RE: Sex Hindi Kahani राबिया का बेहेनचोद भाई
राबिया का बेहेनचोद भाई--13
. हाए !!! क्या बताऊँ .... हाए !!! कैसे अपने ख़ालजाद भाई के साथ मौज मस्ती कर रही......धत !.....वो अब उसका शौहर है.....ठीक है वही सही....ज़रा मुझे भी.....मैं शोख अदा के साथ गोद में मचलती बोली....धत ! बदमाश.....कुछ नही बताया.....कुछ ना कुछ तो बताया होगा.....तभी तू शर्मा रही....उफफो.....भाई क्या है...साची एकदम बेशरम हो गये हो.....निकाह के बाद वो कुछ भी करे हमे क्या.....हा वो तो है.....खूब तलवे चटवा रही होगी......धत !... हाए !!! सीने भी दबा रहा होगा खूब.......इसस्सस्स बेशरम.....खूब चुम्मिया लेता होगा....दिन-रात...उफफो भाई आप बहुत बेशरम हो....मैं मछली....भाई गाँड में लंड चुभाता ठंडी साँस लेता बोला... हाए !!! क्या मज़े कर रही होगी......निकाह के बाद सभी करते है......तेरा भी निकाह हो....फिर तू भी....धत !...कहते मैने उसकी जाँघ पर मुक्का मारा.....भाई की गोद में बैठे मैं टीवी देख रही थी.....भाई कान में सरोगीशयन करते गरम बाते करता जा रहा था.....चूत सनसनने लगी थी.....निपल खड़े हो चुके थे.....भाई पेट को सहलाता...बहाने से चूची छू रहा था.....दूसरा हाथ मेरी रान पर फिरा रहा था.....मैं अंजान बनी नखड़ा करते हुए मज़ा लूट रही थी......
तभी भड़ाक भड़ाक की आवाज़े आनी शुरू हो गई....जैसे ज़ोर ज़ोर से कोई दरवाजा पीट रहा हो.....शोर-शराबे की भी आवाज़े आने लगी....मैं जल्दी से उठ कर खड़ी हो गई....मेरा कलेजा दहल उठा.... ये क्या भाई जल्दी से उठा....मैं देखता हू कहता बाहर की तरफ गया.....मैं भी उसके पीछे गई.....हमारे वाले फ्लोर पर चार फ्लॅट थे....सब अपने-अपने फ्लॅट से दरवाजा खोल बाहर निकले थे....दो पोलीस वाले भी खड़े थे.....मैने थोड़ा सा झाँक कर देखा......पता नही क्या चक्कर था....चारो फ्लॅट के दरवाजे खुले थे लोग बाहर खड़े थे.....पोलीस वाले हमारे बगल वाले फ्लॅट के दरवाजे को ज़ोर ज़ोर से पीट रहे थे......
दरवाजा खुला तो एक पोलीस वाला अंदर घुस गया......दूसरा पोलीस वाला बाहर ही खड़ा रहा रहा.....तभी उसकी नज़र दरवाजे से झँकते मेरे चेहरे पर पड़ी .....कुछ लम्हो तक वो मुझे देखता रहा....तभी बगल वाले फ्लॅट से दो लड़के और एक लड़की को बाहर निकालते हुए पोलिसवला आया......वो लड़कों और लड़की दोनो को भद्दी भद्दी गलियाँ दे रहा था......भाई को शायद पता था की मैं दरवाजे से झाँक रही हू इसलिए उसने पीछे मु ड़ कर.....जल्दी से दरवाजे को खींच दिया.....मैं दरवाजे से सट कर खड़ी हो गई.....बाहर की बाते सुन ने लगी.....तभी एक करकड़ार आवाज़ आई.....हरामखोरों.....शकल से शरीफ खानदान के लगते हो.....और घस्ती लाते हो.....जवानी की गर्मी चढ़ि है......रात भर हवालात में सड़ाउंगा तो.....लड़कों की आवज़ आई जो गिड़गिड़ाते हुए छोड़ देने के लिए कह रहे थे.....पोलीस वाले उनको और ज़यादा गालियाँ दे रहे थे.... तभी दूसरे पोलिसेवाले की आवाज़ आई.....जनाब ये बहुत हरामी छ्होकरे है....दोनो एक साथ लड़की पर चढ़े थे.....
रब्बा दो दो लड़के एक लड़की पर मैं सिहर उठी.....तभी पोलीस वाला बोला......सालो की गाँड में मिर्च लगा कर रात भर इनकी दुकान को बाजाऊँगा तो.....फिर आवाज़ आई......हा भाई तू कौन है.....वो जो लड़की तेरे फ्लॅट में है वो कौन थी......लगता था पोलीस वाला मेरे भाई से पूछ ताछ करने लगा था.....भाई की आवाज़ आई वो बताने लगा कौन है.....मगर पोलीस वाला सवाल पर सवाल दागे जा रहा था......तभी बगल की फ्लॅट में रहने वाले ज़फ़र साहिब जो अपने फ्लॅट से निकल कर खड़े थे बोले......कमाल करते है मियाँ......एक शरीफ लड़के से इस तरह सवाल जवाब करते है क्या......बेचारा सब कुछ तो बता रहा है आपको......मैं जनता हू इनको....अपनी बेहन के साथ रह कर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते है बच्चे......इनके वालीदईन को भी जानता हू....पर आप तो मासूम के पीछे पर गये है......पोलीस वाले के आवाज़ आई.....अच्छा तो वो लड़की जो अंदर से झाँक रही थी इसकी बेहन थी......और क्या मियाँ.....मैं कहे देता हू बात उपर तक जाएगी.... हाए !!! रब्बा मैं शर्म से सिहर गई....कमीना पोलीस वाला मुझे घस्ती समझ रहा था......हरमज़ड़े की बेटी रंडी होगी.....कुत्ता सला....घर में बेहन बेटियां नही हरामी की.....सब को एक नज़र से देखता है......तभी ज़फ़र साहिब की आवाज़ आई.....ऐसे शरीफों को तंग करना छोड़ दे.....बेटे तू अंदर जा.....भाई चुप चाप अंदर आ गया.....मुझे दरवाजे के पास खड़ा देख बोला....क्या सुन रही है जा....बहुत रात हो चुकी है....सोने जा.....और दरवाजा बंद कर.....खुद वहा पर खड़ा हो गया.....मेरा मूड ख़राब हो चुका था.....बात आगे बढ़ते बढ़ते रह गई थी.....अपने कमरे में घुस कर सोने चली गई.....
सुबह उठ कर हम दोनो जल्दी जल्दी तैयार होकर यूनिवर्सिटी चले गये.....कॉलेज में ही फोन आया की शबनम वापस आ चुकी है.....शाम में उसने दोनो भाई-बेहन को खाने पर बुलाया था....कॉलेज से ही हम सीधा शबनम के घर चले गये.....वो बहुत खुश हुई....उसका शौहर भी उसके साथ था.....चाई पीने के बाद वो बोली चल कमरे में चलते है.....वही बात करेंगे.....भाई और खालिद को ड्रॉयिंग रूम में छोड़ कर हम कमरे में आ गये.....मैं भी बहुत बेसब्र थी उसकी हनिमून की कहानियाँ सुन ने को.....अंदर घुसते ही उसको बाहों में भर लिया....वो मुस्कुरा उठी....उईईई....क्या करती है.... हाए !!! जानी....बड़ी गदरा गई हो.....कहते हुए मैने उसकी चूतड़ पर एक चिकोटी काट ली.....उ....कमिनी तू कभी नही बदलेगी....कहते हुए वो बेड पर बैठ गई....मैं भी उसकी बगल में बैठ गई.....कुछ यहाँ वहा की बाते होती रही.....
फिर वो धीरे धीरे खुद ही खुलने लगी.....मुझे मौका मिल गया.....हनिमून की मजेदार रातो की कहानियों को सुन ने को मैं वैसे भी बेताब थी.....फिर उसने सारी बाते बताई....सुन-सुन कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगी.....बदन अंगड़ाई लेने लगा.....दिल कर रहा था बाहर जा कर.....किसी का भी ले लू.....मैं बोली... हाए !!! साली तूने तो अपनी कहानी सुना सुना कर आग लगा दिया.....अब मेरा क्या होगा....कैसे रातें कटेगी.....कमिनी तुझे बता कर मैं खुद गरम हो गई हू....मेरा क्या होगा.... हाए !!! तेरी गर्मी को ठंडा करने के लिए तो खालिद भाई है ना.....अर्रे यहाँ कहा मौका मिलता है.....नौ बजे तो वो वापस अपने घर चले जाएँगे....एक ही शहर में मायका और ससुराल होने का ये बहुत बड़ा नुकसान है....जानती है जब तक नही लो तब तक तो ठीक है.....मगर एक बार किसी का ले लो ना तब तो....एक बार भी अगर ना मिले ना....तो नींद नही आती....मैं हैरान होती हुई बोली....चल झूठी....ऐसा होता है क्या....तू नही जानती.....इसकी लत लग जाती है....
अब देख ना वहा हनिमून पर दिन रात मिला कर कम से कम चार बार चुदती थी.....और छेड़ छाड़ तो दिन भर चलती रहती थी.....इनका तो ये हाल था की हाथ लगते ही....अपना खड़ा हथियार पकड़ा देते थे.... हाए !!! रब्बा....बहुत मौज किया....वहा कही घूमने फिरने नही गये क्या तुम दोनो.....घूमने फिरने.....इनका घूमना फिरना सब उसी होटेल के कमरे के अंदर ही था.....बाथरूम तक में पीछा नही छोड़ते थे.... हाए !!! गुसलखाने में भी.....हा रे मेरा तो गुसल करना भी हराम कर दिया था.....आँखे फाड़ कर घुस जाते थे.....और वो सब भी दिखाने को बोलते थे.... हाए !!! उफफफफफ्फ़..... बड़े रंगीले लगते है....मुझे भी नही पता था....मैं तो सोचती थी सीधे साधे है....मगर इतने बदमाश होंगे.... हाए !!! बदमाशी दिखाई तभी तो तुझे मज़ा आया.....कहते हुए मैने एक हाथ आगे बढ़ा उसकी चूंची दबा दी.....उ क्या करती है....
ही ऐसे क्यों उछलती है....अब तो आदत पर गई होगी....मसलवा कर.....चुप साली....पक्की रंडी निकलेगी तू....फिर इसी तरह की बाते होती रही.....आपस में थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ होती रही....रात के नौ बजे हमने खाना खाया और वापिस लौट गये.....
घर पहुच कर मैं ड्रेस चेंज करने के लिए अपने बेडरूम में चली गई.....चूत में बहुत खुजली हो रही थी......दिल कर रहा था की.....जाकर भाई को बाहों में भर लू और बोलू... हाए !!! भाई साली रंडी शबनम ने अपनी चुदाई के किससे सुना कर बहुत गरम कर दिया है......वो हरामजादी जब अपने खलजाद भाई का लंड अपनी चूत में पेल्वा रही है और किसी को कोई ऐतराज़ नही.....फिर तुम क्यों पीछे हट रहे हो.....लूट लो ना मेरी जवानी को.....अब कितना खोल के दिखाऊं.....आ जाओ चूत खोल के बैठी हू.....ये सब सोचते सोचते मैं खुद ही शर्मा गई....शायद ऐसे तो मैं कभी भी भाई को नही बोल पाउंगी.....शर्मो हया की दीवार.....वो भी अपने सगे भाई के साथ.....समाज ने इतनी मजबूत बनाई हुई है....की कोई चाहे भी तो नही तोड़ पाएगा......हा लड़के थोड़े बेशर्म होते है....वो चाहे तो तोड़ सकते है....और अगर कल रात वो बात नही होती तो शायद भाई तोड़ देता मगर.......मेरी ही किस्मत फूटी है.....खैर मैं सोचने लगी क्या पहनु......फिर मैने ब्लॅक कलर का मिनी स्कर्ट और वाइट कलर वाली गोल गले का टी - शर्ट पहन लिया.....मिनी स्कर्ट के अंदर से रान दिखाने का प्लान था अगर भाई नीचे कालीन पर बैठेगा तो.......बाकी का काम तो उसी ने करना था......
भाई भी चेंज करके आ गया.....आज उसने पाजामा पहन रखा था....पतला सा सफेद कपड़ों का.....और शायद अंडरवेर भी नही था.....तभी कुछ हिलता सा नज़र आ रहा था.....खैर वो तो गोद में बैठने के बाद ही पता चलेगा.....वैसे भाई क्या सोच रहा था.....फिर से गोद में खींचेगा क्या मुझे.....भाई मेरी बगल में बैठ गया....क्या देख रही है....कुछ नही लो तुम देखो....भाई ने चॅनेल बदल कर....गाना लगा दिए....हम वही देखने लगे....फिर मैने पुछा .....कल क्या हुआ उसके बाद.....कब....मैं तो सोने चली गई....फिर क्या हुआ....वो दोनो लड़के जैल चले गये क्या......भाई हँसने लगा.....अरे कुछ नही हुआ.....ज़फ़र साहिब भी थोड़ी देर बाद अपने घर के अंदर चले गई....मैं फिर भी सुनता रहा.....वो दोनो पोलीस वालो ने उन लड़कों से 10,000 रुपये ऐंठ लिए......वो जो घस्ती थी....
भाई थोड़ा सर्माता हुआ बोला....वो भी उन पोलीस वालों से मिली हुई थी.....उसका काम ही यही है.....लड़कों को फसा कर.....फिर पोलीस वालो को चुपके से खबर कर देती.....बेचारे लड़के ......मैं मुँह बिचकाती बोली....बारे आए बेचारे लड़के .....लड़कों की तरफ़दारी तो ना ही करो....खुद ही फसने गये.....इतना ही शौक है तो....शादी कर ले......घस्तियों के साथ....बोलते बोलते मैं रुक गई.....भाई मुझे एक तक देखे जा रहा था....मैं शर्मा गई....भाई भी हँसने लगा....अरे मजबूरियाँ होती है.....फिर बेचारो का दिल कर गया.....जवान लड़के है.....मैने भाई को धक्का दिया....हा हा तुम तो ऐसा बोलॉगे ही.....कहते हुए मैं मुस्कुरई.....तो और क्या बोलू....अब उन बेचारो की कोई गर्लफ्रेंड नही होगी.....जिसके साथ कुछ .....तो बना ले ना गर्लफ्रेंड किस ने रोका है....फिर करे जो मर्ज़ी आए......भाई मेरी तरफ देखते हुए शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ बोला.....मैं तो इतने दिनों से कोशिश कर रहा हू मगर.....क्या कोशिश कर रहे हो.....मैने आँखे नाचते पुछा ....
भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला....गर्लफ्रेंड बनाने और उसके के साथ कुछ करने का.....पर मुश्किल ये है की....गर्लफ्रेंड तो बन ने को तैयार है....मगर कुछ करने नही देती.....कहते हुए मेरे हथेली को हल्के से दबाया.....झटके से मैने अपने हाथ को खींचा और उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली.....सब समझती हू मैं..... कहते हुए भाई की एक उंगली पकड़ उमेंठटी हुई बोली....ज़्यादा बकवास ना करो.....आजकल तुम भी उन्ही लड़कों के जैसे हो गये हो.....भाई को दर्द भी हो रहा था और वो मुस्कुरा भी रहा था...अरे छोड़ ना....दर्द कर रहा है.....नही छोडूंगी....बहुत बदमाश हो गये हो......मैने ऐसा क्या किया.....किया नही तो करोगे ज़रूर.....उंगली छोड़ते मैने कहा....भाई हँसने लगा....मैं क्यों इन चक्करो में पड़ने लगा.....कहते हुए उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैने कमर से हाथ हटते हुए कहा.....बेशरम.....जब देखो तो तब....बेहन को गर्लफ्रेंड बोलने में शर्म नही आती....भाई ने फिर से हाथ बढ़ा कमर पकड़ ने की कोशिश की.....
मैने कमर तक पहुचने से पहले ही हाथ को झटक दिया.....और अपनी ज़ुबान निकाल कर उसको चिढ़ा या......भाई ने लपक कर अपने चेहरे को ऐसे आगे बढ़ाया जैसे वो मेरी ज़ुबान को अपने दांतो से पकड़ लेगा.....उईईइ अम्मी.....कहती हुई....मैं डरने का नाटक करती पीछे हो गई....भाई हँसने लगा.....थोड़ा मुस्कुराते थोड़ा शरमाते, रुआंसी शकल बना.....आगे बढ़ कर भाई के सीने पर एक मुक्का मारा.....बदमाश....बहाया...भाई ने मेरी कलाई पकड़ ली और अपनी तरफ खींच लिया.....मैने कलाई छुड़ाने की कोशिश की मगर.....उसने मुझे और ज़्यादा अपनी तरफ खींच लिया.....हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के आमने सामने थे.....उसकी आँखे मेरी आँखो में झाँक रही थी.....उसकी गर्म सांसो का अहसास अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.....मैने अपनी नज़रे झुका ली....
हाए !!! छोड़ो .....उसने नही छोड़ा....दिल तेज़ी से धरकने लगा....गाल गुलाबी हो गये.....धीमी आवाज़ में बोली.... हाए !!! कलाई दुख रही है.....छोड़ो ना.....कलाई पकड़ कर खींचने की वजह से मैं इस वक़्त घुटनों के बल सोफे पर खड़ी थी.....बदन का पूरा भर भाई के उपर था.....तभी उसने कलाई को छोड़ लपक कर मेरी कमर को पकड़ लिया... हाए !!! ये क्या....छोड़ो ......पर मेरी कमर पर उसने अपनी बाहों को और कस दिया......मैं भाई का हाथ पकड़ छुड़ाने की कोशिश करती बोली.... हाए !!! छोड़ो ना....इसी वजह से कहती हू.....आप भी उन लड़कों के जैसे ही.....भाई गर्दन उठा कर मुझे देख रहा था.....मैं उसके उपर झुकी हुई थी....मेरा पेट उसके चेहरे के सामने.....तभी भाई ने अपने चेहरे को आगे बढ़ा.....मेरे पेट से सटा ....जब तक मैं कुछ समझती....रगड़ दिया.....गुदगुदी के मारे मुझे हसी आ गई.....मैं मचली.....पर उसने छोड़ा नही और अपने चेहरे को रगड़ता रहा मेरी पेट पर......हँसते हँसते मेरा बदन ढीला पर गया.....
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