RE: Sex Hindi Kahani राबिया का बेहेनचोद भाई
फ़रज़ाना ऐसे ही मसलवा रही थी ना....हा भाई हाए !!!....जब तूने देखा तो तेरे भी दिल में आया होगा.... हाए !!! क्या....की कोई तेरी भी मसल... हाए !!! भाई...धत !... हाए !!! बता ना.... हाए !!! भाई....जानती है जब डिस्को में हम चिपक कर... हाए !!! हा.....हा उस दिन ना तेरा सीने जब मेरी छाती से लगा.... हाए !!! इसस्सस्स.....बदमाश....याद ना दिलाओ....क्यों मज़ा आया था ना... हाए !!! भाई...बहुत मज़ा.... हाए !!! तब से तड़प रहा था....कब अपनी प्यारी गुड़िया रानी के मम्मे.... हाए !!! इसस्स....गंदे भाई.....बेशरम... हाए !!! मुझे पता भी नही था....मेरा बड़ा भाई मेरे सीने पर....गंदी नज़र रख... हाए !!!.....भाई हँसता हुआ मेरी चूचियाँ और कस के दबाते हुए मसल....मेरी चूची के नोक को रबर की तरह से पकड़ आगे की तरफ खींचते बोला.... हाए !!! मेरी प्यारी बाहेना.....तू है ही इतनी खूबसूरत....तेरे ये मम्मे... हाए !!! अल्लाह....कयामत है....कयामत.... हाए !!! ईिइइइइ....इसस्सस्स भाई धीरे....तभी भाई लेफ्ट चूची पर से हाथ हटा मेरी रानों के बीच ले गया....
स्कर्ट के उपर से मेरी लालपरी के उपर रख दबाते हुए.... मेरी अनछुई फाको वाली कली को अपनी मुट्ठी में क़ैद करने की कोशिश की.....मैं एकदम से तड़प उठी... हाए !!! कर मचलते हुए.....भाई के हाथ के उपर हाथ रख सिसकी... हाए !!! भाई यहाँ नही.....थोड़ा बहुत नखड़ा तो ज़रूरी था ना... हाए !!! क्या हुआ मेरी बन्नो... हाए !!! नही यहाँ से हाथ हटाओ..... हाए !!! यही तो असल मज़ा है गुड़िया ... हाए !!! नही भाई....आप ने कहा था ज्यादा आगे नही बढ़ेंगे.... हाए !!! पर मैं कहा कुछ कर रहा हू.... हाए !!! नही आप छू... हाए !!! छुने से कुछ नही होता मेरी बहेना.....इतनी बड़ी हो गई....इतनी समझदार हो कर..... हाए !!! छुने दे ना.... हाए !!! भाई पर असल ख़तरा तो.... हाए !!! ख़तरा तो तभी है जब मैं अंदर... हाए !!! धत ! चुप करो....ये लो अब बोलती है...चुप करो....जानती सब है मगर.... हाए !!! ज़रा देखने दे ना छू कर....कैसा....होता है.... हाए !!! धत !....नही....प्लीज़ मैने आजतक नही छुआ... हाए !!! धत !...झूठे..... हाए !!! सच कह रहा हू किसी की नही.....क्यों आपकी सहेली....कौन सुल्ताना...हा उसकी तो....नही यार कहा आज तक किसी की नही.....सुल्ताना ने हाथ ही नही रखने दिया.....खाली सीने एक दो बार छुआ.....
हाए !!! उसका सीने मसला....हा एक दो बार.... हाए !!! कैसा था उसका.....तेरे से बड़ा था... हाए !!! पर उसकी उमर ज्यादा.....हा पर तेरे जीतने सख़्त नही....उसका गुलगुला सा था....तेरे तो अफ...क्रिकेट के बॉल सरीखे... हाए !!! धत ! चुप करो बेशरम....अच्छा ठीक है....पर छुने दे ना.... हाए !!! सच किसी की नही.....सच्ची मेरी प्यारी....अच्छा एक बात पुछू... हाए !!! क्या......कैसी होती है ये नीचे वाली....धत !.....मार दूँगी.... हाए !!! बता ना.....भाई भी कम नाटकबाज नही था.....इतना नादान तो था नही की उसे पता नही हो की चूत कैसी होती है......मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! धत !....इतना सब कुछ जानते हो और.....जानता तो हू....मगर कभी देखा नही है.... हाए !!! बता ना कैसा... हाए !!! धत !...बेशरम.....अभी दो मिनिट पहले तो वहा पर हाथ लगा रखा था.... हाए !!! देख मैने अपने वाले का तो नाम भी बता दिया....फिर अपनी हथेली को फैला...इशारा करता हुआ धीरे से बोला.... हाए !!! देख....मेरा लंड ना इतना बड़ा है.....लंबा सा....बेलन के जैसा.... हाए !!! इसस्स...बेशरम....गंदे.....बदमाश....
उफफफफ्फ़ ....कितने गंदे... हाए !!! आपको ज़रा भी शर्म....अब शरम का क्या करना....देख मैने तो अपने वाले का नाम भी बता दिया... हाए !!! छुने दे.... हाए !!! नही....जिद ना करो.... हाए !!! कैसा होता है ये तो बता दे....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली... हाए !!! मुझे शर्म आती है... हाए !!! प्लीज़ बता ना.....मैं धीरे से बोली बता दूँ... हाए !!! हा....फिर मैने दोनो हतेली की उंगलिओ को ज़ोर कर चूत का तिकोना बना दिखाते हुए कहा... हाए !!! ऐसा....फिर झट से हाथ अलग कर लिया.....भाई जोश में आ मुझे दबोचता सिसका... हाए !!! ऐसा.....मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! हा... हाए !!! रबिया तूने मेरी बेकरारी और बढ़ा दी.... हाए !!! मैने क्या किया सब तो आप खुद ही करते हो.... हाए !!! रबिया..बड़ी तम्माना थी दिल में....किसी की छू के देखे.... हाए !!! छुने दे.. हाए !!! नही भाई.... हाए !!! रबिया मेरी प्यारी बेहन एक साथ दोनो जगह छुने से ज़यादा मज़ा आएगा....देख.....कहते हुए भाई ने झट से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ घुसा रानों के बीच सीधा चूत पर हाथ रख दिया.....मैं तड़प कर मचली....भाई के हाथो के उपर हाथ रख....रानों को कसने की कोशिश की पर उसने....फाको के बीच पैंटी के उपर से उंगली चलते हुए मेरी चूची को दबाया....
पूरा बदन सनसना गया.....जवानी के इस अनोखे मज़े का स्वाद पहली बार किसी लड़के के साथ ले रही थी....उपर से सगे भाई के साथ जिस्मानी लुत्फ़ उठाने की गुनाह का लज़्ज़त भी बड़ा अनोखा मज़ा दे रहा था......मेरी आँखे नशीली हो बंद होने लगी....मैने सिसक कर अपने चेहरे को भाई की छाती में च्छुपाया.....भाई बारी बारी से दोनो चूंचीयों को मसलते....चूत की फाको में धीरे धीरे उंगली चला रहा था....मेरी पतली सी छापे वाली चड्डी....के उपर से उसकी उंगलियों की सरसराहट का अहसास...चूत की अनछुई और अनचुदी फाको के उपर पुरकशिश महसूस हो रही थी.....तभी भाई सरगोशी करते बोला... हाए !!! रबिया....बन्नो....हू...अच्छा लग रहा है....मैने अपना चेहरा उसकी छाती में और ज़यादा घुसेड़ा .... हाए !!! बता ना....मैं सिसकती हुई बोली... हाए !!! भाई सीई....उफफफ्फ़....अच्छा लग रहा है ना.... हाए !!! भाई आपके हाथो में जादू.....मैं कहता था ना...नीचे असल मज़ा.... हाए !!! हा भाई.....पर ज़यादा आगे नही.... हाए !!! मुझे ख्याल है मेरी गुड़िया .....
मैं अपनी गुड़िया को ख़तरे में नही पड़ने दूँगा.....चूत सहलाने और चूचियों के मुस्सल्सल मसले जाने से.....मेरा जिस्म दहक उठा.....मेरी चूत पानी छोड़ने लगी....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई....इसस्स्सस्स......उफफफफफ्फ़.....भाई मेरी तड़प को देख और ज़ोर से मेरी चूची को दबाने मसलने लगा.....मेरी चूत की फाको को सहलाना छोड़....पूरी चूत को अपनी मुट्ठी में दबोच लिया.....उईईईई....आम...ममिईिइ.....सीईईई...भाई ही....छोड़ो .....पर भाई ने अपने गर्दन आगे बढ़ा मेरी कान के लाउ को अपने होंठों को बीच दबा चूसना शुरू कर दिया......चूत को सहलाते हुए हाथ को......रानों के ज़ोर तक ले गया और.....पैंटी के किनारे से अपनी उंगली अंदर घुसा दी.....मैं अब ना तो कुछ बोलना चाह रही थी ना ही उसे रोकना चाह रही थी......दोनो रानों को फैला.....चूची मसलवाते भाई की छाती में चेहरा घुसेड़े अपना मज़ा लूटना चाहती थी.....भाई ने चूत के होंठों तक अपनी उंगली पहुचा दी.....अब उसकी उंगली मेरी नंगी चूत के उपर थी.....थोड़ी देर तक टटोलने और झांटों पर उंगली फेरने के बाद.....उसको मेरी चूत के छेद और फाको का अंदाज लग गया....
मेरी नंगी फाको पर उंगली चलते हुए मेरी चूचियों को बारी बारी से अदल बदल कर दबाने लगा.....मैं सिसक रही थी.....सनसनी की वजह से अपनी जांघें सिकोड़ रही थी.....भाई बार बार मेरी जाँघों को दूसरे हाथ से खोल देता.....वापस हाथ को चूची पर ले जाकर....दोनो चूंचीयों को बारी बारी से मसलते.....चूत की फाकॉ के बीच अपनी आग लगाने वाली उंगलियों को रगड़ रहा था.....मेरी आँखे इस अनोखे मज़े को पा बंद होने लगी....तभी भाई ने चूची पर से अपनी हथेली हटा मेरे सिर को पकड़ा....मुझे अहसास भी नही हुआ....कब उसने अपने गर्म होंठ मेरे तपते लबो से चिपका दिए.....मेरी नाज़ुक गुलाबी होंठों को अपने होंठों के बीच ले चूसने लगा....मैं भी अब अपने आप को रोकना नही चाहती थी......बगैर किसी नाज़-नखड़े के होंठों के बीच अपनी होंठों को दे दिया....नीचे भाई की उंगलियाँ मेरी बुर की कुँवारी होंठों के साथ छेड़ छाड़ कर रही थी.... उपर और नीचे दोनो जगह की होंठों के साथ एक साथ शरारत का मज़ा अनोखा था....भाई दोनो होंठों को अपने होंठों के बीच दबा चूसने लगा.....मैने अपनी जीभ को भाई के मुँह में धकेला.....उसने लपक कर पूरा मुँह खोल....जीभ को होंठों के बीच दबा.....चूसना शुरू कर दिया.....
थोड़ी देर बाद मेरी होंठों के बीच अपने जीभ को तेल कर.....चारो तरफ घुमाते हुए....मेरी गुलाबी होंठों को रस को इतनी ज़ोर से चूसा की बस मेरी तो जान निकल गई.... हाए !!!........होंठों के चुसाई के अनोखे लज़्ज़त ने हम दोनो को कुछ लम्हो तक उलझाए रखा....मैं बेजार हो चुकी थी....थोड़ी देर बाद जब भाई ने अपने होंठों को मेरे लबो से अलग किया तो......हम दोनो की साँस उखड़ चुकी थी.....मैने अपनी आँखे खोली.....भाई का चेहरा एक दम लाल पड़ गया था.....सीधा मेरी आँखो में देखता एक बेशर्म मुस्कराहट के साथ बोला.....कैसा लगा मेरी गुड़िया .... हाए !!!....सीई.....भाई... हाए !!! मेरी जान....मेरी प्यारी बहन .....तेरे होंठ नही शहद के प्याले है.....
उफफफफ्फ़ ....कहते हुए एक और हल्की चुम्मि.....अपनी सांसो काबू में करते मैने शर्मा कर.. हाए !!! किया और.....अपना चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया.....भाई ने तब तक दूसरा हाथ मेरी फ्रॉक के नीचे घुसा दिया.....एक हाथ से मेरी पैंटी की म्यानी को अलग करते हुए.....मेरी चूत को पूरा नंगा कर दिया.....मैं रान सिकोड़ते हुए....सिसकी....मगर उसने मजबूती से अपने दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को सीधा मेरी चूत के फूल सरीखे छेद पर लगा....हल्का सा दबा दिया....उसकी उंगली का एक पोर मेरी बुर के अंदर घुस गया.....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई ये क्या.....उंगली है बन्नो....कोई मेरा लं....कहते हुए उसने थोड़ा और दबाया.....मेरी कसी हुई फुद्दी में उसकी आधी उंगली घुस गई.....मैने बेसुध हो....रानों को उसकी हाथो पर कस लिया.....सिसियाती हुई बोली... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़...ये क्या कर रहे हो....उफफफफ्फ़ बहुत.....छी....... हाए !!! मेरी प्यारी....अभी सही हो जाएगा मेरी डार्लिंग बहना....देख कितना मज़ा आ रहा होगा.....खाली उंगली ही तो डाल रहा....ले...थोड़ा और....कहते हुए कच से उंगली निकाल....वापस फिर से चूत में घुसेड़ दिया....रान कसने से चूत कस गई थी....उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.....
हल्के दर्द का अहसास हुआ.....मैं सिसकी.. हाए !!! भाई दर्द..... हाए !!! कभी उंगली नही डाला...खुद से.. हाए !!! धत्त्त....मैं ऐसे...काम....नही....उफ़फ्फ़....भाई दर्द....रान को फैला ना...आराम से जाएगा.....मज़े की पानी छोड़ रही है....देख.....उंगली निकाल उस पर लगे पानी को दिखता बोला... हाए !!! सस्स्सिईईईई...धत !....तभी भाई ने उंगली पर लगे पानी को अपने होंठों के पास ला जीभ निकाल चाट लिया.... हाए !!! ये क्या भाई....उफफफ्फ़....मेरी प्यारी का रस है....छी गंदे....ऐसे कैसे बर्बाद कर दूँ... हाए !!! मेरी बहन का रस भरी जवानी का पहला रस.....उफ़फ्फ़...मजेदार...कहते हुए उसने फिर से चूत में उंगली पेल दी....गोद में बैठे बैठे ही मैने सारा काम करवा लिया था....चूंची मसलवाने से लेकर चूत में उंगली डलवाने तक.....भाई को बिना चूत दिखाए....एक तरह से उस से फुद्दी चुदवा रही थी....मैने अपनी रानों को ढीला किया तो....भाई ने सक-सक करते हुए चार पच बार लगातार...बुर में उंगली अंदर बाहर किया.....मेरा पूरा बदन ऐंठ गया....रान फैलाए बुर में उंगली डलवाने लगी....
नशा इतना बढ़ गया की....मुँह से सिर्फ़ गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी.....भाई गाल चूमता....गर्दन आगे बढ़ा होंठों पर चुम्मिया लेता....गाँड में लंड चुभाता हुआ....कच-कच उंगली पेल रहा था.....बहन की अनचुदी कसी हुई फुद्दी उसकी उंगली को लपक कर दबोच रही थी
....तभी अचानक दर्द का अहसास हुआ....उईईइ.....भाईजान....धीरे....मेरी संकरी चूत के मुँह पर भाई की दो उंगलियों ने ठोकर मारी थी.....तभी ये दर्द....उफ़फ्फ़.....उसने अपनी दो उंगलियाँ एक साथ मेरी बुर में घुसरेने की कोशिश....किसी जवान मर्द की दो उंगलियाँ लड़की की उंगली से तो मोटी ही होंगी....मेरी चूत को एक उंगली की आदत थी....पर भाई ने दो उंगालियाँ....मैं सिसक उठी... हाए !!! भाई....हटो....भाई समझदार निकला...
झट से दो की जगह एक उंगली पेल...अपने अंगूठे को मेरी चूत के पिस्ते पर लगा दिया.....उंगली से बुर चोदते हुए वो मेरी टीट को मसलने लगा....दर्द की जगह बदन में सनसनी की तेज लहर दौड़ गई....भाई ने उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी....मैं गाँड को गोद में खड़े लंड पर रगड़ते हुए....उचका उचका कर....उंगली कच-कच ले रही थी.....आँखे बंद.....पर नशे से भारी....लग रहा था जैसे....मेरा निकल जाएगा....टीट मसलने की वजह से कुछ ज्यादा ही.... हाए !!! भाई सीईईईई.... उफफफफफफ्फ़..... आप.... उफफफफ्फ़.... ये क्या......उफ़ !!!....मैने भाई के हाथ को कंधे के पास पकड़ लिया....चेहरा उस तरफ घुमा....कंधे पर दाँत गड़ाए.......सस्स्सिईईई... करती.... झड़ने लगी....
मेरी आँखे बंद थी......साँस फूल चुका था.....गहरी साँसे लेते भाई के कंधे को पकडे...उसकी छाती में मुँह च्छुपाए.....बैठी रही.....भाई चुप चाप हल्के हल्के मेरे सिर और बालो को चूम रहा था.....कमरे में हम दोनों की तेज चलती सांसो के अलावा और कोई आवाज़ नही आ रही थी.....तभी भाई बोला..... रबिया.... रबिया....अपनी बंद आँखो को खोलते....धीरे से अपने सिर को उठा भाई का मुस्कुराता चेहरा देखा और.....वो सीधा मेरी आँखो में झाँक रहा था.....जल्दी से मुँह घुमा.....शरमाती अपने चेहरे को झुका झट से उसकी गोद से उठ खड़ी हो गई....भाई ने हाथ पकड़ लिया....क्या हुआ कहा जा रही है....शरमाती....नज़रे झुखाए....हल्के से हाथो को खींचती बोली... हाए !!! गुसल....भाई ने हाथ छोड़ दिया....आँखो के कोनो से देखा.....पाजामे में भाई का लंड तंबू बना रहा था.....
बाथरूम में कमोड पर बैठते हुए पैंटी उतार....झुक कर अपनी नीचे की सहेली को देखा.....पहली बार किसी लड़के का हाथ लगवा.....अभी तक झंझना रही थी.....भाई की उंगली से चुदी....मेरी गुलाबी सहेली....अपना रंग बदल गुलाबी से लाल हो गई थी.....भाई ने मुट्ठी में भर मसाला था.....चूत का उपर का हिस्सा थोड़ा सा और उभर गया था....लगता था जैसे.....टीट अभी भी खड़ी थी....हाथ लगा कर देखा.....उफ़फ्फ़....एक दम गरम....टीट पर हाथ रखे छलछला कर मूतना शुरू कर दिया....पहली बार इतनी तेज धार के साथ मूत रही थी....बदन में मीठी सी लहर दौड़ रही थी..... छलछला कर मूतने के बाद....धीरे से पैंटी को खींच उपर किया....आगे के प्लान के बारे में सोचते....अपनी सहेली और हाथो को धो कर....बाहर निकली....भाई अभी भी नीचे बैठा....टीवी देख रहा था.....डाइनिंग टेबल के पास रखे टवल से हाथ पोचहते धीरे से बोली....भाई मैं सोने जा रही हू....भाई जल्दी से पलटा....अरे रुक ना....प्लीज़ मैं इंतेज़ार कर रहा था....यहा आ ना....अब क्या है भाई....सोने जाने दो...
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