेरे मस्त रान उपर तक नुमाया हो गये....बस चड्डी नही दिखी.....मैने उसकी बेकरारी को और बढ़ने के लिए अपना हाथ पीछे ले जा कर....अदा के साथ हल्के से अपनी गाँड पर हाथ फेरा और .....सीधी खड़ी हो गई....कनखियों से देखा तो भाई अपना चेहरा लाल किए....मेरी गाँड को भूखी आँखो से देख रहा था....भोसड़ीवाला ज़रूर सोच रहा होगा काश गाँड पर हाथ फेरता.....मैं अचानक पीछे घूम बोली... हाए !!! भाई क्या है...जाओ ना....खाना थोड़ी देर में बन ....हा हा जाता हूँ....मैं तो ऐसे ही....ऐसे ही क्या भाई....तो मेरी बगल में आ कर खड़ा हो गया....और हल्के से मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैं एक हाथ से बर्तन पकडे दूसरे हाथ से कलछी चला रहा थी..
मैं कुछ नही बोली....वो हल्के हाथ से कमर सहलाने लगा.....मैं इतराती हुई उसका हाथ हटाती बोली....उउउ क्या है....खाना बनाने दो....कितनी गर्मी है....इसलिए तो बोल रही हू....जाओ नहा लो.... क्या मदद करनी है....कोई मदद नही करनी....जाओ....पर गया नही....उसने फिर मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....उईईइ....क्या है ठीक से खड़े नही रह सकते....ठीक से ही तो खड़ा हू....उः हू....गुदगुदी होती है.....छोड़ो ना....काम करने दो....मैने कहा पकड़ा है....मैं उसका हाथ कमर से झटकती बोली....ये क्या है....ओह ख्याल ही नही रहा....अरे वा....कमाल है....ख्याल ही नही रहा....उल्टी सीधी जगह घूमने जाओगे तो ऐसा ही होगा और ऐसी ही हरकते करोगे......भाई शर्मा कर हँसने लगा....बात बदलते बोला...कितनी गर्मी है....किचन में.....हा कमर में हाथ डाल... गर्मी भगा रहे थे....ओह....चल छोड़....वो बनियान पहने था....उसके सीने पर पानी की बूँद चमक रही थी....
मैने अपना हाथ से उसकी छाती को टच करते हुए कहा.......देखो कितना पसीना आ रहा है....जाओ ना नहा लो.....अरे ये तो पानी है....पसीना तो तुझे आ रहा....देख....उसने मेरे गर्दन पर आए पसीने को दिखाया....पसीना मेरे गर्दन से लुढ़क कर मेरी झीनी फ्रॉक के अंदर घुसता जा रहा था.....बिना ब्रा की फ्रॉक.......मेरी चूंची की गोलाइयों और गुलाबी निपल्स को पुरकशिश तरीके से नुमाया कर रही थी....मेरे निपल खड़े हो कर फ्रॉक को नोकदार बना रहे थे.....भाई मेरे इतने पास खड़ा था की लग रहा था अब अपनी छाती मेरे सीने से सटा देगा....होंठों पर शरारती मुस्कान ला कहा.....आपके बदन से पसीने की बदबू आ रही है....भाई झेप गया.....हट... कहा बू आ रही है.....आ रही है...सूंघ कर देखो....भाई ने अपनी कांख पास नाक ला कर सूँघा....उतनी तो नही आ रही......मुझे लग रहा है तेरे बदन से बू आ रही....हट बेशरम...
मैं हल्के से कलछी से मरते हुए कहा......मुझ से बू नही आती....आप अम्मी की दांत खाते थे....अच्छा देख मैं सूंघ कर बताता हू....कहते हुए वो मेरे गर्दन के पास आ कर सूंघने लगे.....मैने भी अपना हाथ उठा दिया....लो सूँघो....मेरी कांख पानी से पहले से ही गीली थी...वो मेरी पानी से भीगी कांख से नाक सटा ....गहरी साँस अंदर लेते हुए खूब ज़ोर से सूंघ....वा....क्या बात है रबिया तेरे बदन से तो खुश बु.....इतर लगाया होगा .....मैं क्यों कर पर्फ्यूम लगाने लगी....तो क्या तेरा बदन ऐसे ही खुशबुदार है.....मैं शोक अदा होंठ बिचकाती बोली....और क्या....भाई हँसते हुए बोला.....एक दफ़ा और सूँघू तेरा महकता बदन.....मैने कलछी से उसको मारा...हट....बेशरम ....वो हँसने लगा.....पर एक बात बोलू....क्या....होत गुलाबी कर मुस्कुराते हुए कहा....एक दम गुड़िया लग रही है....धत !....परी लग रही है..
समंदर के किनारे घूमने के बाद से उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी....क्या भाई आप.....अर्रे नही सच कह रहा हू......स्कूल जब जाती थी....वैसी बच्ची दिख रही है इस फ्रॉक में.....बस एक फ़र्क आ गया है....मेरी चूंचीयों को घूरते बोला.....क्या फ़र्क भाई....चूंची उभार मैने पुछा ....रहने दे...बताओ ना भाई....क्या मैं पहले जैसी नही.....अर्रे नही नही....तू तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई....तो फिर क्या फ़र्क़....भाई मेरी कान के पास मुँह ला कर सरगोशी करते बोला.....बस तेरा सीने कुछ बड़ा....धत !...कहते हुए मैने उसको धकेला....गंदे...बेशरम ..आप कल रात से....कुच्छा ज्यादा ही....बहक गये है....भाई हँसने लगा.....सच रबिया तू इतनी खूबसूरत है....मैने शरमाने का नाटक किया....जाइए भाई आप भी ना ....
गाल गुलाबी करते होंठों पर मुस्कान लाते मैने कहा.....भाई ने मुझे शरमाते देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ी....धीरे से आगे बढ़....मेरे गालो को चूम लिया...उईईइ...अम्मी.....मैं थोड़ा पीछे हटी.....भाई घुसताख़ी से मुस्कुराता रहा.......मैने मुँह फुलाते हुए कहा.....आप बहुत बेशरम हो गये है....जाइए मैं बात नही करती....फिर अपने गालो को पोच्छने का नाटक किया....भाई थोड़ा सरक फिर से मेरी कमर में हाथ डाल....ओह हो...मेरी गुड़िया रानी नाराज़ हो गई....कहते मेरी कमर को हल्के से दबाया... हाए !!!...समंदर किनारे भियाप ने मेरा सी...ना.....भाई कान के पास होंठ को ला सरगोशी करते बोला....अच्छा नही लगा क्या.... गर्दन नीचे कर हल्के से मुस्कुरा दिया....सरगोशी करते बोली....पर मैं आपकी बहन .....फिर भी अच्छा नही लगा क्या.....बता ना....कहते हुए उसने मेरी कमर को दबाया...
मैने एक पल उसको देखा फिर गर्दन नीचे झुका लिया.....भाई कुछ लम्हे तक वैसे ही मेरी कमर सहलाता रहा फिर बोला .....चेंज कर लेता हू......फिर रुक गया और बोला.....एक बात बोलू....अब क्या है....कान के पास मूह ला कर बोला....एक किस दे ना.....मैं झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसको कलछी से फिर मारा....भागते हो.....बेशरम.....भाई हँसने लगा...मैं भी उसके साथ हँसने लगी और उसको धकेलने लगी....वो हँसते हुए किचन से निकल....जल्दी से गुसलखाने में घुस गया......मेरे ताजे उतरे गये पैंटी और ब्रा उसका इंतेज़ार कर रहे थे.....मैने भी मटन पकने के लिए छोड़ दिया....और ड्रॉयिंग रूम में आ कर टीवी खोल....बाथरूम के पास चली गई....दरार पर आँख लगाया तो देखा वो तो इतनी देर में पूरा नंगा हो.....नीचे बैठा मेरी ब्रा को अपनी आँखो पर लपेटे हुए....मेरी पैंटी को चूस रहा था.....दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था...
उफफफ्फ़ .....किसी गदहे के लंड की तरह दिख रहा था.....मैने पहले कभी गदहे का लंड नही देख था....मगर हर कहानी में पढ़ती थी की उसका लंड सबसे बड़ा होता है.....इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला.....मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.....धीरे से फ्रॉक को उठा....पैंटी की साइड से उंगली अपनी चूत से सता...अपनी कुस्स के पीसते को मसलना शुरू कर दिया....दाँत पीसते अपने अनार दाने को मसलते....चूत के होंठों को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी.....दिल कर रहा था काश भाई मेरी पैंटी की जगह.....मेरे पीसते को अपने दांतो से पीस कर चबा कर खाता.....अपने गदहे जैसे लंड की मूठ मारते हुए भाई किसी गदहे की तरह से रएंक रहा था....लंड मसलते हुए वो बहुत जोश में आ चुका था.....और अपने हाथो को तेज़ी से चला रहा था......
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