प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:41 PM,
#73
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
मैंने उसकी कमर पकड़ी और अपना फनफनाता लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पूरा ठोक दिया। धक्का इतना जोर का था कि उसकी घुटी घुटी सी एक चीख ही निकल गई। उसके गोल गोल उरोज नीचे पके आम की तरह झूलने लगे वो सीत्कार किये जा रहे थी। उसने अपना मुंह तकिये पर रख लिया और मेरे झटकों के साथ ताल मिलाने लगी। उसकी गोरी गोरी गांड का काला छेद खुल और बंद हो रहा था। वो प्यार से मेरे अण्डों को मसलती जा रही थी। मैंने एक अंतिम धक्का और लगाया और उसके साथ ही पिछले २५-३० मिनट से उबलता लावा फूट पड़ा। कोई आधा कटोरी वीर्य तो जरूर निकला होगा। मेरे वीर्य से उसकी चूत लबालब भर गई। अब वो धीरे धीरे पेट के बल लेट गई और मैं भी उसके ऊपर ही पसर गया। उसकी चूत का रस और मेरा वीर्य टपटप निकालता हुआ चद्दर को भिगोता चला गया।

कोई १० मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर वो उठाकर बात कमरे में चली गई। मुझे साथ नहीं आने दिया। पता नहीं क्यों। साफ़ सफाई करके वो वापस बेड पर आ गई और मेरी गोद में सिर रखकर लेट गई। मैंने उसके बूब्स को मसलने चालू कर दिया।

मैंने पूछा, “क्यों शहद रानी ! कैसी लगी चुदाई ?”

“आह … बहुत दिनों के बाद ऐसा मज़ा आया है। मधु सच कहती है तुम एक नंबर के चुद्दकड़ हो। सारे कस बल निकाल देते हो। अगर कोई कुँवारी चूत तुम्हें मिल जाए तो तुम तो एक रात में ही उसका कचूमर निकाल दोगे !” और उसने मेरे सोये शेर को चूम लिया।

“क्यों रमेश भैय्या ऐसी चुदाई नहीं करते क्या ?”

“अरे छोड़ो उनकी बात वो तो महीने में एक दो बार भी कर लें तो ही गनीमत समझो !”

“पर आपकी चूत देख कर तो ऐसा लगता है जैसे उन्होंने आप की खूब रगड़ाई की है !”

“आरे बाबा वो शुरू शुरू में था, जब से उनका एक्सीडेंट हुआ है वो तो किसी काम के ही नहीं रहे। मैं तो तड़फती ही रह जाती हूँ। ”

“अब तड़फने की क्या जरुरत है ?”

“हाँ हाँ १५-२० दिन तो मजे ही मजे है। फिर ….” वो उदास सी हो गई।

“आप चिंता मत करें मैं १५-२० दिनों में ही आपकी सारी कमी दूर कर दूंगा और आपकी साइज़ भी ३८-२८-३६ से ३८-२८-३८ या ४० कर दूंगा ” मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फेरते हुए कहा तो उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने कहा “ऐसे नहीं मैं चित्त लेट जाता हूँ आप मेरे पैरों की ओर मुंह करके अपनी टाँगे मेरे बगल में कर लो !”

अब मैं चित्त लेट गया और सुधा ने अपने पैर मेरे सिर के दोनों ओर करके अपनी चूत ठीक मेरे मुंह से सटा दी। उसकी फूली हुई चूत की दरार कोई ४ इंच से कम तो नहीं थी। उसकी चूत तो किसी बड़े से आम की रस में डूबी हुई गुठली सी लग रही थी। और टींट तो किसमिस के दाने जितना बड़ा बिलकुल सुर्ख लाल अनार के दाने की तरह। बाहरी होंठ संतरे की फांकों की तरह मोटे मोटे। अन्दर के होंठ देसी मुर्गे की लटकती हुई कलगी की तरह कोई २ इंच लम्बे तो जरूर होंगे। साले रमेश ने इनको चूस चूस कर इस चूत का भोसड़ा ही बना कर रख दिया था। और अब किसी लायक नहीं रहा तो मुझे चोदने को मिली है। हाय जब ये कुंवारी थी तो कैसी मस्त होगी साला रमेश तो निहाल ही हो गया होगा।

सच पूछो तो उसकी चुदी हुई चूत चोद कर मुझे कोई ज्यादा मजा नहीं आया था बस पानी निकालने वाली बात थी। पर उसके नितम्बों और गांड के छेद को देखकर तो मैं अपने होश ही खो बैठा। एक चवन्नी के सिक्के से थोड़ा सा बड़ा काला छेद। एक दम टाइट। बाहर कोई काला घेरा नहीं। आप को पता होगा गांड मरवाने वाली औरतों की गांड के छेड़ के चारों ओर एक गोल काला घेरा सा बन जाता है पर शहद रानी की कोरी गांड देखकर मुझे हैरानी हुई। क्या वाकई ये अभी तक कोरी ही है। मैं तो यह सोच कर ही रोमांच से भर गया। वो मेरा लंड चूसे जा रही थी। अचानक उसकी आवाज मेरे कानों में पड़ी,“अरे लण्डोईजी क्या हुआ ! तुम भी तो अपना कल का व्रत तोड़ो ना ?” उसका मतलब चूत की चुसाई से था।

“आन … हाँ “ मैं तो उसकी गांड का कुंवारा छेद देखकर सब कुछ भूल सा गया था। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो वो सीत्कार करने लगी और मेरा लंड फिर चूसने लगी। मैंने भी उसकी चूत को पहले चाटा फिर अपनी जीभ की नोक उसकी चूत के छेद में डाल दी। वाओ … अन्दर से पके तरबूज की गिरी जैसी सुर्ख लाल चूत का अन्दर का हिस्सा बहुत ही मुलायम और मक्खन सा था। फिर मैंने उसके किसमिस के दाने को चूसा और फिर उसके अन्दर की फांकों को चूसना शुरु कर दिया। अभी मुझे कोई २ मिनट भी नहीं हुए थे कि सुधा एक बार और झड़ गई और कोई २-३ चमच शहद से मेरा मुंह भर गया जिसे मैं गटक गया। उसकी गांड का छेद अब खुल और बंद होने लगा था। उसमे से खुशबूदार क्रीम जैसी महक से मेरा स्नायु तंत्र भर उठा। मैंने अपनी जीभ की नोक उस पर जैसे ही टिकाई उसने एक जोर की किलकारी मारी और धड़ाम से साइड में गिर पड़ी। उसकी आँखें बंद थी। उसकी साँसे तेज चल रही थी।

“क्या हुआ मेरी शहद रानी ?”

वो बिना कुछ बोले उछल कर मेरे ऊपर बैठ गई और अपने होंठ मेरे होंठों पर लगा दिए। उसकी चूत ठीक मेरे लंड के ऊपर थी। मैं अभी अपना लंड उसकी चूत में डालने की सोच ही रहा था कि वो कुछ ऊपर उठी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया और नीचे की ओर सरकने लगी। मुझे लगा कि मेरा लंड थोड़ा सा टेढ़ा हो रहा है। एक बार तो लगा कि वो फिसल ही जाएगा। पर सुधा ने एक हाथ से इसे कस कर पकड़ लिया और नीचे की ओर जोर लगाया। वह जोर लगाते हुए नीचे बैठ गई। मेरा आधा लंड उसकी नरम नाजुक कोरी गांड में धंस गया। उसके मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई। वो थरथर कांपने सी लगी उसकी आँखों से आंसू निकल आये।
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